HindiKiDuniyacom

भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)

भारत में लोकतंत्र

भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है, जिस पर सदियों तक विभिन्न राजाओं, सम्राटों तथा यूरोपीय साम्राज्यवादीयों द्वारा शासन किया गया। भारत 1947 में अपनी आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उसके बाद भारत के नागरिकों को वोट देने और अपने नेताओं का चुनाव करने का अधिकार मिला। भारत क्षेत्रफल के हिसाब से दुनियां का सातवां सबसे बड़ा देश और आबादी के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा देश है, इन्हीं कारणों से भारत को विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में भी जाना जाता है। 1947 में देश की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत के लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ था। हमारे देश में केंद्र और राज्य सरकार का चुनाव करने के लिए हर 5 साल में संसदीय और राज्य विधानसभा चुनाव आयोजित किए जाते हैं।

भारत में लोकतंत्र पर बड़े तथा छोटे निबंध (Long and Short Essay on Democracy in India in Hindi, Bharat me Loktantra par Nibandh Hindi mein)

भारत में लोकतंत्र पर निबंध – 1 (250 300 शब्द) – loktantra par nibandh.

भारत की शासन प्रणाली लोकतांत्रिक है। यहाँ भारत की जनता अपना मुखिया स्वयं चुनती है। भारत में प्रत्येक नागरिक को वोट देने और उनकी जाति, रंग, पंथ, धर्म या लिंग के बावजूद अपनी इच्छा से अपने नेताओं का चयन करने की अनुमति प्रदान करता है।

लोकतंत्र का प्रभाव

भारत में लोकतंत्र का मतलब केवल वोट देने का अधिकार ही नहीं बल्कि सामाजिक और आर्थिक समानता को भी सुनिश्चित करना है। सरकार को लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निरक्षरता, गरीबी, सांप्रदायिकता, जातिवाद के साथ-साथ लैंगिग भेदभाव को खत्म करने के लिए भी काम करना चाहिए। देश में सरकार आम लोगों द्वारा चुनी जाती है और यह कहना गलत नहीं होगा कि यह उनकी बुद्धि और जागरूकता है जिससे वे सरकार की सफलता या विफलता निर्धारित करतें हैं।

लोकतंत्र के घटक

भारतीय लोकतंत्र का एक संघीय रूप है जिसके अंतर्गत केंद्र में एक सरकार जो संसद के प्रति उत्तरदायी है तथा राज्य के लिए अलग-अलग सरकारें हैं जो उनके विधानसभाओं के लिए समान रूप से जवाबदेह हैं। भारत के कई राज्यों में नियमित अंतराल पर चुनाव आयोजित किए जाते हैं। इन चुनावों में कई पार्टियां केंद्र तथा राज्यों में जीतकर सरकार बनाने के लिए प्रतिस्पर्धा करती हैं।

लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि हमारे देश के संविधान निर्माताओं और नेताओं ने शासन प्रणाली के रुप में लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन किया। हमें अपने देश के लोकतंत्र को और भी मजबूत करने की आवश्यकता है।

इसे यूट्यूब पर देखें : Essay on Democracy in Hindi

निबंध 2 (400 शब्द)

लोकतंत्र से तात्पर्य लोगों के द्वारा, लोगों के लिए चुनी सरकार से है। लोकतांत्रिक राष्ट्र में नागरिकों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त होता है। लोकतंत्र को विश्व के सबसे अच्छे शासन प्रणाली के रुप में जाना जाता है, यही कारण है कि आज विश्व के अधिकतम देशों में लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू है।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषताएं

वर्तमान समय में भारत दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र है। मुगलों, मौर्य, ब्रिटिश और अन्य कई शासकों द्वारा शताब्दियों तक शासित होने के बाद भारत आखिरकार 1947 में आजादी के बाद एक लोकतांत्रिक देश बना। इसके बाद देश के लोगों को, जो कई सालों तक विदेशी शक्तियों के हाथों शोषित हुए, अंत में वोटों के द्वारा अपने स्वयं के नेताओं को चुनने का अधिकार प्राप्त हुआ। भारत में लोकतंत्र केवल अपने नागरिकों को वोट देने का अधिकार प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक समानता के प्रति भी काम कर रहा है।

भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर काम करता है:

  • संप्रभु: इसका मतलब भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त है।
  • समाजवादी: इसका मतलब है कि सभी नागरिकों को सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।
  • धर्मनिरपेक्षता: इसका अर्थ है किसी भी धर्म को अपनाने या सभी को अस्वीकार करने की आजादी।
  • लोकतांत्रिक: इसका मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है।
  • गणराज्य: इसका मतलब यह है कि देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है।

भारत में लोकतंत्र कैसे कार्य करता है

18 वर्ष से अधिक आयु का हर भारतीय नागरिक भारत में वोट देने का अधिकार का उपयोग कर सकता है। मतदान का अधिकार प्रदान करने के लिए किसी व्यक्ति की जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियाँ है जिनके उम्मीदवार उनकी तरफ से चुनाव लड़ते हैं जिनमें प्रमुख है भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) आदि। उम्मीदवारों को वोट देने से पहले जनता इन पार्टियों या उनके प्रतिनिधियों के आखिरी कार्यकाल में किये गये कार्यों का मूल्यांकन करते हुए, अपना मतदान करती है।

सुधार के लिए क्षेत्र

भारतीय लोकतंत्र में सुधार की बहुत गुंजाइश है इसके सुधार के लिए ये कदम उठाए जाने चाहिए:

  • गरीबी उन्मूलन
  • साक्षरता को बढ़ावा देना
  • लोगों को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करना
  • लोगों को सही उम्मीदवार चुनने के लिए शिक्षित करना
  • बुद्धिमान और शिक्षित लोगों को नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित करना
  • सांप्रदायिकता का उन्मूलन करना
  • निष्पक्ष और जिम्मेदार मीडिया सुनिश्चित करना
  • निर्वाचित सदस्यों के कामकाज की निगरानी करना
  • लोकसभा तथा विधानसभा में ज़िम्मेदार विपक्ष का निर्माण करना

हालांकि भारत में लोकतंत्र को अपने कार्य के लिए दुनिया भर में सराहा जाता है पर फिर भी इसमें सुधार के लिए अभी भी बहुत गुंजाइश है। देश में लोकतंत्र कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए ऊपर बताए क़दमों को प्रयोग में लाया जा सकता है।

निबंध 3 (500 शब्द)

लोकतांत्रिक राष्ट्र एक ऐसा राष्ट्र होता है जहां नागरिक अपने चुनाव करने के अधिकार को इस्तेमाल करके अपनी सरकार चुनते हैं। लोकतंत्र को कभी-कभी “बहुमत के शासन” के रूप में भी जाना जाता है। दुनिया भर के कई देश लोकतांत्रिक सरकारे है लेकिन अपने विशेषताओं के कारण भारत को दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में जाना जाता है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास

भारत पर मुगल से मौर्यों तक कई शासकों ने शासन किया। उनमें से प्रत्येक के पास लोगों को शासित करने की अपनी अलग शैली थी। 1947 में अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र बन गया था। उस समय के भारत के लोग, जिन्होंने अंग्रेजों के हाथों काफी अत्याचारों का सामना किया था, उन्हें आजादी के बाद पहली बार वोट करने और खुद की सरकार चुनने का अवसर प्राप्त हुआ।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत

संप्रभु एक ऐसी इकाई को संदर्भित करता है जो किसी भी विदेशी शक्ति के नियंत्रण से मुक्त होता है। भारत के नागरिक अपने मंत्रियों का चुनाव करने के लिए सर्वभौमिक शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।

समाजवादी का मतलब है भारत के सभी नागरिकों को जाति, रंग, पंथ, लिंग और धर्म को नज़रंदाज़ करके सामाजिक और आर्थिक समानता प्रदान करना।

धर्म निरपेक्षता

धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है कि अपनी पसंद से किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता। हमारे देश में कोई आधिकारिक धर्म नहीं है।

लोकतांत्रिक

लोकतांत्रिक का मतलब है कि भारत सरकार अपने नागरिकों द्वारा चुनी जाती है। किसी भी भेदभाव के बिना सभी भारतीय नागरिकों को वोट देने का अधिकार दिया गया है ताकि वे अपनी पसंद की सरकार चुन सकें।

देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा या रानी नहीं है। वह लोकसभा और राज्यसभा द्वारा चुना जाता है जहाँ के प्रतिनिधि खुद जनता द्वारा चुने गयें हैं।

भारत में लोकतंत्र की कार्यवाही

18 वर्ष से अधिक आयु के भारत के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार है। भारत का संविधान किसी से भी अपनी जाति, रंग, पंथ, लिंग, धर्म या शिक्षा के आधार पर भेदभाव नहीं करता है।

भारत में कई पार्टियाँ राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लड़ती है जिनमें प्रमुख है – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई-एम), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इनके अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां हैं जो राज्य विधायिकाओं के लिए चुनाव लड़ती हैं। चुनावों को समय-समय पर आयोजित किया जाता है और लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने के लिए मतदान करने के अपने अधिकार का उपयोग करते हैं। सरकार लगातार अच्छे प्रशासन को चुनने के लिए अधिक से अधिक लोगों को वोट देने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है।

भारत में लोकतंत्र का मकसद केवल लोगों को वोट देने का अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि जीवन के सभी क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित करना भी है।

भारत में लोकतंत्र के कार्य में रुकावटें

हालांकि चुनाव सही समय पर हो रहें हैं और भारत में लोकतंत्र की अवधारणा का एक व्यवस्थित दृष्टिकोण से पालन किया जाता है लेकिन फ़िर भी देश में लोकतंत्र के सुचारु कामकाज में कई बाधाएं हैं। इसमें निरक्षरता, लिंग भेदभाव, गरीबी, सांस्कृतिक असमानता, राजनीतिक प्रभाव, जातिवाद और सांप्रदायिकता शामिल है। ये सभी कारक भारत में लोकतंत्र पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

हालाँकि भारत लोकतंत्र की विश्व भर में सराहना की जाती है लेकिन अभी भी इसे सुधार का काफी लंबा सफर तय करना है। भारत में लोकतंत्र के कामकाज पर असर डालने वाली अशिक्षा, गरीबी, लैंगिग भेदभाव और सांप्रदायिकता जैसी कारकों को समाप्त करने की आवश्यकता है ताकि देश के नागरिक सही मायनों में लोकतंत्र का आनंद ले सकें।

निबंध 4 (600 शब्द)

1947 में ब्रिटिश शासन के चंगुल से मुक्त होने के बाद भारत में लोकतंत्र का गठन किया गया था। इससे दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का जन्म हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रभावी नेतृत्व के कारण ही भारत के लोगों को वोट देने और उनकी सरकार का चुनाव करने का अधिकार प्राप्त हुआ।

इस समय भारत में सात राष्ट्रीय पार्टियाँ हैं जो इस प्रकार हैं – भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (एनसीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया- मार्क्सिस्ट (सीपीआई- एम), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा)। इन के अलावा कई क्षेत्रीय पार्टियां राज्य विधानसभा चुनावों के लिए लड़ती हैं। भारत में संसद और राज्य विधानसभाओं का चुनाव हर 5 सालों में होता है।

भारत के लोकतांत्रिक सिद्धांत इस प्रकार हैं:

संप्रभु का मतलब है स्वतंत्र – किसी भी विदेशी शक्ति के हस्तक्षेप या नियंत्रण से मुक्त। देश को चलने वाली सरकार नागरिकों द्वारा एक निर्वाचित सरकार है। भारतीय नागरिकों की संसद, स्थानीय निकायों और राज्य विधानमंडल के लिए किए गए चुनावों द्वारा अपने नेताओं का चुनाव करने की शक्ति है।

समाजवादी का अर्थ है देश के सभी नागरिकों के लिए सामाजिक और आर्थिक समानता। लोकतांत्रिक समाजवाद का अर्थ है विकासवादी, लोकतांत्रिक और अहिंसक साधनों के माध्यम से समाजवादी लक्ष्यों को प्राप्त करना। धन की एकाग्रता कम करने तथा आर्थिक असमानता को कम करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।

इसका अर्थ है कि धर्म का चयन करने का अधिकार और स्वतंत्रता। भारत में किसी को भी किसी भी धर्म का अभ्यास करने या उन सभी को अस्वीकार करने का अधिकार है। भारत सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है और उनके पास कोई आधिकारिक राज्य धर्म नहीं है। भारत का लोकतंत्र किसी भी धर्म को अपमान या बढ़ावा नहीं देता है।

इसका मतलब है कि देश की सरकार अपने नागरिकों द्वारा लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित हुई है। देश के लोगों को सभी स्तरों (संघ, राज्य और स्थानीय) पर अपनी सरकार का चुनाव करने का अधिकार है। लोगों के वयस्क मताधिकार को ‘एक आदमी एक वोट’ के रूप में जाना जाता है। मतदान का अधिकार किसी भी भेदभाव के बिना रंग, जाति, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर दिया जाता है। न सिर्फ राजनीतिक बल्कि भारत के लोग सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र का भी आनंद लेते हैं।

राज्य का मुखिया आनुवंशिकता राजा या रानी नहीं बल्कि एक निर्वाचित व्यक्ति है। राज्य के औपचारिक प्रमुख अर्थात् भारत के राष्ट्रपति, पांच साल की अवधि के लिए चुनावी प्रक्रिया द्वारा (लोकसभा तथा राज्यसभा) द्वारा चुने जाते हैं जबकि कार्यकारी शक्तियां प्रधान मंत्री में निहित होती हैं।

भारतीय लोकतंत्र द्वारा सामना किए जाने वाले चुनौतियां

संविधान एक लोकतांत्रिक राज्य का वादा करता है और भारत के लोगों को सभी प्रकार के अधिकार के प्रदान करता हैं। कई कारक हैं जो भारतीय लोकतंत्र को प्रभावित करने का कार्य करते हैं तथा इसके लिए एक चुनौती बन गए है। इन्ही में से कुछ निम्नलिखित कारको के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।

लोगों की निरक्षरता सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है जो कि भारतीय लोकतंत्र की शुरूआत के बाद से हमेशा सामने आती रही है। शिक्षा लोगों को बुद्धिमानी से वोट देने के अपने अधिकार का उपयोग करने में सक्षम बनाती है।

गरीब और पिछड़े वर्गों के लोगों से आम तौर पर हमेशा ही राजनीतिक दलों द्वारा छेड़छाड़ की जाती है। राजनीतिक दल उनसे अक्सर वोट प्राप्त करने के लिए रिश्वत तथा अन्य प्रकार के प्रलोभन देते हैं।

इनके अलावा, जातिवाद, लिंगभेद, सांप्रदायिकता, धार्मिक कट्टरवाद, राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार जैसे कई अन्य कारक हैं जो भारत में लोकतंत्र के लिए एक चुनौती बन गये है।

भारत के लोकतंत्र की दुनिया भर में काफी प्रशंसा की जाती है। देश के हर नागरिक को वोट देने का अधिकार उनके जाति, रंग, पंथ, धर्म, लिंग या शिक्षा के आधार पर किसी भी भेदभाव के बिना दिया गया है। देश के विशाल सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई विविधता लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही आज के समय में लोगों के बीच का यह मतभेद एक गंभीर चिंता का कारण बन गया है। भारत में लोकतंत्र के सुचारु कार्य को सुनिश्चित करने के लिए हमें इन विभाजनकारी प्रवृत्तियों को रोकने की आवश्यकता है।

Essay on Democracy in India in Hindi

संबंधित पोस्ट

मेरी रुचि

मेरी रुचि पर निबंध (My Hobby Essay in Hindi)

धन

धन पर निबंध (Money Essay in Hindi)

समाचार पत्र

समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)

मेरा स्कूल

मेरा स्कूल पर निबंध (My School Essay in Hindi)

शिक्षा का महत्व

शिक्षा का महत्व पर निबंध (Importance of Education Essay in Hindi)

बाघ

बाघ पर निबंध (Tiger Essay in Hindi)

Leave a comment.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

bharat ka loktantra essay in hindi

लोकतंत्र पर निबंध

Table of Contents

Democracy in India लोकतंत्र – जनतंत्र – प्रजातंत्र दो शब्द से मिलकर बनता है। लोक और तंत्र। जन और तंत्र। प्रजा और तंत्र। लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ शासन होता है। अर्थात लोकतंत्र का अर्थ जनता का शासन ।लोकतंत्र को प्रजातंत्र ही कहा जाता है। लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ जनता द्वारा जनता के लिए जनता प्रशासन होता है। लोकतंत्र में जनता अपने शासक खुद चुनते हैं। 2000 वर्ष से भी ज्यादा पुराना लोकतंत्र का इतिहास रहा है।

अधिकतर देश की शासन व्यवस्था को अपनाया है। कई देशों तो सैकड़ों साल से लोकतंत्र को अपना रहे हैं। इसीलिए इन्हें लोकतंत्र का जनक दिखाते हैं। लेकिन भारत का लोकतंत्र विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। इसका कारण समय-समय पर जरूरत पड़ने पर इसमें सुधार किया जाना है। भारत पर 1947 से पहले सदियों वर्ष तक अनेक लुटेरों द्वारा शासन किया गया। भारत को 1947 में कथत परिश्रम के बाद आजादी मिली। जिसके बाद भारत एक लोकतांत्रिक देश बना। भारत का क्षेत्रफल की दृष्टि से देखा जाए तो दुनिया के सातवा देश हैं और आबादी के दृष्टि से दूसरे स्थान पर हैं।

इन्हीं कारण से भारत को विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जाता है। भारत में 1947 में आजादी प्राप्ति के बाद लोकतांत्रिक सरकार का गठन हुआ। उसके बाद हर 5 साल पर लोकसभा और विधानसभा का चुनाव होता है। जिसमें सबसे अहम भूमिका जनता का होता है । जनता के द्वारा सांसद और विधायक को वोट किया जाता है। जिसका बहुमत आता है वह उस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। उसका नाम सांसद और विधायक पड़ता है। फिर वह एक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का चयन करते हैं ।इनका कार्यकाल 5 साल का होता है। एक होता है राज्यसभा इसका चुनाव जनता के द्वारा चुने गए शासक के द्वारा चुना जाता है। यह केंद्र के लिए राज्यसभा सांसद एवं राज्य के लिए विधान पार्षद कहलाते हैं। इनकी कार्यकाल की अवधि 6 वर्ष की होती है।

भारत में लोकतंत्र पांच लोकतांत्रिक तरीके पर काम करते हैं:-

लोकतांत्रिक इसका अर्थ है कि नागरिक द्वारा भारत सरकार चुनी जाती है। गणराज्य इसका अर्थ देश का प्रमुख एक वंशानुगत राजा रानी मंत्री आदि नहीं होता है। समाजवादी इसका अर्थ सभी जनता को आर्थिक और सामाजिक समानता प्रदान करवाना होता है। संप्रभुता इसका अर्थ भारत किसी भी विदेशी शक्ति के हस्त छपिया नियंत्रण से मुक्त है। धर्मनिरपेक्ष इसका अर्थ किसी भी धर्म को अपनाने की आजादी दी जाती है आप स्वतंत्र हो चाहे आपको धर्म परिवर्तन क्यों क्यों न करने का मन हो।

भारत में 18 वर्ष से ज्यादा किस सभी नागरिक को वोट गिराने का अधिकार दिया जाता है।एवं अपने मन के अनुसार जनता के शासक चुनने का अवसर दिया जाता है। मतदान के अधिकार प्रदान करने के लिए धर्म, लिंग, शिक्षा, जाति, आदि के आधार पर भेदभाव नहीं होता है। भारत में कई पार्टियों हैं जिनमें उनके उम्मीदवार उनके तरफ से चुनाव लड़ते हैं। जिनमें प्रमुख इस प्रकार हैं भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कॉन्ग्रेस) , जनता दल यू (जदयू) , राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जन अधिकार पार्टी (जाप), राष्ट्रीय जन जन पार्टी (राजपा) आदि। जनता उम्मीदवार को वोट देने से पहले पार्टियों या प्रतिनिधि के पूर्व कार्यकाल के कार्य का मूल्यांकन करते हुए अपना मतदान करती है। हालांकि कभी-कभी नया उम्मीदवार मैदान में आकर झूठा वादा करके जनता का मन मोह लेते हैं। और सत्ता में आकर जनता के लिए कामना करके खुद अपने लिए काम करते हैं।

सुधारसबसे पहले योग्य उम्मीदवार को ही खड़ा होने का अधिकार दिया जाए। क्योंकि शिक्षित नेता ही सबसे अच्छा नेतृत्व कर सकता है। और देश के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है। कई बार तो यह देखने को मिल जाता है की जनता के प्रतिनिधि को सही से बोलने और लिखने नहीं आता है। इससे निवारण हेतु एक परीक्षा का आयोजन किया जाए ताकि योग्य प्रतिनिधि का चुनाव हो सके। सबसे महत्वपूर्ण कारण है गरीब जो लोकतंत्र को बहुत बड़ी बाधाएं पहुंचाती है।

देखा जाए तो गरीबी इलाका में प्रतिनिधि खड़ा होकर बिना काम बिना विकास के अपने कार्यकाल समाप्त कर लेते हैं और फिर दोबारा सत्ता में भी आ जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा की इसका कारण क्या है। जहां तक मेरा मानना है कि सबसे बड़ा कारण गरीबी है। क्योंकि लाचार मनुष्य भूखा मनुष्य कुछ भी करने को तैयार हो जाता है यहां तक की आत्महत्या भी तो आखिर मतदान क्या चीज है साहब। मतदान में भी वही होता है पैसे पर मतदान कर जाते हैं और लाचारी के वजह से गलत प्रतिनिधि चुन बैठते हैं। जो लूट खाचरोद के जनता का देश का संपत्ति को पूरा कार्यकाल में अपने नाम पर करवाने में लगे रहते हैं। तो इससे निवारण हेतु सरकार को शिक्षित समाज को गरीबी दूर करना होगा।

एक कारण यह भी है जो अशिक्षित जनता गरीब जनता को प्रतिनिधि के द्वारा गलत समझा दिया जाता है। और जनता शिक्षा के अभाव में गरीबी के कारण उनके गलत वादे को मान जाते हैं। इसके लिए साक्षरता रेट बढ़ाना होगा और शिक्षा के प्रति समाज को जागरूक करना होगा। शिक्षित समाज का निर्माण करना पड़ेगा। उसके बाद आरक्षण में सुधार होना चाहिए सत्ता के लोभी अपने सत्ता को देखते हुए एक विशेष जाति के जनता को इनका संख्या ज्यादा हो और और अशिक्षित हो उनको आरक्षण का लोभ देखें उनसे अपने पक्ष में मतदान करवाकर लोकतंत्र का हनन करते हैं।

एक विशेष समाज को जाति को आरक्षण देकर दूसरी जाति को खाई में धकेलने का काम करते हैं। आत्महत्या करने पर मजबूर करते हैं। जैसा कि शिक्षा जगत में ले लिया जाए कोई आईएएस के एग्जाम में या कोई अन्य की एग्जाम में 100 नंबर वाले पदाधिकारी नहीं बनेंगे बल्कि आरक्षण के आधार पर 50 नंबर वाले पदाधिकारी बन जाएंगे। इस पद्धति को बरकरार रखने से देश का कभी विकास नहीं हो सकता इसीलिए आर्थिक आधार पर आरक्षण दिया जाए। वह भी शिक्षा जगत में नहीं। तो हमारे देश और देशवासियों दोनों का भला होगा तो। तब हमारा देश विकासशील से विकास बनेगा। इसी प्रकार से भारत का लोकतंत्र है।

Related posts:

  • स्मार्ट क्लास का अर्थ और स्मार्ट क्लास की उपयोगिता पर हिंदी निबंध
  • क्रिकेट पर शुद्ध हिंदी में निबंध | Cricket Par Hindi Mein Essay
  • बाल मजदूरी एक अभिशाप पर निबंध
  • जीवन में गुरु का महत्व पर निबंध हिंदी में
  • Choose your language
  • मुख्य ख़बरें
  • अंतरराष्ट्रीय
  • उत्तर प्रदेश
  • मोबाइल मेनिया
  • 84 महादेव (उज्जैन)
  • बॉलीवुड न्यूज़
  • मूवी रिव्यू
  • खुल जा सिम सिम
  • आने वाली फिल्म
  • बॉलीवुड फोकस
  • दैनिक राशिफल
  • आज का जन्मदिन
  • आज का मुहूर्त
  • वास्तु-फेंगशुई
  • टैरो भविष्यवाणी
  • पत्रिका मिलान
  • रत्न विज्ञान

लाइफ स्‍टाइल

  • वीमेन कॉर्नर
  • नन्ही दुनिया
  • श्री कृष्णा
  • व्रत-त्योहार
  • श्रीरामचरितमानस

धर्म संग्रह

  • Bharat Mein Loktantra (Hindi)
  • 104 शेयरà¥�स

भारत में लोकतंत्र, उद्देश्य एवं उपलब्धियां...

भारत में लोकतंत्र, उद्देश्य एवं उपलब्धियां... - Bharat Mein Loktantra (Hindi)

ये 'जासूस' करें महसूस कि दुनिया बड़ी ख़राब है

  • वेबदुनिया पर पढ़ें :
  • महाभारत के किस्से
  • रामायण की कहानियां
  • रोचक और रोमांचक

भारतीय युवाओं में सरकारी नौकरियों का इतना चाव क्यों है

भारतीय युवाओं में सरकारी नौकरियों का इतना चाव क्यों है

चीन रिटायरमेंट की उम्र क्यों बढ़ाना चाहता है?

चीन रिटायरमेंट की उम्र क्यों बढ़ाना चाहता है?

बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश का खास ख्याल क्यों रखा गया?

बजट में बिहार और आंध्र प्रदेश का खास ख्याल क्यों रखा गया?

कुत्सित कामुकता कर रही है जर्मन बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद

कुत्सित कामुकता कर रही है जर्मन बच्चों की ज़िंदगी बर्बाद

2080 तक चरम पर पहुंच जाएगी दुनिया की आबादी

2080 तक चरम पर पहुंच जाएगी दुनिया की आबादी

और भी वीडियो देखें

bharat ka loktantra essay in hindi

Uttarakhand : पन्याली बरसाती नाला उफान पर, तेज बहाव में बही पिकअप गाड़ी, ड्राइवर ने कूदकर बचाई जान

Uttarakhand : पन्याली बरसाती नाला उफान पर, तेज बहाव में बही पिकअप गाड़ी, ड्राइवर ने कूदकर बचाई जान

MP : प्रदेश के विद्यालयों में हर गुरुवार मनाया जाएगा टीकाकरण दिवस

MP : प्रदेश के विद्यालयों में हर गुरुवार मनाया जाएगा टीकाकरण दिवस

सरपंच साहब, आपको और टीम को बधाई, प्रधानमंत्री मोदी ने हॉकी कप्तान हरमनप्रीत से कहा

सरपंच साहब, आपको और टीम को बधाई, प्रधानमंत्री मोदी ने हॉकी कप्तान हरमनप्रीत से कहा

  • हमारे बारे में
  • विज्ञापन दें
  • हमसे संपर्क करें
  • प्राइवेसी पालिसी

Copyright 2024, Webdunia.com

HindiVyakran

  • नर्सरी निबंध
  • सूक्तिपरक निबंध
  • सामान्य निबंध
  • दीर्घ निबंध
  • संस्कृत निबंध
  • संस्कृत पत्र
  • संस्कृत व्याकरण
  • संस्कृत कविता
  • संस्कृत कहानियाँ
  • संस्कृत शब्दावली
  • पत्र लेखन
  • संवाद लेखन
  • जीवन परिचय
  • डायरी लेखन
  • वृत्तांत लेखन
  • सूचना लेखन
  • रिपोर्ट लेखन
  • विज्ञापन

Header$type=social_icons

  • commentsSystem

भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ एवं समस्‍याएँ - UPSC Essays

भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ एवं समस्‍याएँ - UPSC Essays : वर्तमान उदारवादी प्रजातांत्रिक देशों में भारत एक महान प्रजातांत्रिक देश है लेकिन इसकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक परिस्थितियां न सिर्फ दूसरे देश से भिन्‍न हैं बल्कि भारतीय उपमहाद्वीप के विभिन्‍न देशों में पूर्णतया लोकतंत्र स्‍थापित नहीं हो पाया है और इसके पड़ोसी देशों में दुनिया भर की विभिन्‍न प्रकार की शासन प्रणालियां विद्यमान हैं जिससे भारतीय लोकतंत्र प्रभावित है। साथ ही साथ देश के अंदर साम्‍प्रदायिकता, क्षेत्रावाद, हिंसा, अपराधीकरण, क्षेत्रीय विषमताएं, अशिक्षा, गरीबी, जनसंख्‍या विस्‍फोट, जातिवाद, सामाजिक-आर्थिक असमानता भारतीय लोकतंत्र के लिए चुनौती पैदा कर रहे हैं। जब तक इन समस्‍याओं का सामधान नहीं हो जाता तब तब भारतीय लोकतंत्र सुदृढ़ नहीं हो पाएगा।

  • मुसलमानों में पृथकत्‍व की भावना सम्‍प्रदायवाद का मुख्‍य कारण हैं।
  • मुसलमानों का आर्थिक तथा शैक्षिक पिछड़ापन भी सम्‍प्रदायवाद का कारण है।
  • भारत में साम्‍प्रदायिकता का एक मुख्‍य कारण भारत के राजनेताओं की मुस्लिम तुष्‍टीकरण की नीति है।
  • भारत में साम्‍प्रदायिकता को पाकिस्‍तानी प्रचार के द्वारा भी बढ़ावा मिला है।
  • भारत में हिंदु साम्‍प्रदायिक संगठन हिंदू महासभा , राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ , विश्‍व हिंदू परिषद आदि धर्मान्‍धता की भावनाओं से युक्‍त संगठनों द्वारा भी साम्‍प्रदायिकता को बढ़ावा दिया गया है।
  • भारत में साम्‍प्रदायिकता की समस्‍या का एक प्रमुख कारण सरकार की उदासीनता है।
  • भारत में साम्‍प्रदायिकता का एक कारण संकुचि ᛝ त दलीय , गुटीय तथा चुनावी राजनीति है।
  • सम्‍प्रदायवाद राष्‍ट्रीय एकता के लिए सर्वधिक घातक सिद्ध हुआ है।
  • साम्‍प्रदायिकता के कारण राष्‍ट्रीय सुरक्षा को खतरा उत्‍पन्‍न हो जाता है।
  • सम्‍प्रदायवाद देश में राजनीतिक अस्थिरता उत्‍पन्‍न करता है।
  • सम्‍प्रदायवाद के आधार पर होने वाले दंगो में अनेकों व्‍यक्‍तियों की जानें जाती हैं व अनेक व्‍यक्‍ति घायल होते हैं।
  • साम्‍प्रदायिक दंगों में अनेक दुकानें लूट ली जाती हैं तथा राष्‍ट्रीय सम्‍पत्‍ति का विनाश होता है।
  • सम्‍प्रदायवाद व्‍यक्‍तियों का नैतिक पतन करता है।
  • साम्‍प्रदायिकता देश के विकास में बाधा पहुंचाती है।
  • सम्‍प्रदायवाद समाज की एकता में बाधक है।
  • भारत को सम्‍प्रदायवाद से युक्‍त करने के लिए संम्‍पूर्ण भारत में समाचार पत्रों , रेडियो तथा टेलीविजन के माध्‍यम से साम्‍प्रदायिकता के विरूद्ध प्रचार करके भ्रातृत्‍व की भावना उत्‍पन्‍न की जानी चाहिए।
  • सम्‍प्रदायवाद को दूर करने के लिए सर्वधर्म सम्‍मेलनों तथा कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए।
  • भारत से सम्‍प्रदायवाद को खत्‍म करने के लिए यह आवश्‍यक है कि शासन को अपनी तुष्‍टीकरणर की नीति का त्‍याग कर देना चाहिए।
  • भारत से सम्‍प्रदायवाद को दूर करने के लिए राजनीतिक दलों को अपनी स्‍वार्थपरकता का त्‍याग कर देना चाहिए।
  • सम्‍प्रदायवाद को दूर करने के लिए साम्‍प्रदायिक संगठनों पर कानून द्वारा प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।
  • ऐसे काननों का निर्माण किया जाना चाहिए जिनका उद्देश्‍य किसी सम्‍प्रदाय विशेष के हितों की रक्षा करना नहीं वरन सार्व‍जनिक हित हो।
  • सम्‍प्रदायवाद को समाप्‍त करने के लिए शिक्षा , नौकरियों , व्‍यवसायों व राजनीतिक संस्‍थाओं में सम्‍प्रदायिकता के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
  • सम्‍प्रदायवाद को दूर करने के लिए सरकार को अपनी भाषा संबंधी नीति को ठीक करना चाहिए।
  • कुछ राज्‍यों द्वारा भारत संघ से अलग होकर स्‍वतंत्र राज्‍य के दर्जे की मांग क्षेत्रीयतावाद का सर्व‍ाधिक चुनौतीपूर्ण रूप रहा है।
  • भारतीय राजनीति में क्षेत्रवाद की अभिव्‍यक्‍ति कुछ लोगों में अलग राज्‍य के दर्जें की प्राप्‍ति में हुई है।
  • पूर्ण राज्‍य के दर्जे की मांग के रूप में भी क्षेत्रवाद सामने आया है।
  • अंतर-राज्‍य विवाद भी क्षेत्रवाद का एक रूप है।
  • उत्तर-दक्षिण अवधारणा भी क्षेत्रवाद का ही एक रूप है।
  • अधिकाधिक स्‍वतंत्रता की मांग क्षेत्रवाद का ही एक रूप है।
  • आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में असमान विकास तथा इन क्षेत्रों में विकास तथा इन क्षेत्रों में विकास के अभाव से जनता में निराशा का जन्‍म हुआ है। जिससे भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिला है।
  • रोजगार को लेकर भूमिपूत्र की अवधारणा का जन्‍म हुआ है अर्थात असम में असम गण परिषद। महाराष्‍ट्र में शिव सेना और झारखंड में झारखंड युक्‍ति मोर्चा जैसे राजनीतिक दलों ने भूमिपुत्र की अवधारणा को अपना राजनीतिक हथकंडा बनाया है जिससे भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा मिला है।
  • कुछ राजनीतिक दल क्षेत्रीय भावना को उभारकर अपनी दलीय स्‍वार्थ की पूर्ति करते रहते हैं जिसके कारण क्षेत्रवाद की समाप्‍ति नहीं हो पाती है।
  • क्षेत्रीय दलों के निर्माण और सशक्‍तिकरण ने भी क्षेत्रवाद को बढ़ावा दिया है।
  • विभिन्‍न करकों के प्रभाव में भारत के संघवादी व्‍यवस्‍था में केंद्रीकरण की प्रवृत्ति को बल मिला है जिनके विरोध में राज्‍यों के द्वारा अत्‍यधिक स्‍वयत्तता की मांग की गयी है जिसे भी क्षेत्रवाद का उत्‍तरदायी कारक कहा जा सकता है।
  • पिछले दिनों विशेषत: 1990 के बाद भारत में जबर्दस्‍त रूप से गठबंधन की राजनीति की शुरुआत हुयी है जिसके कारण क्षेत्रीय दलों के समर्थन के लिए पैकेज की राजनीति का प्रचलन हुआ है पैकेज की राजनीति ने तो क्षेत्रावाद को जबर्दस्‍त बढ़ावा दिया है।
  • भाषावाद ने क्षेत्रवाद को बढ़ाया है भाषायी आधार पर जब से राज्‍यों का निर्माण हुआ। तब से क्षेत्रवाद को भाषावाद से जबर्दस्‍त बढ़ावा मिला है।
  • जब व्‍यक्‍तियों की शासन से आशाएं तथा अपेक्षाएं पूरी नहीं हो पाती हैं तो उनमें तीव्र अंसतोष व निराशा उत्‍पन्‍न होती है जिससे हिंसा का जन्‍म होता है।
  • बेरोजगारी , निर्धनता , तस्‍करी आदि आर्थिक क्रियाकलाप भी कई प्रकार से हिंसा को बढ़ावा देते हैं।
  • भारतीय प्रशासनिक व्‍यवस्‍था की त्रुटियां जैसे प्रशासन में अनावश्‍यक देरी होना , भ्रष्‍टाचार , लालफीताशाही , अकुशलता आदि भी हिंसा का वातावरण उत्‍पन्‍न करता है।
  • कई बार केंद्र तथा राज्‍य स्‍तर पर योग्‍य नेतृत्‍व का अभाव होने पर हिंसा का जन्‍म हुआ है।
  • हमारे राजनीतिक दल और उसके नेता सत्ता प्राप्‍ति के लिए देश के लिए जातीय हिंसा की स्थिति को अपना लेते हैं।
  • भारत संघ के पंजाब तथा जम्‍मू कश्‍मीर रज्‍य में पाकिस्‍तान हिंसक तत्‍वों को प्रोत्‍साहन दे रहा है चीन तथा पाकिस्‍तान मिजो तथा विद्रोहियों को सैनिक व अन्‍य सहायता देकर उकसाते रहते हैं।
  • हिंसा तथा अलगाववाद से देश की एकता तथा अखंडता को खतरा उत्‍पन्‍न हुआ है।
  • भारत में हिंसा के अत्‍यधिक प्रयोग ने लोकतंत्र को कमजोर किया है।
  • हिंसात्‍मक प्रवृत्तियों के कारण देश के आर्थिक , वैज्ञानिक , तकनीकी , औद्यौगिक व शैक्षिक आदि विविध क्षेत्रों में समुचि ᛝ त विकास में अनेक बाधाएं उपस्थित हो रही है।
  • हिंसा के कारण देश में पृथक स्‍वायत्तशासी राज्‍यों की मांगो में वृद्धि हुई है।
  • हिंसा को समाप्‍त करने के लिए संवेदनशील शासन की स्‍थपना की जानी चाहिए।
  • हिंसा को दूर करने के लिए क्षेत्रीय असंतुलन समाप्‍त किया जाना आवश्‍यक है।
  • हिंसा को दूर करने के लिए आर्थिक स्‍थिति में सुधान करना जरूरी है।भारतीय शासन से भ्रष्‍टाचार , अकर्मण्‍यता को दूर करके शासन को कार्यकुशल बनाया जाए।
  • भारत के विभिन्‍न राजनीतिक दलों में आम सहमति कायम हो।
  • भारत में हिंसा को दूर करने के लिए यह आवश्‍यक है कि भारत सरकार को हिंसा का प्रोत्‍साहन देने वाले पड़ोसी देशों को उनकी भाषा में चेतावनी देनी चाहिए।
  • हिंसात्‍मक प्रवृत्तियों के कारण देश के आर्थिक , वैज्ञानिक , तकनी‍की , औद्योगिक व शैक्षिक आदि विविध क्षेत्रों में समुचि ᛝ त विकास में अनेक बाधाएं उपस्थित हो रही हैं।
  • हिंसा के कारण देश में पृथक स्‍वायत्तशासी राज्‍यों की मांगों में वृद्धि हुई है।
  • हिंसा को समाप्‍त करने के लिए संवेदनशील शासन की स्‍थापना की जानी चाहिए।
  • हिंसा को दूर करने के लिए अर्थिक स्थिति में सुधार करना जरूरी है।
  • भारतीय शासन से भ्रष्‍टाचार , अकर्मण्‍यता को दूर करके शासन को कार्यकुशल बनाया जाए।
  • भारत में हिसा को दूर करने के लिए यह आवश्‍यक है कि भारत सरकार को हिंसा का प्रोत्‍साहन देने वाली पड़ोसी देशों को उनकी भाषा में चेतावनी देनी चाहिए।
  • भारतीय प्रशासन में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार के लिए उत्तरदायी में ऐतिहासिक तथ्‍यों को रखा जा सकता है। यद्यपि भारतीय प्रशासन में भ्रष्‍टाचार ने स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति के पश्‍चात गंभीर रूप धारण किया परंतु इसकी नीवं स्‍वंत्रता प्राप्‍ति के पूर्व ही पड़ चुकी थी तथा निम्‍न श्रेणी के प्रशासनिक पदों पर कार्यरत कर्मचारियों में भ्रष्‍टाचार पाया जाता था। स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति एवं देश विभाजन के चलते प्रशासन के उच्‍च श्रेणी के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों में भ्रष्‍टाचार पाया जाता था। स्‍वंत्रता प्राप्‍ति एवं देश विभाजन के चलते प्रशासन के उच्‍च श्रेणी के पदों पर कार्यरत अंग्रेज तथा मुस्लिम पदाधिकारियों द्वारा भारी संख्‍या में क्रमश: इगलैंड तथा पाकिस्‍तान पदों को भरने के लिए पदोन्‍नति पद रिक्‍त हुए। ऐसे उच्‍च प्रशासनिक पदों को भरने के लिए पदोन्‍नति एवं आकस्मिक भर्ती का सहारा लिया गया और योग्‍यता पर विशेष ध्‍यान नहीं दिया गया। पदोन्‍नति के माध्‍यम से जो कर्मचारी ऊपर गए वे पहले से ही भ्रष्‍ट थे। इस प्रकार भ्रष्‍टाचार ऊपर से नीचे तक व्‍याप्‍त हो गया।
  • महायुद्ध के कारण उत्‍पन्‍न अभावों ने भी नागरिक सेवाओं एवं भ्रष्‍टाचार की बीमारी को फैला दिया। स्‍वतंत्रता प्राप्‍ति के बाद भारत में आर्थिक आवश्‍यकताओं को देखते हुए कंट्रोल परमिट तथा राशनिंग की व्‍यवस्‍था की गई। इसने चोर बाजारी के दरवाजे को खोल दिया। सरकारी कर्मचारियों में रिश्‍वत प्राप्‍त करने हेतु काले धन का प्रयोग होने लगा तथा जिसके परिणामस्‍वरूप भ्रष्‍टाचार धीरे-धीरे पूरे प्रशासन में फैल गया।
  • भ्रष्‍टाचार को फैलाने में आर्थिक कारणों का महत्‍चपूर्ण हाथ रहा है। कर्मचारियों को वेतन कम मिलता है , महंगाई भत्ते उतने नहीं मिलते जितनी महंगई बढ़ती है।
  • भ्रष्‍टाचार हमारे समाज की जड़ में समाया हुआ है यहां व्‍यक्‍ति की महानता एवं परिवार की श्रेष्‍ठता का मापदंड धन बन गया है। इससे भी भ्रष्‍टाचार फैलता है।
  • भ्रष्‍टाचार को जन्‍म देने वाले सभी कारणों में राजनीतिक कारण काफी महत्‍वपूर्ण है। भरत में राजनीतिक नेता आम निर्वाचन के समय पूंजीपतियों से धन प्राप्‍त करते हैं और पूंजीपतियों से प्राप्‍त धन उनके लिए निर्वाचन जीतने में काफी सहायक होता है। निर्वाचन के बाद पूंजीपतियों तथा कुछ अन्‍य प्रकार के दबाव समूहों को ध्‍यान में रखकर ही वे नेता कार्य करते हैं। उनके हितों की पूर्ति के लिए राजनीतिक नेता असैनिक सेवकों के पदस्‍थापन एवं हस्‍तांतरण का सहारा लेते हैं। अधिकांश लोक सेवक अपने राजनीतिक नेताओं के मनोनुकूल काम करने लगते हैं। इससे भी भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा मिलता है।
  • प्रशासकीय अनिश्‍चित भी भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा देने में सहायक रही है।
  • विकासशील देशों की भांति भारत में भी नागरिक चेतना अभाव पाया जाता है। जनता अपनी शिकायतों को दूर करने के लिए जोरदार आवाज नहीं उठाती। लोकमत की चिंता किए बिना वह अवैध कार्य करती है।
  • भारत में लोक सेवकों का प्राप्‍त संरक्षण ने भी भ्रष्‍टाचार को प्रश्रय दिया है।
  • चूंकि प्रशासनिक भ्रष्‍टाचार राजनीतिक भ्रष्‍टाचार से घनिष्‍ठ रूप से संबंधित है इसलिए निर्वाचन प्रक्रिया को सरल बनाकर मंत्रियों तथा अन्‍य महत्‍वपूर्ण नेताओं को पूँजीपत्तियों के प्रभाव से मुक्‍त किया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में मंत्री तथा अन्‍य राजनीतिक नेता , लोक सेवकों पर अनावश्‍यक दबाव नही डालेंगें।
  • फाइलों के संबंध में निर्णय लेने के लिए एक समय निर्धारित होना चाहिए। यदि उस समय के अदंर निर्णय नहीं लिया जाता तो संबंधित पदाधिकारी से ‘ कारण बताओं ’ पूछा जाना चाहिए। साथ ही साथ इस बात की जांच की भी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि फाइलों का निष्‍पादन उचित ढंग से हो रहा है या नहीं।
  • आई.ए.एस. , आई.पी.एस. तथा आई.एफ.एस. के पदाधिकारियों के लिए ऐसे साक्षात्‍कार की व्‍यवस्‍था होनी चाहिए जिससे योग्‍य एवं सक्षम व्‍यक्‍ति ऐसी सेवाओं में आ सकें।
  • बढ़ती इुई महंगाई से उत्‍पन्‍न कठिनाई को ध्‍यान में रखते हुए लोक सेवकों के वेतनमान में वृद्धि होनी चाहिए।
  • पदाधिकारियों के विरुद्ध भ्रष्‍टाचार के आरोप की यथाशीघ्र जांच की व्‍यवस्‍था होना चाहिए और यदि वह भ्रष्‍टाचार का दोषी पाया जाए तो उसके विरुद्ध जल्‍द कार्यवाही की जानी चाहिए।
  • साधारण न्‍यायालयों के कार्यभार तथा निम्‍न न्‍यायलयों के मंत्रियों तथा अन्‍य महत्‍वपूर्ण व्‍यक्‍तियों से प्रभावित होने की संभावना को देखते हुए पदाधिकारियों के विरुद्ध आरोप की जांच के लिए विशेष न्‍यायालय का गठन भी वांछनीय है।
  • ईमानदार पदाधिकारियों को पदोन्‍नति तथा अन्‍य प्रकार के प्रोत्‍साहन मिलने चाहिए ताकि अन्‍य पदिधिकारी भी पदोन्‍नति पाने एवं प्रसिद्धि पानेकी कोशिश करें।
  • क्षेत्रीय असंतुलन पृथक राज्‍यों की मांग को जन्‍म देता है।
  • क्षेत्रीय असंतुलन ने हिंसात्‍मक राजनीति को जन्‍म दिया है। इसके कारण विभन्‍न राज्‍यों में आंदोलन , संघर्ष , तनाव आदि की स्थितियां पैदा हो रही हैं।
  • क्षेत्रीय असंतुलन ने ही भूमि पुत्र की अवधारणा को जन्‍म दिया है। भुमि पुत्र की अवधारणा का अर्थ है कि किसी राज्‍य कि निवासियों द्वारा उस राज्‍य में बसने और रोजगार प्राप्‍त करने के संबंध में विशेष संरक्षण प्रदान किया जाए।
  • क्षेत्रीय असंतुलन राष्‍ट्रीय एकता में बाधक है।
  • क्षेत्रीय असंतुलन के परिणामस्‍वरूप क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का जन्‍म होता है।
  • आर्थिक दृष्टि से पिछड़े क्षेत्र के विकास को उच्‍च प्राथमिकता दी जाए।
  • औद्योगिक उत्‍पादन की नई-नई तकनीकों का प्रचार व प्रसार किया जाए।
  • कृषि के उत्‍पादन के लिए उन्न्‍नतिशील बीजों , रासायनिक खादों , सिंचाई के साधनों व कृषि यंत्रों के प्रयाग के लिए कृषकों को प्रेरित किया जाए।
  • शहरों और गांवों की विकास दर में बहुत अंतर है। गांवों के विकास के लिए ग्रामीण सम‍न्वित विकास कार्यक्रम लागू किए जाने चाहिए।
  • विदेशी घुसपैठ पर अंकुश लगाया जाए। इसके अतिरिक्‍त उन राज्‍यों के मूल निवासियों को विशेष संरक्षण प्रदान किया जाए।
  • विभिन्‍न क्षेत्रों के लिए बनाए गए विकास कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। इसके लिए ईमानदार तथा कर्मठ अधिकारियों की नियुक्‍ति की जाए।
  • निरक्षरता तथा अज्ञानता के कारण भारत के विकास की गति बहुत धीमी चल रही है।
  • निरक्षर व्‍यक्‍ति का जीवन के सभी क्षेत्रों में शोषण किया जाता है।
  • निरक्षरता ने भारतीय समाज में आर्थिक और सामाजिक विषमाओं को जन्‍म दिया है।
  • निरक्षरता तथा अज्ञानता के कारण अपराधों में वृद्धि होती है।
  • निरक्षरता समाज में अंधविश्‍वासों को प्रोत्‍साहित करती है जिससे देश व समाज का विकास अवरुद्ध हो जाता है।
  • निरक्षरता ने नारी उत्‍पीड़न के रूप में दहेज प्रथा को जन्‍म दिया है।
  • निरक्षरता को दूर करने के लिए यह आवश्‍यक है कि देश के सभी व्‍यक्‍तियों को उचित शिक्षा प्रदान की जाए , जिससे वे अपने व्‍यक्‍तित्‍व का निर्माण कर सकें।
  • बड़ी आयु की स्त्रियों तथा पुरुषों के लिए प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम चलाया जाए।
  • प्रारंभिक शिक्षा अनिवार्य तथा नि:शुल्‍क होनी चाहिए।
  • जनता में शिक्षा प्राप्‍ति के प्रति जागरुकता उत्‍पन्‍न की जानी चाहिए।
  • विद्यार्थी को उसकी रुचि के अनुरूप ही शिक्षा प्रदान की जाए।
  • शिक्षा प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जिससे जातिवाद , सम्‍प्रदायवाद , क्षेत्रवाद , भाषावाद आदि की समस्‍याओं का हल किया जा सके समुचित शिक्षा व्‍यवस्‍था राष्‍ट्रीय एकीकरण का महत्‍वपूर्ण साधन है।
  • भारत में प्राय: सभी राजनीतिक दल लोकसभा तथा राज्‍य विधान सभा के चुनावों में प्रत्‍याशियों का चयन जाति के आधार पर ही करते हैं।
  • भारत में मुख्‍य रूप से पिछले कुछ वर्षों में यह प्रवृत्ति देखने को मिली है कि राजनीतिक दलों का निर्माण जातिगत आधार पर होने लगा है।
  • भारत में निर्वाचन में भारतीय मतदाताओं का व्‍यवहार भी निश्‍चित रूप से जातिवाद से प्रभावित रहा है।
  • भारत में विभिन्‍न जातियां संगठित होकर राजनीतिक तथा प्रशासनिक निर्णय प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं।
  • भारत में केंद्र तथा राज्‍य के मंत्रिमंडलों का निर्माण भी जातिगत आधार पर ही किया जाता है।
  • राजनीतिक पूरस्‍कारों के वितरण में भी जातिवाद को देखा जा सकता है।
  • भारत में अखिल भारतीय स्‍तर की राजनीति की अपेक्षा राज्‍यों की राजनीति में राजनीति में जाति का प्रभाव अधिक है।
  • जातिवाद ने भारतीय समाज में जातीय एवं वर्गीय संघर्षों को जम्‍न दिया है।
  • जातिवाद समाज के विकास में बाधक है।
  • जाति के आधार पर निर्वाचित व्‍यक्‍ति अपनी जाति को ही सभी प्रकार ही सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास करता है। इससे राजनीतिक भ्रष्‍टाचार उत्‍पन्‍न होता है।
  • जातिवाद भारत की राष्‍ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है।
  • जातिवाद की भावना के प्रेरित मतदाता अपनी जाति के अयोग्‍य प्रत्‍याशियों को निर्वाचित कर देते हैं। अत: जातिवाद योग्‍य व्‍यक्‍तियों के चयन में बाधक है।
  • भारतीय लोकतंत्र को जातिवाद के दुष्‍प्रभाव से बचाने के लिए जातिसूचक शब्‍दों के प्रयोग पर रोक लगानी चाहिए। इससे राष्‍ट्रीयता की भावना में वृद्धि होगी।
  • जातिवाद को दूर करने के लिए सरकार द्वारा जातीय संगठनों के निर्माण तथा प्रकाशनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए।
  • जातिवाद को दू करने के लिए जातिगत आधार पर होने वाले राजनीतिक चुनावों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
  • भारत से जातिवाद को दूर करने के लिए अंतर्जातीय विवाहों को प्रोत्‍साहन दिया जाना चाहिए।
  • जातिवाद को दूर करने के लिए समाज सुधारक संस्‍थाओं व सरकार के द्वारा जातिवाद के विरुद्ध प्रचार करना चाहिए।
  • जातिवाद को दूर करने के लिए जनता को शिक्षित करना परम आवश्‍यक है।
  • भारत से जातिवाद को दूर करने के लिए जातीय आधार पर आरक्षण की व्‍यवस्‍था समाप्‍त कर दी जानी चाहिए। इसके स्‍थान पर आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्‍यवस्‍था की जानी चाहिए।
  • जातिवाद की भावना को समाप्‍त करने के लिए समाज में व्‍याप्‍त आर्थिक एवं सामाजिक असमानता को समाप्‍त करने की व्‍यवस्‍था करनी चाहिए तथा समाज में सभी लोगों को समान रूप से रोजगार तथा प्रतिष्‍ठा प्राप्‍त होनी चाहिए।

Twitter

100+ Social Counters$type=social_counter

  • fixedSidebar
  • showMoreText

/gi-clock-o/ WEEK TRENDING$type=list

  • गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit गम् धातु के रूप संस्कृत में – Gam Dhatu Roop In Sanskrit यहां पढ़ें गम् धातु रूप के पांचो लकार संस्कृत भाषा में। गम् धातु का अर्थ होता है जा...
  • दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद - Do Mitro ke Beech Pariksha Ko Lekar Samvad Lekhan दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद लेखन : In This article, We are providing दो मित्रों के बीच परीक्षा को लेकर संवाद , परीक्षा की तैयार...

' border=

RECENT WITH THUMBS$type=blogging$m=0$cate=0$sn=0$rm=0$c=4$va=0

  • 10 line essay
  • 10 Lines in Gujarati
  • Aapka Bunty
  • Aarti Sangrah
  • Akbar Birbal
  • anuched lekhan
  • asprishyata
  • Bahu ki Vida
  • Bengali Essays
  • Bengali Letters
  • bengali stories
  • best hindi poem
  • Bhagat ki Gat
  • Bhagwati Charan Varma
  • Bhishma Shahni
  • Bhor ka Tara
  • Boodhi Kaki
  • Chandradhar Sharma Guleri
  • charitra chitran
  • Chief ki Daawat
  • Chini Feriwala
  • chitralekha
  • Chota jadugar
  • Claim Kahani
  • Dairy Lekhan
  • Daroga Amichand
  • deshbhkati poem
  • Dharmaveer Bharti
  • Dharmveer Bharti
  • Diary Lekhan
  • Do Bailon ki Katha
  • Dushyant Kumar
  • Eidgah Kahani
  • Essay on Animals
  • festival poems
  • French Essays
  • funny hindi poem
  • funny hindi story
  • German essays
  • Gujarati Nibandh
  • gujarati patra
  • Guliki Banno
  • Gulli Danda Kahani
  • Haar ki Jeet
  • Harishankar Parsai
  • hindi grammar
  • hindi motivational story
  • hindi poem for kids
  • hindi poems
  • hindi rhyms
  • hindi short poems
  • hindi stories with moral
  • Information
  • Jagdish Chandra Mathur
  • Jahirat Lekhan
  • jainendra Kumar
  • jatak story
  • Jayshankar Prasad
  • Jeep par Sawar Illian
  • jivan parichay
  • Kashinath Singh
  • kavita in hindi
  • Kedarnath Agrawal
  • Khoyi Hui Dishayen
  • Kya Pooja Kya Archan Re Kavita
  • Madhur madhur mere deepak jal
  • Mahadevi Varma
  • Mahanagar Ki Maithili
  • Main Haar Gayi
  • Maithilisharan Gupt
  • Majboori Kahani
  • malayalam essay
  • malayalam letter
  • malayalam speech
  • malayalam words
  • Mannu Bhandari
  • Marathi Kathapurti Lekhan
  • Marathi Nibandh
  • Marathi Patra
  • Marathi Samvad
  • marathi vritant lekhan
  • Mohan Rakesh
  • Mohandas Naimishrai
  • MOTHERS DAY POEM
  • Narendra Sharma
  • Nasha Kahani
  • Neeli Jheel
  • nursery rhymes
  • odia letters
  • Panch Parmeshwar
  • panchtantra
  • Parinde Kahani
  • Paryayvachi Shabd
  • Poos ki Raat
  • Portuguese Essays
  • Punjabi Essays
  • Punjabi Letters
  • Punjabi Poems
  • Raja Nirbansiya
  • Rajendra yadav
  • Rakh Kahani
  • Ramesh Bakshi
  • Ramvriksh Benipuri
  • Rani Ma ka Chabutra
  • Russian Essays
  • Sadgati Kahani
  • samvad lekhan
  • Samvad yojna
  • Samvidhanvad
  • Sandesh Lekhan
  • sanskrit biography
  • Sanskrit Dialogue Writing
  • sanskrit essay
  • sanskrit grammar
  • sanskrit patra
  • Sanskrit Poem
  • sanskrit story
  • Sanskrit words
  • Sara Akash Upanyas
  • Savitri Number 2
  • Shankar Puntambekar
  • Sharad Joshi
  • Shatranj Ke Khiladi
  • short essay
  • spanish essays
  • Striling-Pulling
  • Subhadra Kumari Chauhan
  • Subhan Khan
  • Suchana Lekhan
  • Sudha Arora
  • Sukh Kahani
  • suktiparak nibandh
  • Suryakant Tripathi Nirala
  • Swarg aur Prithvi
  • Tasveer Kahani
  • Telugu Stories
  • UPSC Essays
  • Usne Kaha Tha
  • Vinod Rastogi
  • Vrutant lekhan
  • Wahi ki Wahi Baat
  • Yahi Sach Hai kahani
  • Yoddha Kahani
  • Zaheer Qureshi
  • कहानी लेखन
  • कहानी सारांश
  • तेनालीराम
  • मेरी माँ
  • लोककथा
  • शिकायती पत्र
  • हजारी प्रसाद द्विवेदी जी
  • हिंदी कहानी

RECENT$type=list-tab$date=0$au=0$c=5

Replies$type=list-tab$com=0$c=4$src=recent-comments, random$type=list-tab$date=0$au=0$c=5$src=random-posts, /gi-fire/ year popular$type=one.

  • अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन - Adhyapak aur Chatra ke Bich Samvad Lekhan अध्यापक और छात्र के बीच संवाद लेखन : In This article, We are providing अध्यापक और विद्यार्थी के बीच संवाद लेखन and Adhyapak aur Chatra ke ...

' border=

Join with us

Footer Logo

Footer Social$type=social_icons

  • loadMorePosts

लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध

भारत में “लोकतंत्र और चुनाव” पर निबंध loktantra aur chunav par nibandh..

भारत एक लोकतान्त्रिक देश है। लोकतंत्र अथवा जनतंत्र एक प्रकार की सुव्यवस्था है जिसके अनुसार जनता को स्वाधीनता दी जाती है, जिसके अनुसार वह अपना प्रतिनिधि चुने। वह प्रतिनिधि जनता और देश हित, देश उन्नति के लिए कार्य करता है। वह चुना हुया प्रतिनिधि समग्र संचालन व्यवस्था का नेतृत्व करता है। यदि किसी कारणवश जनता द्वारा चुना गया सरकार, देश और देशवासी के हित में कार्य नहीं कर पाती, तब जनता के पास विकल्प होता है की वह पांच सालो में फिर से सरकार बदल सके। जनशक्ति से बड़ी कोई शक्ति नहीं होती है।

लोकतंत्र में चुनाव की अहम भूमिका होती है। अठारह साल या ऊपर के लोग लोकतंत्र का बड़ा हिस्सा है और प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान करते है। भारत के प्रत्येक नागरिक को वोट देने का अधिकार है। हर व्यक्ति का वोट माईने रखता है। लोकतंत्र में मतदान देने का जन्मसिद्ध अधिकार, देश के प्रत्येक नागरिक को है। आजकल चतुर और कपटी राजनैतिक जनता को कई प्रकार के अवसरों और उन्नति के वादे करते है, ताकि जनता उन्हें वोट दे। कुछ लोग अक्सर उनकी बातों में आकर गलत फैसला कर लेते है। ज़्यादातर नागरिक अभी सतर्क और सजग हो गए है, आसानी से वह किसी भी तथाकित नेता के झांसे में नहीं आते है। देशवासी आम तौर पर तथ्यों पर ध्यान देते है और सोच समझकर वोट देते है।

अक्सर कुछ लोग यह सोचते है कि हमारे एक के वोट देने ना देने से क्या फर्क पड़ता है, परन्तु ऐसा नहीं है। हर नागरिक के एक वोट का बहुत महत्व है, क्यूंकि उम्मीदवार कभी भी एक या दो वोट से जीत या हार जा सकता है। हार-जीत का फैसला एक वोट पर भी निर्भर करता है। सभी देशवासियों का यह कर्त्तव्य है, कि वह हमेशा वोट दे। सजक, बुद्धिमान और जागरूक नागरिक चुनावों को सफल बनाने में देश का योगदान देते है।

चुनाव एक लोकतांत्रिक राष्ट्र की नीव हैं। भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतान्त्रिक देश माना जाता है। चुनाव प्रणाली में लोगों को किसी भी उपयुक्त उम्मीदवार के लिए वोट डालकर अपनी सरकार चुनने का अधिकार देती है। इस प्रकार से लोकतंत्र में लोक भावना का समावेश होता है। इससे लोक कल्याण प्रकट होता है। लोकतंत्र में जनकल्याण की भावना से सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। जनकल्याण की भावना एक-एक करके हमारे सामने कार्य रूप में दिखाई पड़ने लगते है। लोकतंत्र का महत्त्व इसलिए भी है क्योंकि  लोकतन्त्र में सबकी भावनाओं का सम्मान होता है और सबको अपनी भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से प्रकट करने का पूरा अवसर मिलता है ।

भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में चुनावी मतदान का बहुत ज्यादा महत्व है। हमारा मत देश का भविष्य तय करता है। हमारा मतदान यह तय करता है हम अपने देश में किस तरह के सरकार को चाहते है। मगर! अगर हम अपने दायित्व का पालन न करते हुए मतदान में हिस्सा नहीं लेते है तो इससे देश का बड़ा नुक्सान होता है। देश के हर एक नागरिक का एक कर्त्तव्य है की वह चुनाव प्रक्रिया में अपना मतदान दे और देश में एक ईमानदार और सक्षम सरकार की स्तापना करे। लोग गुप्त मतदान के माध्यम से वोट डाल सकते हैं और अपनी राय बता सकते हैं जिससे यह पता चलता है की अपने देश को चलाने के लिए उपयुक्त दल या व्यक्ति कौन है। जिस उम्मीदवार/ दल को बहुमत मिलता है, वह सत्ता में आता है और देश के संचालन के कार्य का जिम्मेदारी उठाते है। भारत में चुनाव नगरपालिकाओं, विधान सभावों और संसदों के लिए होते हैं। निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्रति पाँच वर्ष बाद आयोजित किए जाते हैं। इन पांच वर्षो के दौरान लोगो को अपने चुने हुए प्रतिनिधि के समाज और देश के उन्नति के प्रति किये कार्यो का आंकलन करने का अधिकार है। लोग द्वारा चुने गए प्रतिनिधि को जनहित का ध्यान रखना पड़ता है।

कई राजनीतिक दल चुनाव में भाग लेते हैं। वे अपने मुद्दे को आम आदमी के साथ साझा करते हैं। वे अपने नागरिकों के लाभ के लिए और राष्ट्र के विकास के लिए उनके द्वारा किए गए सभी कार्यों पर प्रकाश डालते हैं ताकि आम जनता उन्हें वोट दे सके। भारत निर्वाचन आयोग देश में पूरी चुनाव प्रक्रिया का संचालन और प्रबंधन करता है। चुनाव आयोग वर्ष 1950 में अस्तित्व में आया। चुनाव आयोग की मुख्य जिम्मेदारी, चुनाव प्रक्रिया का प्रबंधन करना है। इसे पूरा करने के लिए बहुत सी बातों का ध्यान रखना चाहिए। इसमें चुनाव कार्यक्रम की योजना बनाना, नए राजनीतिक दलों का आकलन करना और उन्हें मान्य करना है।

प्रत्येक नागरिक का मत देश का आने वाला भविष्य निर्धारित करता है। देश के बागडोर किस सरकार के हाथ में जाएगा, वह चुनाव द्वारा होता है। सभी नागरिको का यह परम कर्तव्य है, कि वह अपना बहुमूल्य वोट देकर, एक सही सरकार का फैसला करे जिसमे छल- कपट ना हो। एक ईमानदार, सच्चा और मज़बूत सरकार के निर्माण के लिए, हमारा हर एक वोट माईने रखता है।

लोकतंत्र में चुनाव एक महोत्सव की तरह होता है, इस माहोल में हर जगह कड़ी सुरक्षा प्रदान की जाती है। जगह जगह पार्टी के बैनर होते है, यह पूर्ण रूप से देशवासी पर निर्भर करता है कि वे किसे वोट देना चाहते है। सभी लोगो को मतदान में हिस्सा लेना चाहिए, ताकि एक भ्रष्ट संगठन, सरकार के पद पर बैठकर समाज का नुकसान ना करे। देश के प्रति दायित्व निभाने के लिए, सभी को वोट देना चाहिए। यह लोगो का हक़ है। लोगो के द्वारा चुना गया एक अच्छा सरकार, सुचारु रूप से देश के प्रशासन को चलाने में सक्षम है।

#सम्बंधित:- Hindi Essay, Hindi paragraph, हिंदी निबंध। ।

  • मेरा मतदान हिंदी निबंध
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध
  • डॉ भीमराव आंबेडकर पर निबंध
  • मेरा देश बदल रहा है निबंध
  • मेरा देश भारत पर निबंध
  • राष्ट्रीय पक्षी मोर पर निबंध
  • राष्ट्रीय पशु बाघ पर निबंध
  • भारत का राष्ट्रीय फूल “कमल” पर निबंध
  • आंतकवाद और मानवता पर निबंध
  • महान व्यक्तियों पर निबंध
  • पर्यावरण पर निबंध
  • प्राकृतिक आपदाओं पर निबंध
  • सामाजिक मुद्दे पर निबंध
  • स्वास्थ्य पर निबंध
  • महिलाओं पर निबंध

Related Posts

हर घर तिरंगा पर निबंध -Har Ghar Tiranga par nibandh

आलस्य मनुष्य का शत्रु निबंध, अनुछेद, लेख

मेरा देश भारत पर निबंध | Mera Desh par nibandh

होली पर निबंध-Holi Essay March 2024

‘मेरा स्टार्टअप एक सपना’ निबंध

1 thought on “लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध”

Leave a comment cancel reply.

लोकतंत्र क्या है - लोकतंत्र का महत्व, प्रकार, विशेषताएं

लोकतंत्र क्या है – लोकतंत्र का महत्व, प्रकार, विशेषताएं

लोकतंत्र क्या है, लोकतंत्र क्यों जरूरी है, लोकतंत्र क्यों आवश्यक है (लोकतंत्र क्यों जरूरी है), लोकतंत्र का महत्व, लोकतंत्र की परिभाषा, लोकतंत्र के प्रकार, प्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रकार, अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रकार, प्रतिनिधि लोकतंत्र के प्रकार, लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत क्या है, लोकतंत्र की विशेषताएं, लोकतंत्र के चार स्तंभ, भारत में लोकतंत्र का इतिहास, लोकतंत्र और विकास के बीच संबंध लिखिए आदि प्रश्नों के उत्तर यहाँ दिए गए हैं।

Table of Contents

लोकतंत्र (Democracy) क्या है (लोकतंत्र की परिभाषा)

लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होता है। यह समाज में राजनीतिक एवं सामाजिक न्याय व्यवस्था की प्रणाली को बेहतर करने का कार्य करता है। लोकतंत्र के द्वारा नागरिकों को सामाजिक, धार्मिक एवं राजनीतिक स्वतंत्रता मिलती है। लोकतंत्र के अंतर्गत जनता को समान रूप से मताधिकार प्रदान किए जाते हैं जिससे वे अपनी इच्छा अनुसार निर्वाचित हुए किसी भी उम्मीदवार को मत देकर अपने प्रतिनिधि का चुनाव कर सकते हैं। अब्राहम लिंकन के कथनानुसार “लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन है”। लोकतंत्र का राजनीतिक एवं सामाजिक न्याय प्रणाली में भरपूर योगदान रहता है। यह देश के नागरिकों को स्वतंत्रता प्रदान कराती है।

लोकतंत्र क्यों आवश्यक है (लोकतंत्र क्यों जरूरी है)

लोकतंत्र का अर्थ वास्तव में लोगों के द्वारा शासन करना होता है। यह सरकार के द्वारा निर्मित नीतियों को वैधानिकता (Legality)  प्रदान कराता है जिसके कारण लोकतंत्र के विभिन्न स्वरूपों का निर्माण होता है। अलग-अलग देशों में लोकतंत्र को विभिन्न रूप से परिभाषित किया गया है जैसे तुर्की में इस्लामिक लोकतंत्र, उत्तर कोरिया में अधिनायकवादी लोकतंत्र, संयुक्त राष्ट्र में अध्यक्षीय लोकतंत्र, भारत में संसदात्मक लोकतंत्र आदि। लोकतंत्र का उदय सर्वप्रथम यूनान में हुआ था। माना जाता है कि 500 ई.पू. में यूनान में पहली लोकतांत्रिक सरकार का निर्माण हुआ था। विश्व भर के कई देशों में लोकतंत्र को कई अन्य प्रकार की शासन प्रणालियों की अपेक्षा बेहतर माना जाता है। कई लोकतांत्रिक देशों एवं राज्यों का मानना है कि लोकतंत्र ना केवल एक शासन प्रणाली है बल्कि एक अवस्था भी है जो समाज में राजनीतिक एवं आर्थिक समानता को स्थापित करने का कार्य भी करता है। लोकतंत्र देश के नागरिकों को सुलभ एवं न्यायपूर्ण तरीके से सभी राजनीतिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का अवसर प्रदान करता है जिसके कारण इसे देश के नागरिकों के लिए अत्यंत आवश्यक माना जाता है।

लोकतंत्र का महत्व

लोकतंत्र एक प्रकार की शासन व्यवस्था है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होता है। लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रणाली में देश की जनता अपनी इच्छा अनुसार विधायिका का चयन कर सकती है। यह देश में समानता को स्थापित करने हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण है। लोकतंत्र के अंतर्गत प्रतिनिधि देश के नागरिकों के प्रति उत्तरदायी होते हैं जिसके कारण वे जनता की मांगों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसके अलावा लोकतंत्र के कारण देश की सरकार जनमानस की भावनाओं को केंद्र में रखकर निर्णय लेने के लिए बाध्य होती है जिसका लाभ सीधे तौर पर जनता को मिलता है।

लोकतंत्र के प्रकार

लोकतंत्र के प्रकार निम्नलिखित हैं:-

समाजवादी लोकतंत्र

जनवादी लोकतंत्र, सहभागी लोकतंत्र.

  • शास्त्रीय लोकतंत्र

विमर्श लोकतंत्र

प्रत्यक्ष लोकतंत्र, अप्रत्यक्ष लोकतंत्र, प्रतिनिधि लोकतंत्र.

समाजवादी लोकतंत्र वह विचारधारा है जिसके अंतर्गत राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक लोकतंत्र के प्रावधानों को सामाजिक रुप से स्थापित करने का कार्य किया जाता है। इसके अलावा समाजवादी में लोकतंत्र मार्क्सवादी विचारधारा में परिवर्तन की स्थिति को भी दर्शाने का कार्य करता है। माना जाता है कि समाजवादी लोकतंत्र एवं मार्क्सवादी लोकतंत्र का लक्ष्य एक है परंतु समाजवादी लोकतंत्र क्रांति के बजाय उत्पादन के साधनों के आधार पर कार्य करता है। समाजवादी लोकतंत्र का उद्देश्य न्यायपूर्ण तरीके से देश एवं राज्य में शांति व्यवस्था को स्थापित करना होता है।

जनवादी लोकतंत्र का निर्माण साम्यवादी परंपरा के द्वारा किया गया है। इसके अंतर्गत समाज में राजनीतिक समानता को स्थापित करने का प्रयास किया जाता है। इसकी स्थापना सर्वहारा क्रांति के पश्चात हुई थी जब सर्वहारा वर्ग के लोगों ने राजनीतिक निर्णय में अपनी भूमिका निभाना आरंभ किया था। जनवादी लोकतंत्र के माध्यम से समाज में साम्यवाद को बढ़ावा मिला था।

सहभागी लोकतंत्र नागरिकों की सहमति पर आधारित होता है जो समाज में सहभागी प्रकृति को सुनिश्चित करने का कार्य करता है। यह ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सभी राजनीतिक प्रणाली का संचालन नागरिकों के सहयोग पर निर्भर होता है।

विमर्श लोकतंत्र के अंतर्गत सभी राजनीतिक कार्य एवं निर्णय नागरिकों की तर्कसंगत के माध्यम से पूर्ण किया जाता है। विमर्श लोकतंत्र के अनुसार लोगों की सहमति से सभी सामाजिक नीतियों का निर्माण किया जाता है।

ई लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसके अंतर्गत सभी सरकारी सेवाओं का मशीनीकरण किया जाता है जिससे जनता कम समय में सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सके। इसके कारण सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होता है जिससे नागरिकों में सरकार के प्रति विश्वास और दृढ़ हो जाता है। इसके अलावा ई लोकतंत्र के कारण देश एवं राज्यों में नए व्यवसाय एवं नए अवसरों का सृजन भी होता है जो रोजगार के दृष्टिकोण से बेहतर माना जाता है।

प्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत सभी नागरिकों को नीतिगत मामलों में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है। यह लोकतंत्र का एक ऐसा स्वरूप है जिसमें नागरिक मतदान का निर्णय स्वयं लेते हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र को “शुद्ध लोकतंत्र” के नाम से भी जाना जाता है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र को कई श्रेणियों में बांटा गया है जो कुछ इस प्रकार है:-

प्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रकार

  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत देश की जनता कानून व्यवस्था में बदलाव कर सकती है एवं प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति भी कर सकती है।
  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र केवल कम जनसंख्या वाले राज्य व छोटे राज्यों में ही संभव है।
  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र में देश की जनता प्रत्यक्ष रूप से स्तंभ राज्य की प्रमुख शक्तियों का पूर्ण उपयोग कर सकती है।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र लोकतांत्रिक सरकार का वह स्वरूप है जिसके अंतर्गत मतदाता प्रतिनिधि का चुनाव स्वयं कर सकते हैं। अप्रत्यक्ष लोकतंत्र मुख्यतः प्रत्यक्ष लोकतंत्र से भिन्न होता है। इसके अंतर्गत नागरिक केवल उन्हीं प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जिनका उद्देश्य कानून का निर्माण करना होता है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र की तरह ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को भी कई भागों में विभाजित किया गया है जो कुछ इस प्रकार हैं:-

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के प्रकार

  • अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत देश की जनता द्वारा प्रतिनिधि का चुनाव समय-समय पर किया जाता है।
  • अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता मुख्य रूप से शासन की शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती। वह केवल अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से ही राज्य की शक्तियों का प्रयोग कर सकती है।
  • अप्रत्यक्ष लोकतंत्र देश के सभी राज्यों में आसानी से लागू किया जा सकता है।

प्रतिनिधि लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसके अंतर्गत पदाधिकारियों का चुनाव देश की जनता के समूह द्वारा चुना जाता है। यह ऐसी शासन प्रणाली है जो प्रत्यक्ष लोकतंत्र के बिल्कुल विपरीत कार्य करती है। प्रतिनिधि लोकतंत्र में देश की जनता राज्य की शक्तियों का प्रयोग अपने द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से करती है। प्रतिनिधि लोकतंत्र को कई भागों में बांटा गया है जो कुछ इस प्रकार है:-

प्रतिनिधि लोकतंत्र के प्रकार

व्यवसायिक प्रतिनिधित्व, अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व, प्रादेशिक प्रतिनिधित्व, अनुपातिक प्रतिनिधित्व.

व्यवसायिक प्रतिनिधि को प्रकार्यात्मक (functionalism) प्रतिनिधि के नाम से भी जाना जाता है। इसके अंतर्गत जनता द्वारा उन प्रतिनिधियों का चुनाव किया जाता है जो समाज में व्यवसायिक संगठन करने में सक्षम होते हैं। व्यवसायिक प्रतिनिधित्व एक ऐसी प्रक्रिया है जो प्रादेशिक एवं अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व का विरोध करती है।

अल्पसंख्यक प्रतिनिधि का चुनाव अल्पसंख्यक वर्गों द्वारा किया जाता है। आधुनिक युग में अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व देने की व्यवस्था प्रत्येक लोकतांत्रिक समाज के लिए चुनौतीपूर्ण है। अल्पसंख्यक प्रतिनिधि का उद्देश्य समाज में समानता के अधिकार को स्थापित करना होता है।

प्रादेशिक प्रतिनिधित्व प्रणाली वह व्यवस्था है जिसके अंतर्गत देश के सभी भागों को कई निर्वाचित क्षेत्रों में बांट दिया जाता है जिसके फलस्वरूप प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सदस्य को निर्वाचित किया जाता है। प्रादेशिक प्रतिनिधित्व को क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व भी कहा जाता है जिसका उद्देश्य जनता की मांगों को सरकार के समक्ष रखना होता है।

अनुपातिक प्रतिनिधित्व वह लोकतांत्रिक व्यवस्था प्रणाली है जिसमें किसी देश या संस्था का मूल्यांकन जन प्रतिनिधित्व द्वारा किया जाता है। अनुपातिक प्रतिनिधित्व का उद्देश्य लोकसभा में जनता के विचारों को गणितीय रूप से संबोधित करना होता है।

लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत क्या है

लोकतंत्र के कई सिद्धांत है जो कुछ इस प्रकार है:-

बहुलवादी सिद्धांत

सहभागी सिद्धांत, उदारवादी सिद्धांत, अभिजनवादी सिद्धांत, लोकतांत्रिक सिद्धांत.

बहुलवादी सिद्धांत वह नीति है जिसका निर्माण समाज के विभिन्न वर्गों और समूह के विचारों के पारस्परिक आदान-प्रदान एवं आपसी मत द्वारा किया जाता है। बहुलवादी सिद्धांत को लोकतंत्र का मुख्य सिद्धांत भी माना जाता है जिसके अंतर्गत अनेक वर्गों का एकीकरण किया जाता है।

सहभागी सिद्धांत के अंतर्गत सभी राजनीतिक प्रणाली के संचालन एवं निर्देशन में नागरिकों की भरपूर सहभागिता होती है। यह लोकतंत्र की साझेदारी पर आधारित एक ऐसा सिद्धांत होता है जो समाज में सहभागी लोकतंत्र को स्थापित करने का कार्य करता है। सहभागी सिद्धांत के अंतर्गत राजनीतिक दल, नेता एवं जनता के आपसी सहयोग से कई महत्वपूर्ण नीतियों पर कार्य किया जाता है।

उदारवादी सिद्धांत वह राजनीतिक एवं नैतिक दर्शन है जो समाज में स्वतंत्रता एवं कानून की समानता को उजागर करता है। उदारवादी सिद्धांत मुख्यतः व्यक्तिगत अधिकारों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समर्थन करता है , जैसे पूंजीवाद, धर्मनिरपेक्षता, लिंग समानता, लोकतंत्र आदि।

अभिजनवादी सिद्धांत के अंतर्गत एक बहुसंख्यक जनता का नेतृत्व कुछ विशिष्ट गुण वाले जन-प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है। यह वह सिद्धांत है जिसमें प्रत्येक समाज में मोटे तौर पर दो विभिन्न वर्ग पाए जाते हैं जो अपनी क्षमता के आधार पर बहुसंख्यक समाज पर शासन करते हैं।

लोकतांत्रिक सिद्धांत में देश की गतिविधियों का संपूर्ण नियंत्रण जनता के हाथ में होता है। इसके अंतर्गत न्याय व्यवस्था में कानून प्रणाली की भूमिका जनता के अधिकारों की तुलना में कम होती है। लोकतांत्रिक सिद्धांत में सभी नागरिकों को समान स्तर पर अधिकार प्राप्त होते हैं।

लोकतंत्र की विशेषताएं

लोकतंत्र की विशेषताएं कुछ इस प्रकार हैं:-

कानून व्यवस्था

स्वाधीनता एवं समानता, राजनीतिक लोकतंत्र.

कानून व्यवस्था वह शासन प्रणाली है जिसके अंतर्गत देश के सभी नागरिकों में समानता स्थापित की जाती है। इसके अलावा कानून व्यवस्था एक प्रक्रिया, प्रथा एवं मानक भी है जो शासन के एक बेहतर स्वरुप को सुनिश्चित करने का कार्य करता है। इसके अनुसार कानून व्यवस्था में कोई भी राजनीतिक दल हस्तक्षेप नहीं कर सकता।

कोई भी देश लोकतांत्रिक देश तब कहलाता है जब उस देश में संविधान की उपस्थिति हो। विश्व भर के लगभग हर देश में संविधान लिखित या मौखिक रूप से दर्ज होता है। यह संविधान देश के कानून एवं नियमों का मूल संग्रह है जो एक राज्य को नियंत्रित करने का कार्य करता है। इसके अलावा यह मौजूदा सरकार की न्यायिक व्यवस्था का निर्माण करने का भी कार्य करता है जिसके अंतर्गत जनता के अधिकारों एवं दायित्वों को मुख्य रूप से दर्शाया जाता है।

स्वाधीनता एवं समानता को लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताओं में से एक माना जाता है। यह लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के सिद्धांतों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा करके एक व्यवस्थित समाज की स्थापना करता है।

राजनीतिक लोकतंत्र वह व्यवस्था प्रणाली है जिसमें देश के नागरिकों को राजनीति के क्षेत्र में निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त होता है। यह वास्तव में लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधि के माध्यम से संभव होता है। इसके अलावा राजनीतिक लोकतंत्र देश के नागरिकों को राजनीति में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित भी करता है।

मताधिकार वह व्यवस्था प्रणाली है जो देश के सभी वयस्क नागरिकों को अपने प्रतिनिधि का चुनाव करने का अधिकार देता है। यह प्रक्रिया पूर्ण रूप से पारदर्शी एवं निष्पक्ष होती है जिसका लाभ जनता को सीधे तौर पर मिलता है।

लोकतंत्र के चार स्तंभ

लोकतंत्र के चार स्तंभ होते हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:-

स्वतंत्र कार्यपालिका

स्वतंत्र विधायिका, स्वतंत्र पत्रकारिता, स्वतंत्र न्यायपालिका.

स्वतंत्र कार्यपालिका वह व्यवस्था है जो स्वतंत्र एवं निष्पक्ष रूप से सरकार की नीतियों का पालन करती है। कार्यपालिका सरकार का एक महत्वपूर्ण अंग माना जाता है जो राज्य के शासन के अधिकार को बढ़ावा देने का कार्य करता है। यह देश में कानून व्यवस्था को बेहतर ढंग से लागू में मदद करता है।

स्वतंत्र विधायिका को विधान पालिका के नाम से भी जाना जाता है जो राजनीतिक व्यवस्था का वह संगठन होता है जिसे कानून की नीतियों का निर्माण करने, उसे बदलने एवं हटाने का अधिकार प्राप्त होता है। यह कार्य विधायिका के सदस्यों के द्वारा किया जाता है जिन्हें विधायक कहा जाता है।

पत्रकारिता को लोकतंत्र का मुख्य स्तंभ कहा जाता है। यह एक प्रमुख व्यवसाय है जिसमें देश में हो रही सभी घटनाओं की जानकारी को एकत्रित करके जनता तक स्वतंत्रतापूर्वक पहुंचाया जाता है। इसके अंतर्गत समाचारों को बेहतर ढंग से संपादित किया जाता है जिससे जनता की समस्याओं को सरकार के सम्मुख रखने में आसानी होती है। आधुनिक युग में पत्रकारिता के अनेक माध्यम का निर्माण हुआ है जैसे अखबार, दूरदर्शन, पत्रिकाएं, रेडियो आदि।

स्वतंत्र न्यायपालिका जनतंत्र का एक प्रमुख अंग माना जाता है। इस व्यवस्था के अंतर्गत कानून व्यवस्था को समाज में बेहतर ढंग से स्थापित किया जाता है। न्यायपालिका स्वतंत्र रूप से विवादों को सुलझाने एवं अपराधों को कम करने का कार्य करती है जिससे समाज में विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। स्वतंत्र न्यायपालिका उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को निर्भय होकर न्याय करने की स्वतंत्रता प्रदान करती है जिससे नागरिकों को न्याय मिलता है।

भारत में लोकतंत्र का इतिहास

सन 1947 में भारत की आजादी के बाद देश में लोकतंत्र की एक नई व्याख्या प्रस्तुत हुई। भारत ब्रिटिश साम्राज्य द्वारा थोपे गए संविधान का पालन नहीं करना चाहता था जिसके कारण भारत में संविधान के नव निर्माण हेतु अप्रत्यक्ष रूप से चुने हुए लोगों द्वारा एक संविधान सभा का गठन किया गया। इस संविधान सभा में सरदार पटेल, भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू एवं एन वी गाडगिल ने भारतीय लोकतंत्र शासन प्रणाली को स्वीकार किया। परंतु इसी संविधान सभा में बृजेश्वर प्रसाद, लोकनाथ मिश्र एवं आर एन सिंह ने इस संसदीय व्यवस्था का विरोध किया क्योंकि उनका मानना था कि अध्यक्षीय शासन प्रणाली में एक ईमानदार राष्ट्रपति को चुनना तुलनात्मक रूप से बेहद आसान कार्य है। इसके उपरांत 19वीं सदी में आधुनिक राजनीति की शुरुआत के बाद कई सार्वजनिक मुद्दों पर लोगों को एकत्रित करने एवं राज्य के समकक्ष अपनी मांगों को रखने का सिलसिला भी आरंभ हुआ। इसके बाद भारत में मध्यम वर्ग के लोगों द्वारा कई सार्वजनिक सभा जैसे संगठनों का निर्माण हुआ जिसने भारत में लोकतंत्र की नीव रखी। माना जाता है कि ब्रिटिश शासन काल में लोकतंत्र की शुरुआत केंद्रीय एवं प्रांतीय विधान परिषदों के विकास के कारण हुआ था।

लोकतंत्र और विकास के बीच संबंध लिखिए

लोकतंत्र एवं विकास में एक गहरा संबंध होता है क्योंकि एक विकसित देश में लोकतंत्र की नीतियां कई चरणों के माध्यम से उभरती हैं। ऐसा माना जाता है कि लोकतान्त्रिक देश में विकास की गति को बढ़ावा मिलता है। किसी भी विकसित देश का विकास कई कारकों पर निर्भर करता है जैसे वैश्विक स्थिति, जनसंख्या, मताधिकार, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आदि। लोकतंत्र विकास की आर्थिक स्थिति के स्रोतों से संबंधित होता है जैसे शिक्षा का स्तर, आर्थिक स्वतंत्रता एवं स्वास्थ्य देखभाल। लोकतंत्र की संकल्पना की तरह ही विकास की संकल्पना भी राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक पहलू है। जिस प्रकार लोकतंत्र एक गतिशील प्रक्रिया है उसी प्रकार विकास भी सामाजिक रूप से एक गतिशील प्रक्रिया है। लोकतंत्र एवं विकास दोनों ही पूर्ण रूप से एक विकसित राष्ट्र एवं विकसित लोकतंत्र का निर्माण करते हैं जिसका लाभ सीधे तौर पर देश के नागरिकों को मिलता है। केवल इतना ही नहीं लोकतंत्र एवं विकास दोनों ही राजनीतिक, आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से देश का कल्याण भी करते हैं। इसीलिए लोकतंत्र एवं विकास को एक ही सिक्के के दो पहलू भी कहा जाता है।

इसे भी पढ़ें – 30 रासायनिक बंध से जुड़े महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर MCQ ।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

Your email address will not be published.

Please enable Browser JavaScript to visit the website.

Gyan IQ .com

  • About “Gyan IQ” Website.
  • Gyan IQ – An Educational website for the students of classes 5, 6, 7, 8, 9, 10, and 12. English Essay, Hindi Essay, Moral Stories, Punjabi Essay etc.
  • Privacy Policy
  • Punjabi Essay on Various Topics, Current Issues, latest Topics, ਪੰਜਾਬੀ ਨਿਬੰਧ, Social issues for Students.
  • Search for:
  • About “Gyan IQ” Website.
  • Moral Story
  • English Poems
  • General Knowledge
  • Punjabi Essay
  • हिन्दी निबन्ध

Hindi Essay, Nibandh on “Bharat Me Loktantra”, “भारत में लोकतंत्र” Hindi Paragraph, Speech for Class 6, 7, 8, 9, 10 and 12 Students.

भारत में लोकतंत्र

Bharat Me Loktantra

लोकतंत्र का अर्थ है-जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन क्योंकि इसमें जनता के प्रतिनिधि शासन करते हैं, जिनका चुनाव भी जनता करती है। भारत एक लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। भारत में लोकतंत्र की सफलता के पक्ष एवं विपक्ष में अलग-अलग मत हैं। चूँकि लोकतंत्र की सफलता के लिए साक्षरता, आर्थिक संपन्नता एवं सकारात्मक सोच जैसे तत्त्व होते हैं, इसलिए भारत में लोकतंत्र को विफल मानने वाले के अनुसार हमारे देश में इन उल्वों का प्रायः अभाव ही है। चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिए भोली-भाली जनता को धर्म, जाति के नाम पर गमराह कर वोट प्राप्त करने में सफल होते हैं, जबकि लोकतंत्र को सफल मानने वालों के विभिन्न मत हैं। उनके अनुसार वर्तमान संदर्भ में भारतीय जनता चाहे गरीब या अशिक्षित है, परंतु उसे बहकाया नहीं जा सकता। इसका ताजा उदाहरण हाल ही संपन्न हुए बिहार विधान सभा के चुनाव हैं। वहाँ की निरक्षर, दरिद्र और पिछड़ी कही जाने वाली जनता ने थोथे नारों, जातिगत भावनाओं को महत्त्व न देकर योग्य प्रत्याशियों का चुनाव किया। देश में संपन्न हुए. इससे पूर्व के चुनाव भी भारत में लोकतंत्र की सफलता का परिचायक हैं।

Related posts:

' data-src=

About gyaniq

Leave a reply cancel reply.

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed .

Latest Posts

English-Essay-Gyan-Iq

Popular post

bharat ka loktantra essay in hindi

  • The advantages and disadvantages of living in a flat. IELTS Writing 7-8 + 9 Band Sample Task.
  • Keeping pets in a flat. IELTS Writing 7-8 + 9 Band Sample Task 2 Essay Topic for students.
  • If you were asked to choose between a dog and a cat for a pet, which would you choose and why?
  • Why it is sometimes better not to tell the truth. IELTS Writing 7-8 + 9 Band Sample Task 2 Essay Topic for students.
  • Is shopping still popular? IELTS Writing 7-8 + 9 Band Sample Task 2 Essay Topic for students.
  • 1st in the World
  • Children Story
  • Creative Writing
  • Do you know
  • English Article
  • English Essay
  • English Idioms
  • English Paragraph
  • English Speech
  • English Story
  • Hindi Essay
  • Hindi Letter Writing
  • Hindi Paragraph
  • Hindi Speech
  • Hindi Stories
  • Meaning of idioms
  • Moral Value Story
  • Poem Summery
  • Precis Writing
  • Punjabi Letters
  • Punjabi Stories
  • Script Writing
  • Short Story
  • Story for Kids
  • Uncategorized
  • हिंदी कहानियां
  • ਪੰਜਾਬੀ ਨਿਬੰਧ
  • ਪੰਜਾਬੀ ਪੱਤਰ

Useful Tags

Hindi Essay on “Loktantra aur Chunav”, “लोकतन्त्र और चुनाव ”, for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations.

लोकतन्त्र और चुनाव

Loktantra aur Chunav

‘लोकतन्त्र को जनतन्त्र भी कहते हैं, क्योंकि जनता के चुनाव के द्वारा ही। यह तन्त्र बनता है। इसलिए बिना चुनाव का जो तन्त्र होता है। वह लोकतन्त्र या जनतन्त्र न होकर राजतन्त्र बन जाता है। इस प्रकार से लोकतन्त्र जनता को प्रतिनिधि तन्त्र है। इसमें समस्त जन समुदाय की सद्भावना और सविचार प्रकट होता है।

लोकतन्त्र के अर्थ को स्पष्ट करते हुए महान् राजनेता एवं भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन, अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी, जेफर्सन, लार्ड विवरेज, विश्वविद्यालय नाटककार वर्नार्ड शा, प्रोफेसर लास्की, सुप्रसिद्ध अंग्रेजी विद्वान वर्क आदि ने अलग-अलग विचार प्रकट किए हैं। पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था-“लोकतन्त्र में चुनाव राजनैतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।” अब्राहम लिंकन ने लोकतन्त्र का अर्थ-“जनता के ही हेतु, जनता द्वारा जनता का शासन बताया है। इस प्रकार से लोकतन्त्र में लोक-निष्ठा और लोक भावना का समावेश होता है। इसमें चुनाव का महत्त्व सर्वप्रथम और सर्वाधिक है। इससे लोक कल्याण प्रकट होता है।

लोकतन्त्र अर्थात् जन प्रतिनिधि एक ऐसा तंत्र है, जिसमें जनकल्याण की भावना से सभी कार्य सम्पन्न किए जाते हैं। जनकल्याण की भावना एक-एक करके इस शासन तन्त्र के द्वारा हमारे सामने कार्य रूप में दिखाई पड़ने लगती है। लोकतन्त्र का महत्त्व इस दृष्टि से भी होता है कि लोकतन्त्र में सबकी भावनाओं का सम्मान होता है और संघको अपनी भावनाओं को स्वतन्त्र रूप से प्रकट करने का पूरा अवसर मिलता है। इसी प्रकार किसी भी तानाशाही का लोकतन्त्र करारा जबाव देता है। लोकतन्त्र का महत्त्वपूर्ण स्वरूप यह भी होता है कि इस तन्त्र में किसी प्रकार की भेद-भावना, असमानता, विषमता आदि को कोई स्थान नहीं मिलता है। इसके लिए लोकतन्त्र अपने चुनावी मुद्दों और वायदों के रखते हुए कमर कस करके इन्हें दूर करने की पूरी कोशिश करता है। चाहे कितनी भी कठिनाइयाँ और उलझनें आ जाएँ। चुनाव की आवश्यकता इनसे अधिक बढ़ कर होती है।

लोकतन्त्र में चुनाव का महत्त्व इस तथ्य को प्रमाण है कि जनता का मनोभाव कुछ बदल रहा है। वह पूवपक्षी यही करना चाह रहा है। इसलिए लोकतन्त्र में चुनाव का महत्त्व न तो कोई समय देखता है और इससे होने वाले परिणामों और कपरिणामों पर ही विचार करता है। हमारे देश में सन् 1976 में लगी हुई आपातकालीन अवधि के फलस्वरूप होने वाले अत्याचारों की प्रबल विरोध करने के लिए जब जनता ने इस आपातकाल के स्थान पर चुनाव की माँग की, तो इन्दिरा सरकार को आपातकाल को तुरन्त ही हटा करके चुनायं कराना पड़ा था। इस चुनाव के बाद ही परी शासन प्रणाली ही बदल गयी और जनता पार्टी की सरकार का गठन हुआ। थी। इसने उस समय की द:खी और निराश जनता को विभिन्न प्रकार की सुविधाएँ और राहत प्रदान करने वाला शासन सूत्र प्रदान किया था।

लोकतन्त्र और चुनाव के स्वरूप पर प्रकाश डालने का कार्य तभी पूर्ण कहा। जाएगा। जब इसकी अच्छाइओं के साध-साथ इसकी बुराइयों को भी प्रकाशित किया। जा सके। लोकतांत्रिक सरकारी प्रक्रियाओं पर विचार रखने से हम यह देखते हैं कि लोकतन्त्र के चुनाव के बाद इसमें कई कमियों का प्रवेश हो जाता है।

चुनाव के बाद जहाँ चुना गया व्यक्ति जनता का प्रतिनिधि होता है और आम नागरिक होता है। वहाँ वह किसी पद पर पहुँचकर असामान्य व्यक्ति बन जाता है। हम यह देखते हैं कि किसी विभाग या कार्यालय का व्यक्ति निजी अनुभव और निजी ज्ञान से कार्यों का निपटारा नहीं करता है, अपितु वह अपने सहायकों और निर्देशकों के सहारे चलकर कार्य करता है। इस सन्दर्भ में सुप्रसिद्ध राजनीतिज्ञ और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डिजराइली ने लोकतन्त्र के ऊपर विचार प्रकट करते हुए कहा था-”सरकार हृदयहीन होती है। इसका सबसे बड़ा सबूत क्या यह नहीं है कि मतदाताओं की आशा-अपेक्षाओं के साथ खिलवाड़ करने के लिए निष्ठुर कृत्य को मन्त्रियों का राजनैतिक कौशल माना जाता है।

इस सन्दर्भ में हमारे देश में हुए चुनाव के बाद चुनावी मुद्दों को भूल करके। कुसवाद और स्वार्थवाद के अन्य सहायक तत्त्वों, जैसे-भाई-भतीजावाद, क्षेत्रवाद, धर्मवाद, सम्प्रदायवाद आदि में अपने पद और अधिकार को लगाना लोकतांत्रिक चुनाव के स्वरूप और परिणाम के विपरीत कार्य करना है। इससे लोकतन्त्र चुनाव को सही रूप प्रकट नहीं होता है।

इस प्रकार लोकतन्त्र और चुनाव तो एक अच्छा एवं कल्याणकारी स्वरूप है, लेकिन इसके दुरुपयोग तो इससे कहीं भयंक़र और कष्टदायक हैं। आज लोकतांत्रिक-चुनाव का स्वरूप हर बार धुंधला और मटमैला हो जाने के कारण इससे अब किसी प्रकार के अच्छे परिणाम और सुखद भविष्य की कल्पना कठिनाई से की जा रही है। जनता तो विवश और लाचार है। वह किसका चुनाव करे और किसका न करे। वह जिसे चुनती है; वही गद्दार और शोषक बन जाता है। इसलिए वह हारकर कभी इस दल को, ऊभी उस दल को अपना मत देती है लेकिन फिर भी कोई अन्तर नहीं पड़ता है। अतः लोकतन्त्र के चुनाव-स्वरूप में परिवर्तन होना चाहिए।

Related Posts

Hindi-Essays

Absolute-Study

Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in Hindi, English and Punjabi.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

Home

  • Website Inauguration Function.
  • Vocational Placement Cell Inauguration
  • Media Coverage.
  • Certificate & Recommendations
  • Privacy Policy
  • Science Project Metric
  • Social Studies 8 Class
  • Computer Fundamentals
  • Introduction to C++
  • Programming Methodology
  • Programming in C++
  • Data structures
  • Boolean Algebra
  • Object Oriented Concepts
  • Database Management Systems
  • Open Source Software
  • Operating System
  • PHP Tutorials
  • Earth Science
  • Physical Science
  • Sets & Functions
  • Coordinate Geometry
  • Mathematical Reasoning
  • Statics and Probability
  • Accountancy
  • Business Studies
  • Political Science
  • English (Sr. Secondary)

Hindi (Sr. Secondary)

  • Punjab (Sr. Secondary)
  • Accountancy and Auditing
  • Air Conditioning and Refrigeration Technology
  • Automobile Technology
  • Electrical Technology
  • Electronics Technology
  • Hotel Management and Catering Technology
  • IT Application
  • Marketing and Salesmanship
  • Office Secretaryship
  • Stenography
  • Hindi Essays
  • English Essays

Letter Writing

  • Shorthand Dictation

Hindi Essay, Paragraph, Speech on “Bharat me Loktantra ka Bhavishya” , ”भारत में लोकतंत्र का भविष्य” Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

भारत में लोकतंत्र का भविष्य

Bharat me Loktantra ka Bhavishya 

लोकतंत्र विश्व की सबसे प्रसिद्ध प्रकार की सरकार है। यह साधारणत: लोगों की सरकार बताई जाती है। यह लोगों की, लोगों के लिए तथा लोगों द्वारा सरकार होती है। यह सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता तथा राजनीतिक स्वतंत्रता प्रदान करती है। भारत ने 1947 में गणतंत्र को अपनाया। यह कुछ सालों तक बिल्कुल ठीक ठाक चलती रही और आज भी चल रही है। लेकिन अब इसे लेकर लोगों के मन में कुछ शंकाएं उत्पन्न हुई हैं। इसकी कुछ कमियां भी हैं।

इसकी सबसे बड़ी कमी यह है कि लोग अनपढ़ हैं। उन्हें लोकतंत्र की कार्यप्रणाली का ज्ञान नहीं है। वे लोकतंत्र के प्रति अपने कर्तव्यों से अनभिज्ञ हैं। वे झूठे वायदों तथा झूठी बातों में आ जाते हैं। वे गरीब हैं। राजनीतिक स्वतंत्रता का उनके लिए कोई अर्थ नहीं है। उनके लिए वोट से भोजन अधिक प्रिय है। कोई भी व्यक्ति भोजन या पैसे देकर लोगों से वोट खरीद सकता है।

भारत विभिन्न जातियों, धर्मों तथा भाषाओं की धरती है। वे एक दूसरे को बर्दाशत् नहीं करते। वे एक दूसरे से लड़ते रहते हैं। जाति के नाम पर दंगे यहां बहुत आम हैं। यह दंगे भारत के लोकतंत्र पर धब्बा हैं। भारतीय नेता भ्रष्ठ तथा बेईमान हैं। उनका मुख्य उद्देश्य केवल सत्ता में रहना है। उन्होंने भारत के लोकतंत्र को अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तबाह कर दिया है। सभी लोकतांत्रिक सिद्धांत बदल दिए गए हैं।

भारत के लोग बहुत अधिक असंतुष्ट हैं। वे भारतीय लोकतंत्र की कार्य प्रणाली से खुश नहीं हैं। वे इसमें कमियां ढूंढते हैं। असल में कमी लोकतंत्र में नहीं, हम सब में है। यदि यह इंग्लैंड तथा अमरीका में अच्छे से कार्य कर सकती है तो भारत में क्यों नहीं? हमें इसकी कमियों को दूर करना चाहिए। भारत में लोकतंत्र का भविष्य उज्ज्वल है। किन्तु यह थोड़ा समय लेगा।

About evirtualguru_ajaygour

bharat ka loktantra essay in hindi

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Quick Links

bharat ka loktantra essay in hindi

Popular Tags

Visitors question & answer.

  • Diksha on Official Letter Example “Write a letter to Superintendent of Police for theft of your bicycle. ” Complete Official Letter for all classes.
  • Anchal Sharma on Write a letter to the Postmaster complaining against the Postman of your locality.
  • rrrr on Hindi Essay on “Pratahkal ki Sair” , ”प्रातःकाल की सैर ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.
  • Mihir on CBSE ASL “Listening Test Worksheet” (ASL) 2017 for Class 11, Listening Test Audio Script 1
  • Anska on Hindi Essay on “Parishram Saphalta ki Kunji Hai” , ”परिश्रम सफलता की कुंजी है ” Complete Hindi Essay for Class 10, Class 12 and Graduation and other classes.

Download Our Educational Android Apps

Get it on Google Play

Latest Desk

  • Cowards Die Many Times Before Their Death, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • The Life of a Soldier, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Success Comes to Those Who Dare and Act, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • A False Friend, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Do Not Put Off till Tomorrow What You Can Do Today, Complete English Essay, Paragraph, Speech for Class 9, 10, 11, 12, Graduation and Competitive Examination.
  • Shabd Shakti Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द शक्ति की परिभाषा और उदाहरण
  • Shabd Gun Ki Paribhasha aur Udahran | शब्द गुण की परिभाषा और उदाहरण
  • Virodhabhas Alankar Ki Paribhasha aur Udahran | विरोधाभास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण
  • Example Letter regarding election victory.
  • Example Letter regarding the award of a Ph.D.
  • Example Letter regarding the birth of a child.
  • Example Letter regarding going abroad.
  • Letter regarding the publishing of a Novel.

Vocational Edu.

  • English Shorthand Dictation “East and Dwellings” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines.
  • English Shorthand Dictation “Haryana General Sales Tax Act” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Deal with Export of Goods” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • English Shorthand Dictation “Interpreting a State Law” 80 and 100 wpm Legal Matters Dictation 500 Words with Outlines meaning.
  • Circulation

bharat ka loktantra essay in hindi

  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • साक्षात्कार
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • श्रद्धांजलि
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • मानस के मोती
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • जनजातीय नायक
  • बोली में बुलेटिन

भारत लोकतंत्र की जननी है

श्रुति, स्मृति, पुराण, इतिहास, महाकाव्य आदि ग्रंथों में विश, जन, प्रजा, गण, कुल, ग्राम, जनपद, सभा, समिति, परिषद, संघ, निकाय जैसे अनेक शब्दों एवं संस्थाओं के उल्लेख मिलते हैं, जिनसे पुष्टि होती है कि उस समय भारत में लोकतंत्र का अस्तित्व था।.

bharat ka loktantra essay in hindi

देश में लोकतंत्र की दिशा-दशा पर जारी विमर्श के मध्य यह जानना आवश्यक है कि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, अपितु वह लोकतंत्र की जननी है। लोकतंत्र भारत की आत्मा है। वह आम भारतीयों की साँसों और संस्कारों में रचा-बसा है। भारत में लोकतांत्रिक मूल्यों एवं अवधारणाओं का विकास 1215 ई. में जारी किए गए इंग्लैंड के कानूनी परिपत्र मैग्ना कार्टा से नहीं, अपितु सहयोग, समन्वय एवं सह-अस्तित्व पर आधारित प्राचीन एवं सनातन सांस्कृतिक विचार-प्रवाह एवं  जीवन-दर्शन से हुआ है। इस देश में लोकतंत्र केवल शासन की एक प्रणाली मात्र नहीं, बल्कि वह सहस्त्राब्दियों के अनुभव और इतिहास से सिंचित-निर्मित भेद में एकत्व और विरुद्धों में सामंजस्य देखने वाली जीवन-शैली व दृष्टि है।

श्रुति, स्मृति, पुराण, इतिहास, महाकाव्य आदि ग्रंथों में विश, जन, प्रजा, गण, कुल, ग्राम, जनपद, सभा, समिति, परिषद, संघ, निकाय जैसे अनेक शब्दों एवं संस्थाओं के उल्लेख मिलते हैं, जिनसे पुष्टि होती है कि उस समय भारत में लोकतंत्र का अस्तित्व था। वैदिक वाङ्गमय पर दृष्टि डालने से दो प्रकार की गणतंत्रात्मक व्यवस्थाएँ सामने आती हैं, एक जिसमें राजा निर्वाचित किया जाता था और दूसरा जिसमें राज्य की शक्ति सभा या परिषद में निहित होती थी। इसे राजाधीन एवं गणाधीन शासन-तंत्र कहा जा सकता है। वैदिक राजा का निर्वाचन समिति में एकत्रित होने वाले लोगों द्वारा किया जाता था। समिति सार्वजनिक कार्यों को संपादित करने वाली संस्थाओं में सर्वप्रमुख थी। यह जनसामान्य का प्रतिनिधित्व करती थी। परिचर्चा और पारस्परिक सम्मति से निर्णय लिए जाते थे। वहीं सभा समिति के अधीन कार्य करती थी। इसमें वृद्ध एवं अनुभवी लोगों का विशेष स्थान प्राप्त होता था। यह चयनित लोगों की स्थायी संस्था थी। ब्राह्मण ग्रंथों में वर्णित राज्याभिषेक के आरंभ से अंत तक के कार्यव्यवहार से स्पष्ट होता है कि राजा को राजपद प्राप्त करने से पूर्व राष्ट्र के विभिन्न अंगों की अनुमति प्राप्त करनी पड़ती थी, वह राष्ट्र के भिन्न-भिन्न स्थानों की मिट्टी, जल, वर्ण, वायु, पर्वत और संपूर्ण प्रजा का प्रतिनिधित्व करता था। उसका निरंकुश होना संभव नहीं था। उसे मंत्रिपरिषद के परामर्श, स्वीकृति और प्रजा के कल्याण की भावना से कार्य संपादित करना होता था। यहाँ तक कि उसके पुनर्निर्वाचन की भी निश्चित प्रक्रिया और व्यवस्था थी। उल्लेखनीय है कि समिति और सभा की सदस्यता जन्म के बजाय कर्म पर आधारित थी। नीति, सैन्य एवं सार्वजनिक हितों से जुड़े महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर विमर्श एवं नियमन हेतु विदथ-सभा का भी उल्लेख मिलता है, जिसका प्रयोग ऋग्वेद में सौ से अधिक बार किया गया है।

रामायण और महाभारत में भी अनेक ऐसे प्रसंग हैं, जिनसे विदित होता है कि राजा निर्णय-प्रक्रिया में प्रजा के मत, जनपद-प्रतिनिधियों एवं अमात्यमंडल के परामर्श को विशेष महत्त्व प्रदान करता था। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के द्वारा माता सीता के परित्याग के कारुणिक वृत्तांत में भी राजा द्वारा जन-विचारों को वरीयता प्रदान करने की भावना ही दृष्टिगोचर होती है। राजा निरंकुश एवं स्वेच्छाचारी नहीं होता था। वह नीति, धर्म, परंपरा एवं लोक-मर्यादा से बंधा होता था। राजा दशरथ और कुलगुरु वशिष्ठ भावी राजा राम को यह उपदेश देते दिखते हैं कि प्रजा के हिताहित की निरंतर चिंता, मंत्रियों-सेनापतियों-अधिकारियों से सतत विचार-विमर्श राजा के प्रमुख कर्त्तव्य होते हैं। रामायण के बालकांड के सातवें सर्ग में राजा दशरथ के यशस्वी होने का कारण राज्य के प्रमुख कार्यों में उनके मंत्रिमंडल की सहभागिता है, जिसमें आठ मंत्री होते थे। राजा दशरथ के राज्य संबंधी अथवा अन्य किसी भी योजना संबंधी विषयों में एक विशाल मंत्रिसमूह की भूमिका उनकी लोकतांत्रिक दृष्टि का बोध कराती है। महाभारत के शांति पर्व के अध्याय 107/108 में गणराज्यों (जिन्हें गण कहा जाता था) की विशेषताओं का विस्तृत विवरण मिलता है। इसमें कहा गया है कि जब एक गणतंत्र के लोगों में एकता होती है तो वह शक्तिशाली हो जाता है और उसके लोग समृद्ध हो जाते हैं तथा आंतरिक संघर्षों की स्थिति में वे नष्ट हो जाते हैं। इसी पर्व में पितामह भीष्म युधिष्ठिर को लोक कल्याणकारी राज्य की स्थापना का उपदेश देते हुए कहते हैं कि राजा को  प्रजा के हित की रक्षा एवं धर्म का अनुसरण करना चाहिए तथा उसे सभासदों, प्रकृतिजनों एवं प्रजाजनों के प्रति उत्तरदायी होना चाहिए। महाभारत में सभासदों की योग्यता, गणों की महत्ता, उसके गठन एवं निर्माण की रचना-प्रक्रिया, उनकी कार्यप्रणाली और उनके प्रशासनिक उत्तरदायित्वों आदि का भी पर्याप्त उल्लेख मिलता है।

बौद्ध एवं जैन ग्रंथों से भी ज्ञात होता है कि भगवान महावीर एवं भगवान बुद्ध के काल में भारत के उत्तर-पूर्वी भाग में अनेक गणराज्य विद्यमान थे। इनमें वैशाली के लिच्छवी, कपिलवस्तु के शाक्य, सुमसुमार पर्वत के भग्ग, केसपुत्त के कालाम, रामगाम के कोलिय, कुशीनारा के मल्ल, पावा के मल्ल, पिप्पलिवन के मोरिय, मिथिला के विदेह और अलकल्प के बुलि आदि प्रमुख थे। इनमें से लिच्छवी तो इतना शक्तिशाली एवं प्रतिष्ठित था कि वह तत्कालीन उदीयमान राज्य मगध के उत्कर्ष एवं विस्तार में मुख्य अवरोधक बनकर खड़ा था। लिच्छिवियों ने आसपास के अन्यान्य गणों को मिलाकर वज्जिसंघ नाम से एक संयुक्त संघ भी बनाया था। इन गणराज्यों की सर्वोच्च शक्ति एक गणसभा या संस्थागार में निहित होती थी, जो लगभग आज के संसद जैसी होती थी। गण की कार्यपालिका का अध्यक्ष एक निर्वाचित पदाधिकारी होता था, जिसे उस गणराज्य का प्रमुख नायक या राजा कहा जाता था। सामान्य प्रशासन की देखभाल के साथ-साथ गणराज्य में आंतरिक शांति एवं सामंजस्य बनाए रखना उसका कर्त्तव्य था। अन्य पदाधिकारियों में उपराजा, सेनापति, भांडागारिक, कोषाध्यक्ष, आसनपन्नापक आदि प्रमुख थे। कोरम की पूर्त्ति, प्रस्ताव रखने, मतगणना आदि के सुस्पष्ट एवं निश्चित नियम थे। विरोध या मतभेद आदि उपस्थित होने पर शलाकाओं द्वारा गुप्त मतदान की व्यवस्था थी। मतदान अधिकारी को शलाका-ग्राहक कहा जाता था। गणसभा के प्रत्येक कुलवृद्ध या सदस्य की संघीय उपाधि ‘राजा’ होती थी। एकपण्ण जातक के अनुसार लिच्छवी गणराज्य की केंद्रीय समिति में 7,707 राजा (सदस्य) थे तथा उपराजाओं, सेनापतियों एवं कोषाध्यक्षों की संख्या भी इतनी ही थी। वहीं एक अन्य स्थान पर शाक्यों के संस्थागार (गणसभा) के सदस्यों की संख्या 500 और यौधेय की केंद्रीय परिषद की सदस्य-संख्या 5000 बताई गई है। वर्तमान संसदीय सत्र की तरह ही परिषदों के अधिवेशन नियमित रूप से होते थे। सामान्यतया गणराज्यों की गतिविधियों पर गणसभा का पूर्ण नियंत्रण होता था। गणराज्यों में प्रायः एक मंत्रिपरिषद भी होती थी, जिसमें चार से लेकर बीस सदस्य होते थे। गणाध्यक्ष ही मंत्रिपरिषद का प्रधान होता था। राज्य के उच्च पदाधिकारियों, मंत्रियों तथा शासकों की नियुक्ति गणसभा द्वारा ही की जाती थी। यही केंद्रीय समिति (गणसभा) न्याय की सर्वोच्च संस्था के रूप में भी कार्य करती थी।

द्वितीय शताब्दी ई. के बौद्ध ग्रंथ ‘अवदानशतक’ से पता चलता है कि दक्षिण भारत के कुछ राज्य गणों के अधीन थे और कुछ राजा के। जैन ग्रंथ ‘आचारांगसूत्र’ में भिक्षुओं को चेतावनी दी गई है कि उन्हें ऐसे स्थानों पर जाने से बचना चाहिए, जहाँ गणतंत्र का शासन हो। पाणिनी ने भी संघ को राजतंत्र से भिन्न बताते हुए गण को संघ का पर्याय बताया है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र में भी दो प्रकार के संघ राज्यों का उल्लेख मिलता है। एक ‘वार्ताशस्त्रोपजीवी’ – जो व्यापार, कृषि, पशुपालन तथा युद्ध पर आश्रित थे, दूसरा ‘राजशब्दोपजीवी’ जो राजा की उपाधि धारण करते थे। प्रथम वर्ग में कंबोज तथा सौराष्ट्र तथा दूसरे वर्ग में लिच्छिवियों, वृज्जियों, मल्लों, मद्रों, कुकुरों, पांचालों आदि की गणना की गई है। वस्तुतः ‘संघ’ और ‘गण’ दोनों समान अर्थों में प्रयुक्त राजनीतिक संस्थाएँ थीं। कौटिल्य के अर्थशास्त्र के अनुसार राजा को प्रजा की भलाई के लिए अमात्यों (मंत्रियों) की सलाह पर कार्य करना चाहिए। मंत्रियों को लोगों को बीच से नियुक्त किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि प्रजा के सुख और लाभ में ही राजा का सुख और लाभ है।

यूनानी-रोमन लेखकों ने भी प्राचीन भारत में गणराज्यों के अस्तित्व को स्वीकार किया है। उनके अनुसार सिकंदर के आक्रमण के समय पंजाब और सिंध में कई गणराज्य थे, जो राजतंत्रों से भिन्न थे। सिकंदर को लौटते हुए मालव, अंबष्ठ और क्षुद्रक आदि गणराज्य मिले थे। मुद्रासक्ष्यों से भी गणराज्यों के बारे में जानकारी मिलती है। मालव, अर्जुनायन, यौधेय जैसे गणराज्यों के प्राप्त सिक्कों पर राजा का उल्लेख न होकर गण का ही उल्लेख मिलता है। मेगस्थनीज ने भी अपने यात्रा-वृत्तांत में लिखा है कि उस समय भारत के अनेक प्रांतों-नगरों में गणतंत्रात्मक शासन प्रचलित था।

इसी प्रकार तमिलनाडु में दसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में परांतक चोल प्रथम के शासन-काल में उत्कीर्णित कांचीपुरम के उत्तरमेरूर के शिलालेखों से तत्कालीन लोकतांत्रिक व्यवस्था के विविध आयामों एवं कार्य-पद्धत्तियों की विस्तृत एवं प्रामाणिक जानकारियाँ प्राप्त होती हैं। इनमें उम्मीदवारों की योग्यता,   उनके चयन एवं मतदान की प्रक्रिया, कार्यों का निर्धारण एवं विभाजन, निर्वाचित उम्मीदवारों को वापस बुलाने के नियम आदि पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है।  तत्कालीन चुनाव-प्रक्रिया में शुचिता ऐसी थी कि उम्मीदवारों की अनिवार्य अर्हताओं में से एक संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा थी। स्मरण रहे कि इंग्लैंड के मैग्ना कार्टा से भी कई वर्ष पूर्व कर्नाटक के प्रसिद्ध कवि, दार्शनिक, समाज-सुधारक एवं लिंगायत संप्रदाय के संस्थापक संत बसवेश्वर द्वारा अनुभव मंडप की स्थापना की गई थी, जिसे भारत की पहली और सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण संसद के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह एक प्रकार का खुला एवं सार्वजनिक मंच था, जहाँ समाज के सभी वर्गों के लोग आर्थिक, धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर मुक्त विमर्श कर निष्कर्ष व समाधान तक पहुँचने का प्रयास करते थे। अनेकानेक पुष्ट प्रमाणों एवं ठोस तथ्यों के आधार पर निःसंदेह यह कहा जा सकता है कि प्राचीन भारत में न केवल लोकतंत्र का अस्तित्व था, अपितु कई गणराज्यों ने उसका आदर्श स्वरूप एवं ढाँचा भी खड़ा किया था। भिन्न-भिन्न धार्मिक मान्यताओं, दर्जनों भाषाओं तथा सैकड़ों बोलियों वाले देश में लोकतंत्र यदि सुदृढ़, जीवंत एवं गतिशील है तो उसका श्रेय भारत के इन प्राचीन गणराज्यों को ही जाता है। भारतीय लोकतंत्र की जड़ें इतनी गहरी और व्यापक हैं कि यूरोप-अमेरिका समेत संपूर्ण विश्व इससे प्रेरणा ग्रहण करता है। परंतु पश्चिम से प्रशंसा की प्रत्याशा एवं निहित राजनीतिक स्वार्थों की पूर्त्ति हेतु ऐसे गौरवशाली लोकतंत्र पर प्रश्न खड़े करना सर्वथा अनुचित एवं अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। अपनी समृद्ध लोकतांत्रिक विरासत पर गर्व करने के स्थान पर ऐसे प्रश्न कहीं-न-कहीं भारत में व्याप्त लोकतंत्र की गहरी जड़ों के प्रति अज्ञानता को प्रदर्शित करते हैं।

संबंधित समाचार

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच तनातनी : पानी देने से इंकार करने पर सर्वदलीय बैठक में की गई निंदा

कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच तनातनी : पानी देने से इंकार करने पर सर्वदलीय बैठक में की गई निंदा

एक एक का होगा हिसाब! स्पेशल फोर्स, डेल्टा फोर्स और JKP एसओजी को सौंपी कमान, जंगलों में हेलीकॉप्टर​ आतंकियों की खोज शुरू

एक एक का होगा हिसाब! स्पेशल फोर्स, डेल्टा फोर्स और JKP एसओजी को सौंपी कमान, जंगलों में हेलीकॉप्टर​ आतंकियों की खोज शुरू

चोरी छिपे भारत में घुस रहे थे बांग्लादेशी मुस्लिम, BSF ने घुसपैठ करते किया गिरफ्तार

चोरी छिपे भारत में घुस रहे थे बांग्लादेशी मुस्लिम, BSF ने घुसपैठ करते किया गिरफ्तार

सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोकने के लिए रोजगार और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता : अमित शाह

सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोकने के लिए रोजगार और कनेक्टिविटी बढ़ाने की आवश्यकता : अमित शाह

देशभर में 35 रेलवे स्टेशनों के कायाकल्प की तैयारी

‘दिल्ली को लूट रहा आआपा-कांग्रेस का ठगबंधन’

लोको पायलट की कार्य परिस्थितियों पर रेल मंत्री ने दिया विपक्ष को जवाब

लोको पायलट की कार्य परिस्थितियों पर रेल मंत्री ने दिया विपक्ष को जवाब

ताज़ा समाचार.

हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चत करे बांग्लादेश, शपथ लेते ही मोहम्मद यूनुस को पीएम मोदी का संदेश

हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चत करे बांग्लादेश, शपथ लेते ही मोहम्मद यूनुस को पीएम मोदी का संदेश

सूर्य मंदिर बीजामंडल को ठहरा दिया मस्जिद, नागपंचमी पर होती है पूजा, अब आदेश- पूजा की तो दो साल की सजा और 1 लाख जुर्माना

सूर्य मंदिर बीजामंडल को ठहरा दिया मस्जिद, नागपंचमी पर होती है पूजा, अब आदेश- पूजा की तो दो साल की सजा और 1 लाख जुर्माना

पेरिस ओलंपिक 2024: हॉकी में 1980 के बाद लगातार दूसरी बार जीता भारत

पेरिस ओलंपिक 2024: हॉकी में 1980 के बाद लगातार दूसरी बार जीता भारत

मेडल के साथ श्रीजेश ने हॉकी से लिया सन्यास, आखिरी मैच में भी दीवार की तरह डटे रहे, साथियों ने दी यादगार विदाई

मेडल के साथ श्रीजेश ने हॉकी से लिया सन्यास, आखिरी मैच में भी दीवार की तरह डटे रहे, साथियों ने दी यादगार विदाई

भट्टा मजदूर जाहिद ने धोनी बनकर बरेली से हिन्दू लड़की का किया अपहरण, हरियाणा से नाबालिग के लग गया था पीछे

भट्टा मजदूर जाहिद ने धोनी बनकर बरेली से हिन्दू लड़की का किया अपहरण, हरियाणा से नाबालिग के लगा था पीछे

पेरिस ओलंपिक 2024: विनेश फोगाट को मिल सकता है सिल्वर मेडल

पेरिस ओलंपिक 2024: विनेश फोगाट को मिल सकता है सिल्वर मेडल

राज्य की दो नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में किया जाए कार्य- CM पुष्कर सिंह धामी

राज्य की दो नदियों के पुनर्जीवीकरण की दिशा में किया जाए कार्य- CM पुष्कर सिंह धामी

India vs Spain Hockey : भारत ने ओलंपिक में लहराया तिरंगा, हॉकी में जीता मेडल

India vs Spain Hockey : भारत ने ओलंपिक में लहराया तिरंगा, हॉकी में जीता मेडल

अंतरराज्यीय साइबर फ्रॉड गिरोह का देहरादून पुलिस ने किया भंडाफोड़

अंतरराज्यीय साइबर फ्रॉड गिरोह का देहरादून पुलिस ने किया भंडाफोड़

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन, RSS ने दी श्रद्धांजलि

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन, RSS ने दी श्रद्धांजलि

  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited . Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Privacy Policy

लोकतंत्र पर निबंध Loktantra aur chunav essay in hindi

Loktantra aur chunav nibandh in hindi.

chunav ka mahatva essay in hindi-दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज का हमारा आर्टिकल लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है. बच्चों की स्कूल,कॉलेज की परीक्षा में निबंध लिखने के लिए आप यहां से जानकारी ले सकते हैं और ज्ञान को बढ़ाने के लिए भी आप हमारे द्वारा लिखित इस निबंध का उपयोग जरूर करिए तो चलिए पढ़ते हैं लोकतंत्र और चुनाव पर लिखे हमारे आज के इस निबंध को

Loktantra aur chunav essay in hindi

हमारा भारत देश दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है हमारे भारत देश में पहले जहां अंग्रेज शासन करते थे वह हम जैसे भारतीयों पर तरह-तरह के अत्याचार करते थे लेकिन बहुत सारे स्वतंत्रता सेनानी और देश के महान लोगों के जरिए की गई कोशिशों के द्वारा हमें 1947 में स्वतंत्रता मिल ही गई. स्वतंत्रता के बाद देश में लोकतंत्र आया.

लोकतंत्र सरकार की एक ऐसी प्रणाली है जिसमें आम लोगों को सरकार चुनने का मौका दिया जाता है जनता वोट देकर किसी को भी सरकार बना सकती हैं. देश में समय-समय पर चुनाव होते रहते हैं हर कोई उन चुनावों में भाग लेता है जिनकी उम्र 18 साल से ऊपर है वह अपना अमूल्य वोट देकर देश की सरकार चुनता है और जिस राजनीतिक पार्टी के नेता को ज्यादा वोट मिलते हैं वही हमारे देश की सरकार बनता है.

सरकार की लोकतंत्र प्रणाली का महत्व Chunav ka mahatva essay in hindi

लोकतंत्र सरकार की प्रणाली से बहुत सारे लाभ हम सभी को मिलते हैं पहले जहां अंग्रेज राज्य करते थे और उन्हें अधिकार थे लेकिन भारतीयों को अपने अधिकार नहीं थे और कोई भी सरकार पर अधिकार जमाने लगता था लेकिन लोकतंत्र प्रणाली की वजह से देश में भारत की जनता अपनी मर्जी से किसी को भी राजनेता के तौर पर बना सकती है इसमे वह पूरी तरह से स्वतंत्र होती है. इस प्रणाली में किसी भी तरह की समाज,जाति,धर्म आदि में भेदभाव नहीं रखा गया है कोई भी अपनी मर्जी से किसी को भी चुन सकता है और उसे वोट दे सकता है.

देश में समय-समय पर चुनाव होते रहते हैं सन 1947 के बाद कई सारे नेता आए और कई गए क्योंकि यह सब जनता पर निर्भर है कि उसे किस पार्टी के नेता को वोट देना है. इन चुनावों में जिसको भी बहुमत मिलता है वह जीतता है. लोकतंत्र सरकार की प्रणाली की वजह से हमारे देश को काफी लाभ मिला है भारत के अलावा भी कई सारे देश इस प्रणाली को अपनाते हैं .

अगर हम सही राजनेता को वोट देंगे तो देश में अच्छी सरकार आएगी और देश का शिक्षा का स्तर भी ऊपर उठेगा और साथ में देश से गरीबी दूर होगी.आज हम देखें तो देश में बहुत से लोग गरीब हैं जिनके पास खाने के लिए पैसे नहीं है.अच्छी सरकार वास्तव में ऐसे लोगों की मदद करती है यह हम सब चुनाव के महत्व को समझ कर ही कर सकते हैं साथ में आज हम देखें तो आज बहुत बड़ा वर्ग बेरोजगार भी है अच्छी सरकार हमेशा लोगों के रोजगार के बारे में सोचेगी, किसान को कई तरह के लाभ प्रदान करेगी क्योंकि देश का किसान ही देश का भविष्य है.

अगर हम अच्छे नेता का चुनाव करके करेंगे तो वास्तव में हमारे देश में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं होगा.बहुत से नेता ऐसे भी होते हैं जो किसी जाति, धर्म या समाज के प्रति अपना पक्ष रखते हैं लेकिन अगर हम चुनावों के महत्व को समझकर एक अच्छा नेता चुनेंगे तो वास्तव में वह निष्पक्ष देश के हित के लिए कार्य करेगा. वह किसी भी समाज या धर्म के पक्ष में नहीं रहेगा. देश का एक अच्छा नेता गरीबों के हित के बारे में सोचेगा. एक नेता ही देश के भविष्य को बनाने या बिगाड़ने में मदद करते हैं हमें देश के भविष्य की चिंता करते हुए चुनावों में भाग लेना चाहिए और अच्छे नेता को वोट देना चाहिए यही हमारा कर्तव्य है .

लोकतंत्र प्रणाली में अव रोद

जैसे की हम सभी जानते हैं कि किसी भी क्षेत्र में अगर अच्छे लोग हैं तो बुरे लोग भी होते हैं लोकतंत्र प्रणाली देश के हित के लिए लागू की गई लेकिन बहुत से राजनेता ऐसे ही होते हैं जो पैसे देकर लोगों से वोट खरीदते हैं और जीत जाते हैं जिससे हमारे देश के भविष्य को खतरा होता है इसमें सबसे ज्यादा गलती हमारी भी है इसके अलावा हमारे देश में और भी कई तरह की प्रॉब्लम है जिनकी वजह से लोकतंत्र प्रणाली में अवरोध पैदा होता है .

देश में शिक्षा की कमी है अगर लोगों को चुनावों के बारे में सही जानकारी हो कि चुनाव हमारे खुद के हितों के लिए होते हैं और उचित शिक्षा लोगों को लेने का अवसर मिले तो लोग जरूर ही अपने वोट को सही नेता को देंगे वह अपनी समझदारी के जरिए उसी को वोट देंगे जो वास्तव में काबिल है जो देश के हित में सोचता है .

एक और कारण लोकतंत्र प्रणाली में अवरुद्ध का हम गरीबी भी कह सकते हैं आज हम देखें तो लोग गरीब हैं उन्हें पैसों की जरूरत होती है और इसी का लाभ उठाकर राजनेता उन्हें पैसे देकर वोट खरीद लेते हैं लेकिन गरीब लोग यह नहीं समझते कि थोड़े से लालच की वजह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है वह तो बस पैसों के लिए किसी भी राजनेता को दे देते हैं हमें बिल्कुल भी ऐसा नहीं करना चाहिए .

कुछ लोगों का यह सोचना है कि हमारे वोट डालने से क्या होगा एक वोट डालने से क्या सरकार अच्छी या बुरी आ जाएगी उनकी यही सोच उन्हें वोट डालने नहीं देती और जिस अच्छे राजनेता को जीतना चाहिए वह ऐसी सोच वाले लोगों की वजह से नहीं जीत पाते.हमें पूरी ईमानदारी के साथ वोट डालना चाहिए क्योंकि अगर हम ही ऐसा सोचेंगे और हमारे जैसे और भी लोग इस तरह से सोचेंगे तो सोचिए देश का क्या होगा. हमें इस लोकतंत्र प्रणाली का उपयोग करना चाहिए और उसी को वोट डालना चाहिए जो वास्तव में काबिल है .

कुछ लोग ऐसे होते हैं जो अपने धर्म और समाज के व्यक्ति को वोट देते हैं लेकिन वास्तव में हमें किसी विशेष धर्म और समाज के लिए वोट ना देते हुए हमारे देश के अच्छे भविष्य के लिए किसी अच्छे राजनेता को वोट देना चाहिए.लोग सोचते हैं कि अगर हमारे समाज का कोई व्यक्ति जीतेगा तो हमारा विकास होगा हमें केवल चुनावों में एक अच्छे काबिल नेता को देखना चाहिए और उसे वोट देना चाहिए चाहे वह किसी भी धर्म या समाज का हो बस वह काबिल और अच्छा और सच्चा इंसान हो तो वह जरूर ही हमारे देश के लिए अच्छा साबित होगा. हमें हमारी सोच बदलनी चाहिए तभी देश में एक अच्छी सरकार आ सकती है ।

  • राज्य सभा का इतिहास Rajya sabha details, history in hindi
  • मेरा वोट मेरा अधिकार निबंध mera vote mera adhikar essay in hindi

दोस्तों अगर आपको हमारे द्वारा लिखा गया है ये आर्टिकल Loktantra aur chunav essay in hindi पसंद आए तो इसे अपने दोस्तों में शेयर करना ना भूले इसे शेयर जरूर करें और हमारा Facebook पेज लाइक करना ना भूलें और हमें कमेंटस के जरिए बताएं कि आपको हमारा यह आर्टिकल chunav ka mahatva essay in hindi  कैसा लगा जिससे नए नए आर्टिकल लिखने प्रति हमें प्रोत्साहन मिल सके और इसी तरह के नए-नए आर्टिकल को सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए हमें सब्सक्राइब जरूर करें जिससे हमारे द्वारा लिखी कोई भी पोस्ट आप पढना भूल ना पाए.

Related Posts

bharat ka loktantra essay in hindi

kamlesh kushwah

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Email Address: *

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

  • यात्रा वृत्तांत

Essay In Hindi- लोकतंत्र में मतदान का महत्व

लोकतंत्र में मतदान का महत्व पर निबंध

लोकतंत्र में मतदान का महत्व पर निबंध

 (the importance of voting in democracy : essay in hindi ), प्रस्तावना ( preface ) :-.

भारत एक लोकतांत्रिक देश है। लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश में जनता का महत्व होता है। जनता ही अपने नेता का चुनाव करती है और जनता अपने नेता का चुनाव मतदान के जरिए करती है।

इसलिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में Voting बेहद महत्वपूर्ण होता है। हर जागरुक नागरिक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह मतदान की प्रक्रिया में दिलचस्पी रखे और स्वेच्छा से अपने मताधिकार का प्रयोग करें, जिससे उसके प्रतिनिधि के रूप में सही नेता का चुनाव किया जा सके।

Democratic System के संरक्षण के लिए और पारदर्शी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शत प्रतिशत मतदान होना बेहद जरूरी है। इसी के जरिए लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होती हैं।

भारत में मतदान (Voting in India ):-

भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार प्राप्त है। Right To Vote हर भारतीय नागरिकों का एक वैधानिक अधिकार है। लेकिन भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में मतदान का प्रतिशत दिन-ब-दिन घटता जा रहा है।

लोगों के मन में मतदान को लेकर उदासीनता भी देखने को मिल रही है। जिससे प्रबुद्धजनों और राजनेता भी चिंतित हैं।

मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है क्योंकि यदि उदासीनता बढती गई तो लोकतांत्रिक मूल्यों का क्षरण होता जाएगा और भारत में Democratic System को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में मतदान का प्रतिशत दिन-ब-दिन घटता जा रहा है।

ऐसे तो फिर लोकतांत्रिक जीवन की समाप्ति हो जाएगी। सवाल कभी-कभी यह भी आता है कि क्या मतदान को अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए और जो लोग मतदान न करें उन्हें दंडित किया जाये?

लेकिन फिलहाल भारत में मतदान को कानूनी स्तर पर अनिवार्य नही बनाया गया है, लेकिन विश्व के अनेक देशों में मतदान को अनिवार्य कर दिया गया है।

मतदान में उदासीनता ( Apathy in voting ):-

भारत में मतदान को लेकर उदासीनता देखी जा रही है, जिसकी वजह कही न कही यह है कि हमारे नेता अपनी जनता की कसौटी पर खरे नही उतर रहे हैं।

जनता जो भी अपेक्षाएं अपने नेता से होती है वो उन पर खरे नही उतर पा रहे है। जिससे जन मानस के मन में सरकार के प्रति उदासीनता जन्म ले रही है।

आजादी के बाद जिस Democratic Prosperity और विकास की अपेक्षा की गई थी आज तक वहाँ पहुंचा नही जा सका है।

बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, गरीबी, भुखमरी, जातिवाद, क्षेत्रवाद, अपराध, आतंक जैसे जन समस्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि जनसाधारण इसमें फंस गया है और Democratic System से उसका विश्वास डगमगाने लगा है।

जनमानस को लगता है उनके अमूल्य मतदान का लोकतंत्र का कोई मतलब ही नही है। यही वजह है कि जनता मतदान के प्रति उदासीन हो रही है।

इससे व्यक्ति की लोक तांत्रिक स्वतंत्रता पर चिन्ह लग गया है। घटते मतदान से सवाल ये उठता है कि क्या मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए मतदान को कानूनी रूप से बाध्य कर दिया जाना चाहिए?

लेकिन सवाल यह भी है कि अगर ऐसा कर दिया जाता है तो भारत जैसे विशाल Democratic Country  में यह सारा शर्मनाक माना जाएगा।

वर्तमान राजनीतिक प्रदूषण के चलते मतदाता खुद को ठगा सा महसूस करता है। कानूनी बाध्यता के बाद स्थित में सकारात्मक बदलाव आएगा या नही यह भी महत्वपूर्ण है।

जनता द्वारा जो भी प्रतिनिधि चुने जा रहे हैं वह अपने मतदाता का विश्वास नही जीत पा रहे हैं न ही सदन में जनता के प्रति मर्यादा और जिम्मेदारी भरा आचरण कर रहे हैं।

जन-प्रतिनिधियों द्वारा किए जाने वाले गैर जिम्मेदाराना रवैये से ही मतदाताओं में व्यापक रूप से उदासीनता देखने को मिल रही है।

कम मतदान का कारण ( Reason Of Low Turnout ):-

कम मतदान होने के पीछे एक प्रमुख कारण अशिक्षा और जागरूकता की कमी भी है। मतदान के प्रति उदासीनता को दूर करने के लिए लोगों में जागरूकता को बढ़ाना बेहद जरूरी है।

लोगों को यह समझाना जरूरी है कि मतदान का महत्व क्या है और मतदान करना क्यों जरूरी है? लोकतंत्र को मजबूत बनाने में शत-प्रतिशत मतदान होना बेहद जरूरी है।

राजनीतिक स्थिरता, विकास और प्रगति के लिए मतदान करना हर नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए।

हमे मतदान करने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए इसके प्रचार-प्रसार की दिशा में काम करना होगा, साथ ही व्यवहारिक विधियों को भी प्रयोग में लाना होगा, जिससे पढ़े-लिखे लोग मतदान के महत्व को समझ सके और अशिक्षा को दूर करके बागी मतदान को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष (The conclusion) :-

आज Voting की अनिवार्यता के लिए एक प्रेरक माहौल बनाने की जरूरत है। इसके लिए किसी भी प्रकार की कानूनी बाध्यता की जरूरत नही है।

सकारात्मक सोच और प्रबल इच्छाशक्ति के जरिए जटिल से जटिल परिस्थितियों से उबरा जा सकता है।

जनता में विश्वास जगाकर और अच्छा Political Environment बनाकर मतदान प्रतिशत बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसके लिए साक्षरता को भी बढ़ाए जाने की जरूरत है।

लोकतंत्र तभी सम्भव होगा जब स्वेच्छा से मतदान किया जाये। कानूनी तौर से जोर जबस्ती करके मतदान करवाना एक तरह से लोकतंत्र का गला घोटने जैसी बात हो जाएगी।

लोकतंत्र की गरिमा इसी में है कि मतदान को लोकतांत्रिक पर्व के जैसा मनाया जाये और इसमें हर भारतीय बढ़-चढ़कर हिस्सा ले।

लेखिका :  अर्चना  यादव

यह भी पढ़ें :.

Essay in Hindi on freedom of expression | अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जिम्मेदारी पर निबंध

RELATED ARTICLES MORE FROM AUTHOR

हरियाली तीज उत्सव

हरियाली तीज उत्सव | Hariyali Teej Utsav

bharat ka loktantra essay in hindi

गुरु पूर्णिमा: एक श्रद्धांजलि गुरुओं के प्रति

bharat ka loktantra essay in hindi

समाज के नवनिर्माण में साहित्य की भूमिका

Leave a reply cancel reply.

Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.

 alt=

  • मासिक मैगज़ीन
  • इंटरव्यू गाइडेंस
  • ऑनलाइन कोर्स
  • कक्षा कार्यक्रम
  • दृष्टि वेब स्टोर
  • नोट्स की सूची
  • नोट्स बनाएँ
  • माय प्रोफाइल
  • माय बुकमार्क्स
  • माय प्रोग्रेस
  • पासवर्ड बदलें
  • संपादक की कलम से
  • नई वेबसाइट का लाभ कैसे उठाए?
  • डिस्टेंस लर्निंग प्रोग्राम
  • बिगनर्स के लिये सुझाव

एचीवर्स कॉर्नर

  • टॉपर्स कॉपी
  • टॉपर्स इंटरव्यू

हमारे बारे में

  • सामान्य परिचय
  • 'दृष्टि द विज़न' संस्थान
  • दृष्टि पब्लिकेशन
  • दृष्टि मीडिया
  • प्रबंध निदेशक
  • इंफ्रास्ट्रक्चर
  • प्रारंभिक परीक्षा
  • प्रिलिम्स विश्लेषण
  • 60 Steps To Prelims
  • प्रिलिम्स रिफ्रेशर प्रोग्राम 2020
  • डेली एडिटोरियल टेस्ट
  • डेली करेंट टेस्ट
  • साप्ताहिक रिवीज़न
  • एन. सी. ई. आर. टी. टेस्ट
  • आर्थिक सर्वेक्षण टेस्ट
  • सीसैट टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन टेस्ट
  • योजना एवं कुरुक्षेत्र टेस्ट
  • डाउन टू अर्थ टेस्ट
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी टेस्ट
  • सामान्य अध्ययन (प्रारंभिक परीक्षा)
  • सीसैट (प्रारंभिक परीक्षा)
  • मुख्य परीक्षा (वर्षवार)
  • मुख्य परीक्षा (विषयानुसार)
  • 2018 प्रारंभिक परीक्षा
  • टेस्ट सीरीज़ के लिये नामांकन
  • फ्री मॉक टेस्ट
  • मुख्य परीक्षा
  • मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न
  • निबंध उपयोगी उद्धरण
  • टॉपर्स के निबंध
  • साप्ताहिक निबंध प्रतियोगिता
  • सामान्य अध्ययन
  • हिंदी साहित्य
  • दर्शनशास्त्र
  • हिंदी अनिवार्य
  • Be Mains Ready
  • 'AWAKE' : मुख्य परीक्षा-2020
  • ऑल इंडिया टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.एस.सी.)
  • मेन्स टेस्ट सीरीज़ (यू.पी.)
  • उत्तर प्रदेश
  • मध्य प्रदेश

टेस्ट सीरीज़

  • UPSC प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPSC मेन्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS प्रिलिम्स टेस्ट सीरीज़
  • UPPCS मेन्स टेस्ट सीरीज़

करेंट अफेयर्स

  • डेली न्यूज़, एडिटोरियल और प्रिलिम्स फैक्ट
  • डेली अपडेट्स के लिये सबस्क्राइब करें
  • संसद टीवी संवाद
  • आर्थिक सर्वेक्षण

दृष्टि स्पेशल्स

  • चर्चित मुद्दे
  • महत्त्वपूर्ण संस्थान/संगठन
  • मैप के माध्यम से अध्ययन
  • महत्त्वपूर्ण रिपोर्ट्स की जिस्ट
  • पीआरएस कैप्सूल्स
  • एनसीईआरटी बुक्स
  • एनआईओएस स्टडी मैटिरियल
  • इग्नू स्टडी मैटिरियल
  • योजना और कुरुक्षेत्र
  • इन्फोग्राफिक्स
  • मासिक करेंट अपडेट्स संग्रह

वीडियो सेक्शन

  • मेन्स (जी.एस.) डिस्कशन
  • मेन्स (ओप्शनल) डिस्कशन
  • करेंट न्यूज़ बुलेटिन
  • मॉक इंटरव्यू
  • टॉपर्स व्यू
  • सरकारी योजनाएँ
  • ऑडियो आर्टिकल्स
  • उत्तर लेखन की रणनीति
  • कॉन्सेप्ट टॉक : डॉ. विकास दिव्यकीर्ति
  • दृष्टि आईएएस के बारे में जानें

सिविल सेवा परीक्षा

  • परीक्षा का प्रारूप
  • सिविल सेवा ही क्यों?
  • सिविल सेवा परीक्षा के विषय में मिथक
  • वैकल्पिक विषय
  • परीक्षा विज्ञप्ति

भारतीय समाज

Make Your Note

समाज में मीडिया की भूमिका

  • 16 May 2020

लोकतांत्रिक देशों में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिये मीडिया को ‘‘चौथे स्तंभ’’ के रूप में जाना जाता है। 18वीं शताब्दी के बाद से, खासकर अमेरिकी स्वतंत्रता आंदोलन और फ्राँसीसी क्रांति के समय से जनता तक पहुँचने और उसे जागरूक कर सक्षम बनाने में मीडिया ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मीडिया अगर सकारात्मक भूमिका अदा करें तो किसी भी व्यक्ति, संस्था, समूह और देश को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक रूप से समृद्ध बनाया जा सकता है।

वर्तमान समय में मीडिया की उपयोगिता, महत्त्व एवं भूमिका निरंतर बढ़ती जा रही है। कोई भी समाज, सरकार, वर्ग, संस्था, समूह व्यक्ति मीडिया की उपेक्षा कर आगे नहीं बढ़ सकता। आज के जीवन में मीडिया एक अपरिहार्य आवश्यकता बन गया है। अगर हम देखें कि समाज किसे कहते हैं तो यह तथ्य सामने आता है कि लोगों की भीड़ या असंबंद्घ मनुष्य को हम समाज नहीं कह सकते हैं। समाज का अर्थ होता है संबंधों का परस्पर ताना-बाना, जिसमें विवेकवान और विचारशील मनुष्यों वाले समुदायों का अस्तित्व होता है।

मीडिया एक समग्र तंत्र है जिसमें प्रिंटिंग प्रेस, पत्रकार, इलेक्ट्रॉनिक माध्यम, रेडियों, सिनेमा, इंटरनेट आदि सूचना के माध्यम सम्मिलित होते हैं। अगर समाज में मीडिया की भूमिका की बात करें तो इसका तात्पर्य यह हुआ कि समाज में मीडिया प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से क्या योगदान दे रहा है एवं उसके उत्तरदायित्वों के निर्वहन के दौरान समाज पर उसका क्या सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में काफी अभिवृद्धि हुई है लेकिन साथ-साथ इसके नकारात्मक प्रभाव भी उभर कर सामने आए हैं।

मीडिया ने जहाँ जनता को निर्भीकता पूर्वक जागरूक करने, भ्रष्टाचार को उजागर करने, सत्ता पर तार्किक नियंत्रण एवं जनहित कार्यों की अभिवृद्धि में योगदान दिया है, वहीं लालच, भय, द्वेष, स्पर्द्धा, दुर्भावना एवं राजनैतिक कुचक्र के जाल में फंसकर अपनी भूमिका को कलंकित भी किया है। व्यक्तिगत या संस्थागत निहित स्वार्थों के लिये यलो जर्नलिज़्म को अपनाना, ब्लैकमेल द्वारा दूसरों का शोषण करना, चटपटी खबरों को तवज्जों देना और खबरों को तोड़-मरोड़कर पेश करना, दंगे भड़काने वाली खबरे प्रकाशित करना, घटनाओं एवं कथनों को द्विअर्थी रूप प्रदान करना, भय या लालच में सत्तारूढ़ दल की चापलूसी करना, अनावश्यक रूप से किसी की प्रशंसा और महिमामंडन करना और किसी दूसरे की आलोचना करना जैसे अनेक अनुचित कार्य आजकल मीडिया द्वारा किये जा रहे हैं। दुर्घटना एवं संवेदनशील मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना, ईमानदारी, नैतिकता, कर्त्तव्यनिष्ठा और साहस से’ संबंधित खबरों को नजरअंदाज करना आजकल मीडिया का एक सामान्य लक्षण हो गया है। मीडिया के इस व्यवहार से समाज में अव्यवस्था और असंतुलन की स्थिति पैदा होती है।

प्रिंट मीडिया और टी.वी. एवं सिनेमा के माध्यम से पश्चिमी संस्कृति का आगमन और प्रसार हो रहा है जिससे समाज में अनावश्यक फैशन, अश्लीलता, चोरी, गुंडागर्दी जैसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। इस पतन के कारण युवा पीढ़ी भी पतन के गर्त में धँसती जा रही है।

इंटरनेट के माध्यम से असामाजिक क्रियाकलाप युवाओं तक पहुंच रहे है जिससे उनमें नैतिकता, संस्कृति और सभ्यता की लगातार कमी आती जा रही है। इन सबको देखते हुए मीडिया की भूमिका पर चर्चा करना आज आवश्यक हो गया है।

press

मीडिया की भूमिका यथार्थ सूचना प्रदायक एजेंसी के रूप में होनी चाहिये। मीडिया द्वारा समाज को संपूर्ण विश्व में होने वाली घटनाओं की जानकारी मिलती है। इसलिये मीडिया का यह प्रयास होना चाहिये कि ये जानकारियाँ यथार्थपरक हो। सूचनाओं को तोड़-मरोड़कर या दूषित कर प्रस्तुत करने का प्रयास नहीं होना चाहिये। समाज के हित एवं जानकारी के लिये सूचनाओं को यथावत एवं विशुद्ध रूप में जनता के समक्ष पेश करना चाहिये। मीडिया का प्रस्तुतीकरण ऐसा होना चाहिये जो समाज का मार्गदर्शन कर सके। खबरों और घटनाओं का प्रस्तुतीकरण इस प्रकार हो जिससे जनता का मागदर्शन हो सके। उत्तम लेख, संपादकीय, ज्ञानवर्द्घक सूचनाएँ, श्रेष्ठ मनोरंजन आदि सामग्रियों का खबरों में समावेशन होना चाहिये तभी समाज को सही दिशा प्रदान की जा सकेगी।   

मीडिया समाज को अनेक प्रकार से नेतृत्व प्रदान करता है। इससे समाज की विचारधारा प्रभावित होती है। मीडिया को प्रेरक की भूमिका में भी उपस्थित होना चाहिये जिससे समाज एवं सरकारों को प्रेरणा व मार्गदर्शन प्राप्त हो। मीडिया समाज के विभिन्न वर्गों के हितों का रक्षक भी होता है। वह समाज की नीति, परंपराओं, मान्यताओं तथा सभ्यता एवं संस्कृति के प्रहरी के रूप में भी भूमिका निभाता है। पूरे विश्व में घटित विभिन्न घटनाओं की जानकारी समाज के विभिन्न वर्गों को मीडिया के माध्यम से ही मिलती है। अत: उसे सूचनाएँ निष्पक्ष रूप से सही परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत करनी चाहिये।

मीडिया अपनी खबरों द्वारा समाज के असंतुलन एवं संतुलन में भी बड़ी भूमिका निभाता है। मीडिया अपनी भूमिका द्वारा समाज में शांति, सौहार्द, समरसता और सौजन्य की भावना विकसित कर सकता है। सामाजिक तनाव, संघर्ष, मतभेद, युद्ध एवं दंगों के समय मीडिया को बहुत ही संयमित तरीके से कार्य करना चाहिये। राष्ट्र के प्रति भक्ति एवं एकता की भावना को उभरने में भी मीडिया की अहम भूमिका होती है। शहीदों के सम्मान में प्रेरक उत्साहवर्द्धक खबरों के प्रसारण में मीडिया को बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिये। मीडिया विभिन्न सामाजिक कार्यों द्वारा समाज सेवक की भूमिका भी निभा सकता है। भूकंप, बाढ़ या अन्य प्राकृतिक या मानवकृत आपदाओं के समय जनसहयोग उपलब्ध कराकर मानवता की बहुत बड़ी सेवा कर सकता है। मीडिया को सद्प्रवृत्तियों के अभिवर्द्धन हेतु भी आगे आना चाहिये।

मीडिया की बहुआयामी भूमिका को देखते हुए कहा जा सकता है कि मीडिया आज विनाशक एवं हितैषी दोनों भूमिकाओं में सामने आया है। अब समय आ गया है कि मीडिया अपनी शक्ति का सदुपयोग जनहित में करे और समाज का मागदर्शन करे ताकि वह भविष्य में भस्मासुर न बन सके।

bharat ka loktantra essay in hindi

bharat ka loktantra essay in hindi

45,000+ students realised their study abroad dream with us. Take the first step today

Here’s your new year gift, one app for all your, study abroad needs, start your journey, track your progress, grow with the community and so much more.

bharat ka loktantra essay in hindi

Verification Code

An OTP has been sent to your registered mobile no. Please verify

bharat ka loktantra essay in hindi

Thanks for your comment !

Our team will review it before it's shown to our readers.

bharat ka loktantra essay in hindi

  • General Knowledge /

Today’s Current Affairs in Hindi | 07 अगस्त 2024 (हिंदी करंट अफेयर्स)

bharat ka loktantra essay in hindi

  • Updated on  
  • अगस्त 7, 2024

Today’s Current Affairs in Hindi 07 August 2024

यहां प्रमुख एग्जाम की तैयारी के लिए 07 अगस्त के current affairs today in hindi की महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। जिसके माध्यम से आप अपनी एग्जाम की तैयारी के लिए डेली करंट अफेयर्स के बारे में जान सकते हैं। करंट अफेयर्स की जानकारी से हमें न केवल अपने समाज कि बल्कि देश और दुनिया में हो रही सभी महत्वपूर्ण गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलती है। इसके साथ ही भारत की सभी प्रमुख परीक्षाओं में भी करंट अफेयर्स से संबंधित प्रश्न जरूर पूछे जाते हैं।

  • भारत में प्रतिवर्ष 07 अगस्त को ‘ राष्ट्रीय हथकरधा दिवस ’ (National Handloom Day) मनाया जाता है।
  • केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली में ‘ वैश्विक मेडटेक सम्‍मेलन-2024’ को संबोधित किया है। 
  • नोबेल विजेता ‘ मोहम्मद यूनुस’ (Muhammad Yunus) काे बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का नेता चुना गया है। 
  • ‘गति शक्ति विश्वविद्यालय’ ने एयरबस के सहयोग से नई दिल्ली में विमानन क्षेत्र के लिए अपना पहला कार्यकारी प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया है। 
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ 07 अगस्त को 10वें राष्ट्रीय हथकरघा दिवस पर बुनकरों को संत कबीर और ‘राष्ट्रीय हथकरघा पुरस्कार’ प्रदान करेंगे। 
  • भारत की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में पिछले दस वर्षों में ‘ 165 प्रतिशत’ की वृद्धि दर्ज की गई है। 
  • बांग्लादेश में ‘मेजर जनरल जियाउल अहसन’ को उनके पद से मुक्त कर दिया गया है। 
  • 2024 फॉर्च्यून ग्लोबल 500 सूची में ‘ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ शीर्ष रैंक प्राप्त करने वाली भारतीय कंपनी बन गई है।
  • भारत 6 से 8 अगस्त तक नई दिल्ली में प्रथम ‘ बिम्सटेक व्यापार शिखर सम्मेलन’ की मेजबानी करेगा। 
  • पेरिस ओलंपिक में पचास किलोग्राम फ्री स्टाइल महिला कुश्ती में ‘ विनेश फोगाट’ ने सेमीफाइनल में क्वालीफाई किया है। 

यह भी पढ़ें –  1925 में आज ही के दिन प्रसिद्ध भारतीय कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन का हुआ था जन्म 

07 अगस्त 2024 डेली करेंट अफेयर्स क्विज 

यहां डेली के कुछ प्रमुख क्विज क्वेशन की सूची आपकी परीक्षा की तैयारी के लिए दी जा रही हैं:-

1. फिजी के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘कंपेनियन ऑफ द ऑर्डर ऑफ फिजी’ से किसे सम्मानित किया गया है?

(A) द्रौपदी मुर्मु (B) जगदीप धनखड़ (C) डॉ. अमिता बिरला (D) नरेंद्र मोदी उत्तर- द्रौपदी मुर्मु

2. भारत ने पहले बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास ‘तरंग शक्ति 2024’ की मेजबानी किस राज्य से की है?

(A) पंजाब   (B) राजस्थान (C) तमिलनाडु (D) छत्तीसगढ़ उत्तर- तमिलनाडु  

3. भोटो जात्रा समारोह किस देश में संपन्न हुआ है?

(A) भूटान    (B) नेपाल  (C) अफगानिस्तान  (D) श्रीलंका उत्तर- नेपाल  

4. केंद्र सरकार ने किस राज्य के आदिचुंचनगिरी को मोर अभयारण्य घोषित किया है?

(A) तमिलनाडु  (B) आंध्र प्रदेश (C) तेलंगाना   (D) कर्नाटक  उत्तर- कर्नाटक  

5. वर्ष 2014 के बाद से विभिन्न देशों से कितनी भारतीय कलाकृतियों को स्वदेश वापस लाया गया है? 

(A) 300  (B) 345  (C) 380  (D) 402  उत्तर- 345

यह भी पढ़ें – हिंदी करंट अफेयर्स 2024 

परीक्षा से संबंधित डेली करेंट अफेयर्स के बारे में अधिक जानकारी के लिए Leverage Edu के साथ बने रहें।

' src=

Leverage Edu स्टडी अब्रॉड प्लेटफार्म में बतौर एसोसिएट कंटेंट राइटर के तौर पर कार्यरत हैं। नीरज को स्टडी अब्रॉड प्लेटफाॅर्म और स्टोरी राइटिंग में 2 वर्ष से अधिक का अनुभव है। वह पूर्व में upGrad Campus, Neend App और ThisDay App में कंटेंट डेवलपर और कंटेंट राइटर रह चुके हैं। उन्होंने दिल्ली विश्वविधालय से बौद्ध अध्ययन और चौधरी चरण सिंह विश्वविधालय से हिंदी में मास्टर डिग्री कंप्लीट की है।

प्रातिक्रिया दे जवाब रद्द करें

अगली बार जब मैं टिप्पणी करूँ, तो इस ब्राउज़र में मेरा नाम, ईमेल और वेबसाइट सहेजें।

Contact no. *

browse success stories

Leaving already?

8 Universities with higher ROI than IITs and IIMs

Grab this one-time opportunity to download this ebook

Connect With Us

45,000+ students realised their study abroad dream with us. take the first step today..

bharat ka loktantra essay in hindi

Resend OTP in

bharat ka loktantra essay in hindi

Need help with?

Study abroad.

UK, Canada, US & More

IELTS, GRE, GMAT & More

Scholarship, Loans & Forex

Country Preference

New Zealand

Which English test are you planning to take?

Which academic test are you planning to take.

Not Sure yet

When are you planning to take the exam?

Already booked my exam slot

Within 2 Months

Want to learn about the test

Which Degree do you wish to pursue?

When do you want to start studying abroad.

September 2024

January 2025

What is your budget to study abroad?

bharat ka loktantra essay in hindi

How would you describe this article ?

Please rate this article

We would like to hear more.

VIDEO

  1. सम्राट अशोक की जीवनी हिंदी भाषा में

  2. लालबहादुर शास्त्री पर निबंध हिंदी में

  3. एक भारत श्रेष्ठ भारत पर निबंध / essay on ek bharat shresth bharat

  4. bharat mein loktantra ya murkhtantra.... भारत में लोकतंत्र है या मूर्खतंत्र

  5. धरती हमारी नहीं‚ हम धरती के हैं पर निबंध |heartfulness Essay event 2023

  6. लाल बहादुर शास्त्री पर 5 लाइन निबंध // 5 Lines essay on Lal Bahadur Shastri in hindi

COMMENTS

  1. भारत में लोकतंत्र पर निबंध (Democracy in India Essay in Hindi)

    Bharat me Loktantra par Nibandh Hindi mein. ... (Long and Short Essay on Democracy in India in Hindi, Bharat me Loktantra par Nibandh Hindi mein) भारत में लोकतंत्र पर निबंध - 1 (250 300 शब्द) - Loktantra par Nibandh.

  2. भारत में लोकतंत्र का भविष्‍य तथा चुनौतियां पर निबंध

    भारत में लोकतंत्र की जड़ें ईसा से तीन हजार वर्ष पूर्व वैदिक काल में दिखाई देती हैं। प्रतिनिधिक संस्‍थाओं और सिद्धांतों का प्रथम निरूपण ऋग्‍वेद व ...

  3. लोकतंत्र पर निबंध

    लोकतंत्र पर निबंध - Loktantra par Nibandh (250 words) लोकतंत्र प्राचीन काल से ही भारत एवं यूरोप जैसे कई देशों में विध्यमान है। पिछले दो हज़ार वर्षों से ...

  4. लोकतंत्र पर निबंध

    Democracy in India लोकतंत्र - जनतंत्र - प्रजातंत्र दो शब्द से मिलकर बनता है। लोक और तंत्र। जन और तंत्र। प्रजा और तंत्र। लोक का अर्थ जनता और तंत्र का अर्थ शासन

  5. भारत में लोकतंत्र, उद्देश्य एवं उपलब्धियां...

    हंटिगटन के अनुसार लोकतंत्र को 3 आधारों पर समझा जा सकता है- (i) शासकीय सत्ता का एक साधन, (ii) सरकार के उद्देश्य, (iii) सरकार को चुनने की प्रक्रिया के रूप में ...

  6. लोकतंत्र क्या है: अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं, अवधारणा, गुण, दोष

    लोकतंत्र क्या है? loktantra kya hai का जवाब जानने से पहले आपको इसके इतिहास के बारे में जान लेना चाहिए। इसके इतिहास पर प्रकाश डाला जाए तो अरस्तू ने प्रजातंत्र को एक ...

  7. भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ एवं समस्‍याएँ

    भारतीय लोकतंत्र की चुनौतियाँ एवं समस्‍याएँ - UPSC Essays. डा. ई स्मिथ के शब्‍दों में "सम्‍प्रदायिकता को आमतौर पर किसी धार्मिक समूह के स् ...

  8. Hindi Essay on "Bharat me Loktantrata ki Sarthakta ...

    Hindi Essay on "Bharat me Loktantrata ki Sarthakta", "भारत में लोकतंत्र की सार्थकता" Complete Hindi Anuched for Class 8, 9, 10, Class 12 and Graduation ... Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Loktantra aur Chunav", ...

  9. लोकतंत्र

    लोकतन्त्र या प्रजातन्त्र एक ऐसी शासन प्रणाली है, जिसके ...

  10. पर्सपेक्टिव: भारत: लोकतंत्र की जननी

    हाल ही में संसद 20 (Parliament-20) शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में आयोजित किया गया। यह G20 देशों के संसदीय वक्ताओं के नेतृत्व वाला एक सहभागिता समूह है। इसका उद्देश्य

  11. Hindi Essay on "Loktantra aur Chunav", "लोकतंत्र और चुनाव", for Class

    Loktantra Aur Chunav. Essay # 2. लोकतंत्र में 'लोक' का महत्त्व • जनता की आवाज़ : चुने हुए प्रतिनिधि • प्रतिनिधि चुनने से लोकतंत्र की रक्षा • सही प्रतिनिधि कैसे चुनें।

  12. लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध » हिंदी निबंध, Nibandh

    #सम्बंधित:- Hindi Essay, Hindi paragraph, हिंदी निबंध।। मेरा मतदान हिंदी निबंध; नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध; डॉ भीमराव आंबेडकर पर निबंध

  13. लोकतंत्र क्या है

    लोकतंत्र (Democracy) क्या है (लोकतंत्र की परिभाषा) लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार प्राप्त होता है। यह समाज ...

  14. भारत में लोकतंत्र पर निबंध । Essay on Democracy in Hindi । Loktantra

    भारत में लोकतंत्र पर निबंध । Essay on Democracy in Hindi, Loktantra par Nibandh Hindi mein, Essay on Democracy in Hindi in 250, 300 words for school ...

  15. Hindi Essay, Nibandh on "Bharat Me Loktantra", "भारत में लोकतंत्र

    Home » Hindi Essay » Hindi Essay, Nibandh on "Bharat Me Loktantra", "भारत में लोकतंत्र" Hindi Paragraph, ... Hindi Essay on "Samay ka Sadupyog", "समय का सदुपयोग" Hindi Paragraph, Speech, Nibandh for Class 6, 7...

  16. Loktantra me Chunavo ka Mahatva "लोकतंत्र में चुनावों का महत्त्व" Hindi

    Loktantra me Chunavo ka Mahatva "लोकतंत्र में चुनावों का महत्त्व" Hindi Essay, Best Essay, Paragraph, Anuched for Class 8, 9, 10, 12 Students. ... Hindi Essay on "Bharat ke Rashtriya Parv", "भारत के राष्ट्रीय पर्व", for Class 10, Class 12 ,B.A ...

  17. Hindi Essay on "Loktantra aur Chunav", "लोकतन्त्र और चुनाव ", for Class

    Hindi Essay on "Loktantra aur Chunav", "लोकतन्त्र और चुनाव ", for Class 10, Class 12 ,B.A Students and Competitive Examinations. ... Hindi Essay, English Essay, Punjabi Essay, Biography, General Knowledge, Ielts Essay, Social Issues Essay, Letter Writing in Hindi, English and Punjabi, Moral Stories in ...

  18. Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Bharat me Loktantra ka Bhavishya

    Home » Languages » Hindi (Sr. Secondary) » Hindi Essay, Paragraph, Speech on "Bharat me Loktantra ka Bhavishya" , "भारत में लोकतंत्र का भविष्य" Complete Essay for Class 10, Class 12 and Graduation Classes.

  19. भारत लोकतंत्र की जननी है

    देश में लोकतंत्र की दिशा-दशा पर जारी विमर्श के मध्य यह जानना आवश्यक है कि भारत न केवल विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, अपितु वह लोकतंत्र ...

  20. लोकतंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका

    लोकतंत्र पर सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव. राजनीतिक ध्रुवीकरण: सोशल मीडिया की सबसे आम आलोचनाओं में से एक यह है कि यह 'ईको चेंबर' (Echo ...

  21. लोकतंत्र पर निबंध Loktantra aur chunav essay in hindi

    Loktantra aur chunav nibandh in hindi chunav ka mahatva essay in hindi-दोस्तों कैसे हैं आप सभी, आज का हमारा आर्टिकल लोकतंत्र और चुनाव पर निबंध आप सभी के लिए बहुत ही हेल्पफुल है. बच्चों की स्कूल ...

  22. Essay In Hindi- लोकतंत्र में मतदान का महत्व

    लोगों को यह समझाना जरूरी है कि मतदान का महत्व क्या है और मतदान करना क्यों जरूरी है? लोकतंत्र को मजबूत बनाने में शत-प्रतिशत मतदान होना ...

  23. समाज में मीडिया की भूमिका

    प्रभाव पर गौर करने पर स्पष्ट होता है कि मीडिया की समाज में शक्ति, महत्ता एवं उपयोगिकता में वृद्धि से इसके सकारात्मक प्रभावों में ...

  24. Today's Current Affairs in Hindi

    यहां प्रमुख एग्जाम की तैयारी के लिए 07 अगस्त के current affairs today in hindi की महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है। जिसके माध्यम से आप अपनी एग्जाम की तैयारी के लिए डेली करंट ...