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NEP 2020 Highlights: नई शिक्षा नीति 2020 से स्कूल और उच्च शिक्षा में क्या बदलाव होंगे जानिए

New education policy 2020 highlights pdf download: भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 (nep 2020) को मंजूरी दे दी है।.

New Education Policy 2020 Highlights PDF Download: भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 ( NEP 2020 ) को मंजूरी दे दी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 से छात्रों और शिक्षाविदों के साथ साथ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। नई शिक्षा नीति 2020 में कब लागू होगी ? इस बारे में शिक्षा मंत्रालय ने कोई तिथि निर्धारित नहीं की है। नई शिक्षा नीति 2020 5 + 3 + 3 + 4 के मॉडल पर आधारित की गई है। अब कई लोगों को यह समझ नहीं आ रहा है कि 5 + 3 + 3 + 4 मॉडल क्या है ? तो इस बारे में हम आपको विस्तार से आसान भाषा में 5 + 3 + 3 + 4 मॉडल के बारे में समझाएंगे। इसके साथ ही नई शिक्षा नीति 2020 का प्रारूप/ड्राफ्ट के बारे में यूजीसी सचिव, प्रो रजनीश जैन ने नई शिक्षा नीति 2020 क्या है ? नई शिक्षा नीति के फायदे क्या हैं और नई शिक्षा नीति से रोजगार कैसे विकसित होगा ? इसपर विस्तार से नई शिक्षा नीति 2020 की व्याख्या की है। नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट/प्रारूप/मसौदा और नई शिक्षा नीति 2020 pdf in hindi भी डाउनलोड करें...

NEP 2020 Highlights: नई शिक्षा नीति 2020 से स्कूल और उच्च शिक्षा में क्या बदलाव होंगे जानिए

नई शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट व उद्देश्य केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और मानव संसाधन विकास रमेश पोखरियाल ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ( NEP 2020) की घोषणा की। इससे पहले 1 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई शिक्षा नीति 2020 की समीक्षा की थी, जिसके लिए पूर्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ( ISRO ) के प्रमुख के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में विशेषज्ञों के एक पैनल द्वारा मसौदा तैयार किया गया था। नई शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य व लक्ष्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति" बनाना है। कोरोनावायरस महामारी के कारण इस वर्ष नया शैक्षणिक सत्र 2020-21 सितंबर-अक्टूबर में शुरू होगा। आइये जानते हैं नई शिक्षा नीति के बारे में विस्तार से...

New Education Policy 2020 PDF (NEP 2020 PDF) In Hindi Download

New National Education Policy 2020 Breifing Live Updates

नई शिक्षा नीति 2020 में वोकेशनल स्टडीज हाल ही में यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन, यूजीसी के सचिव, प्रो रजनीश जैन ने कहा कि उच्च शिक्षा के रोजगार के पहलू के लिए बहुत सारे साम्राज्य दिए गए हैं। उन्होंने एनईपी 2020 की शुरुआत के माध्यम से उच्च शिक्षा क्षेत्र में किए गए महत्वपूर्ण परिवर्तनों पर भी प्रकाश डाला। उनका यह भी मानना ​​है कि शिक्षा नीति देश के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण तरीका है। जैसा कि आप जानते हैं, पहले से ही बैचलर ऑफ वोकेशनल स्टडीज़ हैं। इस प्रकार के कोर्स 'बैचलर ऑफ वोकेशन' प्रोग्राम के तहत पहले से ही पेश किए जाते हैं। रोजगार के महत्व को ध्यान में रखते हुए, अन्य सभी सामान्य शिक्षा पाठ्यक्रमों में इंटर्नशिप के संदर्भ में व्यावसायिक प्रशिक्षण को स्नातक स्तर पर एकीकृत किया जाएगा।

नई शिक्षा नीति 2020 से रोजगार उन्होंने बताया कि पहले साल से स्नातक स्तर के एकीकरण, डिग्री पाठ्यक्रमों के साथ द्वितीय वर्ष के व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में किसी भी स्नातक छात्र के रोजगार में वृद्धि हो सकती है। उसके अनुसार एनईपी 2020 में महान संस्थागत सुधार, अकादमिक सुधार और साथ ही कई व्यावसायिक शिक्षा सुधार शामिल होंगे, क्योंकि यह विशेष रूप से उनके बारे में बात करता है। इस प्रकार की शिक्षा प्रणाली से भारतीय ज्ञान प्रणाली, भाषा, कला और संस्कृति का एकीकरण एक स्कूली पाठ्यक्रम में हो जाएगा।

नई शिक्षा नीति 2020 कोर्स पर फोकस उन्होंने कहा कि यह अनुसंधान पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह सभी महत्वपूर्ण आयामों में जोर दे रहा है जो शिक्षाविदों का हिस्सा है, जो छात्र जीवन का हिस्सा है, जो संकाय का हिस्सा है और जो संस्थान का हिस्सा है। वह पाठ्यक्रमों की अवधि के भीतर लचीलेपन को बढ़ावा देने वाली नीति भी पाता है क्योंकि अब स्टडनेट्स के लिए उपलब्ध डिग्री विकल्पों के प्रकार में कई बदलाव हुए हैं।

नई शिक्षा नीति 2020 का मसौदा हाल ही में इसी तरह के विचार एनईपी, कस्तूरीरंगन के मसौदे के प्रमुख द्वारा दिए गए थे। उनके अनुसार, NEP 2020 की शुरुआत के बाद रोजगार में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि ये सभी 21 वीं सदी के कौशल को विकसित करने का हिस्सा हैं, क्योंकि शिक्षा युवाओं को इस प्रकार की चीजों को एम्बेड करती है, जो सम्मान के साथ होती हैं। 21 वीं सदी में जरूरत है जो संचार, रचनात्मकता, समस्या को सुलझाने और उस प्रकार की चीजों की है।

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NEP 2020: आसान भाषा और इन 10 सवालों के जरिए समझें नई शिक्षा नीति 

New Education Policy 2020  All you need to know about NEP in Details

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#4.सवाल: जो बच्चे अभी नर्सरी में हैं, उनको क्या करना है? उत्तर: जो बच्चे अभी नर्सरी में हैं, जरूर उनके अभिभावकों को 5+3+3+4 फॉर्मूला समझने में मुश्किल हो रही होगी। पहले यह बता दें कि अभी नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन नहीं हुआ है। इसलिए, सारे बदलाव इसके क्रियान्वयन के बाद होंगे। अभी जैसे चल रहा है, उसी तरह से चलेगा। लेकिन इसके लागू होने के बाद प्ले स्कूल के शुरुआती साल भी अब स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे। यह सबसे अहम बदलाव है। अब बच्चे 6 साल की जगह 3 साल की उम्र में फ़ॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। अभी तक 6 साल की उम्र में बच्चे पहली क्लास मे जाते थे, नई शिक्षा नीति लागू होने पर भी 6 साल में बच्चा पहली क्लास में ही होगा। पर पहले के 3 साल भी फॉर्मल शिक्षा वाले होंगे। यानी कि प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी स्कूली शिक्षा में जुड़ेंगे।

5#.सवाल:  जो अगले साल कॉलेज जाएंगे उनके लिए क्या? उत्तर:   नई शिक्षा नीति में   उच्च शिक्षा में कई अहम बदलाव किए गए हैं। लेकिन ये बदलाव कब से लागू होंगे इसे लेकर अभी कोई जानकारी नहीं दी गई है। बारहवीं के बाद अभी जो विद्यार्थी कॉलेज जाएंगे, ऐसे में संभव है कि वो विद्यार्थी पुराने स्नातक और स्नातकोत्तर  पाठ्यक्रम के हिसाब से ही दाखिला पाएंगे। दरअसल, नई शिक्षा नीति के हिसाब से अब ग्रेजुएशन में छात्र चार साल का कोर्स पढ़ेगें, जिसमें बीच में कोर्स को छोड़ने की गुंजाइश भी दी गई है। छात्र अगर कोर्स बीच में ही छोड़ देते हैं, तो उनको ड्रापआउट घोषित नहीं किया जाएगा।  

New Education Policy 2020  All you need to know about NEP in Details

5.# सवाल: उच्च शिक्षा में नई शिक्षा नीति में क्या अहम बदलाव हुए हैं? विस्तार से बताएं। उत्तर: नई शिक्षा नीति में छात्र स्नातक में चार साल का पाठ्यक्रम पढ़ेंगे। इसमें भी विकल्प दिया गया है। जो विद्यार्थी ग्रेजुएशन के बाद नौकरी करना चाहते हैं एवं हायर एजुकेशन में नहीं जाना चाहते, उनके लिए तीन साल की डिग्री रखी गई है। वहीं, शोध में जाने वाले विद्यार्थियों के लिए चार साल की डिग्री रखी गई है। चार साल की डिग्री करने वाले विद्यार्थी एक साल में स्नातकोत्तर कर पाएंगे। अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग कोर्स को दो साल में ही छोड़ देता है, तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। पांच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा। अगर चार साल के डिग्री कोर्स में कोई विद्यार्थी पहले साल में ही कॉलेज छोड़ देता है, तो उसे सर्टिफिकेट मिलेगा। जबकि दूसरे साल के बाद एडवांस सर्टिफिकेट और तीसरे साल के बाद छोड़ने पर डिग्री मिलेगी। अगर विद्यार्थी पूरे चार साल पढ़ेगा तो चार साल बाद की डिग्री उसे शोध के साथ मिलेगी। इसी तरह से  पोस्ट ग्रेजुएट में तीन तरह के विकल्प होंगे। जिन्होंने तीन साल का डिग्री कोर्स किया है उनके लिए दो साल का मास्टर्स होगा। दूसरा- चार साल के डिग्री कोर्स करने वाले विद्यार्थियों के लिए एक साल का एमए होगा। तीसरा- पांच साल का इंटिग्रेडेट प्रोग्राम होगा जिसमें स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों एक साथ हो जाए।

6.# सवाल: नई शिक्षा नीति में एमफिल और पीएचडी के लिए क्या प्रावधान हैं? उत्तर- नई शिक्षा नीति में एमफिल को खत्म कर दिया गया है।अब पीएचडी के लिए चार साल की डिग्री शोध के साथ अनिवार्य होगी। 7.# सवाल: 5+3+3+4 फॉर्मेंट क्या है? उत्तर:   नई शिक्षा नीति में 10+2 की जगह सरकार  5+3+3+4 का फॉर्मूला लाई है। इसमें 5 का अर्थ है कि तीन साल प्री-स्कूल के और उसके बाद के दो साल पहली और दूसरी कक्षा के। 3 का अर्थ है- तीसरी, चौथी और पांचवी कक्षा। इसके बाद के 3 का अर्थ है- छठी, सांतवीं और आठवीं कक्षा। आखिर वाले 4 का अर्थ है- नौवीं, दसवीं, ग्यारहवीं और बारहवीं कक्षा। यानी बच्चे अब तीन साल की उम्र में फॉर्मल स्कूल में जाने लगेंगे। छह साल की उम्र में बच्चा पहले की तरह की पहली कक्षा में होगा। दरअसल, नई व्यवस्था में प्ले-स्कूल के शुरुआती साल भी स्कूली शिक्षा में जोड़े गए हैं।

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8.#सवाल: 2030 तक हर जिले में उच्च शिक्षण संस्थान और नेशनल रिसर्च फाउंडेशन क्या है? उत्तर: नई शिक्षा नीति में शोध के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन स्थापित करने की बात कही गई है। उच्च शिक्षण संस्थानों को बहु विषयक संस्थानों में बदला जाएगा। 2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा। ऑनलाइन शिक्षा के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में कंटेट तैयार होगा, वर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी, स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को डिजिट संसाधनों से लैस किया जाएगा। कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। अब छठी कक्षा से ही बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। स्कूल में ही बच्चे को नौकरी के जरूरी प्रोफेशनल शिक्षा दी जाएगी। पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। नेशनल एसेसमेंट सेंटर बनाया जाएगा जो बच्चों के सीखने की क्षमता का वक्त-वक्त पर परीक्षण करेगा।  

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9.#सवाल: यूजीसी को खत्म कर रेगुलेटरी बॉडी क्या है? उत्तर: नई शिक्षा नीति में यूजीसी, एनसीटीई और एआईसीटीई को खत्म करके एक रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी। हालांकि, अभी यह नहीं बताया गया है कि इस नियामक बॉडी का स्वरूप कैसा होगा। कॉलेजों को स्वायत्ता (ग्रेडेड ओटोनॉमी) देकर 15 साल में विश्वविद्यालयों से संबद्धता की प्रक्रिया को पूरी तरह से खत्म कर दिया जाएगा।  उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम होगा। यह संस्थान के लिए अनिवार्य नहीं होगा। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी यह परीक्षा कराएगी।  

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10.# नई शिक्षा नीति में और क्या महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं? उत्तर- नई शिक्षा नीति में स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में दस-दस बड़े सुधारों पर मुहर लगाई गई है।  प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम तैयार होगा। इसके तहत तीन से छह साल तक की आयु के बच्चे आएंगे। 2025 तक कक्षा तीन तक के छात्रों को मूलभूत साक्षरता तथा अंकज्ञान सुनिश्चित किया जाएगा। मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदल जाएगी। कक्षा छह से आठ के बीच विषयों की पढ़ाई होगी। फीस पर नियंत्रण के लिए तंत्र तैयार होगा।केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए एक ही नियम होगा। नई शिक्षा नीति में टेक्नोलॉजी और ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया गया है।हर जिले में कला, करियर और खेल-संबंधी गतिविधियों में भाग लेने के लिए एक विशेष बोर्डिंग स्कूल के रूप में 'बाल भवन' स्थापित किया जाएगा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है। विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा। नई शिक्षा नीति में विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति मिलेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अहम बिंदु

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय
  • स्कूलों के लिए  10+2 की जगह 5+3+3+4 फॉर्मूला
  • शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43% से बढ़ाकर जीडीपी का 6 % का लक्ष्य है। 
  • ग्रेजुएशन में 3-4 साल की डिग्री व एमफिल की अनिवार्यता खत्म 
  • छठी कक्षा से ही छात्रों को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा
  • दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को बनाया गया आसान
  • पांचवीं कक्षा तक मातृभाषा में पढ़ाई
  • UGC, NCTE और AICTE की जगह एक नियामक बॉडी
  • उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एंट्रेंस एग्जाम
  • 2030 तक हर जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान 
  • ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर
  • विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैंपस खोलने की अनुमति  

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नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संक्षिप्त विवरण

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संक्षिप्त विवरण

केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020’ ( National Education Policy- 2020 ) को मंज़ूरी दी है। नई शिक्षा नीति 34 वर्ष पुरानी ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1986’ [National Policy on Education (NPE),1986] को प्रतिस्थापित करेगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020, 21वीं सदी की पहली शिक्षा नीति है। वर्ष 1968 और 1986 के बाद यह भारत की तीसरी शिक्षा नीति है। NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा के क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।  

  • अध्यक्ष : सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक पूर्व इसरो प्रमुख पद्म विभूषण डॉ. के कस्तूरीरंगन
  • समिति : कस्तूरीरंगन समिति
  • समिति का गठन : जून, 2017 में किया गया तथा मई, 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ कैबिनेट को प्रस्तुत किया गया।
  • मंजूरी : 29 जुलाई, 2020 को केन्द्रीय मंत्रिमण्डल द्वारा इसे मंजूरी मिली। 

शिक्षा मंत्रालय

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development- MHRD) का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय’ कर दिया गया है। 1985 से पहले यह मंत्रालय शिक्षा मंत्रालय ही था जिसे 1985 में बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) कर दिया गया था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उद्देश्य

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 का उद्देश्य शिक्षा की पहुँच, समानता, गुणवत्ता, वहनीय शिक्षा और उत्तरदायित्व जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देना है।
  • छात्रों को जरूरी कौशलों एवं ज्ञान से लैस करना और विज्ञान, टेक्नोलॉजी, अकादमिक क्षेत्र और इण्डस्ट्री में कुशल लोगों की कमी को दूर करते हुए देश को ज्ञान आधारित सुपर पॉवर के रूप में स्थापित करना है। 
  • शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करना। 
  • भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल देना।

स्कूली शिक्षा में सुधार

नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।

5फाउण्डेशन स्टेज3 से 6 वर्षआँगनबाड़ी
फाउण्डेशन स्टेज6 से 8 वर्षनर्सरी (प्री प्राइमरी)
3प्राथमिक शिक्षा8 से 11 वर्षकक्षा 3 से 5
3मध्यम स्तर11 से 14 वर्षकक्षा 6 से 8
4अंतिम स्तर14 से 18 वर्षकक्षा 9 से 12

nep 2020 assignment in hindi

शिक्षण प्रणाली में सुधार:

  • उच्चतर शिक्षा संस्थानों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षण, अनुसंधान एवं सामुदायिक भागीदारी उपलब्ध करवाने के लिए उच्च साधन सम्पन्न एवं बहु विषयक संस्थानों में रूपान्तरित किया जाएगा। 
  • पहले सरकारी स्कूलों में प्री स्कूलिंग नहीं होती थी, बच्चा 6 वर्ष की आयु से पढ़ना प्रारम्भ करता था लेकिन अब 3 वर्ष से ही शिक्षा ECCE (Early Childhood Care and Education) द्वारा प्रारम्भ (ऑगनबाड़ी के माध्यम से)।
  • पहले जहाँ कक्षा 11 से विषय चुन सकते थे अब छात्रों को कक्षा 9 से विषय चुनने की आजादी रहेगी।
  • कक्षा 9 से 12 की पढ़ाई में किसी विषय के प्रति गहरी समझ तथा बच्चों की विश्लेषणात्मक क्षमता को बढ़ाकर जीवन में बड़े लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। 
  • 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बदलाव कर अब वर्ष में दो बार (सेमेस्टर प्रणाली द्वारा) ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव फॉर्मेट में परीक्षा आयोजित की जाएँगी ।
  • NEP-2020 के  तहत मिड-डे मील के साथ नाश्ता देने की भी बात कही गई है। सुबह के समय पोषक नाश्ता अधिक मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकारी हो सकता है।

उच्च शिक्षा (Higher Education)

  • एक वर्ष की पढ़ाई पर – सर्टिफिकेट
  • दो वर्ष की पढ़ाई पर – डिप्लोमा
  • तीन या चार वर्ष पर – डिग्री
  • एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट – इसमें विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखा जाएगा तथा अलग-अलग संस्थानों में छात्र के प्रदर्शन के आधार पर प्रमाण-पत्र दिया जायेगा।
  • जो छात्र हायर एजुकेशन में नहीं जाना चाहते उनके लिए ग्रेजुएशन डिग्री 3 साल की है किन्तु शोध अध्ययन करने वालों के लिए ग्रेजुएशन डिग्री अब 4 साल की होगी।
  • पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स में एक साल बाद पढ़ाई छोड़ने का विकल्प रहेगा तथा पाँच साल का संयुक्त ग्रेजुएट-मास्टर कोर्स लाया जाएगा।
  • कॉमन एडमिशन टेस्ट (CAT) – उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए कॉमन एग्जाम होगी जिसे राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी कराएगी। संस्था के लिए यह प्रवेश एग्जाम अनिवार्य नहीं है।
  • केन्द्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय और प्राइवेट विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग नियम हैं, अब सबमे एक समान नियम बनाया जाएगा।
  • अंतर्राष्ट्रीयकरण – भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों को अपने परिसर अन्य देशों में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा साथ ही विश्व के चुनिंदा विश्वविद्यालयों( शीर्ष 100 में से) को भारत में संचालित करने की अनुमति दी जाएगी।
  • विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC ), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और नेशनल काउंसिल फॉर टेक्नीकल एजुकेशन (NCTE)को समाप्त कर रेगुलेटरी बॉडी बनाई जाएगी।

शिक्षकों से सम्बंधित सुधार:

  • नेशनल मेंटरिंग प्लान- इससे शिक्षकों का उन्नयन किया जाएगा। 
  • शिक्षकों को प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रियाओं के जरिए भर्ती किया जाएगा तथा पदोन्नति भी अब योग्यता (शैक्षणिक प्रशासन व समयसमय पर कार्य प्रदर्शन का आकलन) आधारित होगी। 
  • शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद् द्वारा वर्ष 2022 तक राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (NPST) तैयार किया जाएगा। 
  • प्रत्येक स्कूल में शिक्षक-छात्रों का अनुपात (PTR)30 : 1 से कम हो तथा सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित बच्चों की अधिकता वाले क्षेत्रों के स्कूलों में यह अनुपात 25 : 1 से कम हो। 
  • प्रत्येक शिक्षक से अपेक्षित होगा कि वह स्वयं व्यावसायिक विकास (पेशे से सम्बन्धित आधुनिक विचार, नवाचार और खुद में सुधार करने) के लिए स्वेच्छा से प्रत्येक वर्ष 50 घण्टों का सतत् व्यावसायिक विकास (CPD) कार्यक्रम में हिस्सा लें। 
  • शिक्षकों को गैर-शिक्षण गतिविधियों (जटिल प्रशासनिक कार्य, Mid Day Meal) से सम्बन्धित कार्यों में शामिल न करने का सुझाव। 
  • ECCE शिक्षकों को प्रशिक्षित करने के लिए NCERT द्वारा 6 माह (जो आँगनबाड़ी कर्मचारी 10 +2 या अधिक योग्यता) एवं 1 वर्ष (जो कर्मचारी कम शैक्षणिक योग्य) का डिप्लोमा कार्यक्रम कराया जाएगा।
  • राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा NCERT के परामर्श के आधार पर ‘अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा’ [National Curriculum Framework for Teacher Education (NCFTE), 2021] का विकास किया जाएगा।
  • वर्ष 2030 तक शिक्षण कार्य (अध्यापन) के लिये न्यूनतम डिग्री योग्यता 4-वर्षीय एकीकृत बी.एड. डिग्री का होना अनिवार्य किया जाएगा।      
  • संविदा शिक्षक रखने की बजाय नियमित शिक्षक भर्ती करने पर जोर।  

शैक्षणिक भाषा से सम्बंधित सुधार:

  • इस नीति में भारतीय भाषाओं में पढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया गया है। इसमें तीन भाषा फॉर्मूला यानी कि हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं में पढाई करवाई जाएगी।
  • NEP-2020 के तहत कक्षा-5 तक की पढ़ाई मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में करवाई जाएगी। जिससे अंग्रेजी भाषा की अनिवार्यता (मैक्याले पद्धति) समाप्त होगी। 
  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परन्तु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव को थोपा नहीं जायेगा।
  • ई-पाठ्यक्रम क्षेत्रीय भाषाओं में विकसित किए जाएंगे। वर्चुअल लैब विकसित की जा रही है और एक राष्ट्रीय शैक्षिक टेक्नोलॉजी फ़ोरम (NETF) बनाया जा रहा है। 
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा (Indian Sign Language- ISL) को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।  
  • छठी कक्षा से वोकेशनल कोर्स शुरू किए जाएंगे। इसके तहत इच्छुक छात्रों को छठी क्लास के बाद से ही इंटर्नशिप करवाई जाएगी।         
  • 9वीं कक्षा से विद्यार्थी को विदेशी भाषाओं को भी सीखने का विकल्प मिलेगा।     
  • भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक “भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान” तथा “फारसी, पाली और प्राकृत भाषा के लिये राष्ट्रीय संस्थान” स्थापित किया जायेगा।   

भारत उच्च शिक्षा आयोग

  • भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) को सम्पूर्ण उच्च शिक्षा के सर्वोच्च निकाय के रूप में गठित किया जायेगा। इसमें मेडिकल और कानूनी शिक्षा को शामिल नहीं किया जाएगा।
  • वर्ष 2040 तक सभी वर्तमान उच्चतर शिक्षा संस्थानों (HEI) का उद्देश्य अपने आपको बहु-विषयक संस्थानों के रूप में स्थापित करना होगा।
  • वर्ष 2030 तक प्रत्येक जिले में या उसके समीप कम से कम एक बड़ा बहु-विषयक उच्चतर शिक्षा संस्थान स्थापित किया जायेगा।
  • विनियमन हेतु- राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा नियामकीय परिषद (National Higher Education Regulatory Council- NHERC) 
  • मानक निर्धारण- सामान्य शिक्षा परिषद (General Education Council- GEC)  
  • वित पोषण- उच्चतर शिक्षा अनुदान परिषद (Higher Education Grants Council-HEGC) 
  • प्रत्यायन- राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद (National Accreditation Council- NAC)
  • नई शिक्षा नीति में एमफिल (MPhil)  को समाप्त किया जायेगा।
  • Ph.D के लिए 4 वर्षीय ग्रेजुएशन फिर एम.ए. उसके बाद Mphil) की अनिवार्यता समाप्त कर दी जाएंगी।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) – राष्ट्र में गुणवत्तापूर्ण अनुसन्धान को सही रूप में उत्प्रेरित और विकसित करने के लिए तथा सभी प्रकार के वैज्ञानिक एवं सामाजिक अनुसंधानों पर नियंत्रण रखने के लिए NRF का गठन।    

स्कॉलरशिप पोर्टल व खुला विधालय योजना

  • SC,ST और OBC के सामाजिक व आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्कॉलरशिप पोर्टल का निर्माण किया जाएगा। स्कॉलरशिप प्रदान कर स्कूल न आने वाले बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा।
  • IIT और IIM की तरह Multidisciplinary Education and Research University (MERUS) की स्थापना की जाएगी।
  • देश के जो युवा किसी संस्था में नियमित रूप से अध्ययन नहीं कर सकते उन्हें NIOS (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग) और राज्यों के ओपन स्कूलों द्वारा चलाए जा रहे ODL (ओपन एण्ड डिस्टेंस लर्निंग) कार्यक्रम से जोड़ कर पढ़ाया जाएगा।
  • NIOS (राष्ट्रीय खुला विद्यालय संस्थान)- कक्षा तीन, पाँच और आठ के लिए ओपन लर्निंग की व्यवस्था की जाएगी। ऐसे स्थान जहाँ विद्यालय तक आने के लिए छात्रों को अधिक दूरी तय करनी पड़ती है। वहाँ जवाहर नवोदय विद्यालयों के स्तर की तर्ज पर निःशुल्क छात्रावासों का निर्माण किया जाएगा।
  • NEP-2020 में जेंडर इंक्लूजन फण्ड और वंचित इलाकों के लिए विशेष शिक्षा क्षेत्र की स्थापना पर जोर।  

परिक्षण तथा मूल्यांकन

  • 10वीं और 12वीं कक्षा के लिए बोर्ड परीक्षाएँ जारी रहेंगी, बोर्ड और प्रवेश परीक्षाओं की मौजूदा प्रणाली में सुधार किया जाएगा। छात्र परीक्षा देने के लिए अपने विषयों में से कई विषय चुन सकेंगे।
  • छात्रों को वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा देने की अनुमति दी जाएगी जिससे बोर्ड परीक्षाओं के ‘उच्चतर जोखिम’ पहलू को समाप्त किया जा सके ।
  • विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा सम्पूर्ण देश में एक समान होगी इसे राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा साल में 2 बार करवाया जाएगा।
  • परख – छात्रों के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख(PARAKH) नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र (National Assessment Centre) की स्थापना की जाएगी।          
  • 360° Assesment – छात्र का रिपोर्ट कार्ड 360° Assesment के आधार पर उसके व्यवहार, अन्य पाठ्य सहगामी क्रियाओं तथा मानसिक क्षमताओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जायेगा। जिसमे मूल्यांकन स्वयं छात्र, शिक्षक एवं सहपाठियों द्वारा किया जायेगा।         

nep 2020 assignment in hindi

National Education Policy 2020

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

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नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi : देश की शिक्षा में 34 सालों के बाद नई प्रस्तावित शिक्षा नीति लागू हो गई हैं.

स्वतंत्र भारत की तीसरी और वर्तमान की शिक्षा नीति के मुख्य बिदु प्रावधान उद्देश्य बदलाव, शिक्षा सुधार, नवाचार नवीन शिक्षण पद्धति आदि का विस्तृत विवेचन न्यू एजुकेशन पालिसी 2020 एस्से में किया गया हैं.

हमें उम्मीद हैं भारत की नई शिक्षा नीति के सम्बन्ध में जो जानकारी चाहते हैं वह इस निबंध में मिल जाएगी. वर्तमान शिक्षा नीति पर आधारित निबंध, भाषण, अनुच्छेद को अपने मुताबिक़ आप इस लेख की मदद से लिख सकते हैं.

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति को कैबिनेट द्वारा मंजूरी मिली यह स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति है इससे पहले 1968 तथा 1986 में शिक्षा नीतियां लागू की गई थी. 1986 के बाद इस शिक्षा नीति को आने में 34 वर्ष लग गए शिक्षा नीति एक विजन होता है.

सरकार के लिए जिसमें आगामी समय के उद्देश्य तथा लक्ष्यों का निर्धारण किया जाता है वर्तमान में तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य तथा सामाजिक संरचना में होते आमूलचूल परिवर्तनों के मद्देनजर प्रत्येक 10 वर्ष में शिक्षा नीति की समीक्षा तथा आवश्यक बदलाव करने चाहिए.

शिक्षा समाज की दिशा तथा दशा का निर्धारण करती है कहा जाता है. कि अगर किसी देश तथा समाज में बड़े परिवर्तन करने हो तो शिक्षा में समय के साथ परिवर्तन आवश्यक है.

भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के आम चुनाव में अपना चुनावी वादा शिक्षा नीति में परिवर्तन भी रखा था. जून 2017 में इसरो के प्रमुख डॉक्टर के कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में 11 सदस्य कमेटी का गठन किया गया था,

जिसने मई 2019 में शिक्षा नीति से संबंधित प्रारूप तैयार किया नई शिक्षा नीति 2020 की परामर्श प्रक्रिया विश्व की सबसे बड़ी परामर्श प्रक्रिया रही यह जनवरी 2019 से 31 अक्टूबर 2019 तक व्यापक स्तर पर सभी पहलुओं को सम्मिलित करते हुए चर्चा की गई तथा सुझाव लिए गए.

29 जुलाई 2020 को केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नई शिक्षा नीति के प्रारूप को पेश किया तथा इसे नई युग की शुरुआत कहा वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री तथा प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने इस नवीन शिक्षा नीति को ऐतिहासिक फैसला बताया.

भारत की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति जुलाई 1968 में घोषित की गई यह कोठारी प्रतिवेदन पर आधारित थी दूसरी शिक्षा नीति 1986 में घोषित हुई.

जिसमें 1990 में गठित आचार्य राममूर्ति की अध्यक्षता वाली कमेटी तथा 1993 में गठित प्रोफेसर यशपाल समिति की समीक्षाओं के आधार पर संशोधन भी किए गए.

शिक्षा वर्तमान में समवर्ती सूची का विषय है इसे 42 वें संविधान संशोधन 1976 को राज्य सूची से समवर्ती सूची में जोड़ा गया अर्थात शिक्षा संबंधी नियम राज्य तथा केंद्र  दोनों बना सकते हैं.

इस शिक्षा नीति में प्रावधान किया गया है कि केंद्र तथा राज्य के बीच टकराव की स्थिति में दोनों आम सहमति से निर्णय लेंगे.

स्वतंत्रता के समय भारत में शिक्षा की स्थिति काफी कमजोर थी उस समय भारत की साक्षरता 15 से 18% थी  2011 की जनगणना के अनुसार भारत की साक्षरता 74.04% है.

जो विश्व की साक्षरता 84% से काफी कम है भारत में महिला साक्षरता की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण 65.46 प्रतिशत है.

नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख प्रावधान

नई शिक्षा नीति 2020 के द्वारा शिक्षा के सभी स्तरों तथा गतिविधियों से संबंधित प्रावधान किए गए हैं शिक्षा नीति का प्रमुख उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण तथा सार्वभौमिक शिक्षा के साथ ही व्यवसायिक शिक्षा पर भी बल दिया गया है. इसमें भारतीय संस्कृति की विविधता का उचित समावेश किया गया है.

नई शिक्षा नीति 2020 मे 2030 तक सार्वभौमिक स्कूली शिक्षा  तथा इस नीति को पूर्ण रूप से क्रियान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है.

इसमें छात्रों की क्षमताओं का आकलन करने पर जोर दिया गया ना कि छात्रों को कितना याद रहता है जैसी रटा फिकेशन पद्धति.

भारत में शिक्षा संबंधी परिवर्तनों में 2009 का शिक्षा का अधिकार अधिनियम महत्वपूर्ण है 2010 से लागू जिसमें निशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान 5 से 14 वर्ष के बालकों के लिए किया गया इस शिक्षा नीति द्वारा इसे 3 से 18 वर्ष करने का प्रावधान है.

मानव संसाधन मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया बता दे 1986 से पहले इसे शिक्षा मंत्रालय के नाम से ही जाना जाता था.

शिक्षा नीति में शिक्षा को वरीयता देने का प्रावधान किया गया है जिसमें कहा गया है की जीडीपी का 6%  शिक्षा पर खर्च किया जाएगा इसके अलावा दो करोड़ के लगभग ड्रॉपआउट बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा में जोड़ा जाएगा.

12 वर्ष की स्कूली शिक्षा प्रणाली के स्थान पर 5+3+3+4 फार्मूला लागू किया जाएगा जिसमें शुरुआती 3 वर्ष प्री प्राइमरी एजुकेशन के होंगे जिसमें आंगनवाड़ी शामिल होंगे.

इस प्रकार पहले 5 वर्ष में 3 वर्ष की प्री प्राइमरी शिक्षा तथा पहली व दूसरी क्लास को शामिल किया गया है. उसके बाद तीसरी चौथी और पांचवी क्लास को प्राथमिक शिक्षा में शामिल करते हुए मातृभाषा पर जोर दिया गया है

तथा क्लास 6 से 8 तक के 3 वर्षों में मैथ साइंस पर बल देते हुए व्यवसायिक शिक्षा का आरंभ किया जाएगा तथा स्कूली शिक्षा के अंतिम 4 वर्ष अर्थात 9वीं 10वीं 11वीं तथा 12वीं कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए वैकल्पिक विषय का चुनाव करने की छूट दी गई है तथा 12वीं तक मैथ साइंस की अनिवार्यता को लागू किया जाएगा.

3 से 6 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन का प्रावधान किया गया है. नवी से बारहवीं तक सेमेस्टर प्रणाली आधारित मूल्यांकन होंगे.

कक्षा 6 से प्रैक्टिकल बच्चों का विकल्प रहेगा प्राथमिक शिक्षा के बच्चों के लिए बस्ते का बोझ कम करने तथा मातृभाषा के साथ गैर शैक्षणिक गतिविधियां खेल व योग पर बल दिया जाएगा.

इस शिक्षा नीति के अनुसार रिपोर्ट कार्ड में विद्यार्थी के स्किल्स अन्य गतिविधियों में उसकी भूमिका अर्थात 360 डिग्री समग्रता रिपोर्ट कार्ड बनेगा, जिसमें अध्यापकों के साथ-साथ छात्र की फ्रेंड्स सर्कल का भी मूल्यांकन निहित होगा.

उच्च शिक्षा में मल्टीपल एंट्री तथा मल्टीपल एग्जिट की सुविधा होगी mphil को समाप्त करने की बात कही गई है. क्योंकि भारत अब रिसर्च के अमेरिकी मॉडल की ओर बढ़ रहा है.

इससे पहले एमफिल करने वाले विद्यार्थियों को किसी प्रकार की अतिरिक्त योग्यता नहीं मिलती थी यानी नेट और एमफिल दोनों योग्यता धारी पीएचडी कर सकते थे.

SRA -State School Regulatory Authority के गठन का प्रावधान है जिसके प्रमुख शिक्षा जगत से होंगे

4 ईयर इंटेग्रेटेड बीएड यानी 3 साल के ग्रेजुएशन के साथ 1 साल की B.Ed, 2 ईयर बीएड or 1 ईयर B Ed course संचालित किए जाएंगे 1 वर्षीय बीएड पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद की जा सकती हैं

 TET यानी अध्यापक पात्रता परीक्षा  होगा के बाद दसवीं तक के अध्यापक इस एग्जाम को पास करने के बाद योग्यता अनुसार अध्यापक बन सकेंगे

इस शिक्षा नीति में  शिक्षकों के द्वारा किए जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्य जिनसे  शिक्षा की गुणवत्ता में कमी देखी गई  से शिक्षकों को  हटाया जाएगा, सिर्फ चुनाव ड्यूटी लगेगी, BLO ड्यूटी से शिक्षकों का कार्यभार कम किया जाएगा

उच्च शिक्षा में सकल नामांकन को वर्तमान 26.5% से बढ़ाकर 50%  का लक्ष्य रखा है  साथ ही  3.50 करोड़ नई सीटें जोड़ी जाएगी.

उच्च शिक्षा हेतु एक ही रेगुलेटर तथा  समान एंट्रेंस एग्जाम का प्रावधान किया गया है, शिक्षा में तकनीकी को बढ़ावा देने के साथ दिव्यांग जनों हेतु शिक्षा में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.

ग्रेजुएशन को 4 वर्ष तथा पोस्ट ग्रेजुएशन को 1 वर्ष  किया जाएगा उसके उपरांत रिसर्च करने वाले विद्यार्थियों के लिए राह आसान की है तथा ग्रेजुएशन बीच में छोड़ देने वाले विद्यार्थियों के लिए भी प्रावधान किया गया है,

कि 1 वर्ष के बाद उन्हें सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा तथा 2 वर्ष ग्रेजुएशन करने के बाद डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा तथा अंतिम वर्ष के बाद डिग्री प्रदान की जाएगी.

नई शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षक बनने के लिए एग्जाम के साथ-साथ डेमो तथा साक्षात्कार का भी प्रावधान किया गया

इस शिक्षा नीति में शिक्षकों के स्थानांतरण संबंधित  मुख्य प्रावधान किया गया है जिसमें शिक्षकों का स्थानांतरण पर लगभग रोक लग जाएगी और पदोन्नति के समय ही स्थानांतरण किया जा सकेगा.

इस प्रावधान को शामिल करने का प्रमुख उद्देश्य दुर्गम तथा कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों के विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की समस्या से निजात पाना है आमतौर पर देखा गया है

की ऐसी जगहों पर नियुक्त होने वाले अध्यापक गण अपना स्थानांतरण करवाने को इच्छुक रहते हैं तथा वे क्षेत्र लगातार शिक्षा केेे क्षेत्र में  पीछे रह जाते हैं

नवीन शिक्षा नीति के जारी होने के बाद देश  बुद्धिजीवी वर्ग ने स्वागत किया तथा देश के लिए सबसे जरूरी कदम बताया कुछ आलोचकों ने इसे आर एस एस का एजेंडा बताया यहां यह जाना आवश्यक है.

कि आरएस एस की प्रमुख मांगों में भारतीय प्राचीन परंपरागत शिक्षा जैसे वैदिक गणित तथा दर्शन पर बल देना तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करना प्रमुख था.

इसके अलावा r.s.s. में भारतीय विश्वविद्यालयों में विदेशी विश्वविद्यालयों के कैंपस स्थापित करने का विरोध किया था  जिसे सरकार ने नहीं माना.

इस नीति से संबंधित दूसरा प्रमुख मुद्दा मातृभाषा को लेकर है,  नीति के समीक्षक बताते हैं कि पहले  की शिक्षा नीतियों में भी मातृभाषा पर बल देने की बात कही गई थी.

लेकिन धरातल पर क्रियान्वित नहीं हो पाई तो सवाल  यह है कि क्या नवीन शिक्षा नीति में किए गए प्रावधान के अनुरूप मातृभाषा को बढ़ावा देने में सफल हो पाएंगे इसका दूसरा कारण मातृ भाषाओं में शिक्षण सामग्री की उपलब्धता का ना होना भी है.

कुछ बुद्धिजीवी लोग यह भी तर्क देते हैं कि आगे चलकर जब विद्यार्थियों को कॉन्पिटिशन के एग्जाम हिंदी तथा इंग्लिश में फेस करने हैं तो मातृभाषा कहां तक उपयोगी है उन्हें यह भी जानना चाहिए कि मातृभाषा संस्कृति का दर्पण होती है तथा  हमारे पूर्वजों के ज्ञान को स्थानांतरण करने में महत्वपूर्ण होती है

भारत में भाषाई आधार पर स्वतंत्रता के बाद से ही विरोध प्रदर्शन होते रहे हैं. नवीन शिक्षा नीति के जारी होते ही तमिलनाडु जैसे दक्षिणी राज्यों के कुछ संगठनों ने उन पर हिंदी थोपे जाने के आरोप लगाएं परंतु उल्लेखनीय है.

कि इस नीति में ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया गया है. इसके अंतर्गत त्रिभाषा पैटर्न में  अंग्रेजी तथा हिंदी के साथ संस्कृत तथा तमिल भाषाओं तथा क्षेत्रीय भाषाओं को भी शामिल किया जाएगा.

इस प्रकार बहस के  मुद्दों की एक लंबी श्रंखला है परंतु नवीन शिक्षा नीति शिक्षा के भारतीय करण तथा बदलते समय के अनुसार ज्ञान कौशल तथा मूल्यों का सामंजस्य स्थापित करने में अहम भूमिका अदा करेगी. 

वर्तमान में शिक्षा जगत से जुड़ी प्रमुख समस्याओं में शिक्षकों की कमी विद्यालयों की कमी कमी शिक्षा सुधार कार्यक्रमों का सफल ना हो पाना ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता में कमी का होना

उच्च शिक्षा में प्रोफेसर की जवाबदेही व प्रदर्शन का फार्मूला निर्धारित ना होना तथा विश्व की टॉप 200 यूनिवर्सिटीज  की लिस्ट में कम संख्या में भारतीय विश्वविद्यालयों का शामिल होना यह सब कारण है जो शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़े परिवर्तन  की गुंजाइश को दर्शाते हैं तथा नवीन शिक्षा नीति इस दिशा में सराहनीय कदम है.

21वीं सदी के विश्व में भारत को प्रमुख महाशक्ति बनने में इस शिक्षा नीति का समुचित क्रियान्वयन मील का पत्थर साबित होगा तथा भारत अपने प्राचीन ज्ञान तथा संस्कृति को नई दिशा प्रदान कर विश्व गुरु बनने में नवीन शिक्षा नीति उपयोगी साबित होगी.

राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 | National Education Policy In Hindi

1968 और 1986 की शिक्षा नीति.

राष्ट्र की स्वतंत्रता के लगभग 21 वर्षों के बाद जब पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति कि घोषणा कि गई तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 45 का विशेष ख्याल रखा गया था, जिसके अनुसार 14 वर्ष की आयु तक अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा का प्रावधान है।

इस पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से समूचे देश में समान संरचना 10 + 2 + 4 की बात हुई। देश के सभी जाति, धर्म या क्षेत्र के प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्ति के सामान अवसर पर जोर दिया गया था।

1968 की पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति में सरकारों को समय – समय पर देश में शिक्षा की प्रगति की समीक्षा करने का प्रावधान था, यह देखते हुए 18 वर्षों के प्रश्चात 1986 में दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई.

जिसको 1992 की श्री पी वी नरसिंह राव की सरकार में संशोधित किया गया जिसमें शिक्षा के आधुनिकीकरण और आवश्यक सुविधाओं पर जोर दिया गया था।

इस शिक्षा नीति में प्राथमिक स्तर पर बच्चों के स्कूल छोड़ने पर रोक लगाने, 14 वर्ष की आयु तक के बच्चों को अनिवार्य शिक्षा और पिछड़े, दिव्यांगों तथा अल्पसंख्यकों की शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया गया था।

महिलाओं की साक्षरता दर बढ़ाने तथा इनके व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा के लिए व्यापक प्रावधान किये गए थे।

इस शिक्षा नीति के माध्यम से कंप्यूटर तथा पुस्तकालय को बढ़ावा देने का कार्य किया गया तथा गैर सरकारी संगठनों को देश में शिक्षा की सुविधा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रावधान था।

नयी शिक्षा नीति

आइये अब हम बात करते हैं राष्ट्र की तृतीय शिक्षा नीति जिससे विगत 29 जुलाई को देश की समक्ष प्रस्तुत किया गया।

यह शिक्षा नीति भारत में 34 सालों बाद आयी है। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने 2015 से ही इस शिक्षा नीति को लेकर के तैयारियां शुरू कर दी थी।

नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिए 31 अक्‍टूबर, 2015 को सरकार ने पूर्व कैबिनेट सचिव टी. एस. आर. सुब्रह्मण्यन की अध्यक्षता में पांच सदस्यों की कमिटी बनायी, कमिटी ने अपनी रिपोर्ट भी सरकार को सौंपी लेकिन सरकार को यह रिपोर्ट पसंद नहीं आयी।

इसके बाद 24 जून, 2017 को इसरो के प्रमुख रहे वैज्ञानिक के कस्तूरीगन की अध्यक्षता में नौ सदस्यों की कमेटी को नई शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई। 31 मई, 2019 को ये ड्राफ्ट मानव संसाधन मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक को सौंपा गया।

ड्राफ्ट पर मानव संसाधन मंत्रालय ने लोगों के सुझाव आमंत्रित किये थे साथ ही शायद यह पहली बार हुआ की शिक्षा नीति को बनाने के लिए देश के 676 जिलों के 6600 ब्लाक की 2.5 लाख ग्राम पंचायतों के सभी वर्ग के लोगों की सलाह ली गई हो।

इन सुझावों और सलाहों के आधार पर ही 66 पन्नों के ड्राफ्ट की तृतीय शिक्षा नीति को केद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी।

नयी शिक्षा नीति की कुछ महत्वपूर्ण बातें

  • इस शिक्षा नीति में पूर्वत जारी संरचना 10 + 2 को 5 + 3 + 3 + 4 में बदल दिया गया। जहाँ पहले ‘पांच’ को 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों लिए बनाया गया जिसमें बच्चा प्री स्कूल के साथ प्रथम और द्वितीय कक्षा में शिक्षा ग्रहण करेगा। वहीँ 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन किया गया, जहाँ 3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों को प्री-स्कूल के माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने तथा 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा 1 और 2 में शिक्षा प्रदान करने की योजना है। इसी प्रकार अगले चरण के ‘तीन’ को तृतीय से पांचवीं कक्षा के लिए बनाया गया। वहीँ अगले चरण के ‘तीन’ को छटवीं से आठवीं कक्षा के लिए बनाया गया है, जिसमें अब बच्चों को रोजगारपरक कौशल की शिक्षा दी जाएगी एवं इनकी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। अंतिम चरण के ‘चार’ को नवीं से बारहवीं कक्षा के लिए बनाया गया जिससे विद्यार्थियों को दो बोर्ड परीक्षाओं से छुटकारा मिल सकेगा।
  • प्रारंभिक शिक्षा को बहु-स्तरीय खेल और गति-विधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी गयी है।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदल कर शिक्षा मंत्रालय किया गया। देश की स्वतंत्रता से लेकर १९८५ तक शिक्षा मत्रालय ही हुआ करता था लेकिन श्री राजीव गाँधी सरकार ने इसका नाम बदल कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय रखा था।
  • नयी नीति में मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषा पर ज्यादा जोर दिया गया।
  • मल्टीपल एंट्री एंड एक्जिट पालिसी जोड़ी गयी है, जो की कॉलेजों में पढ़ रहे बच्चों के लिए है। जिसका उद्देश्य १ साल की पढ़ाई कर चुके छात्र को सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा और तीन साल पर डिग्री देने का प्रावधान है।
  • अभी ग्रेजुएशन कोर्स तीन साल के होते हैं। अब नई सिख्स नीति में दो तरह के विकल्प होंगे, जो नौकरी के लिहाज से पढ़ रहे हैं, उनके लिए 3 साल का ग्रेजुएशन और जो रिसर्च में जाना चाहते हैं, उनके लिए 4 साल का ग्रेजुएशन। चार साल की ग्रेजुएशन के बाद एक साल का पोस्ट ग्रेजुएशन और 4 साल का पीएचडी। एमफिल कोर्स को समाप्त कर दिया गया है।
  • अब कोई भी विद्यार्थी मनचाहे विषय चुन सकेगा यानि फिजिक्स में ग्रेजुएशन कर रहा है और उसकी म्यूजिक में रुचि है, तो म्यूजिक भी साथ में पढ़ सकता है। आर्ट्स और साइंस वाला मामला अलग अलग नहीं रखा जाएगा। इसका नाम दिया गया है मल्टी डिसिप्लिनरी एजुकेशन।
  • नयी शिक्षा नीति में यूनिवर्सिटी की साथ साथ सबंध कॉलेज को भी परीक्षा कराने की स्वायत्ता दी जा सकेगी।
  • उच्च शिक्षा के लिए एकल रेग्युलेटर – भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा। अब यूजीसी, एआईसीटीई जैसी कई संस्थाएं, मेडिकल और लॉ लॉ की पढ़ाई के अलावा सभी प्रकार की उच्च शिक्षा के लिए एक ही रेग्युलेटर बॉडी होगी।
  • नई शिक्षा नीति का लक्ष्य व्यवसायिक शिक्षा सहित उच्चतर शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात को 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 2035 तक 50 प्रतिशत करना है।
  • सेंट्रल यूनिवर्सिटी, स्टेट यूनिवर्सिटी या फिर डीम्ड यूनिवर्सिटी सहित देशभर की प्रत्येक यूनिवर्सिटी के लिए शिक्षा के मानक एक समान ही होंगे।
  • नई शिक्षा नीति के अनुसार प्राइवेट संस्थान से लेकर सरकारी संस्थान सभी के लिए अधिकतम फ़ीस का माप दंड बनाया जायेगा।
  • नई शिक्षा नीति में अमेरिका की तर्ज पर नेशनल रिसर्च फाउंडेशन भी बनाएं जाने का प्रावधान है, जो साइंस से लेकर आर्ट्स के विषयों पर हो रही रिसर्च प्रोजेक्ट्स को फण्ड करेगा।
  • विश्व की टॉप यूनिवर्सिटीज को देश में अपने कैम्पस खोलने की अनुमति प्रदान की जाएगी।
  • बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में मूल्यांकन सिर्फ टीचर ही नहीं बल्कि छात्र स्वयं तथा उसका सहपाठी भी मूल्यांकन करेंगे।
  • इस नीति में बच्चों को रोजगारपरक कौशल की शिक्षा के साथ-साथ इनकी स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी।
  • नई शिक्षा नीति को 2040 तक पूर्ण रूप से लागू करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • नई नीति के अंतर्गत 2030 तक देश के प्रत्येक जिले में एक उच्च शिक्षण संस्थान बनाने के साथ स्कूलों तथा शिक्षण संस्थानों को डिजिटल संसाधनों, विर्चुअल लैब, डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाओं से लैश करने एवं शिक्षकों को भी नई तकनीकी के ज्ञान से लैश करने की बात की गई है।
  • छात्रों के सीखने की क्षमता का समय-समय पर प्रशिक्षण करने के लिए नेशनल असेसमेंट सेंटर बनाये जाने का प्रावधान भी इस नयी शिक्षा नीति में जोड़ा गया है।
  • नई नीति में शिक्षा पर सरकारी खर्च 43 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी के 6 प्रतिशत का लक्ष्य रखा गया है।
  • स्कूल के बाद कॉलेज में दाखिले के लिए एक कॉमन इंट्रेस एक्जाम कराने की बात की गयी है।
  • रोजगार के लिए विभिन्न परीक्षाओं से निजात दिलाने के लिए नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी का गठन किया जायेगा। जो ग्रुप बी और ग्रुप सी (गैर-तकनीकी) पदों के लिए उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) आयोजित करेगी।

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Nayi Shiksha Niti 2020 Kya Hai

नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु, लक्ष्य: New Education Policy, NEP 2020 in Hindi

भारत के वर्त्तमान प्रधानमंत्री, शिक्षा नीति में संशोधन करके नई  शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020) लागु की है. नई शिक्षा नीति 5+3+3+4 पैटर्न पर आधारित है. इस नीति में पूर्व प्राथमिक स्तर यानि प्ले स्कूल की शिक्षा को जोड़ा गया है. अब आपके मन में सवाल होगा कि नई शिक्षा नीति, NEP 2020 Kya Hai? तो आज हम जानेंगे NEP 2020 in Hindi के बारे में. नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु,

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शिक्षा नीति किसे कहते है?

Education Policy  को हिंदी में शिक्षा नीति कहते हैं. यह नीति बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए बनायीं जाती है. शिक्षा नीति केंद्र सरकार द्वारा बनाया जाता है. शिक्षा नीति के अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था का पैटर्न तैयार किया जाता है.उस शिक्षा व्यवस्था के पैटर्न को पूरे देश में लागू किया जाता है. इसलिए इसे शिक्षा नीति कहा जाता है.

भारत में सबसे पहले 1968 में शिक्षा नीति बनायीं गयी थी. उसके बाद उसमें संशोधन करके नई  शिक्षा नीति, 1986 लायी गयी. अब तक भारत की शिक्षा नीति में तीन बार संशोधन किया गया है. हाल ही में केंद्र सरकार शिक्षा नीति में संशोधन करके नई शिक्षा नीति, 2020 तैयार की है.

NEP 2020 Kya Hai?

नई शिक्षा नीति (NEP) 2020, भारत की नई शिक्षा नीति है जो 5+3+3+4   पैटर्न पर आधारित है. जिसे भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को घोषित की है. 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति में यह पहला नया संशोधन है. भारत में कुल 34 वर्षों के बाद शिक्षा नीति में बदलाव करके New Education Policy 2020 तैयार किया गया है. उसमें भी अभी केवल शिक्षा नीति का प्रारूप तैयार किया गया है, इसे लागु करने में कई वर्ष लग सकते हैं. यह शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली समिति की रिपोर्ट पर आधारित है.

2020 की नई शिक्षा नीति के तहत ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम परिवर्तित करके केवल ‘शिक्षा मंत्रालय’ रखा गया है. पुरानी शिक्षा नीति के तहत 6 वर्ष की आयु में बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जाता है.

नई शिक्षा नीति, 2020 के तहत 3 वर्ष की आयु में ही बच्चों को स्कूल में दाखिल किया जायेगा. नई शिक्षा नीति 2020 के तहत पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा को शामिल किया गया है. पूर्व-प्राथमिक स्तर की शिक्षा तीन वर्ष तक दी जाएगी, जिसमें बच्चों को प्ले स्कूल की तरह खेल-खेल में शिक्षा दिया जायेगा. बच्चों को किताब-कॉपी नहीं लेकर जाना होगा. इससे बच्चों को बस्ता का भारी वजन नहीं ढोना पड़ेगा.

NEP 2020 in Hindi, नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु 

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूलों में 10 +2 प्रोग्राम के स्थान पर 5 +3+3+4 प्रोग्राम को शामिल किया गया. इसी  पैटर्न पर बच्चों को शिक्षा प्रदान किया जायेगा. अब आप सोच रहे होंगे कि ये 5+3+3+4 प्रोग्राम क्या है. इसका मतलब यह है कि नयी शिक्षा नीति 2020 के तहत बारहवीं कक्षा तक की शिक्षा चार स्टेज में दी जाएगी. पांच वर्ष की शिक्षा फाउंडेशन स्टेज में, उसके बाद की तीन वर्ष की शिक्षा प्रिपरेटरी स्टेज, दूसरा तीन साल मिडिल स्टेज और अंतिम चार वर्ष सीनियर सेकेंडरी स्टेज में आएगा.

5 वर्ष-Foundation Stage (Pre-Primary और class 1, 2 तक)

शुरुआत की पांच वर्ष फाउंडेशन स्टेज कहलायेगा. इस स्टेज में प्री-प्राइमरी स्कूल (Play School) की शिक्षा तीन साल तक तथा कक्षा 1 और कक्षा 2 की पढाई होगी. पहले जहां सरकारी स्कूल में दाखिला 6 वर्ष में होता था, वहीँ अब 3 साल में ही बच्चों का नामांकन होगा. तीन वर्ष की आयु में बच्चों का नामांकन होगा. तीन साल तक पूर्व-प्राथमिक स्कूल की पढाई होगी औरदो साल कक्षा एक और दो कक्षा की पढाई होगी. इस स्टेज में बच्चों को परीक्षा नहीं देना होगा. शुरुआत के पांच वर्षों में परीक्षा नहीं होगा. इससे बच्चे में परीक्षा का भय, डर नहीं होगा.

3 वर्ष -Preparatory Stage (class 3, 4, 5)

फाउंडेशन स्टेज पूरी करने के बाद इस स्टेज में बच्चा तीन कक्षा में आएगा. इस स्टेज में बच्चा तीन साल तक रहेगा यानि कक्षा तीन, चार और कक्षा पांचवीं (कक्षा 3, 4, 5) तक की पढाई होगी. इस स्टेज तक बच्चों को मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में शिक्षा प्रदान किया जायेगा. इसी स्टेज में बच्चे का  एग्जाम शुरू होगा यानि कि कक्षा तीन से बच्चों को परीक्षा देनी होगी.

दूसरा 3 वर्ष -Middle Stage (class 6, 7, 8)

पांचवीं कक्षा तक की पढाई पूरी करने के बाद बच्चा मिडिल स्टेज में आएगा. इस स्टेज में बच्चा कक्षा 6 में आएगा एवं तीन साल तक इसी स्टेज में रहेगा, यानि मिडिल स्टेज में बच्चा कक्षा छठी, सातवीं और आठवीं  (Class 6-8) तक रहेगा. इस  स्टेज में बच्चे को व्यावसायिक शिक्षा ( Vocational Training ) दिया जायेगा. जैसे, कंप्यूटर ट्रेनिंग, कोडिंग, सिलाई, बुनाई, बढई कार्य आदि का ट्रेनिंग दिया जायेगा. इस स्टेज में पढाई किसी भी भारतीय भाषा में दी जाएगी.

4 वर्ष -Secondary Stage (class 9, 10, 11, 12)

मिडिल स्टेज के बाद बच्चा सेकेंडरी स्टेज में जायेगा. यह स्टेज कक्षा नौवीं से बारहवीं तक का होगा. इस स्टेज में बच्चा 9 क्लास में आएगा, और बारहवीं कक्षा तक रहेगा. इसमें बच्चा जिस सब्जेक्ट की पढाई करना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. साइंस, कॉमर्स, आर्ट्स इन सभी स्ट्रीम को हटा दिया गया है. Multiple subject का प्रावधान है, कोई भी स्ट्रीम नहीं होगा. बच्चा जो सब्जेक्ट पढना चाहता है, वह सब्जेक्ट रख सकता है. जैसे- अगर बच्चा को साइंस सब्जेक्ट अच्छा लगता है, तो एक साइंस का विषय, सामाजिक विज्ञान अच्छा लगता है, तो एक सामाजिक विज्ञान यानि इतिहास, भूगोल का विषय रख सकता है.

एग्जाम पैटर्न में परिवर्तन किया गया है. पहले 9 से 12 तक वार्षिक परीक्षा होती थी. नयी शिक्षा नीति के तहत नौ से बारहवीं कक्षा की परीक्षा सेमेस्टर में होगा. प्रत्येक छः महीने में एक सेमेस्टर की परीक्षा होगी. इस स्टेज में एक विदेशी भाषा यानि फॉरेन लैंग्वेज की शिक्षा दी जाएगी.

नई शिक्षा नीति 2020 के बारे में 

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत ग्रेजुएशन डिग्री 4 वर्ष की होगी. प्रत्येक वर्ष के लिए अलग-अलग प्रमाण-पत्र दिया जायेगा. जैसे-

  • 1 वर्ष की पढाई करने के बाद ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा.
  • 2 साल पढाई करने के बाद ग्रेजुएशन डिप्लोमा प्रमाण पत्र दिया जायेगा.
  • 3 वर्ष तक पढाई करने वाले को ग्रेजुएशन डिग्री मिलेगा.
  • 4 वर्ष का स्नातक करने वाले को रिसर्च यानि शोध ग्रेजुएशन प्रमाण पत्र दिया जायेगा.

इससे विद्यार्थियों को काफी फायदा होगा. जैसे अगर कोई बच्चा एक साल स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट दिया जायेगा. और दो वर्ष स्नातक की पढाई करता है, तो उसे ग्रेजुएशन डिप्लोमा प्राप्त होगा.

उसके बाद अगर वह किसी कारणवश पढाई छोड़ देता है. उसके बाद फिर एक या दो वर्ष के बाद ग्रेजुएशन की पढाई पूरी करना चाहता है. तो उसे फिर से प्रथम वर्ष में एडमिशन नहीं लेना होगा. उसे सीधा स्नातक 3rd year में एडमिशन मिल जायेगा. क्योंकि पहले से उसके पास दो वर्ष का प्रमाण पत्र है.

अगर पीजी यानि Post Graduation की बात करें, तो यह 1/2 वर्ष का होगा. आप एक या दो वर्ष का पोस्ट ग्रेजुएशन कर सकते हैं. लेकिन इसमें भी कुछ नियम है. जैसे- अगर आप तीन वर्ष का स्नातक डिग्री कोर्स किये है और आप पोस्ट ग्रेजुएशन करना चाहते हैं, तो आपको दो वर्ष का स्नातकोत्तर डिग्री करना होगा.केवल चार वर्षीय ग्रेजुएशन करने वालों को 1 वर्षीय स्नातकोत्तर में प्रवेश मिलेगा. 2020 की नयी शिक्षा नीति के तहत पीएचडी (PhD) कुल चार वर्ष की होगी.

NEP 2020 के लक्ष्य, उद्देश्य 

  • नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का लक्ष्य वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात 100 प्रतिशत करना.
  • पाँचवीं कक्षा तक की शिक्षा मातृभाषा /स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में उपलब्ध करवाना.
  • मातृभाषा को कक्षा-8 और उससे आगे की शिक्षा के लिए प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है.
  • इस नीति के तहत 3 से 18 साल तक के बच्चों को शिक्षा का अधिकार कानून, 2009 के अंतर्गत रखा गया है.
  • न्यू एजुकेशन पालिसी 2020 का उद्देश्य सभी छात्रों को उच्च शिक्षा प्रदान करना है.
  • 2025 तक पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3 से 6 वर्ष की आयु सीमा) को सार्वभौमिक बनाना.
  • इसके अन्तर्गत शिक्षा क्षेत्र पर सकल घरेलू उत्पाद के 6% हिस्से को सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है.
  • देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए ‘भारतीय उच्च शिक्षा परिषद’ नामक एक एकल नियामक की परिकल्पना की गई.

इसे भी पढ़ें: आधुनिक युग में शिक्षा की भूमिका क्या है? 

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नई शिक्षा नीति 2020 New Education Policy India 2020 in Hindi

नई शिक्षा नीति 2020 New Education Policy India 2020 in Hindi

आईए जानते हैं नई शिक्षा नीति (2020 New Education Policy India 2020 in Hindi) क्या है? साथ ही इसकी मुख्य विशेषताएं, ज़रूरत, फ़ायदे, लागू कब होगा, मुख्य चुनौतियों के विषय में बताया गया है।

Table of Content

भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कुछ बड़े बदलाव हुए हैं जिन्हें नई शिक्षा नीति 2020 का नाम दिया गया है। 11 सितम्बर को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में नई शिक्षा निति के बारे में बताया जिसमें 34 साल पुराने शिक्षा नीति में परिवर्तन कर नई शिक्षा नीति को भारत में जल्द लागू करने की बात कही।

जिससे विद्यार्थियों की क्रिएटिविटी ख़त्म हो रही है इसलिए नई शिक्षा नीति यह बेहद जरुरी हो गयी थी। साथ ही इससे विद्यार्थियों का मानसिक तनाव भी बढ़ रहा है।

पुरानी शिक्षा नीति क्या थी? What was the Old Historical Education Policy in India

भारत की प्रथम शिक्षा नीति का गठन 24 जुलाई 1968 में किया गया था जिसमें राष्ट्रीय एकता और समाजवाद का प्रतिबिम्ब मुख्य था। दूसरी बार 1986 में शिक्षा नीति में बदलाव किया गया।

नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताएं Important Features of New Education Policy India 2020 in Hindi

(NEP) New Education Policy 2020 में शिक्षा की पुरानी पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन करके एक नई शिक्षा पालिसी डॉक्यूमेंट को तैयार किया गया है जिसमें Read to Learn के बदले Learn to Read की नीति पर ख़ास जोर दिया गया है।

नई शिक्षा नीति क्यों जरुरी थी? Why NEP India 2020 is Important?

शिक्षा के पाठ्यक्रम में अधिकता और असंतुलन के कारण विद्यार्थी के ऊपर अनावश्यक भार स्वरुप बन रहा था। जहाँ कला और कौशल को आधार बनाना चाहिए था वहाँ किसी भी प्रकार उत्तीर्ण हो जाने की होड़ लगी हुई थी। बच्चे पाठ को समझने के बजाय रटने पर ध्यान अधिक केन्द्रित करते थे और परिणाम स्वरुप एक बड़ी मात्रा में समय और धन का सही उपयोग नहीं हो पाता था।

नई शिक्षा नीति के फायदे? Benefits of this 2020 New Education Policy in Hindi?

शिक्षा को जीवन का आधार  कहा गया है शिक्षा का सही अर्थ चीजों की वास्तविकता को जानना है ना कि कुछ किताबों को याद कर उन्हें कुछ पन्नों पर उतारना।

नई शिक्षा नीति के अनुसार छोटे बच्चों को अतिरिक्त भार से मुक्ति मिलेगी और उन्हें प्रारंभिक ज्ञान अपनी मातृभाषा या स्थानीय भाषा में मिलेगी जिसके कारण उनका शुरुआती विकास त्वरित होगा।

शिक्षा नीति में  विद्यार्थी के जिज्ञासा को प्राथमिकता दी गई है  रीड टू लर्न के स्थान पर लर्न टू रीड  पर विशेष जोर दिया गया है।

नई शिक्षा नीति के तहत इतिहास के विद्यार्थी विज्ञान शाखा को भी चुन सकेंगे तथा किसी भी दिक्कत के आने पर सब्जेक्ट ड्रॉप भी कर सकेंगे।

नई शिक्षा नीति कब से लागू होगी? Implementation of New Education Policy in India

नई शिक्षा नीति के अध्यक्ष टी.एस.आर सुब्रमण्यम जी ने 2016 में मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौपी थी जिसमें 20 अगस्त 2020  तक इसे लागू करने का प्रावधान था लेकिन आपदा के कारण इसमें देरी हुई।

नई शिक्षा नीति 2020 की सभी पॉलिसीस को लागू करने में कई साल लगेंगे क्योंकि भारत की स्कूल व्यवस्था बहुत ही पुरानी है। सरकार ने न्यू-प्री प्राइमरी एजुकेशन को 3 से 5 साल के विद्यार्थियों को 2025 तक उपलब्ध कराने का तानाबाना बुना है।

नई शिक्षा नीति को सन 2030 तक पुरे भारत में लागू करने का प्रावधान है जिसमें 3 से 18 वर्ष की आयु वाले सभी विद्यार्थियों को इस NEP- 2020 के अन्दर लाने का प्रयास होगा।

नई शिक्षा नीति के मार्ग की चुनौतियां Challenges in Implementation of NEP (New Education Policy) of India

इस 34 साल पुरानी शिक्षा पद्धति के कारण शिक्षकों तथा विद्यार्थियों की मानसिकता में परिवर्तन इस नीति के लिए बहुत बड़ी चुनौती होगी। शिक्षकों पर इस नीति को समझने तथा अमल में लाने का दबाव बढ़ेगा जिसके लिए उन्हें आवश्यक ट्रेनिंग की जरूरत होगी।

इस नई शिक्षा नीति को आत्मसात्करण करने में समय लग सकता है।  इसके प्रयासों में बड़े समय तथा साधनों की आवश्यकता होगी।

इस नई शिक्षा नीति को कारगर बनाने के लिए अनुभवी तथा क्रियात्मक शिक्षकों की आवश्यकता होगी जिन की भर्ती की गुणवत्ता को पहचानना एक मुख्य काम तथा चुनौती  होगी।

निष्कर्ष Conclusion

भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने अपने संबोधन में न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2020 के बारे में विस्तार से बताया है। आशा है यह नई शिक्षा नीति 2020 भारत के शिक्षा प्रणाली को और भी आसान और बेहतर बनाने में मदद करे।

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  • नई शिक्षा नीति 2020 का परिचय
  • भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण
  • पाठ्यक्रम और मूल्यांकन

नई शिक्षा नीति 2020 का परिचय 

शिक्षा का शाब्दिक अर्थ है सीखने और सिखाने की क्रिया | इस प्रकार हम कह सकते हैं कि किसी भी समाज में चलने वाली वह निरंतर प्रक्रिया जिसका उद्देश्य इंसान की आन्तरिक शक्तियों का विकास करना और उसके व्यवहार में सुधार लाना है | शिक्षा का प्राथमिक उद्देश्य ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाना है |

गौरतलब है कि आजादी के बाद भारत में पहली शिक्षा नीति सन 1986 में बनाई गई थी जो मुख्यतः लॉर्ड मैकाले की अंग्रेजी प्रधान शिक्षा नीति पर आधारित थी | इसमें सन 1992 में कुछ संशोधन भी किए गए किंतु इसका ढांचा मूलतः अंग्रेजी माध्यम शिक्षा पर ही केंद्रित रहा।

आज समय के साथ हमें यह महसूस हुआ कि 1986 की वह शिक्षा नीति में कुछ खामियां हैं इसके तहत बच्चा ज्ञान तो हासिल कर रहा है किन्तु यह ज्ञान उससे भविष्य में रोजगार के अवसर पैदा करने योग्य नही बन पा रहा हैं | 

अतः इन कमियों को दूर करने के लिए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाने की आवश्यकता पड़ी |

नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वीं शताब्दी की ऐसी पहली शिक्षा नीति है, जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए आने वाले आवश्यकता को पूरा करना है | यह नीति भारत की परंपरा और उसके सांस्कृतिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए 21वीं सदी की शिक्षा के लिए आकांक्षात्मक लक्ष्य, जिसके अंतर्गत शिक्षा व्यवस्था उसके नियमों का वर्णन सहित सभी पक्षों के सुधार और पुनर्गठन का प्रस्ताव रखता है | राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमता के विकास पर जोर देती है | यह नीति इस सिद्धांत पर आधारित है कि शिक्षा से ना केवल साक्षरता, उच्च स्तर की तार्किक और समस्या समाधान संबंधित संज्ञानात्मक क्षमताओं का विकास होना चाहिए बल्कि नैतिक सामाजिक और भावनात्मक स्तर पर भी व्यक्ति का विकास होना चाहिए |

नवीन शिक्षा नीति के महत्वपूर्ण तथ्य  

नई शिक्षा नीति के निर्माण के लिये जून 2017 में पूर्व इसरो प्रमुख डॉ. के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया था, इस समिति ने मई 2019 में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा’ प्रस्तुत किया था। ‘ राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020′ वर्ष 1968 और वर्ष 1986 के बाद स्वतंत्र भारत की तीसरी शिक्षा नीति होगी।  

  • NEP-2020 के तहत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर देश की जीडीपी के 6% हिस्से के बराबर निवेश का लक्ष्य रखा गया है।  
  • नई शिक्षा नीति में वर्तमान में सक्रिय 10+2 के शैक्षिक मॉडल के स्थान पर शैक्षिक पाठ्यक्रम को 5+3+3+4 प्रणाली के आधार पर विभाजित करने की बात कही गई है।   
  • तकनीकी शिक्षा, भाषाई बाध्यताओं को दूर करने, दिव्यांग छात्रों के लिये शिक्षा को सुगम बनाने आदि के लिये तकनीकी के प्रयोग को बढ़ावा देने पर बल दिया गया है।
  • इस शिक्षा नीति में छात्रों में रचनात्मक सोच, तार्किक निर्णय और नवाचार की भावना को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया है।
  • कैबिनेट द्वारा ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय’ का नाम बदल कर ‘शिक्षा मंत्रालय’ करने को भी मंज़ूरी दी गई है। 
  • 3 वर्ष से 8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये शैक्षिक पाठ्यक्रम का दो समूहों में विभाजन        –   3 वर्ष से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिये आँगनवाड़ी / बालवाटिका/ प्री-स्कूल  के  माध्यम से मुफ्त, सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण “प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा” की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • 6 वर्ष से 8 वर्ष तक के बच्चों को प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा-1 और 2 में शिक्षा प्रदान की जाएगी।
  • प्रारंभिक शिक्षा को बहुस्तरीय खेल और गतिविधि आधारित बनाने को प्राथमिकता दी जाएगी।

NEP-2020 में कक्षा-5 तक की शिक्षा में मातृभाषा/ स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्यापन के माध्यम के रूप में अपनाने पर बल दिया गया है, साथ ही इस नीति में मातृभाषा को कक्षा-8 और आगे की शिक्षा के लिये प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।   Top  

भाषाई विविधता को बढ़ावा और संरक्षण:

  • स्कूली और उच्च शिक्षा में छात्रों के लिये संस्कृत और अन्य प्राचीन भारतीय भाषाओं का विकल्प उपलब्ध होगा परंतु किसी भी छात्र पर भाषा के चुनाव की कोई बाध्यता नहीं होगी।
  • बधिर छात्रों के लिये राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर पाठ्यक्रम सामग्री विकसित की जाएगी तथा भारतीय संकेत भाषा ISL को पूरे देश में मानकीकृत किया जाएगा।  
  • NEP-2020 के तहत भारतीय भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिये एक ‘भारतीय अनुवाद और व्याख्या संस्थान’ IITI, ‘फारसी, पाली और प्राकृत के लिये राष्ट्रीय संस्थान (या संस्थान)’ [National Institute (or Institutes) for Pali, Persian and Prakrit] स्थापित करने के साथ उच्च शिक्षण संस्थानों में भाषा विभाग को मज़बूत बनाने एवं उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापन के माध्यम से रूप में मातृभाषा/ स्थानीय भाषा को बढ़ावा दिये जाने का सुझाव दिया है।

  Top  

पाठ्यक्रम और मूल्यांकन:

  • इस नीति में प्रस्तावित सुधारों के अनुसार, कला और विज्ञान, व्यावसायिक तथा शैक्षणिक विषयों एवं पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं होगा।
  • कक्षा-6 से ही शैक्षिक पाठ्यक्रम में व्यावसायिक शिक्षा को शामिल कर दिया जाएगा और इसमें इंटर्नशिप की व्यवस्था भी दी जाएगी।
  • ‘राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद’ NCERT द्वारा ‘स्कूली शिक्षा के लिये राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा’ तैयार की जाएगी।
  • NEP-2020 में छात्रों के सीखने की प्रगति की बेहतर जानकारी हेतु नियमित और रचनात्मक आकलन प्रणाली को अपनाने का सुझाव दिया गया है। साथ ही इसमें विश्लेषण तथा तार्किक क्षमता एवं सैद्धांतिक स्पष्टता के आकलन को प्राथमिकता देने का सुझाव दिया गया है।   
  • छात्रों के समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए कक्षा-10 और कक्षा-12 की परीक्षाओं में बदलाव किये जाएंगे। इसमें भविष्य में समेस्टर या बहुविकल्पीय प्रश्न आदि जैसे सुधारों को शामिल किया जा सकता है।
  • छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिये मानक-निर्धारक निकाय के रूप में ‘परख’ नामक एक नए ‘राष्ट्रीय आकलन केंद्र’ की स्थापना की जाएगी।
  • NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में ‘सकल नामांकन अनुपात’ (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में 3.5 करोड़ नई सीटों को जोड़ा जाएगा।
  • NEP-2020 के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में महत्त्वपूर्ण सुधार किया गया है, इसमें मल्टीपल एंट्री एवं एग्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है, इसके तहत 3 या 4 वर्ष के स्नातक कार्यक्रम में छात्र कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाण पत्र दिये जाएगा  – 
  • 1 वर्ष के बाद प्रमाण पत्र (सर्टिफिकेट )
  • 2 वर्ष के बाद डिप्लोमा 
  • 3 वर्ष के बाद डिग्री 
  • 4 वर्ष के बाद शोध के साथ स्नातक

विभिन्न उच्च शिक्षण संस्थानों से प्राप्त अंकों या क्रेडिट को डिजिटल रूप से सुरक्षित रखने के लिए एक अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट दिया जाएगा ताकि अलग अलग संस्थानों में छात्रों के प्रदर्शन के आधार पर उन्हें डिग्री प्रदान की जा सकते हैं |

  • नई शिक्षा नीति के तहत एम फिल कार्यक्रम को समाप्त कर दिया गया है |

भारत उच्च शिक्षा आयोग

चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिये एक एकल निकाय के रूप में भारत उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India -HECI) का गठन किया जाएगा। HECI के कार्यों के प्रभावी और प्रदर्शितापूर्ण निष्पादन के लिये चार संस्थानों/निकायों का निर्धारण किया गया है-

  • विनियमन हेतु- ‌ National Higher Education Regulatory Council- NHERC
  • मानक निर्धारण- General Education Council- GEC 
  • वित पोषण-  Higher Education Grants Council-HEGC
  • प्रत्यायन- National Accreditation Council- NAC

नवीन शिक्षा नीति के पूर्व शैक्षणिक परिद्रश्य   

  नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आने से पूर्व भारत में 1986 की शिक्षा नीति संचालित थी जिसमें केवल किताबी बातों पर ध्यान दिया जाता था पुराने शिक्षा नीति में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं था की स्कूल मैं कक्षा छठवीं से बारहवीं तक अर्जित किया गया ज्ञान भविष्य में कैसे रोजगार सृजन में सहायक होगा। पुराने शिक्षा नीति पाठ्यक्रम प्रधान थी, जिसमें इस बात पर जोर दिया जाता था। बचपन से ही बच्चों को अंग्रेजी में पढ़ने लिखने हेतु विवश किया जाता था, जिस कारण बच्चा अपनी मातृभाषा से अनभिज्ञ बना रहा। पहले उच्च शिक्षा ग्रहण करने के दौरान यदि किसी कारणवश बच्चा 1 या 2 साल बाद पढ़ाई बीच में छोड़ता था तो उसका नुकसान होता था।  1 या 2 वर्षों में उसने जो कुछ भी सीखा उसका कोई प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं होता था जिसके कारण पुनः डिग्री करने के लिए उसे अपने साल बर्बाद करने पड़ते थे। पहले कंप्यूटर या तकनीकी ज्ञान का अभाव था, बच्चा उच्च शिक्षण संस्थानों में जाकर कोडिंग का ज्ञान लेता था किंतु अब छठी कक्षा से ही बच्चों को कोडिंग सिखाई जाएगी।NEP-2020 में एक ऐसे पाठ्यक्रम और अध्यापन प्रणाली/विधि के विकास पर बल दिया गया है जिसके तहत पाठ्यक्रम के बोझ को कम करते हुए छात्रों में 21वीं सदी के कौशल के विकास, अनुभव आधारित शिक्षण और तार्किक चिंतन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाए।  पहले कॉलेज से 3 साल की डिग्री लेने के बाद 2 वर्ष स्नातकोत्तर और फिर 2 वर्ष का एमफिल उसके बाद 5 वर्ष पीएचडी करने के बाद शोध उपाधि प्राप्त हो पाती थी। किंतु अब एम फिल को समाप्त कर दिया है।  

1. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) 2020 में, भाषा एक नकारात्मक कारक है क्योंकि भारत में एक समस्याग्रस्त शिक्षक से छात्र अनुपात है, इसलिए शैक्षणिक संस्थानों में प्रत्येक विषय के लिए मातृभाषा की शुरूआत एक समस्या है। कभी-कभी एक सक्षम  शिक्षक ढूंढना एक समस्या बन जाता है और अब NEP 2020 की शुरुआत के साथ एक और चुनौती आती है, जो अध्ययन सामग्री को मातृभाषा में लाता है।

2. 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (National Education Policy) के अनुसार, जो छात्र स्नातक की पढ़ाई पूरी करना चाहते हैं, उन्हें चार साल की पढ़ाई करनी होगी, जबकि कोई भी आसानी से दो साल में अपना डिप्लोमा पूरा कर सकता है।

यह छात्र को पाठ्यक्रम को आधा छोड़ने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है।

3. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार, निजी स्कूलों के छात्रों को सरकारी स्कूलों के छात्रों की तुलना में बहुत कम उम्र में अंग्रेजी से परिचित कराया जाएगा। सरकारी स्कूल के छात्रों को संबंधित क्षेत्रीय भाषाओं में शैक्षणिक पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा।

यह नई शिक्षा नीति की प्रमुख कमियों में से एक है क्योंकि इससे अंग्रेजी में संवाद करने में असहज छात्रों की संख्या में वृद्धि होगी और इस प्रकार समाज के वर्गों के बीच की खाई को चौड़ा किया जा सकेगा।

नई शिक्षा नीति के सकारात्मक परिणाम

  • नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर विशेष जोर दिया गया है जिससे बच्चा बचपन से ही अपनी मातृभाषा को अच्छे से समझ और जान पाएगा।
  • इस नई नीति के तहत यदि कोई बच्चा अपनी उच्च शिक्षा पूरी कर पाने में असमर्थ है या 3 वर्ष का कोर्स पूरा नहीं कर पाता है तो भी उसका नुकसान नहीं होगा उसे सर्टिफिकेट, डिप्लोमा प्राप्त हो पाएगा। जिसका उपयोग वह रोजगार के क्षेत्र में कर पाएगा।
  • छठी कक्षा से ही बच्चों को इंटर्नशिप कराई जाएगी जिससे व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे।
  • शिक्षा नीति में कोडिंग को भी शामिल किया गया है, यानी बच्चे मात्र किताबी और व्यावहारिक ज्ञान ही नहीं अपितु तकनीकी क्षेत्र में भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
  • कुल मिलाकर यह नीति बच्चे के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करेगी।

2020 में नई शिक्षा नीति 30 वर्षों के बाद आई और भारत की मौजूदा शैक्षणिक प्रणाली को अकादमिक के अंतरराष्ट्रीय स्तर के बराबर बनाने के उद्देश्य से बदलने के लिए पूरी तरह तैयार है। भारत सरकार का लक्ष्य वर्ष 2040 तक एनईपी की स्थापना करना है। लक्षित वर्ष तक, योजना का मुख्य बिंदु एक-एक करके लागू किया जाना है। 

एनईपी 2020 द्वारा प्रस्तावित सुधार केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से लागू होगा। कार्यान्वयन रणनीति पर चर्चा के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तर के मंत्रालयों के साथ विषयवार समितियों का गठन किया जाएगा।   Top   निष्कर्ष 

यह भारतीय मूल्यों से विकसित शिक्षा प्रणाली है जो सभी को उच्च गुणवत्ता शिक्षा उपलब्ध कराकर और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाकर भारत को एक जीवंत बनाए समाज में बदलने के लिए प्रत्यक्ष रूप से योगदान करेगी | इस नीति में परिकल्पित है हमारे संस्थानों की पाठ्य चर्चा और शिक्षा विधि जो छात्रों में अपने मौलिक दायित्व और संवैधानिक मूल्य देश के साथ जुड़ाव और बदलते विश्व में नागरिक की भूमिका के उत्तरदायित्व की जागरूकता उत्पन्न करें | इस नीति का विजन है छात्रों में, भारतीय होने का गर्व, केवल विचार में नहीं बल्कि व्यवहार, बुद्धि और कार्यों में भी रहे ; साथ ही ज्ञान, कौशल, मूल्यों और सोच में भी होना चाहिए | जो मानव अधिकार हो स्थाई विकास और जीवन यापन तथा वैश्विक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध हो ताकि वह सही मायने में एक योग्य  नागरिक बन सकें |   Top  

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New Education Policy 2020 in Hindi | NEP 2022 PDF link

NEP 2020 जिसे हिन्दी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा जाता है। 29 जुलाई 2020 भारत सरकार के कैबिनेट द्वारा नयी शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी मिल गई।

Table of Contents

New Education Policy 2020 के महत्तवपूर्ण पहलू –

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) का नाम बदल कर अब शिक्षा मंत्रालय अर्थात Education Department) रख दिया गया है।

5 आयु वर्ष से पहले बच्चों के लिए बलवाटिका या प्रारम्भिक कक्षा की सुविधा ।

कक्षा 6 th से विद्यार्थी शिक्षा के साथ कोडिंग सीख सकते हैं।

आधुनिक काल को देखते हुए बच्चे अपनी रुचि के अनुसार कोडिंग सीख पाएंगे ताकि आगे बच्चों के कौशल के विकास में लाभदायक साबित हो।

बोर्ड परीक्षा के तनाव को काम काम करने के लिए साल में दो बार परीक्षा आयोजित हो सकती है। उद्देश्य और वर्णनात्मक ।  बोर्ड परीक्षा में रट्टा लगाने के बजाए विद्यार्थियों के सीखने की क्षमता की जांच की जाएगी।

मेट्रिक/ 10 th की बोर्ड परीक्षा को खतम किया जाएगा।

छात्रों के लिए 360 डिग्री समग्र रिपोर्ट व जांच ,

10+2 की बोर्ड परीक्षा नहीं होगी।

5+3+3+4 विद्यालय संरचना ।

5 वर्ष तक प्री प्राइमेरी

कोई डिग्री 4 वर्षीय होगी।

कक्षा 6 th से वोकैशनल शिक्षा पर जोर।

कक्षा 8 वीं से 11 वीं तक छात्र अपने अनुसार विषयों का चयन कर पाएंगे।

सभी Graduation कॉर्सेस में मेजर एवं माइनर होंगे। जैसे कोई विज्ञान विद्यार्थी फिज़िक्स को मेजर संकाय एवं म्यूजिक को माइनर संकाय के तौर पर पढ़ सकते हैं।

नई शिक्षा नीति

NEP 2020NEW EDUCATION POLICY 2020
NEP IN HINDIनई शिक्षा नीति
NEW EDUCATION POLICY 2020 pdf
1ST NEP1968
2ND NEP1986 – 1992 में संशोधन
3rd NEP2020

सभी उच्च शिक्षा एक अथॉरिटी के अंतर्गत होंगे।

UGC, AICTE को मर्ज कर दिया जाएगा केवल NTA रहेगा।

सभी विश्वविद्यालय सरकारी निजी,खुला, वोकैशनल में समान ग्रेडिंग एवं नियम लागू होंगे।

किसी भी कोर्स में प्रवेश , एवं छोड़ने के लिएविद्यार्थी सावतंत्र होंगे।

सभी विद्यालयी परीक्षा सिमेस्टर वाइज़ होंगे साल में दो सिमेस्टर होंगे।

छात्रों के प्रायोगिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाएगा।

अभ्यर्थी कोई Graduation कोर्स का एक वर्ष पूरा होने पर बेसिक सर्टिफिकेट , दो वर्ष पूरा करने पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट, एवं तीन वर्ष अर्थात कोर्स पूरा करने पर डिग्री सर्टिफिकेट दी जाएगी।

New Education Policy 2020 की विशेषताएं-

2030 तक स्कूली शिक्षा में 100 प्रतिशत जी इआर के साथ प्री प्राइमेरी से माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा का सर्वभौमिकरण का लक्ष्य रखा गया है।

New Education Policy 2020  के तहत विद्यालय  से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को फिर से नामांकन का लक्ष्य /।

3 साल की आँगनबाड़ी के साथ 12 वर्ष की स्कूली शिक्षा का 5+3+3+4 पाठ्यक्रम ।

बच्चों के पढ़ने लिखने और गणना करने की बुनियादी योग्यता पर जोर।

कक्षा 6 से इंटर्नशिप के साथ व्यवसायिक शिक्षा प्रारंभ

न्यूनतम क्लास 5 तक मातृभाषा / क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई हो,

समग्र विकास कार्ड के साथ मूल्यांकन प्रक्रिया सुधार , पठन पाठन के दौरान बच्चों की प्रगति पर नजर रखना ।

उच्च शिक्षा में साढ़े तीन करोड़ नई सीटें शामिल की जाएंगी।

उच्च शिक्षा  पाठ्यक्रम में विषयों की विविधता होंगी।

  किसी भी कोर्स में उपउक्त प्रमाण पत्र के साथ पाठ्यक्रम के बीच में नामांकन/ निकास की इजाजत होगी।

Transfer ऑफ क्रेडिट की सुविध के लिए ऐकडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट की स्थापना।

बेहतर अनुसंधान को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना।

उच्च शिक्षा के आसान मगर सख्त विनियम,

New Education Policy 2020  में जरूरत के हिसाब से technology के उपयोग पर जोर, एवं राष्ट्रीय शिक्षा प्रोद्योगिकी मंच की स्थापना।

नई शिक्षा नीति में स्कूली और उच्च शिक्षा दोनों में बहुभाषा को बढ़ावा देना।

पाली, फारसी, एवं प्राकृत के लिए व व्याख्या और अनुवाद संस्थान की स्थापना की जाएगी।

New Education Policy 2020 की महत्त्वपूर्ण पॉइंट्स-

स्कूली शिक्षा-.

विद्यालय शिक्षा के सभी स्तरों पर सबकी एकसमान पहुँच सुनिश्चित करना।

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों प्री प्राइमेरी से माध्यमिक स्तर तक सब के लिए एक समान शिक्षा का अवसर।

विद्यालय छोड़ चुके बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ने के लिए स्कूल के बुनियादी संरचना को और बेहतर बनाना।

ओपचारिक और गैर औपचारिक शिक्षा के साथ बहुस्तरीय सुविधा उपलब्ध कराना।

कक्षा  3, 5 एवं 8 केलिए NIOS एवं अन्य ओपन यूनिवर्सिटी के माध्यम से दुरस्त शिक्षा के माध्यम से लर्निंग की सुविधा।

कक्षा 10वीं और 12वीं के बराबर माध्यमिक शिक्षा कार्यक्रम एवं व्यवसायिक शिक्षा , वयस्क साक्षरता, और जीवन संवर्धन कार्यक्रम जैसी सुविधाओं पर ज्यादा जोर दिया जाएगा।

शिक्षा से दूर लगभग 2 करोड़ बच्चों को शिक्षा से जोड़ना।

नई शिक्षा के तहत पुराने पाठ्यक्रम 10+2 की जगह 5+3+3+4 का नया पाठ्यक्रम संरचना लागू किया जाए।

3-8 साल के बच्चों के लिए प्री प्राइमेरी , 8-11 वर्ष के बच्चों के लिए प्राइमेरी, 11-14 वर्ष के बच्चों के लिए मिडल स्कूल 14-18 आयु वर्ष के बच्चों के लिए माध्यमिक शिक्षा की सुविधा रहेगी।

NCERT द्वारा 8 वर्ष तक के लिए बच्चों  प्रारम्भिक बचपन देखभाल और शिक्षा के लिए (NCPFECCE) एक राष्ट्रीय कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

विद्यालयों में के पाठ्यक्रम में न नवाचार-

21वीं शताब्दी के प्रमुख कौशल एवं व्यवहारिक जानकारी से बच्चों को आगाह कराना, एवं पाठ्यक्रम को काम  करते हुए बच्चों को अनुभवात्मक , प्रयागात्मक पर अधिक जोर देना।

6वीं कक्षा से ही व्यवसायिक( रोजगार ) शिक्षा शुरू होगी और शिक्षा के साथ इंटर्नशिप भी शामिल की जाएगी।

नयी एवं व्यापक पाठ्यक्रम रूपरेखा (NCFSE) 2020-21  NCERT द्वारा विकसित की जाएगी।

बहुभाषा शिक्षा प्रणाली-

म्यूनतम कक्षा 5 तक या कक्षा 8 तक या उससे आगे मातृभाषा क्षेत्रीय भाषा के माध्यम से शिक्षा देने पर अधिक जोर।

स्कूल के सभी स्तरों में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर रहेगा।

त्रि-भाषा फार्मूला में भी यह विकल्प रहेगा ।

आकलन / मूल्यांकन में सुधार-

New Education Policy 2020  के तहत योगात्मक आकलन के बजाए नियमित एवं रचनात्मक आकलन को अपनाया जाएगा।

विद्यार्थी कक्षा 3 ,5 एवं 8 में विद्यालय स्तर पर परीक्षा देंगे।

एवं कक्षा 10, एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रहेंगी, लेकीम समग्र विकास / आकलन के लिए एक नया स्वरूप  दिया जाएगा।

New Education Policy 2020   के अंतर्गत Teacher Recrutiment-

नई शिक्षा नीति के तहत Teacher Recrutiment में बदलाव होगा।

शिक्षकों की बहाली एक प्रभावकारी एवं पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए की जाएगी।

शिक्षकों की पदोन्नति योग्यता के आधार पर की जाएगी।

सभी शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय प्रोफेशनल मानक (NPST) NCTE द्वारा 2022 तक तैयार किया जाएगा। जिस में NCERT, SCERT एवं शिक्षकों, विशीषज्ञों से परामर्श लिया जाएगा।

समग्र एवं बहुविष्यक शिक्षा –

मल्टीपल एंट्री एवं मल्टीपल EXIT के साथ स्नातक स्तरीय डिग्री का अवसर होगा। कभी भी Graduation में प्रवेश ले पाएंगे एवं कोर्स से निकास कर सकते हैं। जैसे Graduation में 1 वर्ष पूरा होने पर सर्टिफिकेट , 2 वर्षों के बाद एडवांस डिप्लोमा, 3 वर्षों के बाद स्नातक की डिग्री दी जाएगी।  मतलब अभ्यर्थी किसी कारण से Graduation में ड्रॉप आउट करते हैं तो उन्हें नुकसान नहीं होगा। फिर कभी भी दोबारा प्रवेश ले सकते हैं।

 उच्च शिक्षा को मजबूत अनुसंधान क्षमता को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की स्थापना की जाएगी।

चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर सभी उच्च स्तरीय शिक्षा केलिए एक एकल उच्च शिक्षा आयोग (HECI) का गठन किया जाएगा।

Teacher Education नियम NEP 2020 के तहत –

New Education Policy 2020  लागू होने के बाद अध्यापक शिक्षण में बदलाव किया जाएगा। NCERT के परामर्श से NCTE द्वारा Teacher Education के लिए एक नया, व्यापक syllabus NCFTE 2021 तैयार किया जाएगा।

2030 तक शिक्षक  बनने के लिए कम से कम 4 वर्षीय integrated B.Ed डिग्री होना जरूरी होगा।

New Education Policy 2020  में Scholership संबंधित व्यवस्था-

SC, ST, OBC एवं अन्य विशिष्ट श्रेणी के छात्रों के लिए उनकी योग्यता को प्रोत्साहित करने के लिए छात्रवृत्ति की सुविधा दी जाएगी।

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11 Aug, 2024 | 10:49 AM IST

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Thematic Session

1. session brief.

The Bhartiya way is sustainable and strives for the welfare of all. It is important that we regain the comprehensive knowledge system of our heritage and demonstrate the ‘Indian way’ of doing things to the world. This requires training generations of scholars who will demonstrate and exemplify to the world a way of life so unique and peculiar to our great civilization.

The NEP, 2020 recognizes this rich heritage of ancient and eternal Indian knowledge and thought as a guiding principle. The Indian Knowledge Systems comprise of Jnan, Vignan, and Jeevan Darshan that have evolved out of experience, observation, experimentation, and rigorous analysis. This tradition of validating and putting into practice has impacted our education, arts, administration, law, justice, health, manufacturing, and commerce. This has influenced classical and other languages of Bharat, that were transmitted through textual, oral, and artistic traditions. “Knowledge of India” in this sense includes knowledge from ancient India and, its successes and challenges, and a sense of India’s future aspirations specific to education, health, environment and indeed all aspects of life.

The main objective of drawing from our past and integrating the Indian Knowledge Systems is to ensure that our ancient systems of knowledge represented by unbroken tradition of knowledge transmission and providing a unique perspective (Bhāratiya Drishti) is used to solve the current and emerging challenges of India and the world.

The IKS is to be incorporated in scientific manner in the school and higher educational curriculums. This would include tribal knowledge and indigenous and traditional ways of learning and will cover and include mathematics, astronomy, philosophy, yoga, architecture, medicine, agriculture, engineering, linguistics, literature, sports, games, as well as governance, polity and conservation. Specific courses in tribal ethno-medicinal practices, forest management, traditional (organic) crop cultivation, natural farming, etc. will also be made available. An engaging course on Indian Knowledge Systems will also be available to students in secondary school as an elective.

The policy recognizes that the knowledge of the rich diversity of India should be imbibed first hand by learners. This would mean including simple activities, like touring by students to different parts of the country, which will not only give a boost to tourism but will also lead to an understanding and appreciation of diversity, culture, traditions, and knowledge of different parts of India. Towards this direction under ‘Ek Bharat Shrestha Bharat’, 100 tourist destinations in the country will be identified where educational institutions will send students to study these destinations and their history, scientific contributions, traditions, indigenous literature, and knowledge, etc., as a part of augmenting their knowledge about these areas.

In order to realize these goals of NEP 2020, a number of activities have been undertaken by the Ministry of Education, Regulatory Bodies (UGC & AICTE) and HEIs. Some of the initiatives taken by Ministry are as under:

  • Guidelines for Incorporating Indian Knowledge in Higher Education Curricula has been issued on 13.06.2023 – It emphasizes on the promotion of Indian Languages, Arts and Culture, and tries to remove the discontinuity in the flow of Indian Knowledge System (lKS) by integrating IKS into curriculums at all levels of education. It prescribes that every student enrolled in a UG or PG programme should be encouraged to take credit courses in IKS amounting in all to at least 5% of the total mandated credits (interested students may be allowed to take a larger fraction of the total mandated credits). At least 50% of the credits apportioned to the IKS should be related to the major discipline and should be accounted for the credits assigned to the major discipline. The medium of instruction for the IKS courses could be any of the Indian languages.
  • Guidelines for Training/Orientation of Faculty on Indian Knowledge System (IKS) has been issued on 13.04.2023 – it enables the faculties to generate a positive attitude towards IKS and promote interest in knowing and exploring more through induction programs and refresher courses.
  • Guidelines for Empanelment of Artists/Artisans–in–Residence in Higher Educational Institutions has been issued on 08.05.2023 - To create collaboration between Artists and HEIs, to develop an effective structure of art education, involving skilled Kala Gurus in teaching, research, and other academic activities on a regular basis, which will synergize the artistic experience with the conventional education to be more productive and beneficial for the students.
  • Guidelines for the introduction of courses based on Indian heritage and culture have been issued on 08.05.2023 – to make people familiar with the rich cultural and intellectual heritage of India and offer short term multi-tier credit based modular programme with multiple entry and exit based on Indian heritage and culture. It includes dissemination and imparting of knowledge of various dimensions of learning in the spheres of Universal human values, Vedic Maths, Yoga, Ayurveda, Sanskrit, Indian Languages, sacrosanct religious regions located in the Indian subcontinent, Archaeological sites and monuments, Heritage of India, Indian Literature, Indian Sculpture, Indian Music and dance forms, Drama, Visual Arts, Performing Arts, Crafts and Craftsmanship etc.
  • The IKS has made provision has been established for awarding minor degree to students who complete 18 to 20 credits in IKS.
  • 32 IKS Centres established to catalyse original research, education, and dissemination of IKS.
  • Ongoing 75 high end inter-disciplinary research facility like ancient metallurgy, ancient town planning and water resource management, ancient rasayanshastra etc. projects are being put in place.
  • Around 5200 internships on IKS have been offered.
  • Conducted 50 faculty development programs, workshops, and National/International conference. (j) 8000+ HEIs have started adopting IKS in their curriculum and worked on digitization of 1.5 Lakhs book.
  • The IKS Division of the Ministry of Education in collaboration with the Ministry of Culture and partner institutions through the Dhara Conference series has succeeded in reaching at least 6Cr+ citizens of this country directly and indirectly regarding various contributions of ancient Indian Knowledge Systems, taking into consideration their relevance in the present and exploring their scope for the future.
  • The IKS Division has brought together leading thinkers and practitioners of various knowledge domains to develop Vision 2047 documenting a roadmap for establishing thriving Bhāratīya Gnana Paramparā.

By drawing from our vast knowledge it would be easier to promote and enable further research to address the challenges of our present times. With such inclusion in mainstream education, these courses would inspire while restoring the legacy of our knowledge systems. Exposure to both traditional and modern ideas can help pupils better understand their cultural ethos, broaden their intellectual horizons, and boost their self-assurance.

In the First national Conference of Chief Secretaries held in June, 2022, it was decided to ensure “Research and Dissemination of Indian Knowledge System / traditional medicines to make it globally accepted as science / medicine and to develop appropriate protocol”.

It is also envisioned to ensure availability of content and courses in 22 scheduled Indian languages by implementing Project FIT - Technology for Language, In Language, Through Language and Learning experience platforms to offer personalized learning, engaging content and ‘Divyang’ friendly content in Indian Languages.

15.1 Expected Outcomes of the Session

The session would provide a forum where institutions and stakeholders can collaborate to restore and re-evolve Indian Knowledge Systems and also foster successful integration of Indian Knowledge Systems with contemporary knowledge systems.

  • Discuss how the knowledge of India can be integrated with contemporary knowledge system to address current and emerging challenges of India and the world especially in the areas of health, education, agriculture, environment etc.
  • Discuss mechanisms for evolving appropriate protocols for IKS studies and methodologies to integrate with research in contemporary knowledge systems in ways that are globally acceptable.
  • Identify the mechanisms for incentivising the HEIs and students to perform serious scholarly inter-disciplinary research.
  • Identify subjects related to IKS which will not only attract Indian students, but also foreign students which will serve the goal of Internationalisation at home.
  • Find ways to achieve ‘Janbhagidari’ for the development and propagation of IKS.

15.2 Roadmap for Institutes

  • Mandatory credit component - Universities in all States/UTs may introduce learner credits or IKS electives in all courses for imbibing learners across all disciplines with traditional knowledge and pride. UGC has already made it mandatory to include 5% of the total credits in the curriculum related to the IKS courses. AICTE has introduced IKS course for the first-year students in Engineering colleges.
  • Designing regional courses - States/UTs may document their respective native cultures, arts, crafts, traditions, architecture, food habits, languages, etc to tailor dedicated courses for learners.
  • Scope of collaborations - Given the globalized history of India, multidisciplinary courses designed by universities may consider the scope of collaborating internationally wherever possible. For example, NCERT is undertaking inclusion of text highlighting historical ties between India and Indonesia at school level.
  • Online/ODL courses - Existing IKS courses may be synced to digital learning platforms (SWAYAM, NPTEL) and via ODL for learners across geographies.
  • Recruitment - Entrance exam syllabus may be launched as a subject for testing under UGC-NET to create a cadre of specialized IKS faculty and researchers.
  • Regularized faculty training - Modules for training and orientation of educators may be designed to improve quality of classroom delivery on IKS courses.
  • Establishment of specialized teacher training centers for training teachers in specialized topics of the Indian Knowledge Systems by specialized IKS faculty.
  • IKS Internships – Provide avenues for student internships/apprenticeships and provide counselling to IKS learners in convergence with BGSamvahan Karyakram, the internship programme launched by the IKS Division of MoE.
  • Hands-on-workshops: Provide opportunities for students to learn various skills in hands on workshops from the experts.
  • Hackathons: Conduct specialized IKS themed Hackathons and include IKS related topics in the Smart India Hackathon in synergy with the topics given by IKS Division of MoE.
  • Translation of academic content – Translation of Teaching Learning Materials for all disciplines into local languages may be done by IKS Centres to engage diverse learners & preserve indigenous identity.
  • Priority research funding - Dedicated research grants may be proposed through NRF in the future to boost IKS-related research proposals.
  • Make catalytic grants that encourage original, serious, and deep scholarly research in the IKS and rejuvenate IKS research in India.
  • Introduce IKS into the prestigious schemes such as PMRF for attracting best talent into the interdisciplinary IKS research.
  • Promote innovation in the IKS through various grand national challenges, national competitions, and hackathons and incentivizing the innovation.
  • International collaborations – Institutions may access global collaborations through institutions such as Indian Council of Historical Research (ICHR) for conducting India-centric research. Include IKS as a theme in the ASEAN fellowships to foster collaborations among scholars and nurture next generation of scholars.
  • Establish institutional support mechanisms through the establishment of the IKS centers which will be catalysts for initiating research, education, and outreach activities in various parts of the country.
  • Provide initial seed funding for the establishment of IKS Centers in various HEIs. Provide additional funding to establish global Centers of Excellence in focused areas.
  • Reach out to public through various mechanisms (MyGOV competitions, conferences, exhibitions, programs on radio and television, social media, etc) to disseminate and popularize authentic IKS knowledge to develop informed and confident citizenry.
  • Involve people in various IKS initiatives through Jan Bhagidari programs similar to citizen science initiatives.
  • Create employment opportunities for youth through skill based IKS based programs such as IKS based beautician and cosmetician training programs, Ayurveda based dietician programs, Gandhashastra based perfumery, among many uniquely IKS based skills.
  • Promote heritage technology by bringing technology solutions to showcase the Indian heritage to Indians and the world. Aim to capture 10% of the world tourism market values at $10.5 Trillion in 2022 and provide massive employment opportunities to our youth.

Name of Panelist

Prof. Raghuvendra Tanwar, Chairman, ICHR
Prof. Ganti Suryanarayana Murthy, IIT Indore
Shri Chamu K Shastry, Chairman, Promotion of Indian Languages
Prof. Michel Danino, IIT, Gandhinagar
Shri Gajanan Londhe, Executive Director, Samvit Research Foundation

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The ncrf provides for creditiation of all learning levels including academic, vocational, skill, accumulation, storage, transfer & redemption of credits, and its operationlisation through the academic bank of credits (abc)..

UGC Issues SOPs To Implement National Credit Framework (NCrF)

UGC Issues SOPs To Implement National Credit Framework (NCrF)

Amit Shah is also scheduled to meet with prominent citizens in Jaipur.

The University Grant Commission (UGC) has issued a letter regarding the SOPs for the implementation of the National Credit Framework (NCrF) in Higher Education, Vocational Education, Training and Skilling (VETS), and School Education. UGC notified the National Credit Framework (NCrF) on April 10, 2023, and requested all the Higher Educational Institutions (HEIs) to adopt NCrF in their respective institutions.

The Ministry of Education constituted a High-level Committee (HLC) to formulate Standard Operating Procedures (SOPs) to implement the NCrF. The HLC developed SOPs for the implementation of NCrF.

Read also:  Fact-Check: Education Minister’s Claims On Class 6 NCERT Textbooks False

The commission issued a copy of SOPs for the operationalization of NCrF in Higher Education, Vocational Education, Training and Skilling (VETS), and School Education. The commission asked Higher Educational Institutions (HEIs) to use the SOPs for the implementation of NCrF.

UGC Updates: UGC letter regarding the SOPs for the implementation of the National Credit Framework (NCrF) in Higher Education, Vocational Education, Training and Skilling (VETS) and School Education. Read the UGC Letter here: https://t.co/ZsHCadc97z #UGC #NCrF … pic.twitter.com/fgG51OaX3M — UGC INDIA (@ugc_india) August 8, 2024

The National Education Policy (NEP) 2020, envisions a disruptive transformation in the education system to make India a global knowledge superpower and to realise it a High Level Committee (HLCs) to formulate the National Credit Framework (NCrF). Memebers of UGC, CBSE, NCERT, AICTE, NCVET, Dept of School Education and Learning & Department of Higher Education, Ministry of Education, DGT and Ministry of Skill Development were part of HLC.

Read also:  DU Extends CSAS UG Phase 2 Deadline To August 9

The NCrF provides for creditiation of all learning levels including academic, vocational, skill, accumulation, storage, transfer & redemption of credits, and its operationlisation through the Academic Bank of Credits (ABC). The High Level Committee of NCrF suggested to create SOP for integrating Higher Education with Vocational education, training & skilling.

The detailed guidelines are issued to follow the SOPs for the effective implementation of the NCrF.

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NPE 1986 b.ed Notes In Hindi | राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986

NPE 1986 Bed Notes in hindi

इस पोस्ट में हम  B.ed के अभ्यर्थियों के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ( NPE 1986 Bed Notes)  से संबंधित महत्वपूर्ण नोट्स साझा कर रहे हैं। इस पोस्ट के अंतर्गत आप जानेंगे- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के भाग, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के महत्वपूर्ण बिंदु, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 से 1986 में विकलांग बच्चों की शिक्षा के लिए उठाए गए कदम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के सुझाव एवं नई शिक्षा नीति 1986 हेतु कार्य योजना, इन सभी बिंदुओं पर विस्तृत जानकारी आपको इस पोस्ट में प्राप्त होगी, आशा है यह जानकारी आपके लिए उपयोगी साबित होगी।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ( NPE 1986 B.ED Notes )

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 ( NPE 1986  )

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986

आजादी के बाद भारतीय शिक्षा के इतिहास में 1968 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NPE 1986) एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतीक था। 1968 में सर्वप्रथम भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (rashtriya shiksha niti 1986) की घोषणा की गई।  परंतु शिक्षा नीति के प्रस्तावों एवं प्रावधानों को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका। जनवरी 1985 में देश के भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति विकसित करके उसे लागू करने की घोषणा की जिसमें शिक्षा व्यवस्था का विश्लेषण कर समीक्षा की गई।  इन्होंने देश के नाम अपने प्रसारण में कहा था कि “देश को ऐसी शिक्षा नीति दी जाएगी जो देश  को आर्थिक व राजनीतिक दृष्टि से 21 वी शताब्दी के लिए तैयार करेगी” , उन्होंने यह भी कहा था कि “शिक्षा के द्वारा राष्ट्रीय एकता तथा नैतिकता  जैसे कार्यों का विकास होना चाहिए” । भारत सरकार ने  यह घोषणा की थी कि एक नई शिक्षा नीति निर्मित की जायेगी। शिक्षा की मौजूदा हालत का जायजा लिया गया और एक देशव्यापी बहस इस विषय पर हुई। कई स्रोतों से सुझाव व विचार प्राप्त हुए, जिन पर काफी मनन-चिंतन हुआ।

ये भी पढ़ें- राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर निबंध (national education policy )

मई 1986  को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई जिसमे 1992 मे कुछ संशोधन किए गए थे इस दस्तावेज को लगभग 12 भागों में बांटा गया है जो कि इस प्रकार है। जिनमें कुल 157 बिन्दुओं के अंतर्गत नई शिक्षा नीति को लिपिबद्ध किया गया है।

Note- वर्ष 2020 मे 34 साल बाद देश मे नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) लागू की गई है अधिक जानकारी के लिए NEP 2020 यहा देखें

  • शिक्षा का सार तथा भूमिका
  • राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली
  • समानता के लिए शिक्षा
  • विभिन्न स्तरों पर शिक्षा का पुनर्गठन
  • तकनीकी एवं प्रबंधकीय शिक्षा
  • प्रणाली को कार्यशील बनाना
  • विषय सामग्री तथा प्रक्रिया का नवीनीकरण
  • शिक्षक 
  • शिक्षा का प्रबंधन
  • साधन एवं  पुर्ननिरीक्षण

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 के मुख्य बिंदु 

शिक्षा शिक्षक के पुनर्गठन, बचपन की देखभाल, बचपन की महिला सशक्तिकरण और वयस्क साक्षरता पर अधिक ध्यान दिया।  

  •  1986 की  नीति के शिक्षा में आधुनिकरण और आई टी की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • अधिकांश सरकारी योजनाएं जैसे सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना, नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय एवं शिक्षा के क्षेत्र में आईटी का उपयोग 1986 (NEP) के तहत शुरू किया गया था। 
  • विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्वायत्तता को भी स्वीकार किया गया जिसका अतीत में विरोध किया गया। 

संवैधानिक प्रावधान (Constitutional provision)

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1968 से 1986 में विकलांग बच्चों की शिक्षा के लिए उठाए गए कदम.

  •  राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत सरकार द्वारा भारत के लोगों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई थी। नीति में ग्रामीण और शहरी कॉलेजों में प्राथमिक शिक्षा दी जानी चाहिए। पहली NPE 1968 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार ने, दूसरी NPE  प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1986 में लागू किया था। 
  •  कोठारी कमीशन (1964-66)  ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि असमर्थ बच्चों को भी शिक्षा ग्रहण करने का उतना ही अधिकार है, जितना सामान्य बच्चों को, इस आयोग ने असमर्थ बच्चों की शिक्षा पर जोर दिया। इनके द्वारा की गई सिफारिशें 1968 में लागू की गई थी। 1968 की शिक्षा नीति में असमर्थ बच्चों के लिए एकीकृत शिक्षा की बात की गई थी। इनके अनुसार सामान्य बच्चों के साथ और समर्थ बच्चों को समान शिक्षा दिये जाने पर ज़ोर दिया गया। 

देश में विशिष्ट शिक्षा को बढ़ावा देने के सिद्धांत (Principles to promote specialized education in the country)

(1)  भाषा का विकास 

 इन्होंने त्रिभाषा सूत्र को लागू किया।  जिसमें भाषा ( हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषा) कोई भी राज्य अपने क्षेत्र के अनुसार अपनी भाषा को चुन सकता है। 

(2)  सभी के लिए शिक्षा प्राप्त करने के समान अवसर

इस सिद्धांत के अनुसार यह सिफारिश की गई कि सभी को शिक्षा ग्रहण करने के समान अवसर मिलने चाहिए।  उनका सुझाव था कि ग्रामीण, पहाड़ी या ऐसे क्षेत्र जहां शिक्षा नहीं पहुंच रही है वहां तक शिक्षा पहुंचाई जाए। 

(3)  शिक्षण  विधियों संबंधी सुझाव

 इन्होंने बताया कि असमर्थ बच्चों को पढ़ाने की विधियों में बदलाव की आवश्यकता है।  सभी बच्चों को एक ही कक्षा में पढ़ाने के लिए शिक्षण विधियों में बदलाव लाना होगा।

(4)  शिक्षक प्रशिक्षण

अध्यापकों को शिक्षा शिक्षण प्रदान करना होगा जिसमें अध्यापक सामान्य बच्चों के साथ और बच्चों को आसानी से पढ़ा सकें। 

(5)  नारी शिक्षा पर जोर

 उन्होंने महिलाओं, लड़कियों की शिक्षा पर भी जोर दिया। इस सिद्धांत में कहा गया कि पुरुषों के समान महिलाओं को भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त है। 

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के सुझाव (National education policy suggestions)

National education policy suggestions

1.  विभिन्न स्तरों पर शिक्षा का पुनर्गठन

 5 विभाग में शिक्षा के सभी स्तरों का पुनर्गठन करने पर बल दिया गया और पूर्व प्राथमिक, प्राथमिक माध्यमिक और उच्च शिक्षा का पाठ्यचर्या में सुधार करने और उसके स्तर को उठाने पर बल दिया गया।

  पूर्व प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी – इस स्तर पर शिष्यों की शारीरिक और मानसिक विकास पर ध्यान दिया जाएगा।  उनके भोजन, वस्त्र, सफाई एवं पर्यावरण पर ध्यान दिया जाएगा। 

2. तकनीकी और प्रबंध शिक्षा

 राष्ट्रीय शिक्षा नीति में तकनीकी व प्रबंध शिक्षा हेतु अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद एवं राज्यों के तकनीकी शिक्षा बोर्ड को सुदृढ़ करने, कुछ अच्छे तकनीकी एवं प्रबंध शिक्षा संस्थानों को स्वायत्तता प्रदान करने की बात कही गई। 

3. शिक्षा व्यवस्था को कारगर बनाना

 इस शिक्षा नीति  में तत्कालीन शिक्षा वातावरण में उद्देश्यों की गंभीरता के साथ-साथ आधुनिकीकरण एवं सृजनात्मकता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए।  शिक्षा के गुण एवं प्रसार के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तनों को सम्मिलित किए जाने की बात कही गई है। 

4.  शैक्षिक विषय वस्तु और  प्रक्रिया को नया स्वरूप देना

इस नीति में शिक्षा की विषय वस्तु बाप प्रक्रिया को अनेक प्रकार से सांस्कृतिक विषय वस्तु से संबंधित किया जाए।

5.  संपूर्ण देश में 10+2+3  शिक्षा संरचना लागू हो 

 इस नीति के अनुसार  10 वर्षीय शिक्षा पूरे देश के लिए समान होगी।  उसके लिए एक आधारभूत पाठ्यक्रम होगा। +2 पर प्रतिभाशाली छात्र छात्राओं को विश्वविद्यालय शिक्षा के लिए तैयार किया जाएगा।  और अन्य बच्चों की रुचि एवं योग्यता अनुसार व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जाएगी। एवं  +3  पर छात्रों को उच्च ज्ञान प्रदान किया जाएगा जो देश की सांस्कृतिक सुरक्षा और आधुनिकीकरण में सहायक होगा। 

6.  शिक्षकों के स्तर और शिक्षक प्रशिक्षण में सुधार किया जाए

शिक्षकों का चयन उनकी योग्यता के आधार पर किया जाएगा।  उनके स्तर को उठाने के लिए वेतन बढ़ाया  जाए।  पूरे देश में समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत को लागू किया जाए।  प्रत्येक जिले में शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की जाए। 

7.  परीक्षा प्रणाली और मूल्यांकन प्रक्रिया में सुधार किया जाए

 इसके अनुसार मूल्यांकन को एक सतत प्रक्रिया बनाया जाए। बाह्य वातावरण को अधिक महत्व दिया जाए। परीक्षाओं को वैद्य और विश्वसनीय बनाया जाए। प्रश्न पत्रों की रचना पुस्तकों के मूल्यांकन को वास्तुनिष्ठ बनाया जाए।  श्रेणी के स्थान पर ग्रेड सिस्टम को लागू किया।

8. प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रमों का विस्तार किया जाए

    प्रौढो को साक्षर बनाने के लिए सरकारी और गैर सरकारी संगठनों का उपयोग किया जाए।  साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में सतत शिक्षा के प्रचार एवं प्रसार में जन संचार के साधनों का प्रयोग भी किया जाना चाहिए। 

9. सतत शिक्षा की व्यवस्था की जाए

 सतत शिक्षा की व्यवस्था की जाए और इसके लिए खुली शिक्षा और दूर शिक्षा की व्यवस्था भी की जाए साथ ही जन संचार के माध्यमों का प्रयोग भी किया जाना चाहिए। 

10.  महिला शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए

 स्त्री पुरुषों में भी भेदभाव नहीं किया जाए, महिलाओं को विज्ञान एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।  इनको व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए विशेष सुविधा दी  जाए। 

11.  अनुसूचित जाति\ जनजाति के बच्चों की शिक्षा की उचित व्यवस्था

 अनुसूचित जाति\ जनजाति के बच्चों के लिए विद्यालयों की व्यवस्था की जाए।  इन विद्यालयों में इन्हीं वर्गों और इन्हीं क्षेत्रों के शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।  इन वर्गों के बच्चों की आर्थिक सहायता की धनराशि बढ़ाई जाए। 

12.  अल्पसंख्यकों के बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाए

 संविधान में अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा, संस्कृति व धर्म की रक्षा करने का अधिकार दिया गया है।  अतः इन्हें अपनी संस्थाए चलाने का भी अधिकार दिया जाए। 

13.  विकलांग और मंदबुद्धि बालको की शिक्षा की व्यवस्था की जाए

 असमर्थ  बच्चे जो सामान्य बच्चों के साथ पढ़ सकते हैं।  इनको सामान्य स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाया जाए।  तथा जो बच्चे बिल्कुल गूंगे,बहरे,अंधे और मंदबुद्धि  बच्चों के लिए अलग से स्कूल खोले जाएं। 

नई शिक्षा नीति 1986 हेतु कार्य योजना (Action Plan for New Education Policy 1986)

  •  संसद द्वारा पारित हो जाने के बाद मई 1986 में प्रकाशन किया गया था।  तथा इसके लगभग 6 महीने बाद नवंबर 1986 में इस शिक्षा योजना को लागू करने के लिए कार्य योजना के दस्तावेज का प्रकाशन किया गया। 
  •  इस शिक्षा नीति को लागू करने के लिए मानव मंत्रालय ने 23 कार्य दलों का गठन किया गया था। जिसमें ख्याति प्राप्त शिक्षाविद, विषय विशेषज्ञ तथा वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल थे।  इन्होंने शिक्षा नीति पर अपने विचार प्रस्तुत कर दिए और बाद में सभी राज्यों में यह नीति लागू कर दी गई। 

  निष्कर्ष   (Conclusion)

  •    शिक्षा नीति द्वारा आर्थिक स्थिति में कमजोर होने पर भी  प्रतिभावान बच्चों  की शैक्षिक प्रगति में तेजी लाने का प्रयास किया गया। इन्होंने 10+2+3 पैटर्न पर जोर दिया।
  • नारी शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा पर जोर दिया।  इसके साथ ही इसका मुख्य उद्देश्य शिक्षा स्तर में बदलाव लेकर था और देश को ऐसी शिक्षा नीति देनी थी जो आधुनिकीकरण लेकर आए। 
  • जेरोम ब्रूनर का संज्ञानात्मक सिद्धांत
  • क्रियात्मक अनुसंधान से संबंधित प्रश्न उत्तर
  • सिगमंड फ्रायड का मनोविश्लेषण सिद्धांत
  • क्रियात्मक अनुसंधान की परिभाषाएं
  • Assessment and Evaluation Notes For CTET, KVS, DSSSB

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National Education Policy (NEP) 2020

  • 31 Jul 2020
  • GS Paper - 2
  • Issues Relating to Development

This article is based on “A long road: On National Education Policy 2020” which was published in The Hindu on 31/07/2020. It talks about the significance of National Education policy 2020.

Recently, the National Education Policy (NEP) 2020 was announced by the Ministry of Human Resource Development (soon to be called the Ministry of Education). The policy is aimed at transforming the Indian education system to meet the needs of the 21 st Century.

The new policy seeks rectification of poor literacy and numeracy outcomes associated with primary schools, reduction in dropout levels in middle and secondary schools and adoption of the multi-disciplinary approach in the higher education system.

Apart from this, the policy also focuses on early childhood care, restructuring curriculum and pedagogy; reforming assessments and exams, and investing in teacher training and broad-basing their appraisal.

Though the NEP 2020 seeks to bring a holistic change in the education system of India, its success depends on the will and way in which it will be implemented.

nep 2020 assignment in hindi

Significance of National Education Policy 2020

  • Recognising Importance of Formative years: In adopting a 5+3+3+4 model for school education starting at age 3, the policy recognises the primacy of the formative years from ages 3 to 8 in shaping the child’s future.
  • This can lay the foundation for a multi-disciplinary approach in high education.
  • Also, it would help in realisation of the goal of Skill India Mission.
  • Further, the policy seeks to leverage the huge potential of online pedagogy and learning methodologies for increasing gross enrolment in higher education.
  • The policy also seeks to establish a super-regulator for education which will be responsible for standards-setting, funding, accreditation and regulation of higher education India.
  • This will lead to an infusion of international perspective and innovation, which will make the Indian education system more efficient and competitive.
  • Ending Hindi vs English Debate: Most crucially, NEP, once and for all, buries the strident Hindi versus English language debate; instead, it emphasises on making mother tongue, local language or the regional language the medium of instruction at least till Grade 5, which is considered the best medium of teaching.

Issues Related to NEP 2020

  • NEP 2020 failed to check this, as it is silent on education related to emerging technological fields like artificial intelligence, cyberspace, nanotech, etc.
  • The Requirement of Enormous Resources. An ambitious target of public spending at 6% of GDP has been set. Mobilising financial resources will be a big challenge, given the low tax-to-GDP ratio and competing claims on the national exchequer of healthcare, national security and other key sectors.

Way Forward

  • Thus, the Centre has the giant task of building a consensus on the many ambitious plans.
  • Also, there is a need to set up a regulatory process that can check profiteering from education in the form of unaccounted donations.
  • Thus, the state needs to address the striking disparities in access to digital tools for universalization of education.
  • Interministerial Coordination: There is an emphasis on vocational training, but to make it effective, there has to be close coordination between the education, skills and labour ministry.

The new National Education Policy (NEP) 2020, is a good policy as it aims at making the education system holistic, flexible, multidisciplinary, aligned to the needs of the 21 st century and the 2030 Sustainable Development Goals. The intent of policy seems to be ideal in many ways but it is the implementation where lies the key to success.

Discuss the salient features of National Education policy 2020 and how can it bring holistic changes in the Indian education system?

This editorial is based on “Why the anti-defection law has failed to deliver” which was published in The Hindustan Times on July 30 th , 2020. Now watch this on our Youtube channel.

nep 2020 assignment in hindi

IMAGES

  1. NEP 2020 Notes Pdf In Hindi (Complete) » Sachin Academy

    nep 2020 assignment in hindi

  2. NEP 2020 Notes Pdf In Hindi (Complete) » Sachin Academy

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    nep 2020 assignment in hindi

COMMENTS

  1. PDF राष्ट्र 1य शिक्षा नशि 2020

    राष्ट्र 1य शिक्षा नशि 2020 4 समस्या-समाधान और ताशकणक एव c रचनात्मक ूप से सोचना सीखें, शवशवध शवषयो c के बीच अ cतसंब cधो c को

  2. New Education Policy : नई शिक्षा नीति क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

    नई शिक्षा नीति क्या है? नई शिक्षा नीति (NEP in Hindi) 2020 को प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी ...

  3. NEP 2020: नई शिक्षा नीति 2020 से ...

    Post Tag: New Education Policy 2020 Questions, questions related to nep 2020,national education policy questions,mcq on new education policy 2020 in hindi [To Get latest Study Notes Join Us on Telegram- Link Given Below] For Latest Update Please join Our Social media Handle

  4. NEP 2020 Highlights: नई शिक्षा नीति 2020 से स्कूल और उच्च शिक्षा में

    New Education Policy 2020 PDF In Hindi: भारत में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश में उच्च शिक्षा को ध्यान में रखते हुए 29 जुलाई 2020 को नई शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) को मंजूरी दी गई। नई शिक्षा ...

  5. Nep 2020: आसान भाषा और इन 10 सवालों के जरिए समझें नई शिक्षा नीति

    nep 2020: नई शिक्षा नीति को मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (nep) को मंजूरी दी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम ...

  6. New Education Policy In Hindi 2020

    नई शिक्षा नीति 2020 (New Education Policy 2020 in Hindi): महत्त्व, चुनौतियाँ, परिणाम. जुलाई 2020 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय ...

  7. नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का संक्षिप्त विवरण

    nep-2020 के तहत मिड-डे मील के साथ नाश्ता देने की भी बात कही गई है। सुबह के समय पोषक नाश्ता अधिक मेहनत वाले विषयों की पढ़ाई में लाभकारी हो ...

  8. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत पहल

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020: परिचय: NEP 2020 का लक्ष्य "भारत को एक वैश्विक ज्ञान महाशक्ति (Global Knowledge Superpower)" बनाना है। स्वतंत्रता के बाद से यह भारत के शिक्षा ढाँचे ...

  9. राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020: क्रियान्वयन योजना

    केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 2020 में 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020' (National Education Policy- 2020 को मंज़ूरी दी गई। 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020' में भारतीय शिक्षा परिदृश्य में ...

  10. नई शिक्षा नीति 2020

    नई शिक्षा नीति 2020 भारत की शिक्षा नीति है जिसे भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को घोषित किया गया। सन 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के बाद भारत की शिक्षा नीति ...

  11. New Education Policy 2020

    Study Lover Veer Official App👉 https://openinapp.co/j5dev New Education Policy 2020 - Complete Analysis in Hindi by Veer | NEP 2020 | Current Affairs #UPSC...

  12. Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

    May 22, 2023 Kanaram siyol HINDI NIBANDH. नई शिक्षा नीति 2020 पर निबंध | Essay on New Education Policy 2020 in Hindi: देश की शिक्षा में 34 सालों के बाद नई प्रस्तावित शिक्षा नीति लागू हो गई हैं ...

  13. PDF नई ￱श ा नी￸त, 2020

    नई रा ीय ￱ श ा नी￸ त , 2020 क े तहत वष 2030 त क सकल ना मांकन अनुा प त (Gross Eurolment Ratio-GER) क ो 100% ल ा ने का ल य रखा गया है।. नई ￱ श ा नी￸त के अंतगत क व रा य सरकार के ...

  14. NEP 2020 in Hindi, नई शिक्षा नीति 2020 के प्रमुख बिंदु

    NEP 2020 Kya Hai? नई शिक्षा नीति (NEP) 2020, भारत की नई शिक्षा नीति है जो 5+3+3+4 पैटर्न पर आधारित है.जिसे भारत सरकार ने 29 जुलाई 2020 को घोषित की है. 1986 में जारी हुई नई शिक्षा नीति के ...

  15. नई शिक्षा नीति 2020 New Education Policy India 2020 in Hindi

    नई शिक्षा नीति 2020 की मुख्य विशेषताएं Important Features of New Education Policy India 2020 in Hindi. (NEP) New Education Policy 2020 में शिक्षा की पुरानी पद्धति में आमूलचूल परिवर्तन करके एक ...

  16. [हिन्दी] National Education Policy (NEP) 2020 MCQ [Free Hindi PDF

    पाईये National Education Policy (NEP) 2020 उत्तर और विस्तृत समाधान के साथ MCQ प्रश्न। इन्हें मुफ्त में डाउनलोड करें National Education Policy (NEP) 2020 MCQ क्विज़ Pdf और अपनी आगामी परीक्षाओं जैसे ...

  17. Essay on New Education Policy 2020 in Hindi

    नई शिक्षा नीति पर निबंध (New Education Policy 2020) Hindi Essay Writing. इस लेख में हम नई शिक्षा नीति पर निबंध लिखेंगे | नई शिक्षा नीति 2020 क्या है, नई शिक्षा नीति के ...

  18. PDF राष्ट्र 1य शिक्षा न 1शि 2020

    राष्ट्र 1य शिक्षा नशि 2020 5 गागी और शथुवल्लुवर जैसे अनेको c महान शवद्वानो c को जम शदया। इन शवद्वानो c ने वैशिक स्तर पर ज्ञान के

  19. राष्ट्रीय शिक्षा नीति- 2020

    NEP-2020 के तहत उच्च शिक्षण संस्थानों में 'सकल नामांकन अनुपात' (Gross Enrolment Ratio) को 26.3% (वर्ष 2018) से बढ़ाकर 50% तक करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके साथ ही ...

  20. New Education Policy 2020 in Hindi

    New Education Policy 2020 in Hindi | NEP 2022 PDF link. NEP 2020 जिसे हिन्दी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहा जाता है। 29 जुलाई 2020 भारत सरकार के कैबिनेट द्वारा नयी शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी मिल गई।

  21. Thematic Session

    The NEP, 2020 recognizes this rich heritage of ancient and eternal Indian knowledge and thought as a guiding principle. The Indian Knowledge Systems comprise of Jnan, Vignan, and Jeevan Darshan that have evolved out of experience, observation, experimentation, and rigorous analysis. This tradition of validating and putting into practice has ...

  22. UGC Issues SOPs To Implement National Credit Framework (NCrF)

    The National Education Policy (NEP) 2020, envisions a disruptive transformation in the education system to make India a global knowledge superpower and to realise it a High Level Committee (HLCs) to formulate the National Credit Framework (NCrF). ... IIT Jodhpur To Offer BTech Courses In English And Hindi Languages. UGC Releases List Of ...

  23. NPE 1986 b.ed Notes In Hindi

    Note-वर्ष 2020 मे 34 साल बाद देश मे नई शिक्षा नीति (National Education Policy 2020) लागू की गई है अधिक जानकारी के लिए NEP 2020 यहा देखें . भूमिका; शिक्षा का सार तथा भूमिका

  24. National Education Policy (NEP) 2020

    The new National Education Policy (NEP) 2020, is a good policy as it aims at making the education system holistic, flexible, multidisciplinary, aligned to the needs of the 21 st century and the 2030 Sustainable Development Goals. The intent of policy seems to be ideal in many ways but it is the implementation where lies the key to success.

  25. Linear Algebra Assignment Discussion 3

    Understand the concept of Linear Algebra Assignment Discussion 3 | GATE 2025 with GATE - PCM course curated by Sagar Surya on Unacademy. The Mathematics course is delivered in Hindi.