भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध | Essay In Hindi on Food Security in India
भारत में खाद्य सुरक्षा पर निबंध.
( Essay in Hindi on Food Security in India )
खाद्य सुरक्षा का अर्थ घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त खाद्यान्न की उपलब्धता के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर उपलब्धता के साथ-साथ सस्ती कीमतों पर पर्याप्त मात्रा में भोजन की उपलब्धता है।
हाल के वर्षों में तीव्र आर्थिक विकास के बावजूद, गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों द्वारा भोजन की कम पहुंच भारत में एक संकट बनी हुई है।
भोजन का अधिकार लोगो का मौलिक अधिकार है। फिर भी हमारे देश में खाद्य सुरक्षा एक दूर की कौड़ी बनी हुई है।
खाद्य सुरक्षा एक ऐसा कारक है जो जनता को उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त, स्वच्छता और पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित करता है और उनके लिए स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने के लिए खाद्य वरीयता देता है।
खाद्य सुरक्षा के तीन प्रमुख और घनिष्ठ रूप से संबंधित कार्य हैं, जो हैं- भोजन की उपलब्धता, भोजन तक पहुंच और भोजन का अवशोषण।
पिछले कुछ वर्षों में भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ, गरीबी रेखा से नीचे की आबादी के बीच खाद्य सुरक्षा अभी भी बनी हुई है।
इससे उबरना हमारे देश में एक दूर का सपना है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 50% बच्चे और शिशु कुपोषित हैं और लगभग आधी गर्भवती महिलाओं की आबादी एनीमिक है।
2016 के ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत को 118 देशों में 97वां स्थान मिला है। देश के इतिहास में देश मे कई अकालों को देखा है, जिसमे 1943 में बंगाल का अकाल सबसे भयानक था।
आज भी भोजन की उपलब्धता काफी हद तक मानसून के मौसम पर निर्भर करती है। बाढ़, सूखा, मिट्टी की उर्वरता में कमी, कटाव और जलभराव जैसी पर्यावरणीय स्थितियों ने कृषि गतिविधियों के सामान्य संचालन में बाधाएँ पैदा की हैं।
बढ़ती जनसंख्या के साथ, कृषि क्षेत्रों में आवास क्षेत्रों, सड़कों, कारखानों और अन्य गतिविधियों के लिए कब्जा हो रहा है। जिससे भोजन पर संकट हो सकता है।
अतीत में, खाद्यान्न उत्पादन को व्यापक रूप से बढ़ाकर खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने के लिए कई प्रयास किए गए। इंदिरा गांधी के शासन के दौरान हरित क्रांति खाद्य सुरक्षा प्राप्त करने की दिशा में एक कदम था।
अंततः भारत में 1960 और 1970 के दशक के दौरान हरित क्रांति के साथ भोजन में क्रांतिकारी आत्मनिर्भरता हासिल की गई थी।
फिर, श्वेत क्रांति और कृषि-उद्योग में संरचनात्मक परिवर्तन ने खाद्य सुरक्षा को काफी हद तक सुनिश्चित करने में मदद की है।
1960 के दशक के दौरान, भारत सरकार ने समाज के सभी क्षेत्रों, मुख्यतः गरीबों के लिए भोजन की भौतिक और आर्थिक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) शुरू की।
1995 में, “ मिड डे मील योजना ” शुरू की गई थी। यह वंचित स्कूली बच्चों को खिलाने की एक योजना थी।
सबसे आर्थिक रूप से पृष्ठभूमि वाले लोगों के लिए “अंत्योदय अन्न योजना” योजना 2000 में शुरू की गई थी।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 आदि देश के हर वर्ग को खाद्य और पोषण सुरक्षा की आपूर्ति करने के लिए लागू किया गया।
लेकिन आज की दुनिया में विज्ञान और नवाचार की प्रगति की शक्ति के साथ भारत कृषि के साथ-साथ मत्स्य पालन सहित पशुधन क्षेत्र में खाद्य उत्पादन की दर में वृद्धि की उम्मीद करता है।
कीट और कीट प्रबंधन के लिए विभिन्न पर्यावरण के अनुकूल उपकरणों को नियोजित करके मिट्टी के उत्पादन में सुधार के लिए कृषि में उपयोग की जाने वाली उन्नत जैव प्रौद्योगिकी है।
ये उपाय राष्ट्रीय और घरेलू पोषण और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, गरीबी को तेजी से कम करने और कृषि क्षेत्र में त्वरित विकास हासिल करने के लिए पर्याप्त नही है।
किसानों और उपभोक्ताओं के बीच आपूर्ति श्रृंखला को छोटा किया जाना चाहिए। किसान -अनुकूल विपणन प्रक्रियाओं को शुरू किया जाना चाहिए। इस तरह के प्रयास भारत में रहने वाले सभी लोगों के लिए सकारात्मक विकास और समृद्धि लाएंगे।
तेजी से बढ़ती आबादी वाले भारत जैसे बड़े देश में, इसका एक बड़ा हिस्सा कुपोषित और कम वजन का है। इस प्रकार, खाद्य सुरक्षा प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए इस देश में खाद्य सुरक्षा में स्थिरता लाने के लिए दूसरी क्रांति अत्यंत आवश्यक है।
खाद्य सुरक्षा एक ऐसा कारक है जो लोगों को विशेष रूप से बुनियादी पोषण से वंचित लोगों को पर्याप्त खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करता है।
भारत में खाद्य सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय है। विडंबना यह है कि मुख्य रूप से कृषि प्रधान देश में भी खाद्य सुरक्षा की दृष्टि वास्तविकता से कोसों दूर है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में लगभग 19.5 करोड़ कुपोषित लोग हैं, जो दुनिया के एक चौथाई जनसंख्या के बराबर है। साथ ही, इस देश में लगभग 43% बच्चे लंबे समय से कुपोषित हैं।
खाद्य सुरक्षा सूचकांक में भारत 113 प्रमुख देशों में 74वें स्थान पर है। यद्यपि उपलब्ध पोषण मानक आवश्यकता का 100% है, भारत 20% पर गुणवत्ता वाले प्रोटीन सेवन के मामले में बहुत पीछे है।
जिसे सस्ती कीमतों पर प्रोटीन युक्त खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराकर निपटने की आवश्यकता है। भारत को 100% खाद्य सुरक्षित बनाने के लिए अतिरिक्त भूमि और पानी की आवश्यकता के बिना नवीनतम पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके प्रोटीन युक्त खाद्य उत्पादों की पहुंच और सामर्थ्य में सुधार के तरीकों पर काम करने की आवश्यकता है।
लेखिका : अर्चना यादव
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अध्याय 4 : भारत में खाद्य सुरक्षा | Food Security in India
खाद्य सुरक्षा क्या है।भारत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम कब पारित किया गया। खाद्य सुरक्षा के उपाय। भारत में खाद्य सुरक्षा।
बफ़र स्टॉक क्या है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है।
☆ खाद्य सुरक्षा क्या है? – खाद्य सुरक्षा, जैसा कि विश्व खाद्य सुरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र की समिति द्वारा परिभाषित किया गया है, का अर्थ है कि सभी लोगों को, हर समय, पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन तक भौतिक, सामाजिक और आर्थिक पहुंच प्राप्त होती है, जो उनकी खाद्य प्राथमिकताओं और आहार संबंधी जरूरतों को पूरा करता है।
○ खाद्य सुरक्षा का मतलब है समाज के सभी नागरिकों के लिए जीवन चक्र में पूरे समय पर्याप्त मात्रा में ऐसे विविधतापूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित होना, यह भोजन सांस्कृतिक तौर पर सभी को मान्य हो और उन्हें हासिल करने के समुचित माध्यम गरिमामय हों। खाद्य सुरक्षा की इकाई देश भी हो सकता है, राज्य भी और गाँव भी।
○ भारत में खाद्य सुरक्षा अधिनियम कब पारित किया गया?
सरकार ने संसद द्वारा पारित, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम,2013 दिनांक 10 सितम्बर,2013 को अधिसूचित किया है,जिसका उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के खाद्यान्न की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध कराते हुए उन्हें मानव जीवन-चक्र दृष्टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा
○ खाद्य सुरक्षा क्या है :- जीवन के लिए भोजन उतना ही आवश्यक है जितना कि साँस लेने के लिए वायु।
○ खाद्य सुरक्षा के आयाम :-
1. देश में खाद्य उत्पादन , खाद्य आयात और सरकारी अनाज भंडारों में संचित पिछले वर्षों के स्टॉक से है।
2. लोगों के पास अपनी भोजन आवश्यकतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए धन उपलब्ध हो।
3. सभी लोगों के लिए पर्याप्त के लिए खाद्य उपलब्ध हो और गुणवत्ता के खाद्य-पदार्थ खरीदने की क्षमता हो।
○ खाद्य सुरक्षा क्यों
• देश में भूकम्प , सूखा , बाढ़ , सुनामी के समय उपयोगी होता है।
• मानसून के असफल हो जाने की स्थिति में उपयोगी होता है।
• राष्ट्रीय अकाल या भुखमरी में समय खाद्य सुरक्षा जरूरी है।
• प्राकृतिक आपदा के कारण जौसे सूखे के कारण खाद्यान्न में गिरावट।
○ भारत में खाद्य सुरक्षा :- हरित क्रांति ने भारत को खाघानों में आत्म निर्भर बना दिया है, क्योंकि हरित क्रांति के बाद गेहूँ तथा चावल के उत्पाद में इतनी अधिक वृद्धि हुई है कि हमें अब दुसरो देशो से गेहूँ आदि खाघानों का आयत नहीं करना पड़ता |
○ खाद्यान्नों आत्मनिर्भर – स्वतंत्रता के पश्चात् भारतीय नीति – निर्माताओं ने खाद्यान्नों में आत्म निर्भरता प्राप्त करने के सभी उपाय किए, जिसके परिणति हरित क्रांति में हुए।
○ भारत में खाद्य सुरक्षा- सरकार द्वारा सावधानिपूर्वक तैयार की गई खाद्य सुरक्षा व्यवस्था के कारण देश में अनाज की उपलब्धता और भी सुनिश्चित हो गई है।
○ बफर स्टॉक – भारतीय निगम के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज, गेहूं, और चावल के भंडार को बफर स्टॉक कहते है।
○ बफर स्टॉक क्या है।
• बफ़र स्टॉक भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई) के माध्यम से सरकार द्वारा अधिप्राप्त अनाज , गेंहूँ और चावल का भंडार है।
• भारतीय खाद्य निगम अधिशेष उत्पादन वाले राज्यो में किसानों से गेंहूँ और चावल खरीदता है।
• फ़सलो के उत्पादन को प्रोत्साहन देने न्यूनतम समर्थित कीमत का मूल्य तय किया।
• निर्गम कीमत समाज के गरीब वर्गों में बाज़ार कीमत से कम कीमत पर अनाज के वितरण के लिए किया जाता है।
○ सार्वजनिक वितरण प्रणाली क्या है।
• भारतीय खाद्य निगम द्वारा अधिप्राप्त अनाज को सरकार विनियमित राशन दुकानों के माध्यम से समाज के गरीब वर्गों से वितरित करती हैं।
• पी.डी. एस. :- सार्वजनिक वितरण प्रणाली है।
• देश भर में लगभग 4.6 लाख राशन की दुकानें है।
• 35 किलो अनाज , 5 किलो चीनी , 5 किलो चावल , आदि मिलता है।
• आई.सी.डी.एस. :- एकीकृत बाल विकास सेवाएँ 1975 में शुरू की गई।
• एफ.एफ.डब्ल्यू. :- 1977-78 में काम के बदले अनाज शुरू किया।
• पी.ए.पी :- वर्तमान में अनेक गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम चल रहे हैं।
हमारी सरकार ने बफर स्टॉक, पीडीएस, अंत्योदय अन्न योजना और अन्नपूर्णा योजना जैसे विभिन्न योजनाएं शुरू करने से गरीबों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने के लिए बहुत कुछ किया है। सावर्जनिक वितरण प्रणाली: सावर्जनिक वितरण प्रणाली खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में भारत सरकार की सर्वाधिक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के पांच चरण प्रारंभ में इस योजना के संचालन की घोषणा केवल 3 माह के लिए की गई थी जो कि अप्रैल 2020, मई 2020 तथा जून 2020 था। यह योजना का पहला चरण था। इसके पश्चात जुलाई 2020 से नवंबर 2020 तक इस योजना के दूसरे चरण की घोषणा की गई थी। वर्ष 2021-22 में कोविड-19 महामारी के संकट जारी रहने के कारण अप्रैल 2021 में सरकार द्वारा इस योजना को मई 2021 और जून 2021 की अवधि के लिए विस्तार करने का निर्णय लिया था। यह योजना का तीसरा चरण था। इसके पश्चात सरकार द्वारा इस योजना के चौथे चरण को भी संचालित किया गया जो कि जुलाई 2021 से नवंबर 2021 तक था। इसके पश्चात इस योजना का पांचवा चरण दिसंबर 2021 से मार्च 2022 तक जारी रखने का निर्णय गया है।
मई 2022 तक प्रदान किया जाएगा मुफ्त राशन योजना का लाभ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के द्वारा 20 दिसंबर 2021 को कैबिनेट बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें मुफ्त राशन के वितरण को 6 महीने के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। अब दिल्ली के नागरिकों को 31 मई 2022 तक मुफ्त राशन प्रदान किया जाएगा।
सरकार द्वारा एक देश एक राशन कार्ड योजना का भी शुभारंभ किया गया था। जिसके माध्यम से संपूर्ण देश में एक राशन कार्ड के माध्यम से राशन की प्राप्ति की जा सकती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का सन 2021 में विस्तारीकरण
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