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रेडियो पर निबंध- Essay on Radio in Hindi Language

In this article, we are providing information about Radio in Hindi- Short Essay on Radio in Hindi Language Language. रेडियो पर निबंध Radio par nibandh

रेडियो पर निबंध- Essay on Radio in Hindi Language

रेडियो मनोरंजन का एक बहुत ही बेहतरीन साधन है जिसके माध्यम से हम संगीत से लेकर देश विदेश तक की खबरों को सुन सकते हैं। रेडियो का प्रयोग किसी भी संदेश को एक से ज्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिऑ किया जाता है। यह ध्वनि तरंगों को एक स्थान से दुसरे स्थानों तक लेकर जाता है। सबसे पहले रेडियो की शुरूआत भारत के जगदीशचंद्र बसु और गुल्येमौ मार्कोनी ने 1900 में की लेकिन उस रेडियो से केवल व्यक्तिगत स्तर पर संदेश भेजा जा सकता था। असल रेडियो की शुरूआत 1906 में रेगिनाल्डो फेसेंडेन से हुई थी।

भारत में भी सन् 1927 तक बहुत से रेडियो कल्ब स्थापित हो चुके थे। 1936 में इम्पोरियल रेडियो ऑफ इंडिया नामक सरकारी रेडियो की शुरूआत हुई जो कि आजादी के बाद ऑल इंडिया रेडियो और आकाशवाणी के नाम से जाना जाने लगा। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान नौसेना के अलावा किसी भी रेडियो रखने की अनुमति नहीं थी और द्वितीय विश्व युद्द के दौरान भी लोगों के ट्रांसमीटर बंद करवा दिए गए थे।

रेडियो पर विज्ञापन भी दिए जाते है। रेडियो ने भारत को लोकतांत्रित देश बनाने में बहुत ही अहम भूमिका निभाई थी। रेडियो बहुत ही लाभकारी है। यहाँ पर सभी जानकारियाँ मिलती है, खाना बनाने की विधियाँ सिखाई जाती है, किसानों को उनकी फसलों के विषय में जानकारी मिलती है और साथ ही मनोरंजन के विभिन्न कार्यकर्म रेडियो पर उपलब्ध होते है। मनोरंजन के इस साधन में कोई भी हानि नहीं है और हर कला को अपने अंदर समाहित किए हुए है। लेकिन आज के युग में रेडियो कहीं खो गया है और इसके श्रोता दिन प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं। हालांकि एफ एम रेडियो की वजह से लोग रेडियो को दोबारा सुनने लगे है और उसे पसंद करने लगे है। रेडियो एक गुणकारी यंत्र है जो हमेशा लोगों का पसंदीदा रहेगा।

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Radio Par Nibandh in Hindi - रेडियो पर निबंध

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रेडियो का इतिहास : रेडियो का सुनहरा इतिहास क्या है और कब से हुई थी इसकी शुरुआत

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  • Updated on  
  • जुलाई 22, 2024

रेडियो का इतिहास

रेडियो एक ऐसा माध्यम है, जिसने इतिहास में घटित अहम घटनाओं में अपनी एक अलग भूमिका निभाई है। भले ही आधुनिकता के दौर में मानव नित परिवर्तन की दिशा में अग्रसर क्यों न हो, भले ही वर्तमान समय में मोबाइल और इंटरनेट का बोलबाला क्यों न हो, भले ही आजकल मानव को जोड़ने वाले संसाधन क्यों न बदल गए हो, इस सबके बाद भी रेडियो की भूमिका और इसके योगदान को नहीं झुठलाया जा सकता है। जब टीवी नहीं हुआ करते थे, तो रेडियो ने ही गांव-देहात में लोगों को समाचारों या मनोरंजन से अपडेटेड रखा था। इस पोस्ट में आपको रेडियो के इतिहास के बारे में जानने को मिलेगा, जिसके लिए आपको ब्लॉग को अंत तक पढ़ना आवश्यक है।

रेडियो का अविष्कार किसने किया?गुग्लिल्मो मोरकोनी
गुग्लिल्मो मोरकोनी ने किस वर्ष में रेडियो का अविष्कार किया?1890 में 
गुग्लिल्मो मोरकोनी को कब रेडियो का आधिकारिक अविष्कारक माना गया?वर्ष 1896 में पेटेंट रिकॉर्ड होने के बाद
वर्ल्ड रेडियो डे कब मनाया जाता है?13 फरवरी को
पहली बार वर्ल्ड रेडियो किस वर्ष बनाया गया?13 फरवरी 1946
पहले रेडियो प्रसारण की शुरुआत कब हुई?24 दिसंबर 1906 

दुनिया में रेडियो की शुरुआत कैसे हुई?

रेडियो एक ऐसा माध्यम था जो लोगों को सशक्त करने का काम करता था, इस माध्यम से लोग विभिन्न बदलावों को महसूस करके खुद को अपडेट रखते थे। रेडियो का इतना समृद्ध इतिहास होने के बाद भी क्या आपने सोचा है कि आखिर इसका अविष्कार कब और कैसे हुआ होगा? निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से आप रेडियो के इतिहास के बारे में जान सकते हैं-

  • रेडियो का अविष्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक गुग्लिल्मो मोरकोनी ने किया था।
  • गुग्लिल्मो मोरकोनी ने वर्ष 1890 में रेडियो का अविष्कार किया।
  • वर्ष 1896 को रेडियो का पेटेंट रिकॉर्ड मिला और इसक बाद उन्हें रेडियो का आधिकारिक अविष्कारक मान लिया गया। 
  • 24 दिसंबर 1906 को कैनेडा के वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडन ने रेडियो ब्रॉडकास्टिंग के द्धारा संदेश भेजकर रेडियो प्रसारण की शुरुआत की।
  • पहले रेडियो ब्राडकास्टिंग में वायलिन की धुन को रेडियो तरंगो के माध्यम से अटलांटा महासागर में तैर रहे जहाजों तक रेगिनाल्ड फेसेंडेन द्वारा पहुंचाया गया।
  • पहले विश्वयुद्ध के दौरान ( 1914 से 1918 तक) गैर सेनाओं द्धारा रेडियो के इस्तेमाल को पूरी तरह अवैध करार कर दिया गया।
  • वर्ष 1918 में न्यूयॉर्क के हैब्रिज में पहली बार रेडियो स्टेशन की स्थापना की गई थी जिसको बाद में गैरकानूनी करार कर दिया गया।
  • वर्ष 1923 में पहली बार कानूनी तौर पर रेडियो के माध्यम से विज्ञापनों की शुरुआत हुई।
  • रेडियो के शुरुआती दिनों में रेडियों रखने के लिए INR 10 का लाइसेंस खरीदना पड़ता था।

भारत में रेडियो का क्या है इतिहास?

भारत जिसने हर प्रकार की आधुनिकता को स्वीकार किया और खुद को समय के अनुकूल बनाया। भारत ने गुलामी कालखंड से आज़ादी की तरफ कदम रखा हो, या भारत-पाक के बीच हुए हर युद्ध में भारतीय सेना के शौर्य की गाथा को जन-जन तक पहुंचाना हो या आपातकाल के विद्रोह से जनता को अवगत करवाना हो, इन सभी घटनाओं में रेडियो ने अहम भूमिका निभाई है। भारत में रेडियो के इतिहास को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है-

  • वर्ष 1924 में मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब द्वारा पहली बार रेडियो को भारत लाया गया था।
  • वर्ष 1927 तक मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब ने ही भारत में रेडियो ब्रॉडकास्टिंग पर प्रसारण का काम किया था।
  • आर्थिक तंगी के चलते मद्रास प्रेसीडेंसी क्लब द्धारा इसे बंद कर दिया गया।
  • वर्ष 1927 में बॉम्बे और कलकत्ता में बॉम्बे के कुछ बड़े बिजनेसमैन द्वारा भारतीय प्रसारण कंपनी को शुरु किया गया।
  • वर्ष 1932 भारत सरकार द्वारा इसकी जिम्मेदारी ले ली गई और इसकी देख-रेख के लिए इंडियन ब्रॉडकास्टिंग सर्विस नाम का विभाग शुरु किया।
  • वर्ष 1936 में इसका नाम बदलकर ऑल इंडिया रेडियो (All India Radio AIR) रख दिया गया, जो कि आकाशवाणी के नाम से भी जाना जाता है।

वर्तमान समय में भारत की बदलती तस्वीर में रेडियो की भूमिका

ऐसा नहीं है कि रेडियो इतिहास की कोई वस्तु बनकर रह गया हो, आज भी भारतीयों के लिए रेडियो मनोरंजन से लेकर देश एकता के लिए एक अच्छा और सशक्त माध्यम है। वर्तमान समय में भारत की बदलती तस्वीर में रेडियो की भूमिका को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता हैं-

  • भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “मन की बात” प्रोग्राम के माध्यम से लोगों को रेडियो के प्रति जुड़ना सिखाया, जिसके 100+ एपिसोड्स ने लोगों के विचारों पर गहरा प्रभाव डाला।
  • आज विश्वगुरु बनने के पथ पर अग्रसर भारत के लोगों को प्रेरणा से भरी कहानियां सुनाने और प्रेरित करने में रेडियो की अहम भूमिका है।
  • रेडियो पॉडकास्ट के माध्यम से नई पीढ़ी रेडियो को अपनी जीवन दिनचर्या का एक अहम हिस्सा बना रही है।
  • आज रेडियो के माध्यम से मनोरंजन क्षेत्र में भी बदलाव आए हैं, जिनमें आप शॉर्ट स्टोरी सुन सकते हैं, देश-विदेश की ख़बरों को सुन सकते हैं और तो और आप विभिन्न माध्यमों से अपनी दिल की बात देश की जनता तक रख सकते हैं।
  • रेडियो पर एडवर्टीज़मेंट के माध्यम से आप अपने बिज़नेस और अपने प्रोडक्ट का भी प्रचार कर सकते हैं और अधिकाधिक लोगों तक अपनी पहुँच बना सकते हैं।

1920 का दशक : रेडियो का स्वर्णकाल 

प्रथम विश्व युद्ध ने रेडियो के विकास में एक बड़ी भूमिका निभाई। प्रथम विश्व युद्ध के समय रेडियो सेना और आम लोगों के लिए ख़बरें प्राप्त करने का एक अहम माध्यम बन चुका था। पहले विश्व युद्ध के बाद रेडियो की तकनीक में तेज़ी से विकास किया गया। वर्ष 1920 में रेडियो स्टेशन केडीकेए जो कि रूस के पिट्सबर्ग शहर में स्थित था, दुनिया का पहला कॉमर्शियल रेडियो स्टेशन बना। 1920 के दशक को रेडियो का स्वर्णकाल कहा जाता है। इस दौरान रेडियो पर संगीत, समाचार और विभिन्न प्रकार कार्यकर्मों का प्रसारण शुरू हुआ।  

1990 के दशक से वर्तमान तक: डिजिटल युग में रेडियो

1990 के दशक में रेडियो डिजिटल युग में परिवर्तित हो गया। सैटेलाइट प्रसारण और इंटरनेट पर रेडियो स्टेशनों की उपलब्धता ने ऑडियो कंटेंट की तरफ लोगों का ध्यान फिर से आकर्षित किया।  इसके अतिरिक्त, पॉडकास्ट ऑडियो कंटेंट का एक लोकप्रिय रूप बन गया, जिसने तकनीकी और सांस्कृतिक परिवर्तनों के लिए रेडियो की निरंतर अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित किया, जो डिजिटल युग में भी प्रासंगिक बना हुआ है।

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यह था रेडियो का इतिहास पर हमारा ब्लॉग।  इसी तरह के अन्य  ट्रेंडिंग इवेंट्स पर आर्टिकल्स पढ़ने के लिए Leverage Edu के साथ बनें रहें।

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मयंक विश्नोई

जन्मभूमि: देवभूमि उत्तराखंड। पहचान: भारतीय लेखक । प्रकाश परिवर्तन का, संस्कार समर्पण का। -✍🏻मयंक विश्नोई

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रेडियो का महत्व पर निबंध

रेडियो का महत्व पर निबंध – essay on importance of radio in hindi.

विज्ञान के चमत्कारों ने मनुष्य को आश्‍चर्यचकित कर दिया है, अथवा यह भी कह सकते हैं कि असंभव को संभव करके दिखा दिया है। रेल, विद्युत्, मोटर, सिनेमा, बेतार का तार इत्यादि विज्ञान की ही कृपा से प्राप्त हुए हैं। रेडियो तो मनुष्य-जाति के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है।

रेडियो के द्वारा बिना किसी तार की सहायता के एक स्थान के समाचार दूर-दूर स्थानों पर भेजे जा सकते हैं। इसका उपयोग दूर-दूर के समाचार सुनने, गीत व व्याख्यान आदि सुनने में किया जाता है, जहाँ से इन सबका प्रसारण किया जाता है। उसे प्रसारण-केंद्र या ‘ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन’ कहते हैं। उस स्टेशन से भेजे समाचार उन सब लोगों के पास पहुँच जाते हैं, जिनके पास यह रेडियो होता है, चाहे वह ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से कितनी ही दूर क्यों न हो।

यदि लंदन के ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से समाचार भेजा जाए तो यहाँ वह कुछ मिनटों में ही आ जाएगा, और जिसके पास रेडियो है, वह उस समाचार को सुन सकेगा। कितना अनोखा आविष्कार है यह! इससे घर बैठे ही देश-विदेश के सारे समाचार सुने जा सकते हैं।

इसका आविष्कार इटली के एक वैज्ञानिक ने सन् १८९६ में किया था। उन महाशय का नाम जी. मारकोनी था। वह सन् १८७५ से ही इसके प्रयोग कर रहे थे। उनके आविष्कार के पश्‍चात् अब तक के रेडियो में उत्तरोत्तर सुधार होते जा रहे हैं और इसकी उन्नति के लिए बड़े-बड़े वैज्ञानिक प्रयत्नशील हैं।

रेडियो का सबसे पहला ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन इंग्लैंड में बनाया गया था। अब तो धीरे-धीरे अनेक देशों में कई ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन खुल चुके हैं।

रेडियो से अनेक लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि दूर-से-दूर स्थित स्थानों के समाचार हमें तत्काल सुनने को मिल जाते हैं। जब रेडियो नहीं था तब इस कार्य में बहुत लंबा समय लगता था। अब तो न्यूयॉर्क के भाषण को रेडियो की सहायता से हम वैसे ही सुन सकते हैं जैसे न्यूयॉर्क में बैठा हुआ व्यक्ति सुनता है। इसके अतिरिक्त रेडियो मनोरंजन का एक श्रेष्ठ और सस्ता साधन है। अच्छे-से-अच्छे गायक का गीत हम घर बैठे सुन सकते हैं।

इसके पहले लोग ग्रामोफोन से मन बहलाते थे। मनोरंजन के अतिरिक्त इससे एक बड़ा लाभ यह भी हुआ है कि इसके आविष्कार से समुद्री यात्रा बहुत कुछ भय-रहित हो गई है। समुद्री जहाजों में रेडियो लगे रहते हैं। ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से इन जहाजोें को खतरे की सूचना दे दी जाती है। इस प्रकार वे सावधान हो जाते हैं और आनेवाले संकट से बच जाते हैं। रेडियो के अभाव में इन जहाजों को न जाने कितने प्राणों और माल की आहुति देनी पड़ती थी।

इसके अतिरिक्त रेडियो से शिक्षा के प्रचार में बहुत मदद मिल सकती है। यदि जगह-जगह रेडियो लगवा दिए जाएँ और किसी ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से किसी वैज्ञानिक द्वारा व्याख्यान दिलवाया जाए तो उसे सुनकर लोग उससे काफी लाभ उठा सकते हैं।

इसी प्रकार नई-नई बातें भी बताई जा सकती हैं और जनता में जागृति उत्पन्न की जा सकती है। रेडियो प्रचार का भी एक अच्छा साधन है। रेडियो द्वारा हम अपनी बातों को कम-से-कम समय में दूर-से-दूर स्थानों तक पहुँचा सकते हैं।

व्यापारियों के लिए तो यह बड़े काम की चीज है। बाजार भाव तथा नई-नई वस्तुओं की जानकारी इसके माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार उन्हें व्यापार में सुविधा मिल सकती है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपने उत्पादों के विज्ञापन भेज सकती हैं और अपने व्यापार का विस्तार कर सकती हैं। किसी विचार के विरोध या पक्ष में प्रचार करने के लिए रेडियो सर्वोत्तम साधन है।

समाचार-पत्रों और पुस्तकों में लिखी हुई बातों को केवल पढ़े-लिखे ही जान सकते हैं, परंतु रेडियो द्वारा अनपढ़ों तक भी संदेश भेजा जा सकता है। रेडियो द्वारा ग्राम-सुधार के कार्य बड़ी सुगमतापूर्वक किए जा सकते हैं।

भारत में असाक्षरोें की संख्या बहुत अधिक है। समाचार-पत्र और पुस्तकें उनके लिए व्यर्थ हैं। वे दुनिया की दौड़ में बहुत पीछे हैं। उन्हें अशिक्षा के इस गड्ढे से निकालने का काम रेडियो द्वारा सुगमता से किया जा सकता है। यदि ग्राम-सुधार का एक ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन अलग से बनवा दिया जाए और उससे देहात के जीवन से संबंधित बातें उन लोगों तक पहुँचाई जाएँ तो बहुत लाभ हो सकता है। उनकी सामाजिक कुरीतियों, अंध-विश्‍वासों और रूढ़ियों को दूर करने में जितनी सहायता रेडियो से मिल सकती है उतनी शायद ही किसी अन्य माध्यम से मिल सके।

कृषि से संबंधित नवीन बातें बताकर किसानों की आर्थिक दशा में भी सुधार किया जा सकता है। रेडियो के द्वारा किसानों को नए-नए खाद, उन्नत किस्म के बीज तथा कृषि-यंत्रों के बारे में तथा मौसम संबंधी जानकारी देकर उपयोगी सहायता की जा सकती है।

दूरदर्शन के आने के बाद भी गाँवों में इसकी लोकप्रियता पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। शहरों से अधिक गाँवों में इसका प्रचार बड़ी शीघ्रता से बढ़ रहा है।

जब से ‘एफ.एम.’ (Frequency Module) और ‘ज्ञानवाणी’ चैनल शुरू हो गए हैं तब से रेडियो की महत्ता और उपयोगिता और बढ़ गई है। इस कारण रेडियो की माँग काफी बढ़ गई है।

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Essay on Radio in Hindi रेडियो आकाशवाणी पर निबंध

हेलो दोस्तों आज फिर में आपके लिए लाया हु Essay on Radio in Hindi पर पुरा आर्टिकल। भारत देश दुनिया का सबसे अलग है जो अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है यहाँ पर radio की अपनी अलग पहचान है। आज आपको essay on radio की जानकारी हिंदी में देंगे ताकि आपको इसके बारे में पूरी जानकारी हो जाये। आईये पढ़ते है Essay on Radio in Hindi या रेडियो आकाशवाणी पर निबंध

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प्रस्तावना :

विज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण देन रेडियो भी है। इसने हमारे जीवन को अपनी ओर आकर्षित करने में बहुत सफलता प्राप्त की है। यह एक ऐसा साधन है जिसके द्वारा हमें अनेक जानकारियाँ, समाचार तथा शिक्षाएँ प्राप्त होती हैं। रेडियो एक श्रव्य साधन है। रेडियो केवल मनोरंजन का ही साधन नहीं अपितु संचार के साधनों में भी इसका स्थान अति महत्त्वपूर्ण है। युद्ध तथा शान्ति दोनों समय में यह हमारा सच्चा साथी है। यह सभी को समान रूप में मनोरंजन करता है।

रेडियो का आविष्कार :

इटली के प्रसिद्ध वैज्ञानिक ‘मार्कोनी’ ने रेडियो का आविष्कार किया था। जब उन्होंने शान्त पानी में पत्थर का एक टुकड़ा फेंका तो उन्हें उससे उत्पन्न होने वाली तरंगों से प्रेरणा मिली और उन्होंने रेडियो का आविष्कार किया। सबसे प्रथम रेडियो स्टेशन की स्थापना मार्कोनी ने सन् 1895 ई. में इंग्लैण्ड तथा अमेरिका के बीच की थी।

रेडियो का आधुनिकरण :

रेडियो एक महान श्रव्य साधन है जिसकी प्रक्रिया ध्वनि प्रसार है। यह बिना किसी तार के एक स्थान की ध्वनि को दूसरे स्थान पर पहुँचाता है। इस ध्वनि का आधार विद्युत की चुम्बकीय लहरें होती हैं। बिजली द्वारा आकाशवाणी केन्द्र द्वारा ध्वनियों को चुम्बकीय लहरों में परिवर्तित कर दिया जाता है। ये लहरें एक ही क्षण में पूरे आसमान में फैल जाती हैं।

वहीं से इन लहरों को घरों अथवा दुकानों आदि में लग रेडियो-यंत्र तुरन्त पकड़ लेते हैं। रेडियो में स्टेशन बदलने के लिए एक सुई लगी होती है जिसकी सहायता से सुनने वाला व्यक्ति अपनी इच्छानुसार उस सई को इच्छित स्थान पर लगाकर प्रत्येक कार्यक्रम सुन लेता है।

रेडियो-मनोरंजन का श्रेष्ठ साधन :

आज के युग में जब इंसान इतना व्यस्त जीवन जी रहा है कि उसके पास अपने लिए ही समय नहीं है, वह रेडियो पर घर बैठकर, कहीं भी, रास्ते में ही सारी जानकारियाँ अपने कानों से सुन सकता है। वह गाने सुन सकता है, नाटक सुन सकता है तथा अन्य अपनी रुचिनुसार कार्यक्रमों का आनंद ले सकता है। रेडियो हर आयु वर्ग के व्यक्तियों के मनोरंजन का साधन है क्योंकि इसमें सभी के मनपसंद कार्यक्रम आते हैं।

बच्चों के लिए बाल-जगत की कहानियाँ, युवा वर्ग के लिए चित्रपट-संगीत, वृद्धों के लिए भजन तथा महिलाओं के लिए ‘बहिनों का कार्यक्रम’ आदि प्रसारित किए जाते हैं। ग्रामीणों तथा किसानों के लिए भी इसमें उचित जानकारियाँ आती हैं। इस प्रकार पूरा देश इस साधन द्वारा अपना मनोरंजन कर सकता है।

रेडियो मनुष्य के जीवन के लिए बहुत उपयोगी है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप अपना कार्य जैसे सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, खाना बनाना, बर्तन धोना, बढ़ईगिरि करना या फिर कोई दूसरा कार्य करते समय भी आनन्द ले सकते हैं। यह समाचारों को तीव्र गति से चारों ओर फैलाने का कार्य करता है। इसका एक महत्त्वपूर्ण कार्य शिक्षा प्रसार भी है। बच्चों के लिए विशेष रूप से रेडियो में शिक्षाप्रद जानकारियाँ आती हैं।

रेडियो में खोए हुए व्यक्तियों की जानकारी, व्यापार भाव, देश-विदेश की जानकारियाँ, ‘मौसम की सूचना तुरन्त मिल जाती है। आज के मॅहगाई वाले समय में  मनोरंजन तथा सम्पूर्ण जानकारियाँ प्राप्त करने का इससे सस्ता तथा सरल  साधन दुसरा नहीं है।

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रेडियो का आविष्कार मारकोनी ने किया । मारकोनी इटली के निवासी थे। उन्होंने ‘बेतार के तार’ नियमों पर चलकर सन १८९६ में इसे बनाने में सफलता प्राप्त की। सन् १९०२ में इसके द्वारा समुद्र पार समाचार भेजे जाते थे। इसके बाद यूरोप और अमरीका के बड़े-बड़े नगरों में ब्राडकास्टिग स्टेशन (रेडियो प्रसारण संस्थान) स्थापित किये गए। | भारत में सबसे मुख्य रेडियो स्टेशन नई दिल्ली में है।

इसका नाम आकाशवाणी भवन है। वहां से प्रातः के ६ बजे से रात के ११ बजे तक–समाचार, गाने, नृत्य, भाषण, बच्चों के प्रोग्राम, फौजी भाइयों के कार्यक्रम, सरकारी सूचनाए’, विज्ञापन आदि प्रसा- रित होते रहते हैं।

रेडियो द्वारा विचारों का प्रचार सफलता से किया जा सकता है। रेडियो द्वारा संसार-भर के समाचार कुछ ही मिनटों में सुने जा सकते हैं। बड़े-बड़े नेताओं के, विद्वानों के तथा धर्म गुरुओं के व्याख्यान सुने जा सकते हैं।

बाजार भाव, मैचों का आंखों देखा हाल, देश या नगर में होने वाली घटनाएं सुनी जा सकती हैं। रेडियो विज्ञान की एक अनोखी देन है। ट्रांजिस्टर बनने से रेडियो का लाभ गांवों, जंगलों और पहाड़ों में रहने वालों तक पहुंच गया है।

आकाशवाणी अथवा रेडियो आधुनिक विज्ञान की एक ऐसी देन है जिसने आधुनिक मानव-समाज को सर्वाधिक प्रभावित एवं आकर्षित किया है। यह एक ऐसा श्रव्य माध्यम है जो अनेक प्रकार की जानकारियाँ, शिक्षाएं, समाचार आदि देने के साथ-साथ घर बैठे-बैठे अनेक तरह से हमारा मनोरंजन भी किया करता है। यह मानव का बहुत अच्छा मित्र है। रेडियो का आविष्कार इटली के मार्कोनी नामक एक वैज्ञानिक ने किया था।

उसने शान्त जल में पत्थर का टुकड़ा फेंकने से उत्पन्न लहरों से प्रेरणा पाकर ही इसका आविष्कार किया था। इसके बाद कई वैज्ञानिकों ने रेडियो में काफी सुधार किए हैं।

उनके सुधार के फलस्वरूप ही यह अधिक उपयोगी एवं महत्त्वपूर्ण बन पाया है। आज यह इतना सरल साधन बन गया है कि इसे हम ट्रांजिस्टर के रूप में अपनी जेबों तक में लिए घूम-फिर सकते हैं। यह हमारा प्रत्येक स्थान पर मनोरंजन कर सकता है। रेडियो को जन-जन तक पहुँचाने वाला केन्द्र संन् 1921 ई. में इंग्लैण्ड में स्थापित किया गया था। वहाँ से पहली बार इंग्लैण्ड से लेकर न्यूजीलैण्ड तक समाचार प्रसारित एवं प्रेषित करके इस आविष्कार ने सारे विश्व को चकित एवं विस्मित कर दिया था।

सर्वप्रथम तो रेडियो से केवल संवाद ही सुने जाते थे। बाद में अनेक वैज्ञानिकों के सुधार के बाद तो उसके द्वारा गीत, संगीत, कविता, कहानी और नाटक आदि भी सुने जाने लगे। इसके द्वारा कार्यक्रमों को प्रसारित करने के लिए विश्व के कई देशों में रेडियो स्टेशन खुले। यह हजारों-लाखों कलाकारों, तकनीशियनों, निर्माताओं, विक्रेताओं व अन्य कर्मचारियों के घर-परिवार के लिए रोजी-रोटी का साधन बना हुआ है।

इसके माध्यम से व्यापारी वर्ग अपनी वस्तुओं के विज्ञापन देकर अपने लाभ में वृद्धि कर लेते हैं। यह प्रतिदिन प्रातः से लेकर सायं तक ताजे समाचारों के अनेक बुलेटिन प्रसारित करके लोगों की जानकारियों को सहज ही अन्तर्राष्ट्रीय आयाम प्रदान कर देता है। यह हमें नई-से-नई सूचनाएँ, कृषि-कार्यों और मौसम आदि की जानकारी भी देता रहता है।

यह छात्रों के लिए परीक्षापयोगी विषयों का प्रसारण भी करता रहता है। इसके द्वारा खोया-पाया, रेलवे और वायुयान आदि की समय-सारिणी तथा बाजार-भाव भी बताए जाते हैं। इन्हीं सब तथ्यों के आधार पर इसके महत्त्व को समझा जा सकता है। विज्ञान की एक महत्त्वपूर्ण देन आज, का एक सदाबहार आविष्कार बन गया है। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर आकाशवाणी को ‘भानूमती का पिटारा’ कहना सर्वथा उचित ही है।

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रेडियो विज्ञान का सबसे आश्चर्यजनक और अद्भुत आविष्कार है। रेडियो का प्रसारण मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है। इसकी लोकप्रियता अब भारत के हर गाँव और शहर में फैल चुकी है। मनोरंजन के साथ-साथ यह ज्ञान-प्राप्ति का भी एक मुख्य साधन है। रेडियो पर ज्ञानपूर्ण कार्यक्रम भी आते हैं। रेडियो पर विभिन्न प्रकार के मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रम प्रसारित होते हैं।

यह हमारी बोरियत और थकान दूर करता है तथा मधुर गीतों से हमें तरोताजा करता है। रेडियो का प्रसारण केवल मनोरंजन का ही स्रोत नहीं है, बल्कि सूचना एवं समाचार का भी मुख्य स्रोत है। शिक्षा की दृष्टि से भी रेडियो के प्रसारण का बड़ा महत्व है। यह देश से निरक्षरता मिटाने का भी सबसे प्रमुख साधन है। रेडियो स्टेशन से कला एवं साहित्य, विज्ञान एवं दर्शन, व्यापार व वाणिज्य विषयों पर भी वार्ता होती है।

यह विश्व के हर देश की खबरें हमें देता है। व्यापारिक दुनिया में रेडियो का अपना अलग महत्व है। रेडियो से प्रसारित विज्ञापन अशिक्षित लोगों तक आसानी से पहुँच जाते हैं। सोने-चाँदी एवं अन्य धातुओं, खाद्य पदार्थों, कच्चे माल तथा विश्वभर की विभिन्न वस्तुओं के मूल्य रेडियो पर प्रतिदिन प्रसारित होते हैं। | लोकगीतों के लिए भी रेडियो अत्यंत उपयोगी है।

इसके अतिरिक्त बीमारियों, पाठशाला, कढाई-बुनाई और प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित कार्यक्रम भी रेडियो पर प्रसारित होते हैं। रामायण और गीता पर धार्मिक व्याख्यान भी एक निश्चित दिन रेडियो पर सुनने को मिलते हैं। बच्चों के मनोविज्ञान के बारे में भी रेडियो हमें बताता है।

युद्ध के समय भी रेडियो बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। सरकार रेडियो द्वारा जनता को सेना की बहादुरी तथा सिपाहियों की विजय के बारे में और शत्रुओं की पराजय के बारे में बताती है और वायरलैस की मदद से जहाजों को खतरे की जानकारी दी जाती है।

रेडियो विज्ञापनों का एक लोकप्रिय, अत्यंत सस्ता एवं सुलभ साधन है। अनेक वस्तुओं के विज्ञापन रेडियो पर प्रतिदिन प्रसारित होते हैं।

अतः ये वस्तुएँ विश्व भर में प्रचलित हो जाती हैं। इसके लिए सीलोन रेडियो अत्यंत लोकप्रिय है। हमारे देश में रेडियो पर विज्ञापन देने का अच्छा स्कोप इसके अलावा हमारे देश में रेडियो बहुत लोकप्रिय एवं प्रचलित हुआ है। इसलिए रेडियो का भविष्य बहुत उज्ज्वल है।

दूरदर्शन के बढ़ते चलन से रेडियो के कार्यक्रमों में पहले की अपेक्षा बहुत सुधार हुए हैं। आज आवश्यकता यह है कि रेडियो को राजनीतिक एवं सामुदायिक प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए। फिर रेडियो आधुनिक विज्ञान एवं मानवता का एक महान वरदान सिद्ध होगा।

विज्ञान के चमत्कारों ने मनुष्य को आश्चर्यचकित कर दिया है, अथवा यह भी कह सकते हैं कि असंभव को संभव करके दिखा दिया है। रेल, विद्युत, मोटर, सिनेमा, बेतार का तार इत्यादि विज्ञान की ही कृपा से प्राप्त हुए हैं। रेडियो तो मनुष्य-जाति के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुआ है।

रेडियो के द्वारा बिना किसी तार की सहायता के एक स्थान के समाचार दूर-दूर स्थानों पर भेजे जा सकते हैं। इसका उपयोग दूर-दूर के समाचार सुनने, गीत व व्याख्यान आदि सुनने में किया जाता है, जहाँ से इन सबका प्रसारण किया जाता है। उसे प्रसारण- केंद्र या ‘ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन’ कहते हैं। उस स्टेशन से भेजे समाचार उन सब लोगों के पास पहुँच जाते हैं, जिनके पास यह रेडियो होता है, चाहे वह ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से कितनी ही दूर क्यों न हो। यदि लंदन के ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से समाचार भेजा जाए तो यहाँ वह कुछ मिनटों में ही आ जाएगा, और जिसके पास रेडियो है, वह उस समाचार को सुन सकेगा। कितना अनोखा आविष्कार है यह ! इससे घर बैठे ही देश-विदेश के सारे समाचार सुने जा सकते हैं।

इसका आविष्कार इटली के एक वैज्ञानिक ने सन् १८९६ में किया था। उन महाशय का नाम जी, मारकोनी था। वह सन् १८७५ से ही इसके प्रयोग कर रहे थे। उनके आविष्कार के पश्चात् अब तक के रेडियो में उत्तरोत्तर सुधार होते जा रहे हैं और इसकी उन्नति के लिए बड़े-बड़े वैज्ञानिक प्रयत्नशील हैं। | रेडियो का सबसे पहला ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन इंग्लैंड में बनाया गया था। अब तो धीरे-धीरे अनेक देशों में कई ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन खुल चुके हैं। रेडियो से अनेक लाभ हैं। सबसे बड़ा लाभ तो यह है कि दूर-से-दूर स्थित स्थानों के समाचार हमें तत्काल सुनने को मिल जाते हैं। जब रेडियो नहीं था तब इस कार्य में बहुत लंबा समय लगता था। अब तो न्यूयॉर्क के भाषण को रेडियो की सहायता से हम वैसे ही सुन सकते हैं जैसे न्यूयॉर्क में बैठा हुआ व्यक्ति सुनता है।

इसके अतिरिक्त रेडियो मनोरंजन का एक श्रेष्ठ और सस्ता साधन है। अच्छे-से- अच्छे गायक का गीत हम घर बैठे सुन सकते हैं। इसके पहले लोग ग्रामोफोन से मन बहलाते थे। मनोरंजन के अतिरिक्त इससे एक बड़ा लाभ यह भी हुआ है कि इसके आविष्कार से समुद्री यात्रा बहुत कुछ भय-रहित हो गई है। समुद्री जहाजों में रेडियो लगे रहते हैं। ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से इन जहाजों को खतरे की सूचना दे दी जाती है। इस प्रकार वे सावधान हो जाते हैं और आनेवाले संकट से बच जाते हैं। रेडियो के अभाव में इन जहाजों को न जाने कितने प्राणों और माल की आहुति देनी पड़ती थी। | इसके अतिरिक्त रेडियो से शिक्षा के प्रचार में बहुत मदद मिल सकती है। यदि जगह-जगह रेडियो लगवा दिए जाएँ और किसी ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन से किसी वैज्ञानिक द्वारा व्याख्यान दिलवाया जाए तो उसे सुनकर लोग उससे काफी लाभ उठा सकते हैं। इसी प्रकार नई-नई बातें भी बताई जा सकती हैं और जनता में जागृति उत्पन्न की जा सकती।

रेडियो प्रचार का भी एक अच्छा साधन है। रेडियो द्वारा हम अपनी बातों को कम-से-कम समय में दूर-से-दूर स्थानों तक पहुँचा सकते हैं। व्यापारियों के लिए तो यह बड़े काम की चीज है। बाजार भाव तथा नई-नई वस्तुओं की जानकारी इसके माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार उन्हें व्यापार में सुविधा मिल सकती है। बड़ी-बड़ी कंपनियाँ अपने उत्पादों के विज्ञापन भेज सकती हैं। और अपने व्यापार का विस्तार कर सकती हैं।

किसी विचार के विरोध या पक्ष में प्रचार करने के लिए रेडियो सर्वोत्तम साधन है। समाचार-पत्रों और पुस्तकों में लिखी हुई बातों को केवल पढ़े-लिखे ही जान सकते हैं, परंतु रेडियो द्वारा अनपढ़ों तक भी संदेश भेजा जा सकता है। रेडियो द्वारा ग्राम-सुधार के कार्य बड़ी सुगमतापूर्वक किए जा सकते हैं। भारत में असाक्षरों की संख्या बहुत अधिक है। समाचार-पत्र और पुस्तकें उनके लिए व्यर्थ हैं। वे दुनिया की दौड़ में बहुत पीछे हैं। उन्हें अशिक्षा के इस गड्ढे से निकालने का काम रेडियो द्वारा सुगमता से किया जा सकता है। यदि ग्राम-सुधार का एक ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन अलग से बनवा दिया जाए और उससे देहात के जीवन से संबंधित बातें उन लोगों तक पहुँचाई जाएँ तो बहुत लाभ हो सकता है। उनकी सामाजिक कुरीतियों, अंधविश्वासों और रूढ़ियों को दूर करने में जितनी सहायता रेडियो से मिल सकती है उतनी शायद ही किसी अन्य माध्यम से मिल सके। कृषि से संबंधित नवीन बातें बताकर किसानों की आर्थिक दशा में भी सुधार किया जा सकता है। रेडियो के द्वारा किसानों को नए-नए खाद, उन्नत किस्म के बीज तथा कृषि यंत्रों के बारे में तथा मौसम संबंधी जानकारी देकर उपयोगी सहायता की जा सकती है।

दूरदर्शन के आने के बाद भी गाँवों में इसकी लोकप्रियता पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। शहरों से अधिक गाँवों में इसका प्रचार बड़ी शीघ्रता से बढ़ रहा है। | जब से ‘एफ.एम.’ (Frequency Module) और ‘ज्ञानवाणी’ चैनल शुरू हो गए हैं तब से रेडियो की महत्ता और उपयोगिता और बढ़ गई है। इस कारण रेडियो की माँग काफी बढ़ गई है।

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रेडियो पर निबंध Essay On Radio In Hindi

Essay On Radio In Hindi – Radio In Hindi Essay दोस्तों आज हम आपको इस ब्लॉग में रेडियो पर निबंध लिखकर बताएंगे क्योंकि यह एक ऐसा विषय है जो प्राचीन समय में बहुत ज्यादा प्रचलित था इसी वजह से इसके बारे में जानने के लिए शिक्षक हमें इस तरह के विषय पर निबंध लिखने के लिए देते हैं अगर आप को भी इस विषय पर निबंध लिखने के लिए दिया गया है तब हमारे इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें। ताकि आपको अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त हो सके।

तो चलिए शुरू करते हैं

Essay On Radio In Hindi

रेडियो पर निबंध – Essay On Radio In Hindi

Radio in hindi essay.

वर्तमान समय में हम जिसे रेडियो के नाम से जानते हैं उसे प्राचीन समय में आकाशवाणी भी कहा जाता था और वह उस समय में बहुत ज्यादा प्रचलित था क्योंकि हमारी टेक्नोलॉजी इतनी अधिक नहीं बढ़ी थी जितनी वर्तमान समय में है हम घर पर बैठकर एक स्थान से दूसरे स्थान की सभी जानकारी एवं तस्वीर को देख पा रहे हैं प्राचीन समय में देखने के लिए हमारे पास टेलीविजन अर्थात दूरदर्शन नहीं था इस वजह से रेडियो उस समय बहुत ज्यादा प्रचलित था क्योंकि हमें जगह-जगह के खबरों की जानकारी रेडियो के माध्यम से प्राप्त हो जाती थी और यह बुजुर्गों द्वारा सबसे अधिक सुना जाता था।

उस समय रेडियो से लोग बहुत ज्यादा आकर्षित थे क्योंकि यह हमें दूसरे स्थान की जानकारी दे देता था जिसे देखकर लोगों को बहुत ही ज्यादा खुशी मिलती थी कि यह स्थान पर बैठकर उनको दूसरे स्थान की जानकारी प्राप्त हो रही है और यह विज्ञान का एक बहुत ही महान एवं प्रसिद्ध उपहार मनुष्य को प्राप्त हुआ है। रेडियो के माध्यम से उस समय लोगों का मनोरंजन भी हो जाता था क्योंकि जगह-जगह पर रेडियो स्टेशन बनाए गए थे जो लोगों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए गाने एवं कविताओं को प्रसारित कर देते और लोग उसे बैठकर सुना करते थे।

रेडियो की खोज एवं आविष्कार माक्रोनी नाम के एक वैज्ञानिक द्वारा किया गया था जो इटली में रहता था यह वैज्ञानिक एक बार एक तालाब के किनारे बैठा था जिसका पानी बहुत ज्यादा शांत था और उसमें इसमें पत्थर फेंका जिस वजह से उसकी तरंगे उत्पन्न हुई और इसी से प्रेरणा लेकर इन्होंने रेडियो को बनाया और रेडियो वर्तमान समय में भी बहुत ज्यादा प्रचलित है जैसा आप रेडियो का एक एडवरटाइजमेंट भी देखते होंगे कारवां माता पिता के लिए बेस्ट उपहार।

उनके द्वारा बनाए गए रेडियो वर्तमान समय तथा प्राचीन समय में लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आया और इसी वजह से यह बहुत अधिक उपयोग में आने लगा शुरुआती दौर में यह इतना अच्छे तरीके से कार्य नहीं करता था लेकिन धीरे-धीरे उस वैज्ञानिक ने इसमें और भी अधिक बदलाव किए जिस वजह से दूर-दूर तक लोगों के रेडियो पर कार्यक्रम प्रसारित होने लगे रेडियो पूरी तरीके से तरंगों पर निर्भर है और इसी वजह से जगह-जगह पर रेडियो स्टेशन भी बनाए गए हैं ताकि उन तरंगों को निर्धारित एवं उचित समय पर रेडियो तक छोड़ा जाना चाहिए।

प्राचीन समय में जो अपने बिजनेस को बढ़ाने के लिए विचार विमर्श करते थे वह सभी रेडियो पर विज्ञापन देते थे क्योंकि यह उस समय का एक बहुत ही बेहतरीन जरिया था लोगों तक पहुंचने के लिए क्योंकि हर एक व्यक्ति के पास जाना किसी भी व्यापारी के लिए मुश्किल था लेकिन रेडियो हर एक घर में मौजूद था जिस वजह से बहुत ही सरलता के साथ सभी व्यापारी अपने प्रोडक्ट को लोगों तक पहुंचा पाते थे लोगों को उससे अवगत करा पाते थे।

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और इससे ग्राहकों को भी बहुत ज्यादा फायदा होने लगा क्योंकि कई बार ऐसी वस्तुएं होती थी जो कि व्यापारी के पास मिलेंगे उनको इसका अंदाजा नहीं होता था लेकिन रेडियो के माध्यम से यदि वह विज्ञापन तक पहुंचा था तब वह उस सामान को खरीदने के लिए और व्यापारी के पास जाते थे लेकिन पहले के समय में रेडियो बहुत बड़े-बड़े आते थे जिस वजह से उसको एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना थोड़ा मुश्किल होता था क्योंकि यह आकार में अत्यधिक बड़े होते थे लेकिन धीरे-धीरे इसे और भी अधिक सुधार आ जाने लगा और ट्रांजिस्टर के रूप में इसे वर्तमान समय में लोग अपनी पॉकेट में लेकर घूमते हैं पहले जब कीबोर्ड मोबाइल फोन चल रहा था तब उसमें भी रेडियो दिया जाता था क्योंकि उस फोन में लोग वीडियो एवं गाने नहीं सुन सकते थे जिस वजह से रेडियो होने की वजह से यह उसे चालू करके रेडियो पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रमों का आनंद उठा सकते थे।

रेडियो कि जब शुरुआत हुई थी तब गीत संगीत कहानियां नाटक कविताएं इत्यादि का प्रसारण नहीं हो पाता था उस समय मात्र बातचीत का ही प्रसारण होता था लेकिन तकनीकी में और भी बदलाव करके इन्होंने यह सभी प्रसारण भी आरंभ कर दिया और इसी वजह से धीरे-धीरे रेडियो के सुनने वाले के स्रोतों बढ़ते गए और रेडियो स्टेशन भी कई स्थानों पर बना दिया गया ताकि ग्राहकों को और भी अधिक बेहतरीन तरीके से प्रसारण का आनंद दिलाया जा सके क्योंकि रेडियो स्टेशन कितना दूर होगा फ्रीक्वेंसी उतनी ही कमजोर प्राप्त होगी और इससे रेडियो सही तरीके से नहीं चल पाएगा।

उस समय जब रेडियो आरंभ हुआ था तब यह कई सारे लोगों का रोजी-रोटी भी बन चुका था क्योंकि कई सारे कलाकार निर्माता विक्रेता इसका उपयोग करके अपना जीवन यापन करते थे कई सारे व्यापारियों को उनका व्यापार अधिक आगे बढ़ाने में भी रेडियो से ही मदद मिली और यह वर्तमान समय में भी कई बड़े स्थानों पर व्यापार कर रहे हैं लोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करने के लिए भी रेडियो को ही जरिया बनाया और वह उसमें सफल भी हुए।

वर्तमान समय में भी जो व्यापारी अपने व्यापार को सही मायने में बढ़ाना चाहता है वह टीवी मोबाइल एवं रेडियो तीनों स्थानों पर अपने विज्ञापन को चलाते हैं ताकि उन स्थानों पर भी पहुंचा जा सके जहां पर अभी तक टेक्नोलॉजी नहीं पहुंच पाई है जो कि रेडियो ग्रामीण के हर एक व्यक्ति के पास मौजूद होता है भले ही उसके घर में मोबाइल फोन एवं टीवी मौजूद हो या ना हो।

दोस्तों अभी हमने आपको इस ब्लॉग में रेडियो पर निबंध लिखकर बताएं अगर आपको यह पसंद आया हो तो आपसे अपने दोस्तों के साथ भी साझा करें और यदि आपका कोई सवाल है तो आप उनसे कमेंट में अवश्य पूछे एवं अपने सुझाव को आप हमें कमेंट करके दे।

अगर हमारे द्वारा Essay On Radio In Hindi में दी गई जानकारी में कुछ भी गलत है तो आप हमें तुरंत Comment बॉक्स और Email में लिखकर सूचित करें। यदि आपके द्वारा दी गई जानकारी सही है, तो हम इसे निश्चित रूप से बदल देंगे। दोस्तों अगर आपके पास About Radio In Hindi Essay के बारे में हिंदी में और जानकारी है तो हमें कमेंट बॉक्स में बताएं। हम An Essay On Radio And Television In Hindi इसमे जरूर बदलाव करेंगे। और ऐसेही रोमांचक जानकारी को पाने के लीएं   HINDI.WIKILIV.COM   पे आते रहिएं धन्यवाद

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Home » History » रेडियो का इतिहास और आविष्कार History Of Radio In Hindi

रेडियो का इतिहास और आविष्कार History Of Radio In Hindi

रेडियो का इतिहास – history of radio in hindi.

दोस्तों, इस लेख History Of Radio In Hindi में “Radio Ka Avishkar Kisne Kiya” और रेडियो का इतिहास के बारे में बात करेंगे। “हम आकाशवाणी से बोल रहे है” यह शब्द आपने जरूर सुने होंगे। ये शब्द बार बार रेडियो (Radio) पर सुनने को मिलते थे। रेडियो हम हिन्दुस्तानियो की आदत बन चूका था लेकिन आज रेडियो (Radio) कही खो गया है।

टीवी, मोबाइल, कंप्यूटर और इंटरनेट के युग में रेडियो का उपयोग बहुत कम हो गया है। यु कहिये की रेडियो बीते जमाने की बात हो गयी है। अब आइये जानने का प्रयास करते है की रेडियो का इतिहास क्या है? और इसका आविष्कार किसने किया था।

रेडियो का आविष्कार किसने किया था?

आपकी जानकारी के लिए बता दू की रेडियो का आविष्कार  “Invention”  मारकोनी (Markoni) ने किया था। इन्होंने पहला रेडियो संदेश First Radio Message इंग्लैण्ड से अमेरिका भेजा था। यह रेडियो की शुरुआत मानी जाती है लेकिन Radio Broadcasting के द्वारा सन्देश भेजा था रेगिनाल्ड फेसेंडेन (Reginald Fessenden) ने जो कनाडा Canada के वैज्ञानिक थे।

24 Dec 1906 को फेसेंडेन ने वायलिन बजाकर उसकी धुन को रेडियो तरंगों Radio Rays के माध्यम से अटलांटा महासागर में तैर रहे जहाजो तक पहुचाई थी। आगे चलकर रेडियो Radio का इस्तेमाल नोसेना में होने लगा लेकिन इसका प्रयोग केवल सेनाओं के इस्तेमाल तक सीमित हो गया था। प्रथम विश्वयुद्ध के दौरान (During First World War) गैर सेनाओं के द्वारा रेडियो का उपयोग गैरकानूनी कर दिया गया था।

दुनिया के पहले रेडियो स्टेशन की शुरुआत 1918 में न्यूयॉर्क New York शहर में हुई थी। ली द फॉरेस्ट (Lee The Forest) ने इस रेडियो स्टेशन (Radio Station) की शुरुआत की थी लेकिन पुलिस को पता चलते ही इसको बन्द करवा दिया गया था। परन्तु नवंबर 1920 में रेडियो पर लगी रोक को हटा लिया गया था। इसके बाद रेडियो की पहुंच आम लोगो तक हो गयी।

भारत में आकाशवाणी रेडियो की शुरुआत कब हुई? Indian History Of Radio In Hindi

1927 तक भारत (India) में कई रेडियो स्टेशन खोले जा चुके थे। 1936 में सरकारी रेडियो की शुआत हुई जिसका नाम इम्पीरिअल रेडियो ऑफ़ इंडिया (Imperial Radio Of India) था । यही आगे चलकर आल इंडिया रेडियो (All India Radio) बना जिसको हम आकाशवाणी (Akashwani) भी कहते है।

भारत में रेडियो स्टेशन की शुरुआत मुम्बई (Mumbai) और कोलकाता (Kolkata) में 1927 को हुई थी। ये निजी रेडियो स्टेशन थे। 1930 में रेडियो (Radio) का राष्ट्रीयकरण हुआ था। 1939 में दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान रेडियो का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था। और रेडियो ट्रांसमीटर सरकार को जमा कराने का निर्देश दिए गए थे।

उस समय रेडियो इंजीनियर नरीमन प्रिंटर (Nariman Printer) ने रेडियो के पुर्जे अलग करके उनको छुपा दिया। इसके बाद उन्होंने नेशनल कांग्रेस रेडियो (National Congress Radio) का प्रसारण शुरू किया। यह 1942 का साल था और इसी रेडियो स्टेशन से गांधीजी का नारा “अंग्रेजो भारत छोड़ो” का प्रसारण किया गया था।

12 नवम्बर 1942 को नरीमन गिरफ्तार हो गए जिसके बाद यह रेडियो स्टेशन (Radio Station) बन्द कर दिया गया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नारा “तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूंगा” रेडियो के ही द्वारा जर्मनी (Germany) से प्रसारित किया गया था। आजादी के बाद भी रेडियो रखने के लिए लाइसेंस लेना पड़ता था।

आज रेडियो FM की शक्ल ले चुका है और इसी वजह से अभी भी अपनी पहचान बनाये हुए है। दोस्तों रेडियो ने भारत की आजादी में अहम् भूमिका निभायी थी और कई इंकलाबी नारे और संबोधन इसी के द्वारा दिए गए थे।

इस पोस्ट History Of Radio In Hindi में रेडियो का आविष्कार (Radio Ka Avishkar Kisne Kiya), और इतिहास पर जानकारी “Information About Radio In Hindi” अच्छी लगी हो तो पोस्ट को शेयर करे।

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3 thoughts on “रेडियो का इतिहास और आविष्कार History Of Radio In Hindi”

Good about history of radio

थोड़ी देर हो गई नहीं तो रेडियो के आविष्कारक जगदीश चन्द्र बसु होते🙏

जगदीश चन्द्र बसु एक महान वैज्ञानिक थे

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Hindi Essay, Paragraph on “Radio”, “रेडियो”, Hindi Anuched, Nibandh for Class 5, 6, 7, 8, 9 and Class 10 Students, Board Examinations.

रेडियो विज्ञान का सबसे आश्चर्यजनक और अद्भुत आविष्कार है। रेडियो का प्रसारण मनोरंजन का एक प्रमुख साधन है। इसकी लोकप्रियता अब भारत के हर गाँव और शहर में फैल चुकी है। मनोरंजन के साथ-साथ यह ज्ञान-प्राप्ति का भी एक मुख्य साधन है। रेडियो पर ज्ञानपूर्ण कार्यक्रम भी आते हैं।

रेडियो पर विभिन्न प्रकार के मनोरंजनपूर्ण कार्यक्रम प्रसारित होते हैं। यह हमारी बोरियत और थकान दूर करता है तथा मधुर गीतों से हमें तरोताज़ा करता है। रेडियो का प्रसारण केवल मनोरंजन का ही स्रोत नहीं है, बल्कि सूचना एवं समाचार का भी मुख्य स्रोत है। शिक्षा की दृष्टि से भी रेडियो के प्रसारण का बड़ा महत्व है। यह देश से निरक्षरता मिटाने का भी सबसे प्रमुख साधन है। रेडियो स्टेशन से कला एवं साहित्य, विज्ञान एवं दर्शन, व्यापार व वाणिज्य विषयों पर भी वार्ता होती है। यह विश्व के हर देश की खबरें हमें देता है।

व्यापारिक दुनिया में रेडियो का अपना अलग महत्व है। रेडियो से प्रसारित विज्ञापन अशिक्षित लोगों तक आसानी से पहुँच जाते हैं। सोने-चाँदी एवं अन्य धातुओं, खाद्य पदार्थों, कच्चे माल तथा विश्वभर की विभिन्न वस्तुओं के मूल्य रेडियो पर प्रतिदिन प्रसारित होते हैं।

लोकगीतों के लिए भी रेडियो अत्यंत उपयोगी है। इसके अतिरिक्त बीमारियों, पाठशाला, कढ़ाई-बुनाई और प्राथमिक चिकित्सा से संबंधित कार्यक्रम भी रेडियो पर प्रसारित होते हैं। रामायण और गीता पर धार्मिक व्याख्यान भी एक निश्चित दिन रेडियो पर सुनने को मिलते हैं। बच्चा के मनोविज्ञान के बारे में भी रेडियो हमें बताता है।

युद्ध के समय भी रेडियो बहुत लाभदायक सिद्ध हुआ है। सरकार रेडियो द्वारा जनता को सेना की बहादुरी तथा सिपाहियों की विजय क बारे में और शत्रुओं की पराजय के बारे में बताती है और वायरलेस का मदद से जहाज़ों को खतरे की जानकारी दी जाती है। यो विज्ञापनों का एक लोकप्रिय, अत्यंत सस्ता एवं सुलभ साधन  है।

अनेक वस्तुओं के विज्ञापन रेडियो पर प्रतिदिन प्रसारित होते हैं। अतः विश्व भर में प्रचलित हो जाती हैं। इसके लिए सीलोन रेडियो लोकप्रिय है। हमारे देश में रेडियो पर विज्ञापन देने का अच्छा स्कोप  है।

इसके अलावा हमारे देश में रेडियो बहुत लोकप्रिय एवं प्रचलित हुआ है। इसलिए रेडियो का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। दूरदर्शन के बढ़ते चलन से रेडियो के कार्यक्रमों में पहले की अपेक्षा बहुत सुधार हुए हैं।

आज आवश्यकता यह है कि रेडियो को राजनीतिक एवं सामुदायिक प्रभाव से मुक्त कर देना चाहिए। फिर रेडियो आधुनिक विज्ञान एवं मानवता का एक महान वरदान सिद्ध होगा।

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रेडियो पर निबंध | Essay on Radio in Hindi

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रेडियो का परिचय - रेडियो आधुनिक विज्ञान का एक आश्चर्यजनक उपयोगी अविष्कार है। इसने सारे संसार को एक कर दिया है। इससे हम सारी दुनिया के समाचार सुना करते है , संगीत और नाटक का आनंद लेते हैं और हर तरह के ज्ञान - विज्ञान की बातें सीखते है। रेडियो को 'आकाशवाणी' भी कहते है, क्योंकि प्राचीन ग्रंथो में 'आकशवाणी' का उल्लेख हुआ है। 

➤ दूरदर्शन पर निबंध 

रेडियो का प्रचार - रेडियो का प्रचार हर घर में है। अगर हम चाहें , तो सारी रात और सारे दिन रेडियो खोले रह सकते है और संसार की विविध बातें घर बैठे बिस्तर पर लेटे सुन सकते है। सुबह होते ही सुनने को मिलता है , 'यह आकाशवाणी पटना है', 'यह दिल्ली है', 'यह आकाशवाणी का लखनऊ केंद्र है', 'अब थोड़ी देर में समाचार होंगे , पहले हिंदी में , फिर अँग्रेजी में'। शाम को बाहर टहलने जाइए , तो पानवाले की दुकान से आवाज आती है - 'अभी आपने लता मंगेशकर को सुना ; अब सुनिए, मन्ना डे को'। ऐसा कोई स्थान नहीं है , कम - से - कम 150 ₹ में एक 'रेडियो सेट' मिल जाता है। 

➤ समाचारपत्र पर निबंध

रेडियो का अविष्कार - जब आँधी और तूफ़ान में टेलीफोन के तार टूटने लगे या कभी - कभी उपद्रवी तार काटने लगे, तब लोगों की असुविधा बढ़ने लगी। समाचार भेजने में कठिनाई होने लगी। इस कठिनाई को दूर करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक श्री जगदीशचंद्र बसु ने सबसे पहले अनेक परिक्षण किये , किन्तु सफलता मिली इटली के वैज्ञानिक मार्कोनी को। मार्कोनी ने यह सिद्ध किया कि मनुष्य जो कुछ बोलता है , वह ध्वनि - तरंग बनकर हवा में घूमता  रहता है ; हमारी आवाज कभी मरती नहीं। आकाशवाणी हवा की तरंगों में फैली ध्वनि को बिजली की शक्ति से ग्रहण कर उन्हें सुना देती है। जिस स्थान से ध्वनि का प्रसारण होता है , उसे 'आकाशवाणी केंद्र' अथवा 'ब्रॉडकास्टिंग स्टेशन' कहते है। इस प्रकार , मार्कोनी ने सन 1919 में रेडियो का अविष्कार कर संसार की बड़ी सेवा की। 

➤ Short Essay on Newspaper

रेडियो का महत्त्व - रेडियो ने सिनेमा , ग्रामोफ़ोन और समाचारपत्र - तीनों को मिलाकर एक कर दिया। रेडियो से हम संगीत , नृत्य और नाटक का आनंद प्राप्त करते है। अतः , इनके लिए अब सिनेमा देखना बहुत जरुरी नहीं रहा। पहले गीतों के लिए हमें ग्रामोफ़ोन का सहारा लेना पड़ता था या काफी खर्च पर गवैये बुलाने पड़ते थे। अब हम घर बैठे ही सभी प्रकार के गीत और संगीत का आनंद उठाते है। बड़े - बड़े गायक हमारे सामने आते है और हम उनका गाना सुनते है। अब तो समाचारपत्र भी खरीदने की जरुरत नहीं रही। रेडियो से हम हर दिन देश - विदेश के ताजा - से - ताजा समाचार 10 - 15 मिनटों में सुन लेते है। इतना ही नहीं , रेडियो ने अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध मजबूत कर विश्वबन्धुत्त्व को बढ़ावा दिया है। आधुनिक युद्धों में भी रेडियो का उपयोग होता है। रेडियो ने ज्ञान - विज्ञान की शिक्षा के विस्तार में काफी योग दिया है। यह हर दिन सभी तरह के लोगों की रूचि और आवश्यकता के अनुसार नयी - नयी बातों का प्रसारण करता है। गाँव वालों के लिए 'पंचायत' या 'चौपाल' , महिलाओं के लिए 'आँगन' , बच्चों के लिए 'बाल मंडली' इत्यादि कार्यक्रमों का प्रसारण हर दिन होता रहता है। इसी तरह , स्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए भी कार्यक्रमों की अलग - अलग व्यवस्था रहती है। इसमें कोई संदेह नहीं कि रेडियो आधुनिक जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी और आवश्यक है। 

➤ Essay on Science and Religion

रेडियो का उपसंहार - रेडियो का उपयोग अनंत है। यह दुनिया को एक करने में , शिक्षाप्रसार में , विविध मनोरंजनों के प्रसार में और अंतर्राष्ट्रीय नागरिक जीवन को मजबूत बनाने में बड़ी सहायता कर रहा है। वस्तुतः , यह आधुनिक विज्ञान का एक बड़ा उपयोगी वरदान है। 

➤ Essay on Science and Man

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एफएम रेडियो पर निबंध | Essay on Fm Radio in Hindi

Essay on Fm Radio in Hindi: आज हम एफएम रेडियो पर निबंध Radio Essay आपकों यहाँ बता रहे हैं. रेडियो का यह नया अवतार क्या हैं,

कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10 के बच्चों के लिए 5, 10 लाइन, 100, 200, 250, 300, 400, 500 शब्दों में छोटा बड़ा Fm Radio Essay in Hindi को हम यहाँ पढेगे.

इस निबंध की मदद से आप समझ पाएगे fm रेडियो क्या है इसका इतिहास आदि पर सरल निबंध भाषण लिख पाएगे.

Essay on Fm Radio in Hindi एफएम रेडियो पर निबंध

एफएम रेडियो पर निबंध | Essay on Fm Radio in Hindi

Hello, We Welcome You Guys Here Is A Short And long Essay on Fm Radio in Hindi Language For School Students & Kids. I Hope You Will Happy With Our This Essay That You Actually Wants.

400 शब्दों में एफएम रेडियो पर निबंध

इंसान हमेशा से ही मनोरंजन का आदी रहा है। इसीलिए वह अपने मनोरंजन के लिए नए-नए तरीके ढूंढता ही रहता है। रेडियो भी एक ऐसी चीज है जो इंसान के मनोरंजन के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है।

सबसे पहली बार रेडियो पर पहला प्रसारण साल 1906 मे 24 दिसंबर के दिन हुआ था। यह वक्त शाम का था और कनाडा के एक साइंटिस्ट ने वायलिन बजाया था जिनका नाम रीगिनाल्ड फेसेडेन

था और इनकी वायलिन की आवाज को अटलांटिक महासागर में जो जहाज तैर रहे थे उन पर मौजूद रेडियो ऑपरेटर ने अपने रेडियो सेट पर सुना।

आज के समय में रेडियो का महत्व काफी बढ़ गया है, जहां कुछ लोग काम करने के दरमियान रेडियो सुनना पसंद करते हैं, वहीं कई लोग अपने मूड को फ्रेश करने के लिए रेडियो सुनने पसंद करते हैं। बात करें अगर एफएम रेडियो की तो एफएम रेडियो अब स्मार्टफोन और छोटे-छोटे डिवाइस में भी आने लगा है। 

कुछ स्मार्टफोन ऐसे है, जिसमें एफएम रेडियो स्पीकर पर चल जाता है और कुछ स्मार्टफोन में एफएम रेडियो चलाने के लिए उसमें ईयर फोन लगाना पड़ता है।

एफएम रेडियो का इस्तेमाल ना सिर्फ संगीत सुनने के लिए किया जा रहा है बल्कि इसका इस्तेमाल विभिन्न प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी लोगों तक पहुंचाने के लिए किया जा रहा है।

भारत के ऐसे कई ग्रामीण इलाके हैं जहां पर अभी भी कई लोगों के पास टीवी उपलब्ध नहीं है परंतु अधिकतर लोगों के पास स्मार्टफोन और रेडियो सेट उपलब्ध है।

ऐसे में गवर्नमेंट की विभिन्न प्रकार की योजनाओं को सामान्य लोगों तक पहुंचाने के लिए रेडियो काफी अहम किरदार अदा कर रहा है, जिससे भारत की दूरदराज के इलाके में रहने वाली जनता को गवर्नमेंट की योजना का फायदा प्राप्त हो रहा है।

वर्तमान के समय में एफएम रेडियो पर विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम होस्ट किए जा रहे हैं और जो इन कार्यक्रम को होस्ट करता है, उसे रेडियो जॉकी कहा जाता है,

जो कभी कॉमेडी कार्यक्रम होस्ट करता है तो कभी पॉलिटिकल कार्यक्रम होस्ट करता है, साथ ही रेडियो के द्वारा लोगों से किसी भी मुद्दे पर उनकी राय भी ली जाती है और उसे अन्य लोगों के साथ शेयर किया जाता है।

इसके अलावा रेडियो कुछ लोगों के लिए अपनी बात रखने का एक जरिया भी ऊबर करके आ रहा है। रेडियो के द्वारा विभिन्न प्रकार की नौकरियों के बारे में भी बताया जाता है जिससे बेरोजगार लोगों को नौकरी के बारे में जानकारी हासिल होती है।

इसके अलावा समय-समय पर रेडियो पर विभिन्न मशहूर गायकों के कार्यक्रम भी आते रहते हैं जिनमें लोग फोन कॉल करके अपनी पसंद का गाना सुनने की रिक्वेस्ट भी कर सकते हैं, उनकी रिक्वेस्ट के हिसाब से ही गाने बजाए जाते हैं।

Essay on Fm Radio in Hindi In 1000 Words For Kids

जरा याद कीजिए उन दिनों को जब क्रिकेट की कमेंट्री एवं विविध भारती के कार्यक्रमों को सुनने के लिए एक रेडियो सैट के सामने लोगों का हुजूम उमड़ आया करता था. शादी में दूल्हे को रेडियो सैट मिलना भी एक बड़ी बात हुआ करती थी. तब रेडियो ही लोगों के मनोरंजन का मुख्य साधन हुआ करता था.

तब रेडियो पर एक अधिकतम दो चैनल ही लोगों को सुनने के लिए मिला करते थे. किन्तु भारत में 1923 में रेडियो के प्रसारण के प्रारम्भिक प्रयास और 1927 में प्रायोगिक तौर पर इसकी शुरुआत के बाद से अब तक इस क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की जा चुकी हैं. और इसका सर्वोत्तम उदहारण एफएम रेडियो प्रसारण हैं.

एफ एम फ्रीक्वेंसी माड्यूल का संक्षिप्त रूप हैं. यह एक ऐसा रेडियो प्रसारण हैं जिसमें आवृति को प्रसारण ध्वनि के अनुसार माड्यूल किया जाता हैं. भारत में इसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई थी. इसके बाद से इसके विकास के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सतत प्रयत्नशील रहा हैं.

एफ एम प्रसारण के क्षेत्र में निजी भागीदारी की आवश्यकता को देखते हुए इस क्षेत्र में प्रसारण के उदारीकरण के लिए जुलाई 2003 में रेडियो प्रसारण नीति समिति का गठन किया गया. 1990 के दशक में इस क्षेत्र में किये गये प्रयासों के बाद यह भारत में एफ एम रेडियो प्रसारण के विस्तार का दूसरा चरण था.

इस समिति ने पहले चरण से प्राप्त अनुभव के आधार पर कई सुझाव दिए. इनमें प्राथमिक रूप से प्रसारण क्षेत्र में प्रवेश करने और छोड़ने की विधि, लाइसेंस शुल्क की संरचना, सेवाओं का क्षेत्र बढ़ाने और मौजूदा लाइसेंसधारियों के दूसरे चरण में जाने की विधि सम्बन्धी कई सुझाव थे.

इन्ही सुझावों के परिणामस्वरूप मई 2005 में देश के 40 नगरों में एफ एम की 40 फ्रीक्वेंसी के लिए खुली बोली के द्वारा नीलामी कर सरकार ने इसके तीव्र विकास के प्रयास शुरू कर दिए.

इस नीलामी के द्वारा निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के पीछे सरकार के कई और उद्देश्य थे. जैसे एफ एम रेडियो नेटवर्क का विस्तार करना, उच्च गुणवत्ता वाले रेडियो कार्यक्रम उपलब्ध करवाना, स्थानीय प्रतिभाओं को प्रोत्साहन देना तथा रोजगार बढ़ाना इत्यादि.

इस क्षेत्र में प्रगति को विस्तार देने के लिए मई 2006 में देश के विभिन्न प्रान्तों में 19 स्थानों पर एक किलोवाट ट्रांसमीटर क्षमता वाले एफ एम स्टेशनों को स्वीकृति प्रदान की गई.

उसके बाद देश के 87 शहरों में 245 एफ एम चैनलों के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध करवाया गया. आकाशवाणी ने प्रसारण के क्षेत्र में परामर्श और तैयार समाधान उपलब्ध कराने के लिए अपनी एक वाणिज्यिक शाखा के रूप में ए आई आर रिसोर्सेस की शुरुआत की,

जो इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुफ्त विश्वविद्यालय को देश में 40 स्थानों पर ज्ञानवाणी केन्द्रों की स्थापना के लिए एफ एम ट्रांसमीटर स्थापित करने में सहायता कर रहा हैं.

एफ एम की जब बात चलती हैं तो लोग समझते हैं कि इसका उद्देश्य गीत संगीत आधारित मनोरंजन ही होता हैं जबकि ऐसा नहीं हैं. इसमें कोई संदेह नहीं कि एफ एम आज गीत संगीत आधारित मनोरंजन का पर्याय बन चुका हैं.

यह भी सही हैं कि सूचना प्रोद्योगिकी के विकास के फलस्वरूप लोगों को मोबाइल फोन के माध्यम से साफ़ साफ़ सुनते देखा जा सकता हैं.

पर सही मायनों में देखा जाए तो भारत में एफ एम स्टेशन की शुरुआत शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए की गई थी. स्थानीय स्तर पर एफ एम प्रसारण के लाभ को देखते हुए देश के कई विश्वविद्यालयों ने इसके जरिये अपने शैक्षिक प्रसारण के उद्देश्य से अपने अपने एफ एम प्रसारण चैनलों की शुरुआत की हैं.

यही कारण हैं कि इससे न केवल आम जनता को लाभ पहुंचा हैं बल्कि दूरस्थ एवं खुले विश्वविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण कर रहे लोगों के लिए भी वरदान साबित हुआ हैं.

इस प्रसारण की ही देन हैं कि अब लोग अपनी स्थानीय बोली में स्थानिय सांस्कृतिक परम्पराओं से सम्बन्धित कार्यक्रमों का आनन्द उठा पा रहे हैं.

आज एफ एम प्रसारण दुनिया भर में रेडियो प्रसारण का पसंदीदा माध्यम बन चुका हैं. इसका एक कारण इससे उच्च गुणवत्ता युक्त स्टीरियो फोनिक आवाज की प्राप्ति भी हैं. शुरुआत में इस प्रसारण की देशभर में कवरेज मात्र 30 प्रतिशत ही थी.

किन्तु अब इसकी कवरेज बढकर 60 प्रतिशत से अधिक जा पहुंची हैं. लोकतांत्रिक व्यवस्था में यही सूचना एवं जानकारी के अभाव में जनता न तो अपनी पसंद की सरकार चुन सकती हैं और न ही सरकार तक अपनी बात पहुंचा सकती हैं.

इस दृष्टिकोण से देखा जाए तो एफ एम प्रसारण के क्षेत्र में प्रगति से भारतवासियों को निश्चय ही अधिक लाभ पहुंचा हैं. एफ एम प्रसारण के महत्व को देखते हुए देश के अधिकतर विश्वविद्यालयों ने इसमें रोजगार की सम्भावनाओं के दृष्टिकोण से इससे सम्बन्धित पाठ्यक्रमों की शुरुआत की हैं.

एफ एम गोल्ड, रेडियो मिर्ची, बिग एफ एम इत्यादि जैसे एफ एम रेडियो चैनल आज इतने लोकप्रिय हो चुके हैं कि हर दस में से सात युवा इनसे निश्चित रूप से परिचित हैं. विज्ञापन के क्षेत्र में भी एफ एम प्रसारण ने अभूतपूर्व क्रांति का सूत्रपात किया हैं.

पहले के रेडियो प्रसारण में स्थानीय विज्ञापनों से अधिक लाभ नहीं होने के कारण इनकी कमी अनुभव की जाती थी. किन्तु अब स्थानीय विज्ञापनदाताओं को भी इससे लाभ मिलने लगा हैं. एफ एम रेडियो प्रसारण के व्यापारिक महत्व को देखते हुए बड़े बड़े औद्योगिक घराने ने भी अपने एफ एम रेडियो प्रसारण की शुरुआत की हैं.

रिलायंस का बिग एफ एम इसका एक अच्छा उदहारण हैं. टाइम्स ऑफ़ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स और बी बी सी जैसे मीडिया के दिग्गजों ने भी एफ एम प्रसारण के क्षेत्र में अपने कदम रखकर इसकी महत्ता को उजागर किया हैं.

आने वाले समय में एफ एम प्रसारण के एक महत्वपूर्ण निजी उद्योग के रूप में उभरने की सम्भावना हैं, इसकी शुरुआत रिलायंस जैसे व्यापारिक घरानों से हो चुकी हैं.

एफएम के जरिये समाचार प्रसारण की आजादी नहीं दी गई थी. इसे शैक्षिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बढाया जा रहा था, किन्तु कुछ महानगरों के चुनिन्दा चैनलों को समाचार प्रसारण की स्वतंत्रता दे दी गई है और अब यह उम्मीद की जा रही हैं कि सभी एफ एम चैनलों के जरिये समाचार प्रसारण की इजाजत भारत सरकार शीघ्र ही दे देगी.

इस समय देश के लगभग सौ से अधिक एफ एम चैनल शैक्षिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रसारण कर रहे हैं. सूचना के महत्व को देखते हुए जिस देश में सूचना का अधिकार विधेयक पारित किया गया हो,

वहां तीव्र सूचना की प्राप्ति के लिए एफ एम रेडियो प्रसारण के क्षेत्र में प्रगति निश्चय ही एक शुभ संकेत हैं. समय के साथ साथ इसके विकास में तेजी आएगी और यह देश के विकास में भी अहम योगदान देगा.

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आकाशवाणी पर निबन्ध | Essay for Kids on Radio in Hindi

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आकाशवाणी पर निबन्ध | Essay for Kids on Radio in Hindi!

छोटे-से डिब्बे जैसीचीज जिसे हम हाथ में या अपनी जेब में लेकर घूमते-फिरते, तरह-तरह के गीतों का आनन्द लेते हुए अपने काम में लगे रहते हैं या अपने सामने रखकर नाटकों (Dramas), वार्ताओं (Talks) तथा समाचार (News) आदि सुनते रहते हैं, वह डिब्बानुमा (Box-like) चीज है रेडियो या ट्रांजिस्टर ।

आज घर-घर में जो स्थान टेलीविजन ने ले लिया है, कई वर्ष पहले तक वही स्थान रेडियो का हुआ करता था । फिर भी अनेक कारणों से रेडियो का महत्त्व (Importance) आज भी कायम है ।

ADVERTISEMENTS:

रेडियो का आविष्कार (Invention) इटली के मार्कोनी नामक वैज्ञानिक (Scientist) ने किया था उसने अनुभव किया कि जैसे पानी में पत्थर फेंकने पर लहर (Wave) पैदा होती है, वैसे ही-हवा और आवाज (Sound) में भी होती होगी । प्रयोगों (Experiments) के बाद उसने यह प्रमाणित (Prove) भी करदिया और आवाज को फैलाने (Expand) तथा पकड़ने (Receive) का यंत्र (Machine) भी बना लिया ।

इसी यंत्र का नाम दिया गया रेडियो । आवाज को वायुमंडल और अंतरिक्ष (Atmosphere and Space) में भेजने के लिए पहला रेडियो स्टेशन सन 1921 में बना और इंग्लैंड से न्यूजीलैंड तक इसके द्वारा समाचार (News) प्रसारित (Transmit) किये गए ।

रेडियो से हमारे जीवन में अनेक प्रकार के लाभ हैं । पढ़ा-लिखा व्यक्ति हो या अनपढ़ इसके कार्यक्रम केवल सुनकर अनेक तरह की जानकारी (Information) हासिल कर सकता है । जहाँ टेलीविजन देखा जाना या रखा जाना संभव (Possible) नहीं है, वहाँ भी रेडियो आसानी से रखा और सुना जा सकता है ।

दूर जंगलों, पहाड़ों और रेगिस्तानों (Deserts), भटकते सैनिकों (Soldiers) अथवा यात्रियों (Tourists) के लिये रेडियो अधिक ला भकारी है । रेडियो मनोरंजन (tourists) के लिये रेडियो सूचना और व्यवसाय (Profession) के लिए लाभकारी है । साथ ही साहित्यकारों, कलाकारों (Artists) तथा तकनीशियनों के लिए रोजगार (Employment) का एक अच्छा माध्यम है ।

4. उपसंहार:

रेडियो शुरू से ही जीवन के अनेक क्षेत्रों में हमारे लिए लाभकारी (Beneficial) रहा है और सभ्यता-संस्कृति (Civilisation and Culture) तथा ज्ञान-विज्ञान तथा कलाओं के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका (Important Role) निभाते हुए समाज के लिए वरदान (Boon) सिद्ध हुआ है ।

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[350 शब्द ] Essay on Radio in Hindi - Radio par nibandh Hindi mein

Today, we are sharing Simple essay on Radio in Hindi . This article can help the students who are looking for Long essay on Radio in Hindi . This is the simple and short essay on Radio which is very easy to understand it line by line. The level of this article is mid-level so, it will be helpful for small and big student and they can easily write on this topic. This Long essay on Radio is generally useful for class 5, class 6, and class 7, class 8, 9, 10 .

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Essay on Radio in Hindi - Radio par nibandh Hindi mein

भूमिका:- विज्ञानं के निरंतर विकास ने मानव को बहुत से अविष्कार दिए है। जिसमे रेडियो इन अविष्कारों में अति महत्वपूर्ण है। क्योकि रेडियो के आविष्कार ने विशाल दुनिया को समेटकर एक छोटे से डिब्बे जैसा बना दिया है।

आविष्कार:- रेडियो के पहले हमें संचार में बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। इन सभी कठिनाइयों से बचने और शीघ्र गति से एक स्थान की खबरों को दुसरे स्थान तक पहुँचाने के उदेश्य से वैज्ञानिको ने काफी समय तक बिना तार के सन्देश एक से दूसरी जगह पहुचाने के लिए अनेक प्रयोग किये। अंत में मारकोनी नामक वैज्ञानिक ने बिना तार के ख़बरों को दूर-दूर तक भेजने के लिए एक उपकरण तैयार की। इस प्रकार 1901 ई० में इनके द्वारा रेडियो का आविष्कार हुआ जो मानव-जीवन के लिए एक अमूल्य निधि है।

बनावट और कार्यशैली:- रेडियो छोटे या बड़े आकार के डिब्बे या बक्से जैसा उपकरण होता है.जिसमे बहुत से छोटे बड़े पुर्जे लगे होते है। इसे बैटरी या विद्युत-धारा कि सहायता से चलाया जाता है। शुरू-शुरू में इसका आकार बड़ा होता था बाद में तकनिकी विकास ने इसे छोटेसे छोटा बना दिया फलस्वरूप इसका रख-रखाव अब आशान हो गया है।

अब तो लोग अत्यंत छोटे रेडियो का आनंद जेब में रखकर चलते-फिरते भी लेते रहते है। विभिन्न रेडियो-केन्द्रों से ध्वनि-तरंगों को वायु में छोड़ा जाता है और रेडियो के पुर्जे इन तरंगों को पकड़ते है। और ध्वनि में बदलकर हमें सुनाते है।

महत्त्व:- रेडियो आज हर चौक-चौराहे पर सुना जा सकता है। इसके माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के संगीत, समाचार, नाटक, प्रहसन क्षेत्रीय कार्यकर्म आदि सुनते है। यह मनोरंजन करने के साथ हमें विज्ञानं चिकित्सा और कृषि से सम्बंधित नवीनतम खोजों की जानकारी भी देता है। इसके द्वारा प्रसारित महान हस्तियों के साक्षात्कारो से हमें प्रेरणाए मिलती है।

अतः यह हमारे ज्ञान-विज्ञानं को प्रतिदिन बढाता रहता है। यह दुनिया के किसी भी भाग में होनेवाली महत्वपूर्ण घटनाओ खेलों आदि का आँखों-देखा हाल भी हम तक पहुँचाता है।

उपसंहार:- विज्ञानं की यह अमूल्य खोज हमें ज्ञान और मनोरंजन देती है। और घर बैठे दुनियादारी के संपर्क में रखती है। हालाँकि दूरदर्शन की लोकप्रियता से यह बहुत हद तक प्रभावित हुआ है। लेकिन अपनी अधिक उपयोगिता और कम दाम की वजह से यह आज भी अति लोकप्रिय और घर-घर का अंग बना हुआ है।

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Students in school, are often asked to write Long essay on Radio in Hindi . We help the students to do their homework in an effective way. If you liked this article, then please comment below and tell us how you liked it. We use your comments to further improve our service. We hope you have got some learning about Radio. You can also visit my YouTube channel which is https://www.youtube.com/synctechlearn. You can also follow us on Facebook at https://www.facebook.com/synctechlearn .

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Essay on radio in hindi रेडियो पर निबंध.

Read an article on Radio in Hindi language. Radio was the only source of information for people of India. Essay on Radio in Hindi is asked in many exams starting from 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 and 12 class. Important essay on Radio in Hindi in 900 words. रेडियो पर निबंध। रेडियो के फायदे।

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Essay on Radio in Hindi

एफएम रेडियो की भाषा

एक समय था, जब लोग रेडियो की भाषा से भाषा सीखते थे। लेकिन आज के दौर में एफएम रेडियो द्वारा द्विअर्थी भाषा शैली का प्रयोग किया जा रहा है, इस भाषा शैली से अपसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है।

एक दौर ऐसा था कि लोग रेडियो को भूलने लगे थे, रेडियो का बाजार धीमा पड़ गया था। लोग सीडी, कैसेट आदि को ही पसंद करते थे। लेकिन आज के दौर में रेडियो ने अपनी – वापस पा ली है। इसका सारा श्रेय एफएम रेडियो को जाता है, जिसने इस जगत में क्रन्तिकारी परिवर्तन ला दिये हैं। आज जिसे देखो वही एफएम रेडियो सुनता नजर आयेगा। घर, बाहर, दुकान- जिधर भी नजर जाती है, एफएम रेडियो ही बजता नजर आता है। यहां तक कि लोग अपनी गाड़ियों में भी एफएम ही सुनते हैं। एफएम रेडियो ने कैसेट, सीडी जगत को काफी प्रभावित किया है।

एफएम रेडियो की लोकप्रियता में अत्यधिक वृद्धि हुई है, लेकिन इसी के साथ इसकी भाषा शैली के स्तर में काफी गिरावट भी आयी है। खासतौर पर जो निजी एफएम हैं, वे दिव्अर्थी शब्दों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। भाषा में घोल मेल की स्थितियां बहुत बढ़ गयी हैं। हालांकि आकाशवाणी के एफएम स्टेशनों ने इसे काफी नियंत्रित कर रखा है। लेकिन अन्य जगह स्थितियां काफी अलग है। निजी एफएम के लोग भाषा का इस्तेमाल सिर्फ मनोरंजन के लिए करते हैं। वे इस बात को नजर अंदाज करते हैं कि भाषा के माध्यम से आप अपने श्रोताओं को संस्कारित भी करते हैं। आकाशवाणी एफएम का अपना कोड हैं। किसी पर कटाक्ष नहीं करना और गरिमापूर्ण प्रस्तुतीकरण इसके मध्य में रहा है। जहां तक निजी एफएम रेडियो का सवाल है, उनका मकसद बाजार को आकर्षित करना है। इसलिए वे मनोरंजक कार्यक्रम से बाहर आना ही नहीं चाहते ओर बाजार में अपने प्रोडक्ट्स का बेचने के लिए तरह-तरह के स्लोगन्स उछालते हैं, जैसे ‘इट्स हॉट’ एवं ‘सीटी बजाओ’ आदि। कार्यक्रम के नाम से ही मानसिकता का पता चलता है।

एक निजी एफएम के रेडियो जॉकी के अनुसार, भाषा की शुद्धता की बजाय हमें यह देखना चाहिए कि भाषा आत्मीय हो, गतिशील हो, ऊर्जावान हो, ताकि लोगों के जेहन में आसानी से आ जाए। एफएम की जिस भाषा शैली की बात हम कर रहे हैं, वह एक खिचड़ी भाषा है। इससे आतंकित होने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसे सहज स्वीकार करने की जरूरत है। यह महज बदलाव का संकेत है। इस भाषा की न तो कोई शब्दावली है न कोई व्याकरण। यह भाषा किसी तरह की सीमा और बंधन को नहीं मानती। शायद यही वजह है कि युवा वर्ग में यह भाषा खासी लोकप्रिय है और इसे आसानी से अपना लिया गया है। इस भाषा शैली को अपनाने के साथ आत्मविश्लेषण करने की भी आवश्यकता है। अगर लोगों की देश की किसी एक भाषा पर पकड़ होती, फिर इस भाषा शैली को अपनाते, तो परिस्थिति कुछ और ही होती। कदाचित हम कहीं न कहीं अपने अंदर संतोष कर लेते कि चलो, कम से कम एक भाषा पर तो पकड़ मजबूत है। कितु यहां तो कितने युवाओं को न तो हिंदी, न तो अंगेजी और न ही अपनी प्रादेशिक भाषा का ज्ञान है। ज्ञान है तो सिर्फ खिचड़ी भाषा का। क्या सही में इस शैली की बाजार में मांग है, या फिर सिर्फ बाजार के नाम पर थोपी हुई ‘खिचड़ी’ भाषा है।

भाषा एक औजार है, जिसके जरिये रेडियो अपने श्रोताओं को बांधे रखता है। इसलिए इसमें शुद्ध बोलचाल की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। प्रस्तुतीकरण में एक बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जिस मनोरंजक भाषा शैली का रेडियो जॉकी द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है, उसमें हल्कापन नहीं हो, लेकिन श्रोताओं को ऐसा भी न लगे कि रेडियो पर बोलने वाला ज्ञान बघार रहा है। किसी भी चीज की अपनी सीमा होती है और मनोरंजन की भी एक सीमा है। भाषा की एक गरिमा तो होनी ही चाहिए। एफएम रेडियो की जो व्यावहारिक शर्त है, वह यह है कि जो रेडियो सुन रहा है उससे रेडियो जॉकी का रिश्ता आमने-सामने का होता है, जिससे संवाद जारी रखने के लिए आपके पास सिर्फ शब्द ही एक माध्यम होता है। रेडियो जॉकी की हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि श्रोता को लगे कि वह रेडियो पर बोलने वाले से नहीं, वरन अपने दोस्त से बात कर रहा है।

शुद्ध भाषा वह है, जो लोगों के दिलोदिमाग पर असर पैदा करे। आसानी से समझ में आए, मानवीय लगे और जिसमें फूहड़ता न हो। लेकिन भाषा गतिमान हो जो श्रोताओं को उबाऊपन से बचाए और उनमें ऊर्जा पैदा करे। भाषा कहीं न कहीं हमारे संस्कार को भी दर्शाती है, इस लिहाज से फूहड़पन से बचना चाहिए। रेडियो पर बोलने वाला कभी-कभी ऐसी भाषा का भी प्रयोग करता है, जो गरिमापूर्ण नहीं होती है और लोगों पर अच्छा प्रभाव नहीं डालती। कहीं न कहीं रेडियो जॉकी के ऊपर भी सामाजिक दायित्व होता है, जिसका ख्याल इस क्षेत्र से जुड़े लोगो को रखना चाहिए। यह ध्यान रखना चाहिए कि रेडियो का कार्यक्रम पूरा परिवार एक साथ बैठकर सुन सकता है कि नहीं, यह एक अहम बात है। ऐसे में फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल रेडिया पर बोलने वाले को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

Essay on television in Hindi

मनोरंजन के आधुनिक साधन

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स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर निबंध - Essay On Independence Day In Hindi

Independence day essay in hindi for school: क्या आप स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में एक अनोखा, प्रभावशाली और दिल को छू लेने वाला निबंध लिखना चाहते हैं 100, 200, 500 शब्दों तक के विभिन्न independence day essay in hindi for school के लिए इस लेख को देखें। .

Akshita Jolly

Independence Day Essay in Hindi for School: 15 अगस्त 1947 को हमारे इस मातृभूमि का पहला स्वतंत्रता दिवस था. आज जिस भूमि को हम अपना आज़ाद वतन मानते हैं उसे आज़ाद हुए 78 वर्ष हो चुके हैं. सोने की चिड़िया से ब्रिटिश कॉलोनी बनने से लेकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने का भारत देश का लंबा सफर सराहनीय और विख्यात है. आज हम इस आज़ादी की हवा में सांस ले पा रहे हैं क्यूंकि हमारे पूर्वजों ने हमें यह आज़ादी दिलाने के लिए 200 वर्ष तक संघर्ष किया। इसलिए आजादी का यह जश्न पूरे देश में देशभक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। आज के दिन विद्यार्थियों में विशेष उत्सुकता देखी जाती है. देश भर के स्कूलों में इस अवसर को उत्साह के साथ मनाते हैं. देश के बच्चे और युवा ही इसका भविष्य है. इनमें देशभक्ति की भावना जगाने के लिए निबंध लेखन, स्पीच कॉम्पीटीशन्स, नाटक, पेट्रियोटिक गीत और नृत्य के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिनमे बच्चे बढ़-चढ़ के हिस्सा लेते हैं. 

इस लेख में, हमने स्कूल स्टूडेंट्स के लिए अंग्रेजी में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर निबंध संकलित किया है। ये निबंध 100 से 500 शब्दों तक के हैं। हमने उन छात्रों के लिए अतिरिक्त सामग्री भी प्रदान की है जो अपने निबंध को और लंबा करना चाहते हैं या उसके किसी हिस्से को संशोधित करना चाहते हैं। 

  • Essay on Independence Day in English
  • स्कूल के बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस भाषण  2024 हिंदी में
  •   Independence Day Essay 2024: Short and Long Essay for School Students!

हिंदी निबंध लेखन टिप्स 

  • अपने निबंध को उद्धरणों, कहावतों, नारों आदि के साथ शुरू से ही दिलचस्प बनाएं।
  • सही व्याकरण के साथ सरल भाषा का प्रयोग करें।
  • अपनी छाप छोड़ने के लिए दिल को छू लेने वाली कहावत, नारा या उद्धरण शामिल करें।
  • सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुनिश्चित करें कि आपका स्वतंत्रता दिवस निबंध तथ्यात्मक है और इसमें कोई गलत, असत्यापित जानकारी नहीं है।
  • सत्यापित जानकारी प्राप्त करने के लिए जागरण जोश जैसे प्रामाणिक स्रोत का सहारा लें।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस निबंध 

  • स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त  2024 पर भाषण - Independence Day Speech in Hindi
  • Independence Day Short Speech in English 2024 for School Students

हिंदी स्वतंत्रता दिवस निबंध 100 शब्दों में 

गूंज रहा है दुनिया में हिंदुस्तान का नारा चमक रहा है आसमान में तिरंगा हमारा!

15 अगस्त, 2024, ब्रिटिश कोलोनिल राज से भारत का 78वां स्वतंत्रता दिवस है. यह एक ऐतिहासिक दिन है और हमारे देशवासियों के बीच देशप्रेम, समर्पण और एकता का प्रतीक है.

स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत दिल्ली के लाल किले पर प्रधान मंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ होती है, जिसके बाद पूरे देश में देशभक्ति समारोह मनाया जाता है. स्वतंत्रता दिवस हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और नेताओं के बलिदान को याद करने का समय है जिन्होंने हमारी आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी. स्वतंत्रता दिवस हमें भारत माता की उन्नति और प्रगति के प्रति हमारे कर्तव्यों की याद दिलाता है.

हिंदी स्वतंत्रता दिवस निबंध 200 शब्दों में 

  "स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, और मैं इसे लेकर रहूँगा" - बाल गंगाधर तिलक

15 अगस्त यानि भारतीय स्वतंत्रता दिवस देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। 15 अगस्त 2024 को ब्रिटिश कोलोनियल राज से हमारे देश की आजादी की 78 वीं वर्षगांठ है।

इस दिन को मनाने के लिए पूरा देश एक साथ आता है। माननीय प्रधान मंत्री नई दिल्ली में लाल किले पर भारतीय तिरंगे फहराते हैं। देश के सभी राज्यों में राज्याधिकारी और अन्य नेता राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं, देशभक्ति के गीत गाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं जो हमारे अंदर एकता और गौरव की भावना का नवनिर्माण करते हैं. 

भारत को 1947 में आजादी मिल गई थी लेकिन इस आजादी की लड़ाई कई वर्षों लंबी और कठिन थी. स्वतंत्रता की इस लड़ाई का नेतृत्व प्रख्यात नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों ने किया। खून पसीना बहाकर, अपने भविष्य का निःस्वार्थ त्याग कर, अपने जीवन का बलिदान दिया और करोड़ों भारतीयों को ब्रिटिश उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता दिवस हमारे पूर्वजों के इन बलिदानों की याद दिलाता है। यह हमें अपनी स्वतंत्रता को संजोने और राष्ट्र की भलाई के लिए काम करने की प्रेरणा देता है।

स्वतंत्रता दिवस समारोह से हमें विविधता में एकता की याद दिलाने के लिए है। यह राष्ट्रवाद की भावना को फिर से जगाने और हमारे देश की वृद्धि और विकास में योगदान देने का समय है।

हिंदी स्वतंत्रता दिवस निबंध 500 शब्दों में

तिरंगा सिर्फ आन या शान नहीं है हम भारतीयों की जान है।

स्वतंत्रता दिवस का प्रत्येक भारतीय के दिल में एक महत्वपूर्ण स्थान है क्यूंकि यह हिन्दुस्तानियों की एकता और अटूट भाईचारे की विजय के साथ चिह्नित है। यह आज़ादी हमें 200 सालों की यातना, उत्पीड़न, युद्ध और बलिदान के बाद  15 अगस्त, 1947 को मिली. ब्रिटिश कोलोनियल शासन से कड़ी मेहनत से हासिल की गई यह आजादी लोकतंत्र का जश्न है. यह भारत के इतिहास में एक नये युग की शुरुआत का प्रतीक है।

दशकों के अथक संघर्ष और बलिदान से सजी स्वतंत्रता की यात्रा कठिन थी। महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मी बाई, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह और सरोजिनी नायडू जैसे असंख्य नेताओं और सेनानियों की मेहनत और बलिदान को किसी प्रकाश की आवश्यकता नहीं है. देश को इन्हीं वीरों के बलिदान के कारण आजादी मिली, जिन्होंने भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अपना आज कुर्बान कर दिया. 

स्वतंत्रता दिवस समारोह की शुरुआत हमारे प्रधान मंत्री द्वारा नई दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रगान और इक्कीस तोपों की सलामी के साथ भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराने से होती है। इस भव्य समारोह में कई सरकारी अधिकारी, विदेशी गणमान्य, स्कूली छात्र और कई अन्य नागरिक शामिल होते हैं.

ध्वजारोहण के बाद, माननीय प्रधान मंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं और पिछले वर्ष में राष्ट्र की उपलब्धियों को दर्शाते हुए और आने वाले वर्षों के लिए राष्ट्र के दृष्टिकोण को सामने रखते हुए भाषण देते हैं. विभिन्न जीवंत सांस्कृतिक कार्यक्रम, नृत्य, डायन इत्यादि भारत की विविध विरासत और एकता को प्रदर्शित करते हैं. स्वतंत्रता की हवा में हमारा राष्ट्रीय ध्वज गर्व से ऊँचा लहराता है.

स्वतंत्रता दिवस का जश्न पूरे देश में जोरों शोरों से मनाया जाता है। राजधानी दिल्ली से लेकर और सभी राज्य की राजधानियों और छोटे से छोटे गांव तथा कस्बों में सभी उत्साह से स्वतंत्रता का जश्न मनाते हैं. भारत के कोने-कोने में तिरंगा लहराता है. स्वतंत्रता दिवस समारोह देश के प्रति देशवासियों का प्रेम और देश के बेहतर भविष्य के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आयोजित किए जाते हैं। सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और कॉलेजों में तिरंगा फहराया जाता है। बच्चे हाथों में भारतीय झंडे लेकर शान से घूमते नजर आते हैं. यह उन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान की याद दिलाता है जिन्होंने देश की आजादी के लिए अताह संघर्ष किया। यह भारतीयों में गर्व और देशभक्ति की गहरी भावना पैदा करता है, उनसे अपनी कड़ी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता की रक्षा करने और उसे संजोने और देश की प्रगति में योगदान देने का आग्रह करता है।

यह महज़ एक बधाइयों और खुशियों का दिन नहीं है. स्वतंत्रता दिवस समारोह का सार केवल उल्लासपूर्ण समारोहों से परे है। स्वतंत्रता दिवस बच्चे, युवाओं और बुजुर्गों को उन चुनौतियों की याद दिलाता देता है है जिनका मुकाबला हमारे पूर्वजों ने किया था और उन चुनौतियों की दस्तक के बारे में आगाह करता है जो हमारे सामने हैं।

स्वतंत्रता दिवस केवल स्मरणोत्सव और उत्सव का दिन नहीं है, बल्कि स्वराज और राष्ट्र-निर्माण के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का नवीनीकरण है। यह भारतीयों को एकता, समानता और सांप्रदायिक सद्भाव की भावना को कभी न खोने देने के लिए प्रेरित करता है।

लता मंगेशकर का लोकप्रिय व सदाबहार गीत के बोल “ए मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँखों में भर लो पानी, जो शहीद हुए हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी” हमारे स्वतंत्रता के सच्चे सार बयान करता है. 

यह दिन है अभिमान का, है भारत माता के मान का ! नहीं जाएगा रक्त व्यर्थ, वीरों के बलिदान का !!

  • Independence Day 15 August Poems in English for School Children

Independence Day Slogans in Hindi

  • ‘करो या मरो’,
  • ‘आराम हराम है’
  • ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो'
  • ‘तुम मुझे खून दो मै तुम्हे आजादी दूंगा’
  • ‘इंकलाब जिंदाबाद’
  • ‘सत्यमेव जयते’
  • ‘वंदे मातरम’
  • ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं उसे लेकर ही रहूँगा’
  • ‘जय जवान जय किसान’
  • ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’
  • ‘विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा’
  • ‘सरफ़रोशी की तमन्ना, अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना, बाज़ु-ए-कातिल में है?

आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी , रिजल्ट , स्कूल , सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

  • हम स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं 200 शब्द निबंध? + "15 अगस्त यानि भारतीय स्वतंत्रता दिवस देश के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। 15 अगस्त 2023 को ब्रिटिश कोलोनियल राज से हमारे देश की आजादी की 76 वीं वर्षगांठ है। इस दिन को मनाने के लिए पूरा देश एक साथ आता है।" स्वतंत्रता दिवस पर पूरे 200 शब्दों का निबंध देखने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.
  • स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त पर निबंध कैसे लिखें? + 15 अगस्त, 1947 को भारत देश अंग्रेजो से आजाद हुआ. यह गौरव का दिन देशवासी उल्लास और दर्शप्रेम की भावना से मनाते हैं. 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर निबंध लिखने के लिए जरूररी है की आप इस आज़ादी के सफर की गाथा को दिल से समझ कर, आसान एवं सरल भाषा में प्रस्तुत करें.
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