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Essay On Diwali In Hindi – दिवाली पर निबंध 200, 500, 1000 शब्दों में

Essay on Diwali in Hindi ( दिवाली पर निबंध ): जैसा कि हमारे देश में कई तरह के त्योहार मनाए जाते है जिनका अपने आप में अलग अलग विशेषता और महत्व होती है। भारत में होली, दीपावली, रक्षाबंधन, ईद, लोहड़ी आदि त्योहार मुख्य रूप से मनाया जाता है। लेकिन ज्यादातर सबका पसंदीदा त्योहार दीपावली ही होता है। जिसका लोग बेचैनी से इंतजार कर रहे होते है। इस त्योहार का कुछ अलग ही माहौल होता है।

Essay on Diwali in Hindi

क्षात्रो को स्कूल में हमेशा टास्क दिया जाता है “दिवाली पर निबंध लिखें (Write an Essay on Diwali)” ऐसे में कई बच्चो को Essay लिखने में प्रॉब्लम होती है। इसी प्रॉब्लम का समाधान इस लेख में दी जा रही है। यहाँ पर दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali) लिखी जा रही है।

Essay on Diwali – Introduction

हमारे देश भारत में दिवाली को दीपावली के नाम से भी जानते है। Diwali(दिवाली) के बारे में सोचते ही आपके दिमाग में सबसे पहले क्या आता है?

जब भी दिवाली करीब आती है तो लाइट, fireworks (पटाखे), मिठाइयां और ड्राई फ्रूट्स आदि ऐसी चीजे मन में आती है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब हमारे परिवार के सभी सदस्य दिवाली की रात मनाने के लिए एक साथ आते हैं।

दिवाली (Diwali) को हिंदू के सबसे बड़े festivals में से एक कहा जा सकता है जो न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में खुशी और सुंदर भाव के साथ मनाया जाता है। 

दीपावली का त्योहार हर साल october या november के महीने में होता है। यह विजयदशमी (vijayadashmi) के ठीक 20 दिन बाद मनाया जाता है। Deepawali दो शब्दों दीप या दीया और आवली शब्द से मिलकर बना है। दिवाली (Diwali) भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी हिंदुओं और अन्य गैर हिंदू समुदायों द्वारा मनाई जाती है जो वहां रहते हैं। इस त्योहार को अन्य समुदाय (बौद्ध,जैन आदि) के लोग भी मानते है। 

Essay on Diwali – दिवाली (Diwali) कैसे मनाई जाती है?

दीपावली आने के लगभग 10 दिन पहले से ही सभी घरों में साफ सफाई होने लगती है।

लोग अपने अपने घरों, दुकानों आदि की साफ सफाई में जुट जाते है। और बहुत से लोग अपने  घरों या दुकानों को नया बनाने के लिए पेंट कराते है। कहा जाता है की दीपावली पर घरों की सफाई करना इसलिए जरूरी होता है क्योंकि इस दिन lord Ganesha और lordess lakshmi जी ही घरों में वास करते है।

बाजारों में खूब दौड़ भाग होती है। लोग इस मौके पर नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां और गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति आदि खरीदते है। हिंदुओं द्वारा देवी lakshmi की पूजा की जाती है क्योंकि व्यापारी दिवाली के पर्व पर नई खाता बही की शुरुआत करते हैं। लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है।

लोग खुशी और उत्साह के साथ दिवाली का पूरा आनंद लेते हैं। इस दिन घर में तरह तरह की मिठाइयाँ बनाई जाती हैं और दोस्तों और रिश्तेदारों में बाँटी जाती हैं। लोग अपने पड़ोसी और प्रिय लोगों को आमंत्रित करते हैं। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने भी जाते हैं और गिफ्ट और सूखे मेवों का आदान प्रदान भी करते हैं।

वही कुछ लोग ऐसे भी जिनके यह त्योहार कुछ अलग ही रूप से मनाया जाता है जैसे शराब का सेवन, जुआ खेलना, टोना-टोटका करना और पटाखों के गलत इस्तेमाल से इसे ख़राब करने में जुटे रहते हैं। जो की समाज की बहुत बुरी आदत है। कम से कम इस दिन तो ये सोच बनाके रखना चाहिए की इस पावन अवसर पर ये बुरी आदत छोड़के अपने अंदर अच्छी आदतों का वास करना चाहिए।

बच्चे इस त्योहार का बेसब्री से इंतजार करते हैं।  उन्हें पटाखे फोड़ने और आतिशबाजी में खूबसूरत रंगोली बनाने और अपने घर को सजाने में भी मजा आता है।

Essay on Diwali: इतिहास

यह त्योहार बहुत ही खूबसूरत और इमोशनल इतिहास के अंदर छिपा हुआ है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस त्योहार के दिन ही भगवान राम (Ram) 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता,भाई लक्ष्मण और उनके प्रिय भक्त हनुमान के साथ अयोध्या ( Ayodhya), राक्षस रावण और उसकी सेना को हराने के बाद, लौटे थे।

अमावस(Amavasya) की रात होने के कारण Diwali के दिन काफी अंधेरा होता है, जिस वजह से उस दिन पुरे Ayodhya को दीपों और फूलों से श्री Ram Chandra के लिए सजाया गया था ताकि भगवान राम के आगमन में कोई परेशानी न हो और तब से लेकर आज तक इसे दीपों का त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है।

उस समय पूरे अयोध्या के लोगों ने अपने प्रिय राजकुमार राम पत्नी सीता,भाई लक्ष्मण और हनुमान के साथ मिट्टी के दीये जलाकर और पटाखे फोड़कर स्वागत किया। 

दीपावली त्योहार के बारे में एक और पौराणिक कथा भगवान विष्णु के साथ देवी लक्ष्मी की शादी है। कहते है इस दिन देवी lakshmi ने भगवान विष्णुओ को चुना और उनसे विवाह किया। देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि देने के लिए भी जाना जाता है।

दूसरी तरफ यह भी है की Diwali हिंदुओं का सबसे ज्यादा मनाया जाने वाला त्योहार है। मुगल सम्राट जहांगीर( Jahangir) की कैद से Guru Govind की रिहाई की याद में सिख(Sikh) दीवाली मनाते हैं।

जैन धर्म में भी दीवाली को “महावीर निर्वाण दिवस” महावीर की शारीरिक मृत्यु और अंतिम मुक्ति के दिन के रूप में मनाया जाता है।

बौद्ध देवी लक्ष्मी की पूजा करके diwali मनाते हैं।

दीपावली के उत्सव के बारे में एक और मिथ्या यह है कि विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर (Narkasur) को मार डाला और राक्षस नरकासुर द्वारा बंदी बनाई गई 16000 से अधिक लड़कियों को रिहा कर दिया। जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, उसे दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी (Chaturdashi) के रूप में मनाया जाता है।

लोग diwali पर भगवान गणेश की पूजा करते हैं जो बाधाओं को दूर करने और तलाश करने के प्रतीक है। यह त्योहार पूरे देश का त्योहार है।  हिंदू पौराणिक कथाओं के लिए इसका बहुत महत्व है और लोगों को वास्तविक सुख और शांति के महत्व को समझने की जरूरत है।

यह बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार है। Diwali अच्छे कर्मों में विश्वास पैदा करती है और खुशी, आनंद और बुराई के अंत का दिन है। यह भारत के प्रत्येक शहर और शहर में और विदेशों में भी भारतीयों द्वारा असाधारण उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह यूनिटी का प्रतीक बन जाता है।  भारत इस पर्व को हजारों सालों से मनाता आ रहा है और आज भी मनाता आ रहा है।

यह पांच दिन तक मनाने जाना वाला त्योहार है जिसमें अच्छा भोजन, आतिशबाजी, रंगीन रेत और विशेष मोमबत्तियां और दीपक शामिल हैं।  हिंदू जहां रहते हैं उसके आधार पर दीवाली की कहानी की व्याख्या करते हैं।

दीपावली कितने दिनों तक मनाते है?

दिवाली का यह त्योहार लगभग 5 दिनों तक मनाया जाता है। जिस के पहले दिन धनतेरस(Dhanteras) होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु(Metals) की वस्तुओं जैसे सोने और चांदी के आभूषण को खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं।

Deepawali का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। कुछ लोग इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।

तीसरा दिन deepawali त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन महालक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।

Deepawali के चौथे दिन गोवर्धन (Govardhan) पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई लगातार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था।

दिवाली के त्योहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पर बहन अपने भाई को रक्षा बांधकर मिठाई खिलाती है।

दीपावली से तमाम जानकारी प्राप्त करके हम इस निष्कर्ष पर पहुंच गए हैं की दिवाली को सभी उत्साहों में से एक माना गया है जिसका एक अलग ही महत्व है। Deepawali का त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है।

दीपावली के त्योहार के दिन हमें अपने अंधकार को मिटाकर दीयों और रोशनी से पूरे एनवायरनमेंट को रोशन करना चाहिए। जैसा कि हम जानते हैं कि दीपावली के पर्व का अर्थ दीप, प्रेम और सुख समृद्धि होता है। इस दिन ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए जिससे किसी को दुख पहुंचे क्योंकि ऐसा करने से इस festival का कोई मतलब ही नहीं रह जाता। हमे हर दुखिजनों के साथ इस पर्व को celebrate करना चाहिए।

भेदभाव और अपने अंदर की बुराइयों का त्याग़ करना चाहिए। साथ ही साथ खुद के अंदर भी अंधकार को खत्म करके एक रोशन दीप जलाना चाहिए।

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दिवाली पर निबंध

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रूपरेखा : परिचय - पौराणिक कथाएँ - दिवाली त्योहार का महत्त्व - दिवाली की तैयारी - सामाजिक महत्व - उपसंहार।

दुर्गापूजा की तरह दीवाली भी भारत के बड़े त्योहारों में एक है। यह हमारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनायी जाती है। इसमें सभी तरह की जातियों, धर्मों और संप्रदायों के लोग दिल खोलकर भाग लेते हैं और सारे भेदभाव भुला देते हैं। अतः दीवाली हमारा एक महान राष्ट्रीय पर्व है। दिवाली को दीपावली भी कहते हैं।

दीवाली के आरंभ की अनेक पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार श्रीरामचंद्र जब 14 वर्ष के बाद रावण को मारकर सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे तब सभी जगह खुशी के दीये जलाये गये। उसी विजय की स्मृति में यह दीवाली हर वर्ष मनायी जाने लगी। दूसरी कथा के अनुसार दीवाली उस दिन शुरू हुई, जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया। इसी खुशी में दीवाली का श्रीगणेश हुआ। तीसरी कथा है कि जब भगवान विष्णु राजा बलि के दान से प्रसन्न हुए, तब यह वर दिया कि सभी लोग बलि के नाम पर घी के दीये जलायेंगे। एक कथा यह भी प्रचलित है कि जब भगवान शंकर ने महाकाली का क्रोध शांत किया, तभी से दीवाली मनायी जाने लगी।

कथा चाहे जो भी हो, इन बातों से एक बात बिलकुल साफ है कि दीवाली हर साल हम भारतवासियों को जीवन का नया संदेश देने आती है और यह बताती है कि सत्य की जीत और असत्य की हार एक-न-एक दिन अवश्य होती है। यह हमारे जीवन का अंधकार दूर कर फुलझरियों की तरह नया प्रकाश बिखेरती है। हम अपने अंदर नवीनता का अनुभव करते हैं।

दीवाली आने के पहले से ही लोग अपने-अपने घर की सफाई, पुताई-रँगाई शुरू कर देते हैं। छोटे-बड़े, अमीर-गरीब सभी तरह के लोग दीवाली के स्वागत की तैयारी में लग जाते हैं। किसी शुभ कार्य का आरंभ भी दीवाली के दिन होता है। दीवाली आती है अमावस्या की रात में। मकान के छतों-छज्जों और मुँडेरों पर दीपों की माला सजायी जाती है। बच्चे पटाखे और रंग-बिरंगी फुलझरियाँ छोड़ते हैं। हर जगह रोशनी-ही-रोशनी दिखायी देती है। रोशनी की इस जगमगाहट में सबके चेहरों पर खुशी की लहर छा जाती है। लोग बाजार की रोशनी और सजावट देखने घर से बाहर जाते हैं। मिठाइयाँ खाते-खिलाते रात के कुछ घंटे बीत जाते हैं। व्यापारी और सेठ-साहूकार रात में धन की देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, नये-नये कपड़े और बरतन खरीदते हैं।

दीवाली का धार्मिक महत्व तो है ही, इसका सामाजिक महत्त्व भी है। वर्षाऋतु के बाद मकानों की मरम्मत और उसकी पुताई, खिड़कियों और दरवाजों की रँगाई, पास-पड़ोस की सफाई— हमारे यहाँ इसी दीवाली के उपलक्ष्य में होती है। साल में एक बार ऐसा करना जरूरी समझा जाता है। इस प्रकार, सारी गंदगी दूर हो जाती है।

दिवाली हमारे जीवन में नयी प्रकाश लाती है, हमारे आसपास के वातावरण को शुद्ध और पवित्र बनाती है। यह हमें भाईचारे, सहयोग, सुख और शांति का संदेश देती है।

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दिवाली पर निबंध – Essay on Diwali in Hindi

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दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्योहार है। रोशनी के इस त्यौहार को “दीपावली ” के नाम से भी जाना जाता है। दिवाली का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। भले ही बुराई रावण की तरह शक्तिशाली और बुद्धिमान हो, लेकिन उसका अंत एक दिन अवश्य होता है।

Table of Contents

दीपावली पर निबंध (300 शब्दों में) – Diwali Essay in Hindi

दिवाली, हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है, जिसका अर्थ है ‘दीपकों की पंक्ति।’ यह त्यौहार ख़ुशी और उत्सव का प्रतीक है और हर साल अक्टूबर और नवंबर के बीच मनाया जाता है। दिवाली के दिन लोग अपने घरों को सुंदर ढंग से सजाते हैं और रात में दीयों से रोशनी करते हैं।

दिवाली का महत्व कई परंपराओं और कहानियों से जुड़ा हुआ है। एक प्रमुख किंवदंती के अनुसार, इस दिन भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास से अयोध्या लौटे थे, लोगों ने उनके स्वागत के लिए दीपक जलाए थे। इसके साथ ही श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध करके लोगों को खुशहाली भी दिलाई थी।

दिवाली के पांच दिवसीय त्योहार में हर दिन का विशेष महत्व होता है। पहले दिन को ‘धनतेरस’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने व्यवसायों और घरों की सफाई करते हैं। दूसरे दिन को ‘छोटी दिवाली’ कहा जाता है, जिसमें लोग अपने घरों को खूबसूरती से सजाते हैं। तीसरे दिन को ‘मुख्य दिवाली’ कहा जाता है, जब लोग अपने घरों को दीयों से रोशन करते हैं और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

दिवाली के इस खास मौके पर लोग नए कपड़े पहनते हैं और मिठाइयां बनाते हैं। फूल और पटाखे फोड़े जाते हैं और दुकानों, बाजारों और घरों को रंग-बिरंगे दीयों से सजाया जाता है।

दिवाली के चौथे दिन को ‘गोवर्धन पूजा’ कहा जाता है, जिसमें गाय माता की पूजा की जाती है। इस दिन, लोग बहुत सारे विशेष व्यंजन, जैसे खील-बताशा, बर्फी, गुलाब जामुन और अन्य स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं और उन्हें दोस्तों और परिवार के साथ साझा करते हैं।

दिवाली के आखिरी दिन को ‘भाई दूज’ कहा जाता है, जिसमें बहनें यमराज की पूजा करती हैं और अपने भाइयों के लिए आशीर्वाद मांगती हैं।

दिवाली का त्योहार हर किसी के जीवन में सुख और समृद्धि का प्रतीक है। इसे एक नई शुरुआत का संकेत माना जाता है और लोग नए संकल्प लेते हैं और अपने जीवन को सफल और खुशहाल बनाने की कोशिश करते हैं।

दिवाली के इस उत्सव के तहत, लोग अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर खुशियाँ मनाते हैं, और सामाजिक और आपसी दोस्ती को मजबूत करते हैं।

दिवाली पर निबंध (500 शब्दों में) – Diwali Nibandh in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” के रूप में जाना जाता है, न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर के हिंदू समुदायों द्वारा मनाए जाने वाले सबसे प्रमुख और प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है। यह भव्य त्योहार अपने साथ समृद्धि, खुशियाँ और रोशनी की आशा लेकर आता है, जिसे विभिन्न समुदायों के लोगों द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।

दिवाली कार्तिक माह की अमावस्या को पड़ती है। यह एक ऐसा समय होता है जब अंधेरी रात अनगिनत दीपकों और दीयों के साथ जीवंत हो उठती है, जिससे आसपास का वातावरण जगमगा उठता है। दिवाली का बड़ा धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह चौदह साल के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी की याद दिलाता है। उनकी वापसी के दौरान, अयोध्या के निवासियों ने अंधेरे पर प्रकाश की जीत का प्रतीक, दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था।

इसके अतिरिक्त, इस दिन, भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक था। दिवाली जैन धर्म के संस्थापक भगवान महावीर के निर्वाण दिवस का भी प्रतीक है। इन कई कारणों से, दिवाली कई लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखती है।

यह त्यौहार पांच दिनों तक चलता है, जो धनतेरस से शुरू होता है और भाई दूज के साथ समाप्त होता है। दिवाली की तैयारियां कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं। घरों की अच्छी तरह से सफाई की जाती है और सजावट शुरू हो जाती है। नए कपड़े सिले जाते हैं और तरह-तरह की स्वादिष्ट मिठाइयाँ बनाई जाती हैं। ठंड का मौसम भव्यता, स्वच्छता और जीवंत सजावट के समय में बदल जाता है, जो हमारे घरों में धन की देवी लक्ष्मी का स्वागत करता है।

पहले दिन, धनतेरस पर, लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं क्योंकि इस दिन इन सामग्रियों में निवेश करना शुभ माना जाता है। दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली है, जब कुछ लोग पटाखे फोड़कर भी जश्न मनाते हैं।

तीसरा दिन, मुख्य दिवाली का दिन, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन खासतौर पर उन व्यापारियों के लिए बहुत महत्व रखता है जो नए बही-खाते की शुरुआत करते हैं। विभिन्न आयु वर्ग और विभिन्न वर्गों के लोग धार्मिक अनुष्ठान करने और देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद लेने के लिए एक साथ आते हैं।

चौथे दिन, गोवर्धन पूजा मनाई जाती है, जो भगवान इंद्र के प्रकोप के कारण होने वाली मूसलाधार बारिश से ग्रामीणों की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने का प्रतीक है। यह पर्व प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देता है।

दिवाली का आखिरी दिन, भाई दूज, भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित है। बहनें अपने भाइयों की आरती करती हैं और उनकी सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं और बदले में भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

दिवाली धार्मिक सीमाओं से परे है, विभिन्न धर्मों और पृष्ठभूमि के लोग त्योहार मनाने के लिए एक साथ आते हैं। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव है जो परिवारों और दोस्तों के बीच प्यार, एकता और खुशी का प्रतीक है।

रोशनी का त्योहार दिवाली हमारे दिलों में एक खास जगह रखता है। यह एक नई शुरुआत का आरंभ करता है और हमारे जीवन को खुशी, आशा और सकारात्मकता से भर देता है। यह वह समय है जब अंधकार दूर हो जाता है और प्रकाश बुराई पर विजय प्राप्त करता है। यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि अच्छे कर्म, एकता और विश्वास हमें हमेशा एक उज्जवल कल की ओर ले जाएंगे।

दिवाली के त्योहार पर निबंध (600 शब्दों में) – Essay on the festival of Diwali in Hindi

प्रस्तावना:

दिवाली हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। आमतौर पर छोटे बच्चों को यह त्योहार बहुत पसंद आता है क्योंकि यह सभी के लिए ढेर सारी खुशियाँ और उपहार लाता है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।

दिवाली का मतलब

“दिवाली”, जिसे “दीपावली” के नाम से भी जाना जाता है, भारत और दुनिया भर में रहने वाले हिंदुओं के सबसे पवित्र त्योहारों में से एक है। यह त्यौहार हिंदू पौराणिक और सांस्कृतिक धार्मिक महत्व से ओत-प्रोत है और विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है।

दिवाली का अर्थ “दीपकों की पंक्ति” से है, जो दर्शाता है कि इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा दीपक या दीये जलाना है। ‘दीपावली’ संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है – दीप+आवली। ‘दीप’ का अर्थ है ‘दीपक’ और ‘आवली’ का अर्थ है ‘श्रृंखला’, जिसका अर्थ है दीपकों की श्रृंखला या दीपकों की पंक्ति।

इस त्यौहार के अवसर पर घरों को दीपों से सजाया जाता है, जिससे रात बेहद खूबसूरत और रोशनी से भरी हो जाती है। यह दीयों की चमकती रोशनी है जिसका महत्वपूर्ण प्रतीक बुराई के अंधेरे से अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ना है।

दिवाली त्योहार की तैयारियां

“दिवाली” के त्यौहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले ही शुरू हो जाती हैं। दिवाली के आगमन से ही लोग अपने घरों को सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्योहार की तैयारियों में घर की साफ-सफाई सबसे अहम होती है। लोग अपने घरों को साफ-सुथरा करके सजाते हैं, जिससे घर का वातावरण शुद्ध और रमणीय हो जाता है।

ऐसा माना जाता है कि दिवाली के दिन, धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी जी का आगमन होता हैं, और वह विशेष रूप से उन घरों में प्रवेश करती हैं जहां साफ-सफाई और सुशीलता बनी रहती है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए घर का साफ सुथरा होना जरूरी है। देवी लक्ष्मी के आगमन को घर में सुख-समृद्धि बढ़ने का संकेत माना जाता है और इसलिए यह तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

दिवाली नजदीक आते ही लोग अपने घरों को दीयों और तरह-तरह की लाइटों से सजाना शुरू कर देते हैं। इस त्यौहार की शुरुआत घर के कोने-कोने में दीपक और मोमबत्तियाँ जलाकर की जाती है, जिससे रात के समय घर की सुख-समृद्धि में रोशनी फैल जाती है। दीये और रोशनी का यह उत्स्व बुराई के अंधेरे को हराने और अच्छाई की रोशनी की ओर बढ़ने का संकेत है।

“लक्ष्मी पूजन” का विशेष महत्व है

इस दिन विशेष रूप से धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दिवाली के शुभ अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश और धन संचय के देवता कुबेर की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना जाता है। दिवाली, जिसे धनतेरस के नाम से भी जाना जाता है, धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस दिन लोग अपने घर में आने वाले धन का स्वागत करने के लिए अपने घरों को विशेष तरीके से सजाते, साफ-सुथरा और तैयार करते हैं। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों को धन और समृद्धि से भरने के लिए देवी लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं।

धनतेरस के दिन भगवान गणेश की भी पूजा की जाती है क्योंकि वह घर के रास्ते को साफ और सुरक्षित रखते हैं और बाधाओं को दूर करते हैं। कुबेर जी की पूजा से धन के प्रवाह पर नियंत्रण रहता है।

प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजन सबसे अधिक फलदायी माना जाता है। धनतेरस का महत्व यह भी है कि यह धन निवेश और व्यापार के लिए शुभ समय होता है। इस दिन लोग नई संपत्ति की योजना बनाते हैं और नवीनतम व्यावसायिक प्रक्रियाओं में पहल करते हैं।

दिवाली का मतलब है दीपों की पंक्ति और रोशनी की ओर बढ़ना। इस त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिन पहले से ही शुरू हो जाती हैं, जिससे हमारे घरों में रोशनी और खुशियां आती हैं। “लक्ष्मी पूजन” इस त्योहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि यह धन और समृद्धि की देवी देवी लक्ष्मी की पूजा है, जो हमारे जीवन में समृद्धि और वित्तीय स्थिति की कामना करती है। दिवाली के दिन घरों को दीपों से सजाने के साथ-साथ आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ती है, जिससे हम अपने जीवन में नए आदर्शों और समर्पण की ओर बढ़ सकते हैं।

दीपावली पर निबंध (900 शब्दों में) – Essay on Diwali in Hindi

दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत और दुनिया भर में बड़े धूमधाम से मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू त्योहार है। इस त्योहार का महत्व आने वाले समय में सुख, समृद्धि और रोशनी की आशा से जुड़ा है। दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है क्योंकि इस दिन लोग अपने घरों में दीये और पटाखे जलाते हैं, जो रोशनी का प्रतीक है। इस त्योहार के दौरान लोग अपने घरों को सजाते हैं, नए कपड़े पहनते हैं और साफ-सफाई करते हैं। इसके साथ ही दिवाली आध्यात्मिक और आत्मनिर्भर भावना को बढ़ावा देती है और लक्ष्मी पूजन के माध्यम से समृद्धि की कामना करती है।

दिवाली का इतिहास

हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली का इतिहास भगवान श्री राम के आगमन से जुड़ा है। भगवान श्री राम, माता सीता और भगवान लक्ष्मण ने चौदह वर्ष के वनवास के बाद अपनी प्रिय अयोध्या लौटने का फैसला किया था। उनके आगमन के दिन अमावस्या की रात थी, जिसके कारण पूरा नगर अंधकार में डूबा हुआ था। लोगों ने अपने घरों को दीपों और फूलों से सजाया था, ताकि भगवान राम और उनके परिवार के स्वागत के लिए पूरा शहर उज्ज्वल और सुंदर हो। 

तब से लेकर आज तक इसे रोशनी के त्योहार और अंधेरे पर प्रकाश की जीत के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने घरों को दीयों और दीपों से सजाते हैं, जिससे घरों में रोशनी होती है और त्योहार की भावना में उत्सव का माहौल पैदा होता है। इसे “दीपावली” कहा जाता है, जिसका अर्थ है “दीपकों की पंक्ति”। यह पंक्ति न सिर्फ घर को रोशन करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि रोशनी हर समय बुराई को हराती है।

इस शुभ अवसर पर, भगवान गणेश, लक्ष्मी जी, राम जी और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ बाजारों में खरीदारी के लिए उपलब्ध होती हैं। इस समय बाजारों में विशेष रौनक रहती है। इस अवसर पर लोग नए कपड़े, उपहार, आभूषण, बर्तन, मिठाइयाँ और अन्य सामान खरीदते हैं। 

हिंदू धर्म के अनुसार, दिवाली का त्योहार नई व्यावसायिक गतिविधियों की शुरुआत का भी प्रतीक है। व्यवसायी लोग दिवाली के त्योहार पर नए बही-खाते शुरू करके वित्तीय सफलता की आशा करते हैं।

इसके साथ ही लोगों का मानना है कि यह खूबसूरत त्योहार सभी के लिए धन, समृद्धि और सफलता लाता है। दिवाली के अवसर पर, लोग अपने परिवार, दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ उपहारों और मिठाइयों का आदान-प्रदान करने के लिए उत्सुक रहते हैं, जिससे खुशियों का आदान-प्रदान होता है और रिश्ते मजबूत होते हैं।

दिवाली में पटाखों का महत्व

दिवाली को “रोशनी का त्योहार” कहा जाता है। इस त्यौहार में बच्चे पटाखे और विभिन्न प्रकार की आतिशबाजी जैसे फुलझड़ी, रॉकेट, फव्वारे, चकरी आदि जलाना पसंद करते हैं। दिवाली में पटाखों का भी महत्व है क्योंकि पटाखे इस त्योहार की खुशियों को और भी रंगीन बना देते हैं।

पटाखे फोड़ना इस त्योहार को रंगीन और आनंदमय बनाता है। पटाखे दिवाली मनोरंजन का एक हिस्सा हैं और बच्चों और वयस्कों के बीच मनोरंजन का एक स्रोत हैं। पटाखे अपनी आवाज और ध्वनि से लोगों को आनंद लेने का वातावरण देते हैं और त्योहार के माहौल को और अधिक जीवंत और उत्सवपूर्ण बनाते हैं।

दिवाली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार

  • दिवाली का त्यौहार लगभग 5 दिनों तक मनाया जाता है। दिवाली 5 त्योहारों धनतेरस, नरक चतुर्दशी, महालक्ष्मी पूजा, धनतेरस और भाई दूज का संगम है।
  • धनतेरस: यह दिवाली के त्योहार का पहला दिन होता है, जिसमें लोग सोने और चांदी के आभूषण जैसी धातु की वस्तुएं खरीदते हैं।
  • नरक चतुर्थी (छोटी दिवाली): दिवाली के दूसरे दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है और कुछ लोग इसे छोटी दिवाली के रूप में भी मनाते हैं।
  • मुख्य दीपावली (दिवाली): यह दिवाली का मुख्य दिन है, जिसमें लोग देवी महालक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन को “अमावस्या” के रूप में मनाया जाता है, जिसका अर्थ है कि अमावस्या की रात होने के बावजूद, अमावस्या की रात को अच्छाई का प्रतीक माना जाता है।
  • गोवर्धन पूजा: दिवाली के त्योहार का चौथा दिन गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बलभद्र गिरिराज रूप की पूजा की जाती है और कई तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं।
  • भैया-दूज: दिवाली के त्योहार का आखिरी दिन भैया-दूज के रूप में मनाया जाता है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं और उनकी रक्षा की कामना करती हैं।

ये त्यौहार अलग-अलग तरीके से मनाए जाते हैं और हर दिन का अपना विशेष महत्व होता है, हर दिन से अपनी-अपनी महत्वपूर्ण कहानियां और धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हैं।

दिवाली से जुड़ी सामाजिक कुरीतियाँ

दिवाली जैसे धार्मिक महत्व के त्योहार के शुभ अवसर पर भी कुछ असामाजिक तत्व शराब, जुआ, जादू-टोना और पटाखों के दुरुपयोग जैसी अपनी बुरी आदतों से इसे खराब करने में लगे रहते हैं। पटाखों के अत्यधिक उपयोग से ध्वनि प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे क्षेत्र और आसपास के लोगों को परेशानी हो सकती है। यदि दिवाली के दिन इन बुराइयों को समाज से दूर रखा जाए तो दिवाली का त्योहार सचमुच शुभ दिवाली बन जाएगा।

दिवाली, जिसे भगवान श्री राम की अयोध्या वापसी के दिन के रूप में जाना जाता है, को अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, और लक्ष्मी पूजा के साथ धन और समृद्धि की कामना की जाती है। पांच दिनों की दिवाली अपने अंदर के अंधेरे को मिटाकर पूरी दुनिया को रोशन करने का त्योहार है। दिवाली के दिन, लोग पटाखों का उपयोग करते हैं, जो उत्सव की आवाज़ और रंगों के साथ जश्न मनाने में मदद करते हैं। हमें यह समझना होगा कि दिवाली के त्योहार का मतलब रोशनी, प्यार और सुख-समृद्धि है। ऐसे में पटाखों का प्रयोग सावधानी से और बड़ों की मौजूदगी में करना चाहिए। इस दिन अवगुणों को दूर करने की जरूरत है ताकि यह त्योहार अपने वास्तविक महत्व को उजागर कर सके।

दिवाली पर निबंध 10 लाइन (Essay on Diwali in 10 lines)

  • दिवाली, जिसे “रोशनी का त्योहार” भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और महत्वपूर्ण त्योहार है। 
  • यह त्यौहार भगवान राम की अयोध्या वापसी की ख़ुशी को चिह्नित करने के लिए मनाया जाता है, जब लोग दीपक और रंगोली के साथ उनके आगमन का स्वागत करते हैं।
  • इस दिन, हिंदू अनुयायी मिट्टी के दीपक जलाते हैं और अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं। 
  • इस त्योहार के मौके पर बच्चे पटाखे जलाकर अपनी खुशी और उत्साह का इजहार करते हैं, जो खास लगता है।
  • हिंदू धर्म के अनुसार दिवाली के इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिसका महत्व धन, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति से जुड़ा है। 
  • लोग इस दिन को अपने दोस्तों और पड़ोसियों के साथ खुशी के लिए उपहार और मिठाइयाँ देकर मनाते हैं।
  • दिवाली को भारत में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है और इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाने की तैयारी की जाती है। 
  • यह हिंदू समुदाय के सबसे प्रिय और आनंददायक त्योहारों में से एक है, और इसे अन्य धर्मों और संप्रदायों के लोगों द्वारा भी मनाया जाता है। 
  • दिवाली एक महत्वपूर्ण सामाजिक और पारंपरिक अवसर है, जो परिवारों और प्रियजनों के बीच प्रेम और मेल-मिलाप का प्रतीक है।

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अन्य लेख पढ़ें:

  • 110+ दिवाली की शुभकामनाएं संदेश – Diwali Wishes In Hindi
  • दि‍वाली पर हिंदी में कविताएँ – Diwali Poems in Hindi
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दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi(1000W)

दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi(1000W)

आज हमने इस आर्टिकल में दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi लिखा है जिसमें हमने प्रस्तावना, पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व, वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व, व्यावसायिक महत्व, दार्शनिक महत्व, दिवाली से लाभ और दिवाली से हानि, Ecofriendly मनाने का तरीके, कविताएं तथा दिवाली पर 10 लाइन के बारे में लिखा है।

Table of Contents

प्रस्तावना (दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi)

प्रतिवर्ष कार्तिक मास के अमावस के दिन हिंदू समाज में दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।दिवाली का अर्थ है- दीपों की पंक्ति इस दिन घर- घर को दीपों से सजाया जाता है इसीलिए इस पर्व को दिवाली कहते हैं। एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती लड़ियों से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो  उठता होता है।

दीपमालाओं की प्रज्वलित सिखाओ की  घटा देखते ही बनती है, घर घर में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन लोग आपकी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।

बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का होता है इस दिन रंग-बिरंगे कपड़ों को पहनकर पटाखे फोड़ते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिठाईयां खाते हैं। दिवाली मनाने की तैयारी पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ-सफाई करवाते हैं तथा रंग लगाते हैं और अनेक प्रकार के रंग बिरंगे बल्ब के द्वारा सजाते हैं।

दीपावली का इतिहास व महत्व History and importance of Deepawali in Hindi

 दीपों का खास पर्व होने के कारण इसे दीपावली नाम दिया गया है। अर्थात दीपावली का अर्थ होता है दीपों की अवलि। कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाने वाला यह पर्व अंधेरी रात को दिये जलाकर दीपावली मनाया जाता है। दीपावली के पीछे अलग-अलग कारण और कहानियां हैं।

1. भगवान राम कार्तिक अमावस्या को 14 वर्ष का वनवास  पूरा करके तथा असुरी कृतियों के प्रति बुराई का दमन करके अयोध्या लौटे थे तो अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में पूरे अयोध्या को असंख्य दिये जलाकर  उन की स्वागत की थी  तथा उत्सव मनाए थे इसी कारण यह प्रमुख त्योहारों में से एक है।

2. इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया। इसलिए इस दिन जनता खुश हो कर के अपने घरों में घी के दीया जलाए थे।

पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व Mythological and Historical significance in Hindi

दिवाली का अपना पौराणिक महत्व है। इसका संबंध पुराणों से वर्णित भारतीय समाज के पौराणिक इतिहास से है। इसी दिन काली माता ने रक्तबीज नामांक राक्षस का संहार क्या था, जिसके अत्याचार से संपूर्ण समाज परेशान था, उस दुष्ट राक्षस के सहार के बाद लोगों ने अपने घर में घी के दिये जलाए थे, इस मंगलकारी घटना के स्मृति में ही प्रतिवर्ष यह त्यौहार मनाया जाता है।

लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो इस दिन उनका राज्याभिषेक किया गया था, और संपूर्ण भारत वर्ष में दीपक जला कर ख़ुशियाँ मनाई गई थी, कुछ लोग दीपक का प्रारंभ है इसी दिन से मानते हैं किंतु विद्वानों का मानना है कि दिवाली का त्यौहार इससे भी प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है। यह विद्वान इस पर्व का संबंध है मां काली द्वारा रक्तबीज के संघार से ही बताते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टि से महत्व Scientific Significance in Hindi

दिवाली का पौराणिक महत्व तो है ही लेकिन इसका वैज्ञानिक दृष्टि से भी महत्व है। वर्षा ऋतु से उत्पन्न न कीड़े, मकोड़े जल, में  घास -फूस एवं गंदगी के सड़ने से उत्पन्न विषैली गैस, तथा घर मकान में व्याप्त सीलन को दूर करने में दिवाली के त्यौहार की महत्वपूर्ण भूमिका है।

लोग दिवाली का त्यौहार आने की बहुत पहले से ही उनके घरों एवं आस पास की सफाई करना प्रारंभ कर देते हैं। वे घर एवं दुकानों पर नया रंग रोगन करवाते हैं।  इससे घर कि सीतन एवं कोनों में छुपे हुए कीट मुखड़े भी नष्ट हो जाते हैं।

प्राचीन काल से दिवाली के दिन सरसों एवं घी का दीपक जलाए जाते थे। इससे वातावरण का प्रदूषण दूर होता था। और कीड़े मकोड़े इसकी दीपशिखा ऊपर जल मरते हैं।

व्यवसायिक महत्व Business Value in Hindi

दिवाली के दिन व्यवसाय लक्ष्मी की पूजा करते हैं। इस दिन से किसी व्यवसाय कार्य का आरंभ है शुभ माना जाता है। इसके पीछे भी कुछ बताने का रहे हैं, इस काल में वर्षा ऋतु पूर्णतय समाप्त हो जाती है। यात्रा और व्यावसायिक कार्य के लिए यह समय अनुकूल माना जाता है।

इस समय किसानों के घर धान की फसल काट कर आना शुरू हो जाती है, और उन्हें इसी समय अपने किसी संबंधी सामग्रियों का क्रय करना होता है। 

दीपावली का दार्शनिक महत्व Philosophical Importance in Hindi

दिवाली को प्रकाश पर्व कहा जाता है। यहां अंधेरे पर प्रकाश से तथा असत्य से सत्य पर विजय की प्रतीक है यह इस दार्शनिक तथ्य को अभिव्यक्त करता है कि, अंधेरा कितना भी खाना हो गया, ज्ञान और कर्तव्य का सामूहिक दीप अंधेरे को प्रकाश में बदल देता है।

किसी समाज के उत्थान के लिए प्रेरक इस तथ्य को वाड़ी देते हुए दीपमाला  की अनगिनत हमसे यह कहते हुए प्रतीत होती है कि, हमारी तरह जल कर देखो तुझे से भी प्रकाश की किरणें निखरने लगेगी जो समाज में छाए हुए अंधेरे को मिटा देगी।

दिवाली से लाभ Benefit from Diwali in Hindi

 दिवाली मात्र एक  त्यौहार ही नहीं अपितु इससे अनेक लाभ भी हैं, घर मोहल्लों के साथ सफाई  वातावरण की शुद्धि,  आपसि सद्भावना का विकास  तथा नए कार्य  व नए योजनाओं का आरंभ है करने की प्रेरणा के साथ-साथ दिवाली हमें अंधेरे से लड़ने की प्रेरणा भी देती है।

दिवाली से हानि Loss from Diwali in Hindi

मनुष्य एक ऐसा प्राणी है, जो अपने आंतरिक (ईर्ष्या और द्वेष से पुण) विचार एवं अज्ञानता पुण व्यवहारों के द्वारा किसी लाभप्रद रीति-रिवाजों को भी हानिकारक बना देता है।

दिवाली के दिन जुआ खेलने शराब पीने पर अनिष्ट आचरण से विनाश को आमंत्रित करने वाले लोग आज भी हैं। ऐसे लोगों के लिए दिवाली का त्यौहार लाभ के बदले हानि को आमंत्रित करता है।

देश में पटाखों के रूप में अरबों रुपए का बारूद फूंक दिया जाता हैं इससे देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित होती है, और वातावरण भी प्रदूषित होता है। अनेक लोग पटाखों के कारण पाली दुर्घटना से प्रदूषित हो कर अपने जीवन को नर्क बना लेते हैं।

दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार Festivals celebrated during Deepawali in Hindi

 दीपावली के दौरान मनाए जाने वाले त्योहार धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दिवाली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज

धनतेरस Dhanteras in Hindi

कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के दिन दीपावली का पहला दिन होता है जिसे धनतेरस कहते हैं। धनतेरस के दिन कुछ भी खरीदना शुभ माना जाता है। कहा जाता है कि उस दिन घर में लक्ष्मी का आगमन होता है। लोग उस दिन अपने जरूरत का सामान खरीदते हैं, जैसे सोना, चांदी, गाड़ी, कार, बर्तन आदि।

नरक चतुर्दशी Nakarak Chaturdashi in Hindi

कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्दशी के दिन दीपावली का दूसरा दिन होता है इसे नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली, रूप चौदस, काली चौदस के नाम से जानी जाती है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का संहार किया था इसीलिए उनके जीत के किसी के सम्मान में यह त्यौहार मनाया जाता है। अपनी मृत्यु के समय नरकासुर सत्यभामा से विनती की थी कि उनकी मृत्यु को रंगीन प्रकाशमय उत्सव के रूप में मनाया जाए।

दीपावली Deepawali in Hindi

दीपावली का यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। यहां हिंदुओं का मुख्य धार्मिक व सामाजिक पर्व है। कहा जाता है कि रामचंद्र जी 14 बरस का बनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे जिनकी खुशी में अयोध्यावासी असंख्य दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

गोवर्धन पूजा Govardhan Pooja in Hindi

गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन गोवर्धन तथा गाय की विशेष पूजा की जाती है। जिसका अपना एक खास महत्व हैं। इस पर्व को कृष्ण भगवान की जन्मभूमि मथुरा, गोकुल, और वृंदावन में खास तौर पर मनाया जाता है।

हालांकि भारत के कई क्षेत्रों में भी ऐसे लोग बहुत ही श्रद्धा के साथ बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। गोवर्धन पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के दिन गौ के गोबर से गोवर्धन बनाया जाता है और उसे विशेष प्रकार के फूलों से सजा कर उसकी पूजा-अर्चना की जाती है।

कहां जाता है कि मूलाधार बारिश से बचाने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को 7 दिनों तक अपनी एक उंगली पर उठाए रखा। इससे इंद्र क्रोधित हो उठे और मूलाधार बारिश होने लगी गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी बृजवासी सुरक्षित थे।

सातवें दिन जब श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और गोवर्धन पूजा की अभिभूत बनाकर उसकी पूजा करने को कहा तब से दीपावली के समय गोवर्धन पूजा जाने की कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की जाती है।

भाई दूज Bhai Dooj in Hindi

यह त्यौहार बहन के प्रति भाई का कर्तव्य का बोध कराता है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी उम्र और समृद्ध जीवन की कामना करते हैं। इसे भारत के विभिन्न जगहों पर भव बिच, भाई तिलक, रात्र द्वितीय, आदि कहा जाता है।

हिंदू समाज में भाई-बहन के प्रेम को सम्मान दिया जाता है। भाई दूज का यह त्यौहार दीपावली के 2 दिन बाद आता है। हिंदुओं के बाकी परंपराओं की तरह यह त्यौहार भी से जुड़ा हुआ है इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती है।

बदले में भाई अपनी बहन की रक्षा करने का वचन देता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इसीलिए इस पर्व पर यम देव की पूजा भी की जाती है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो यम देवता की पूजा अर्चना करता है उसे असमय मृत्यु का कोई भय नहीं रहता।

दीपावली मेरा प्रिय त्यौहार है मुझे इस त्यौहार का बेसब्री से इंतजार रहता है दीपावली के समय हम घरों में दीया जलाते हैं मुझे यह त्यौहार बहुत ही अच्छा लगता है।

दीपावली कैसे मनाते हैं? How to celebrate Deepawali in Hindi

  • दीपावली के दिन हम रंग बिरंगी रंगोलियां बनाते हैं।
  • उस दिन लोग नए नए कपड़े पहनते हैं।
  • दीपावली के दिन महालक्ष्मी की पूजा की जाती है।
  • उस दिन रात्रि के समय पूरे घरों को असंख्य दीपों से सजाया जाता है ।
  • लोग पटाखे फोड़ते हैं, फुलझड़ियां जलाते हैं, और दीपावली का आनंद लेते हैं परंतु हमें दिवाली में पटाखे नहीं फोड़ना चाहिए।
  • दीपावली के दिन घरों में अनेक प्रकार की मिठाइयां बनाए जाते हैं।
  • दीपावली के दिन लोग एक दूसरे को मिठाई बांटते हैं और दीपावली की शुभकामनाएं देते हैं।

प्रदूषण मुक्त दीपावली Pollution free Deepawali in Hindi

हमें हमेशा प्रदूषण मुक्त दीपावली (Ecofriendly Diwali) की मनाना चाहिए। हमें दीपावली के समय ज्यादा से ज्यादा दिया जलाकर ही दीपावली का आनंद लेना चाहिए। ना की पटाखे फोड़ कर। दीपावली के समय पटाखों के कारण कई प्रकार के हादसे होते हैं।

पटाखों के धुए से वायु भी प्रदूषित होता है तथा उसके ध्वनि से ध्वनि प्रदूषण भी होता है।  दीपावली के समय पटाखों के कारण हमारा वातावरण प्रदूषित होता है इस कारण हमें पटाखों का प्रयोग ना करके हम दीया जलाकर दीपावली मना सकते है। इको फ्रेंडली दीपावली मना कर ही हम हमारे वातावरण को सुरक्षित रख सकते है।

दिवाली पर 10 लाइन 10 lines on Diwali

  • प्रतिवर्ष कार्तिक मास के अमावस के दिन हिंदू समाज में दिवाली का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
  • दिवाली का अर्थ है- दीपों की पंक्ति इस दिन घर- घर को दीपों से सजाया जाता है इसीलिए इस पर्व को दिवाली कहते हैं। 
  • एक साथ असंख्य दीपों की जगमगाती लड़ियों से संपूर्ण वातावरण प्रकाशित हो  उठता होता है।
  • दीपमालाओं की प्रज्वलित सिखाओ की  घटा देखते ही बनती है, घर घर में लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इस दिन लोग आपकी दुश्मनी को भूलकर एक दूसरे के घर जाते हैं और मिठाइयां बांटते हैं।
  • बच्चों के लिए यह दिन विशेष खुशी का होता है इस दिन रंग-बिरंगे कपड़ों को पहनकर पटाखे फोड़ते हैं और अपने दोस्तों के साथ मिठाईयां खाते हैं।
  • दिवाली मनाने की तैयारी पहले से ही प्रारंभ हो जाती है। लोग अपने घरों और दुकानों को साफ-सफाई करवाते हैं तथा रंग लगाते हैं और अनेक प्रकार के रंग बिरंगे बल्ब के द्वारा सजाते हैं।
  • दिवाली का अपना पौराणिक महत्व है। इसका संबंध पुराणों से वर्णित भारतीय समाज के पौराणिक इतिहास से है।
  • इसी दिन काली माता ने रक्तबीज नामांक राक्षस का संहार क्या था, जिसके अत्याचार से संपूर्ण समाज परेशान था, उस दृष्ट राक्षस के सहार के बाद लोगों ने अपने घर में घी के दिये जलाए थे, इस मंगलकारी घटना के स्मृति में ही प्रतिवर्ष यह त्यौहार मनाया जाता है।
  • लंका विजय के बाद जब भगवान राम अयोध्या लौटे, तो इस दिन उनका राज्याभिषेक किया गया था, और संपूर्ण भारतवर्ष में दीपक जला कर खुशियां मनाई गई थी, कुछ लोग दीपक का प्रारंभ है इसी दिन से मानते हैं किंतु विद्वानों का मानना है कि दिवाली का त्यौहार इससे भी प्राचीन काल से मनाया जाता रहा है।

दीपावली पर कविता Poem on diwali in Hindi

  • गर सूख गया हो दीये का मान, मौसम है स्नेह का तेल चढ़ा लेना। हो मन में कहीं गर लोभ क्रोध का अंधेरा, मौका है प्रेम के दीये जला लेना। घर को मन को कर चुके हो साफ, पड़ोस पड़ोसियों से कचरा क्लेश भी हटा लेना। कब तक रखोगे रामायण में राम, आज दिन है मन में भगवान बसा लेना। गर सूख गया हो दीये का मन, मौसम है स्नेहा का तेल चढ़ा लेना।
  • दीपावली का त्योहार आया, साथ में खुशियों की बौछार लाया। दीपो की सजी है कतार, जगमग आ रहा है पूरा संसार। अंधकार पर प्रकाश की विजय लाया, दीपावली का त्योहार आया। सुख समृद्धि की बौछार लाया, भाईचारे का संदेश लाया। बाजारों में रौनक छाया, दीपावली का त्यौहार आया।
  • दीपों का त्योहार दिवाली आई है, खुशियों का संसार दिवाली आई है। घर आंगन सब नया सा लगता है, नया-नया परिधान सभी को फबता है। नए-नए उपहार दिवाली लाई है, खुशियों का संसार दिवाली लाई है।
  • दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे, खुशी-खुशी सब हंसते आओ आज दिवाली रे, नाचो गाओ खुशी मनाओ आज दिवाली आई, दीप जलाओ दीप जलाओ आज दिवाली रे, नए नए कपड़े पहनो खाओ खूब मिठाई,  हाथ जोड़ कर पूजा कर लो आज दिवाली आई।
  • आओ मिलकर दीप जलाएं अंधेरा धरा से दूर भगाएं। रहा न जाए अंधेरा कहि घर का कोई सुना कोना, सदा ऐसा कोई दीप जलाते रहना, हर घर आंगन में रंगोली सजाएं, आओ मिलकर दीप जलाएं।

निष्कर्ष Conclusion

किसी त्योहार को मनाते समय हमें उसमें निहित कल्याणकारी अर्थ को भी समझना चाहिए। दिवाली के त्यौहार में भी यही दृष्टिकोण अपनाना उचित होगा, तभी हम इसका वास्तविक आनंद प्राप्त कर सकते हैं।

यदि आपको  यह दिवाली पर निबंध Essay on Diwali in Hindi अच्छा लगा हो तो और भी जानकारी पाने के लिए हमारे साथ इसी तरह से जुड़े रहिए।

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दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) – दीपावली पर निबंध हिंदी में Class 1 से 10 तक के लिए यहाँ देखें

दीवाली हिन्दुओं का सबसे प्रमुख त्यौहार है। आज के इस आर्टिकल में हम दीवाली के महत्व को समझते हुए छात्रों के लिए दीपावली पर निबंध लेकर आये हैं। आप यहाँ से दीवाली पर निबंध हिंदी में कैसे लिखें यह जान सकेंगे। लेख में हमने कक्षा 1 से 10 तक के लिए Diwali essay in Hindi में उपलब्ध कराया है।

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) - दीपावली पर निबंध हिंदी में Class 1 से 10 तक के लिए यहाँ देखें

यह भी देखें: दिवाली के समान ही हिन्दू धर्म में मकर संक्रांति को बहुत शुभ माना जाता है यदि आप जानना चाहते है कि यह त्यौहार क्यों मनाया जाता है, महत्व एवं आसान शब्दों में निबंध लिखने के लिए यहाँ क्लिक करें।

Table of Contents

दिवाली पर निबंध / deepawali in hindi

प्रस्तावना – दीवाली हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष बड़ी धूमधाम से भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में मनाया जाता है। दीपावली भारत देश के सभी नागरिकों द्वारा बड़ी धूम धाम से मनाया जाने वाला खुशियों भरा त्यौहार है, दीपावली पर हर घर में भगवान गणेश और लक्ष्मी माता जी की पूजा होती है।

भारत के निवासी दीवाली के त्यौहार को अन्य देश में रहते हुए भी बड़े धूमधाम से मनाते है। दिवाली को 2 दिन तक छोटी दीवाली बड़ी दीवाली के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली का अर्थ –

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दीपावली का अर्थ दो शब्दों से मिलकर बनी है दीप + आवली जहाँ दीप का अर्थ होता है दीपक और आवली का अर्थ होता है श्रृंखला या रेखा/पंक्ति। दीपावली शब्द संस्कृत भाषा से लिए गए शब्द है।

दिवाली त्यौहार की विशेषता

दिवाली मुख्यतः हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा जाती है। यह हिन्दुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है। यह पर्व भारत देश सभी नागरिकों के द्वारा धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार कार्तिक मास को अक्तूबर या नवंबर में मनाया जाता है। दीपावली दीपों का त्यौहार है इस दिन भारत देश में विभिन्न प्रकार की लड़ियों और दीयों, मोमबतियों से घर को सजाया जाता है ।

दिवाली क्यों मनाई जाती है

भारत में सबसे बड़ा त्यौहार दिवाली का त्यौहार है। पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली के त्यौहार को मनाये जाने के पीछे यह तर्क है की जब भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास को काटकर और रावण का वध करके अपनी जन्मभूमि अयोध्या की तरफ लौटे थे तो उनके अयोध्या लौटने की ख़ुशी में अयोध्या वासियों द्वारा इस दिन घी के दिए जलाये गए थे। उसी दिन से ही दिवाली का यह पवन त्यौहार प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

दिवाली में विभिन्न प्रकार के उपहारों और मिठाइयों को अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को दिया जाता है और पटाखे जलाये जाते हैं। दिवाली के त्यौहार में भारत में हर घर में रौशनी फैली होती है।

दिवाली सभी लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है सभी लोगों के द्वारा इस त्यौहार को ख़ुशी के रूप में उत्साहित होकर मनाया जाता है।

दीपावली कब मनाई जाती है

दीपावली दशहरे के 21 दिन बाद अक्तूबर से नवम्बर माह के बीच में कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। इस त्यौहार को धूमधाम से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से कार्तिक शुक्ल द्वितीय अर्थात् पाँच दिनों मनाया जाता है।

दिवाली में हिन्दू देवी देवता जिनकी पूजा की जाती है

दिवाली के शुभ अवसर पर भगवान श्री गणेश और माता लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। यह पूजा धन की प्राप्ति और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति के लिए की जाती है।

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लक्ष्मी जी घर में स्वागत के लिए उस दिन हर घर में रंगोली बनाई जाती है। इस दिन लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है।

दिवाली मनाने की तैयारियाँ

इस त्यौहार को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। दीपावली के कई दिन पहले लोग अपने घरों की साफ-सफाई करने के काम में लग जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में साफ सफाई होती है, उसी घर में दिवाली के दिन माँ लक्ष्मी अपनी कृपा बनाये रखती है तथा अपना आशीर्वाद प्रदान करती है।

दीवाली के दिन सभी खुशियां मानते हैं। व्यापारी और दुकानदार अपनी-अपनी दुकानों को सजाते हैं और साफ़ सफाई पर विशेष ध्यान देते हैं। दीपावली के दिन बाजारों में खूब भीड़ होती है क्योंकि लोग खरीददारी करने बाजार जाते हैं और ढेर सारी मिठाइयां पटाखे खरीदते हैं और गणेश जी, लक्ष्मी जी, आदि की तस्वीरें खरीद कर घर में लगाई जाती है मंदिर को सजाया जाता है।

बाजारों में खूब रौनक देखने को मिलती है। दिवाली के इस अवसर पर सभी लोग नए कपड़े, बर्तन, मिठाइयां आदि खरीदते हैं और इक दूसरे को बधाइयाँ देते हैं। रात्रि के समय लक्ष्मी, गणेश के पूजा के बाद पटाखे जलाये जाते हैं । भारत की कुछ-कुछ जगहों पर दीवाली को नया साल की शुरुआत के रूप में माना जाता है।

दिवाली के साथ मनाये जाने वाले त्यौहार

  • दिवाली से पहले दिन- दीपावली का त्यौहार कुल मिलाकर 5 दिनों तक चलता है। दिवाली से एक दिन पहले धनतेरस होता है। इस दिन लोग अपने घर कुछ ना कुछ बर्तन लेकर जरूर आते हैं और कुछ लोग इस दिन सोना- चांदी के आभूषण भी खरीदते है। मान्यता है की धनतेरस के दिन खरीददारी करने से घर में बरकत आती है।
  • दूसरा दिन -दीपावली के दूसरा दिन को नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। लोगों द्वारा इस दिन को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया जाता है। घर के बाहर दीपक जलाये जाते हैं।
  • तीसरा दिन -यह दीपावली त्यौहार का मुख्य दिन होता है। माँ लक्ष्मी जी की पूजा इस दिन की जाती है, मां सरस्वती और भगवान श्री गणेश की पूजा भी की जाती है। इस दिन घरों के आंगन में रंगोली बनाई जाती है और विभिन्न प्रकार की मिठाइयां रसोई में बनाई जाती है।
  • चौथा दिन -दीपावली के चौथे दिन को गोवर्धन पूजा की जाती है, मान्यता अनुसार इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र के क्रोध के फलस्वरूप हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक छोटी अंगुली पर उठा लिया था। इस दिन महिलाएं घर के बाहर गोबर की पूजा करती है।
  • पांचवा दिन- इस दिन दीपावली के त्यौहार के अंतिम दिन को भाई दूज त्यौहार के रूप में मनाया जाता है।   बहन अपने भाई की कलाई में रक्षा सूत्र बाँधती हैं और तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती है और सभी भाई अपनी बहन को उसकी रक्षा करने का वचन और उपहार देते है।

दीपावली का महत्त्व

दीपावली एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जो सभी वर्गों के लोगों के लिए उत्साहवर्धक त्यौहार है यह मुख्यता हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है। धर्म का अधर्म पर विजय का सूचक यह त्यौहार सभी की आस्था से जुड़ा हुआ है। इस त्यौहार के मानव जीवन में बहुत महत्व हैं। –

दिवाली का सामाजिक महत्व

इस दीपावली के त्यौहार को सभी धर्मों के लोगों के द्वारा मिल-जुलकर मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घर के मंदिरों में पूजा पाठ किया करते हैं। एक दूसरे से मिलने उनके घर जाते है बधाइयाँ देते हैं जिससे सामाजिक सद्भावना को बढ़ावा मिलता है।

वर्तमान समय में इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में जब किसी के पास किसी अन्य व्यक्ति के लिए समय नहीं है तो यही त्यौहार हैं जिसमें आपको मौका मिल पता है एक दूसरे के साथ मिलने का जिससे लोगों में सद्भावना आती है।

लोगों को एक- दूसरे के त्योहारों की विशेषता का पता लगता है। अलग-अलग धर्मों के लोग एक दूसरे के त्योहारों में रुचि दिखते हैं और त्योहारों को एक साथ मानते हैं। इस तरह त्यौहारों का अपना एक सामाजिक महत्व होता है जो सामाजिक सद्भावना बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाहन करता है।

दीपावली का आध्यात्मिक महत्व

इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, जब कभी भी दिवाली का त्यौहार आता है तो सभी लोगों में एक उमंग और उत्साह का सञ्चालन होता है।

दीपावली के त्यौहार को सभी वर्ग के लोगों जैसे- हिंदू, सिख ,जैन, आदि धर्मों को मानने वाले लोग भी बड़ी धूमधाम से मनाते है। इन सभी धर्मों में दीपावली के दिन ही ऐसी कोई ना कोई ऐसी घटना घटित हुई है, जिसमें बुराई पर अच्छाई की विजय हुई है।

दीपावली का त्यौहार पूजा पाठ और बुराई पर अच्छाई की जीत से जुड़ा हुआ है। इसलिए लोग इस पर्व पर अध्यात्म की ओर अग्रसर होते हैं और इससे अच्छे विचारों का उत्थान होता है।

दिवाली का आर्थिक महत्व

दीपावली के त्यौहार में भारत के हर बाजार में खरीदारी की जाती है। सभी लोग बाजार जाते हैं और अपने लिए नए कपडे मिठाइयां सामान पटाखे खरीदते हैं।

इस त्योहार में नए सामान को खरीदना शुभ माना जाता है, क्योंकि माँ लक्ष्मी को धन-समृद्धि की देवी के रूप में माना जाता है। दीवाली के समय सोने और चांदी की खूब खरीददारी होती है। साथ ही साथ नए वस्त्र ,मिठाई, और पटाखों की खूब बिक्री भी होती है।

इस दौरान हर जगह खूब चहल पहल देखने को मिलती है आसमान में खूब रोशनी प्रकाशमान रहती है। लोग पटाखों पर खूब खर्चा करते हैं।

दिवाली का त्यौहार की विशेषता

अंधकार पर प्रकाश की विजय, बुराई पर अच्छी की विजय का यह पर्व समाज में नयी उमंग, उत्साह का संचार करता है। आपसी भाई-चारा और प्रेम के सन्देश का सूचक यह त्यौहार अपने आप में बहुत ज्यादा महत्व रखता है।

यह त्यौहार सामूहिक रूप तथा व्यक्तिगत रूप दोनों ही प्रकार से मनाया जाने वाला त्यौहार है जो धार्मिक और सामाजिक विशेषता रखता है।

अलग-अलग राज्य, क्षेत्र में दीपावली मनाने के कारण एवं तरीके अलग-अलग हैं। भारत के सभी जगह यह त्यौहार अपनी अलग-अलग विशेषता को संजोये हुए है।

सभी लोगों में दीपावली के त्यौहार को लेकर बड़ी उत्सुकता होती है। लोग अपने घरों, दफ्तरों की साफ सफाई करना कुछ दिन पूर्व से ही शुरू कर देते हैं। मिठाइयों और उपहार को एक दूसरे को भेंट करते हैं, एक दूसरे के घर जाते है। हर घर के आंगन में सुन्दर रंगोली बनाते है, तरह-तरह के दीपक जलाए जाते हैं और आतिशबाजी का आनंद उठाते है।

बड़े-छोटे सभी आयु वर्ग के लोग इस त्योहार में बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक यह पवन त्यौहार समाज के हर वर्ग के लिए उत्साह सम्पनता को लेकर आता है। दिवाली का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।

Diwali par Nibandh (निष्कर्ष)

प्रातः उठकर नहाने के बाद सरे काम निपटने के बाद सभी लोग शाम के समय अपने घरों के सामने और प्रवेश द्वार में दीपक जलाते है। इस दिन सभी घरों में धन की देवी माता लक्ष्मी और श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना की जाती है।

ऐसा माना जाता है कि देवी लक्ष्मी उसी के घर में प्रवेश करती हैं जिसके घरों में साफ़ सफाई, रौशनी और सजावट होती है। माता लक्ष्मी के स्वागत के लिए हर घर के आंगन में दीपक प्रज्वलित किये जाते हैं।

इस त्यौहार को भारत में रौशनी का त्यौहार कहा जाता है। इस तरह दिवाली का मानव के जीवन एक खास महत्व है।

दिवाली पर निबंध 10 पंक्तियों में

  • दिवाली को दीपों एवं प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है।
  • दीपावली सनातनियों का सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण त्यौहारों में से एक है।
  • दिवाली भारत के अलावा सिंगापुर, मलेशिया, नेपाल, त्रिनिनाद, मॉरिशस जैसे देशों में भी मनाई जाती है।
  • दिवाली के दिन हिन्दू अपने घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
  • दिवाली हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाई जाती है।
  • यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।
  • मान्यताओं और शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम, लंकापति रावण पर विजय प्राप्त करके, चौदह वर्ष के वनवास को पूर्ण करके अयोध्या लौटे थे।
  • इस दिन सभी हिन्दू मिट्टी के दिये जलाते है है।
  • दिवाली के दिन लोग मिठाइयाँ बांटते हैं और पटाखे जला कर खुशियां मनाते हैं।
  • दिवाली के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित होता है।

दिवाली पर निबंध (Essay on Diwali in Hindi) FAQs –

दीपावली कब मनाई जाती है.

दिवाली प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाई जाती है। जो की अक्तूबर और नवम्बर के दौरान पड़ती है।

दिवाली 2024 में कब है ?

इस बार दीवाली 31 अक्टूबर को है ।

Diwali kab manai jaayegi

इस वर्ष दिवाली 31st October को मनाई जाएगी।

दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है ?

दीपावली के ही दिन भगवन राम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके लौटे थे, इस लिए दिवाली मनाई जाती है।

दिवाली पर निबंध कैसे लिखें ?

यदि आप दिवाली पर निबंध लिखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको दिवाली क्यों, कब ,कैसे मनाई जाती है और इसका क्या महत्व है इनके बारे में जानकारी होनी चाहिए।

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दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi : दीपावली का निबंध हिंदी में यहां से पढ़ें

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दिवाली हमारे भारत देश का सबसे बड़ा त्यौहार है। इसे हम दीपावली के नाम से भी जानते हैं। इस दिन हर तरफ ख़ुशी का माहौल होता है, लोग रंग-बिरंगी लाइटों से अपने-अपने घरों को सजाते हैं और बच्चे-युवा लोग मिलकर घरों के बाहर पटाखे छुड़ाते हैं। दिवाली सिर्फ देश का ही नहीं अपितु भारत के बाहर रहने वाले भारतीय और अन्य लोगों के लिए भी एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। वे लोग भी दिवाली को बहुत धूम-धाम से मानते हैं। दीपावली के मौके पर स्कूलों-कॉलेजों में अवकाश रहता है। स्कूलों-कॉलेजों में निबंध लेखन किया जाता है तो कहीं-कहीं प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। अतः बहुत से छात्र-छात्राएं इंटरनेट पर दिवाली पर निबंध हिंदी में खोजते हैं। हम अपने ऐसे ही पाठकों के लिए यह आर्टिकल लेकर आये हैं जहाँ आप दिवाली के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। जैसे कि दिवाली का त्यौहार कैसा होता है, दिवाली का महत्व क्या है, दीपावली क्यों मनाते है, दीपावली मनाने का कारण क्या है, दीपावली का अर्थ क्या है, दिवाली पर निबंध शार्ट में या 10 लाइन में आदि। स्कूलों के अलावा भी अन्य बहुत से क्षेत्रों के लोग भी दिवाली पर निबंध हिंदी में खोजते हैं अतः इसके बारे में और अधिक विस्तृत जानकारी के लिए यह अर्टिकल पूरा पढ़ें।

दिवाली पर निबंध | Diwali Essay in Hindi

दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है। ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है। दीवाली आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं। दीवाली के त्यौहार के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए गए निबंध पढ़ सकते हैं।

दीपावली का निबंध (400-500 Words)

दिवाली के इस विशेष त्योहार के लिए हिंदू धर्म के लोग बहुत उत्सुकता से इंतजार करते हैं। यह बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए हर किसी का सबसे महत्वपूर्ण और पसंदीदा त्यौहार है। दीवाली भारत का सबसे महत्वपूर्ण और मशहूर त्यौहार है। जो पूरे देश में साथ-साथ हर साल मनाया जाता है। रावण को पराजित करने के बाद, 14 साल के निर्वासन के लंबे समय के बाद भगवान राम अपने राज्य अयोध्या में लौटे थे। लोग आज भी इस दिन को बहुत उत्साहजनक तरीके से मनाते हैं। भगवान राम के लौटने वाले दिन, अयोध्या के लोगों ने अपने घरों और मार्गों को बड़े उत्साह के साथ अपने भगवान का स्वागत करने के लिए प्रकाशित किया था। यह एक पवित्र हिंदू त्यौहार है जो बुरेपन पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह सिखों द्वारा भी मुगल सम्राट जहांगीर द्वारा ग्वालियर जेल से अपने 6 वें गुरु, श्री हरगोबिंद जी की रिहाई मनाने के लिए मनाया जाता है।

इस दिन बाजारों को एक दुल्हन की तरह रोशनी से सजाया जाता है ताकि वह इससे एक अद्भुत त्यौहार दिख सके। इस दिन बाजार बड़ी भीड़ से भरा होता है, विशेष रूप से मीठाई की दुकानें। बच्चों को बाजार से नए कपड़े, पटाखे, मिठाई, उपहार, मोमबत्तियां और खिलौने मिलते हैं। लोग अपने घरों को साफ करते हैं और त्योहार के कुछ दिन पहले रोशनी से सजाते हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार सूर्यास्त के बाद लोग देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। वे अधिक आशीर्वाद, स्वास्थ्य, धन और उज्जवल भविष्य पाने के लिए भगवान और देवी से प्रार्थना करते हैं। वे दिवाली त्यौहार के सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं। लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।

पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं। दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था।  तीसरे दिन मुख्य दिवाली दिवस के रूप में जाना जाता है जिसे शाम को रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। चौथे दिन भगवान कृष्ण की पूजा करके गोवर्धन पूजा के रूप में जाना जाता है। लोग अपने दरवाजे पर पूजा करकेगोबर के गोवर्धन बनाते हैं। पांचवें दिन यम द्वितिया या भाई दौज के रूप में जाना जाता है जिसे भाइयों और बहनों द्वारा मनाया जाता है। बहनों ने अपने भाइयों को भाई दौज के त्यौहार का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित करती हैं।

Essay on Diwali for Students in English

  • Diwali Essay in 100 Words
  • Diwali Essay in 200 Words
  • Diwali Essay in 500 Words

दिपावली का निबंध (200-300 Words) शॉर्ट निबंध

दिपावली का त्यौहार भारत में और अन्य कई देशों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। दीपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे। श्री राम भगवान की आने की खुशी वहां के सभी लोगों ने दिये जलाए थे। तब से लेकर अब तक हर वर्ष इस दिन को दीवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोग आज भी इस दिन को उतने की खुशी से मनाते हैं। ये त्यौहार बच्चा, बूढें, बड़े हर कोई बहुत ही अच्छे से मनाता है। यहां तक कि स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में भी दीवाली को त्यौहार को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिन लोग एक दूसरे को दीवाली की बधाई देते हैं और बहुत से उपहार भी तोहफे के रूप में देते हैं।

दिवाली का त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है। दीवाली आने से कुछ दिन पहले ही लोग इस त्यौहार को मनाने की तैयारी में लग जाते हैं। दीवाली के दिन लोग अपनी दुकानें, अपना घर, स्कूल, दफ्तर आदि को दुल्हन की तरह सजाते हैं। सभी लोग नए कपड़े खरीदते हैं, इस दिन घर और दुकानों की भी अच्छे से सफाई की जाती है। दीवाली की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत की नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है।

दिपावली पर 10 लाइनें

  • दिवाली का त्यौहार हिंदूओ के प्रमुख त्यौहारों में से एक है।
  • दिपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है।
  • दिवाली इसलिए मनायी जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।
  • भगवान श्री राम के वापिस अयोध्या लौटने की खुशी में वहां के लोगों ने इस दिन को दीवाली के रूप में मनाया।
  • दिवाली का त्यौहार हर साल अक्टूबर या नवम्बर माह में आता है।
  • इस दिन पूरे भारत को दुल्हन की तरह सजाया जाता है।
  • दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है।
  • इन दिन सभी लोग अपने घरों, दुकानों, दफ्तरों आदि में दीप जलाते हैं।
  • दीवाली के दिन सभी लोग अपने पड़ोसियों और रिश्तेदारों को मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं।
  • इन दिन बहुत से लोग पटाखे, फुलझड़ी, बम आदि भी जलाते हैं।

दिवाली लेखन हिंदी में

  • दिवाली – लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त, समय, तिथि, दिवाली का महत्व आदि
  • दिवाली महत्वपूर्ण क्यों है
  • दीपावली का निबंध हिंदी में यहां से पढ़ें
  • दिवाली की कविताएं और शुभ दीपावली शायरी
  • दिवाली स्लोगन और दिवाली कोट्स
  • दिवाली पर शुभकामनाएँ, बधाई, मैसेज
  • पटाखे बिना दिवाली मनाने के तरीके

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Diwali: lamps

How is Diwali celebrated?

  • Is mathematics a physical science?
  • What are New Year festivals?
  • Why does the new year begin on January 1?
  • How is New Year’s Eve celebrated?

February 29, leap day, leap year, happens every four years

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  • CNN Travel - Diwali in India: How the Festival of Lights is celebrated
  • Ancient Origins - The Diwali Festival of Lights: A Celebration of Freedom and Good Triumphing over Evil
  • Singapore Infopedia - Deepavali
  • Diwali - Children's Encyclopedia (Ages 8-11)
  • Diwali - Student Encyclopedia (Ages 11 and up)

What is Diwali?

Diwali, also spelled Divali, is one of the major religious festivals in Hinduism, Jainism, and Sikhism. The name is derived from the Sanskrit term dipavali , meaning “row of lights.” The festival generally symbolizes the victory of light over darkness.

Which religions celebrate Diwali?

Diwali is one of the major religious festivals in Hinduism, Jainism, and Sikhism. Although not a primary festival of Buddhism, Diwali is celebrated by some Buddhists as a commemoration of the day when Emperor Ashoka converted to Buddhism in the 3rd century BCE.

Do Sikhs celebrate Diwali?

Since the 18th century, Diwali has been celebrated in Sikhism as the time of Guru Hargobind’s return to Amritsar from captivity in Gwalior, an echo of Lord Rama’s return to Ayodhya. Residents of Amritsar lit lamps throughout the city to celebrate the occasion.

Do Jains celebrate Diwali?

Diwali is an important festival in Jainism. For the Jain community, the festival commemorates the enlightenment and liberation (moksha) of Mahavira , the most recent of the Jain Tirthankaras, from the cycle of life and death (samsara). The lighting of the lamps celebrates the light of Mahavira’s holy knowledge.

Observances of Diwali differ depending on region and tradition. Among Hindus the most widespread custom is the lighting of diyas (small earthenware lamps filled with oil) on the night of the new moon to invite the presence of Lakshmi, the goddess of wealth. Diwali is generally a time for visiting, exchanging gifts, wearing new clothes, feasting, feeding the poor, and setting off fireworks (though such displays have been restricted to limit noise and other environmental pollution).

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diwali essay in hindi wikipedia

Diwali , one of the major religious festivals in Hinduism , Jainism , and Sikhism , lasting for five days from the 13th day of the dark half of the lunar month Ashvina to the second day of the light half of the lunar month Karttika. (The corresponding dates in the Gregorian calendar usually fall in late October and November.) The name is derived from the Sanskrit term dipavali , meaning “row of lights.” The festival generally symbolizes the victory of light over darkness.

Why is Diwali called the Festival of Lights?

Observances of Diwali differ depending on region and tradition. Among Hindus the most widespread custom is the lighting of diya s (small earthenware lamps filled with oil) on the night of the new moon to invite the presence of Lakshmi , the goddess of wealth. In Bengal the goddess Kali is worshipped. In North India the festival also celebrates the royal homecoming of Rama (along with Sita , Lakshmana, and Hanuman ) to the city of Ayodhya after defeating Ravana , the 10-headed king of the demons, thus connecting the festival with the holiday of Dussehra . In South India the festival marks Krishna ’s defeat of the demon Narakasura. Some celebrate Diwali as a commemoration of the marriage of Lakshmi and Vishnu , while others observe it as the birthday of Lakshmi.

People lighting traditional earthen lamps during the Hindu festival Diwali in India. flame

During the festival, diya s are lit and placed in rows along the parapets of temples and houses and set adrift on rivers and streams. Homes are decorated, and floors inside and out are covered with rangoli , consisting of elaborate designs made of coloured rice, sand, or flower petals. The doors and windows of houses are kept open in the hope that Lakshmi will find her way inside and bless the residents with wealth and success.

The names and events of the individual days of Diwali are as follows:

The first day, known as Dhanteras, is dedicated to cleaning homes and purchasing small items of gold. Lakshmi is the focus of worship on that day. The second day, called Naraka Chaturdashi or Choti Diwali, commemorates Krishna’s destruction of Narakasura; prayers are also offered for the souls of ancestors. On the third day, Lakshmi Puja, families seek blessings from Lakshmi to ensure their prosperity; light diya s, candles, and fireworks; and visit temples. It is the main day of the Diwali festival. The fourth day, known as Goverdhan Puja, Balipratipada, or Annakut, commemorating Krishna’s defeat of Indra , the king of the gods, is also the first day of Karttika and the start of the new year in the Vikrama (Hindu) calendar . Merchants perform religious ceremonies and open new account books. The fifth day, called Bhai Dooj, Bhai Tika, or Bhai Bij, celebrates the bond between brothers and sisters. On that day sisters pray for the success and well-being of their brothers.

Diwali is generally a time for visiting, exchanging gifts, wearing new clothes, feasting, feeding the poor, and setting off fireworks (though such displays have been restricted to limit noise and other environmental pollution). Gambling, especially in the form of card games, is encouraged as a way of ensuring good luck in the coming year and in remembrance of the games of dice played by Shiva and Parvati on Mount Kailasa or similar contests between Radha and Krishna. Ritually, in honour of Lakshmi, the female player always wins.

Diwali is also an important festival in Jainism . For the Jain community , the festival commemorates the enlightenment and liberation ( moksha ) of Mahavira , the most recent of the Jain Tirthankaras , from the cycle of life and death ( samsara ). The lighting of the lamps celebrates the light of Mahavira’s holy knowledge.

Since the 18th century, Diwali has been celebrated in Sikhism as the time of Guru Hargobind ’s return to Amritsar from captivity in Gwalior —an echo of Rama’s return to Ayodhya. Residents of Amritsar lit lamps throughout the city to celebrate the occasion.

Although not a primary festival of Buddhism , Diwali is celebrated by some Buddhists as a commemoration of the day when Emperor Ashoka converted to Buddhism in the 3rd century bce . It is observed by the Vajrayana Buddhist minority among the Newar people of Nepal . They celebrate by lighting lamps, decorating temples and monasteries, and worshipping the Buddha .

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दिवाली क्यों मनाई जाती है जानिए महत्व और इतिहास | Why do We Celebrate Diwali in Hindi

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why do we celebrate Diwali in Hindi: दिवाली का नाम सुनते ही आँखों के सामने एक रंगीन नजारा दिखने लगता है। ये एक ऐसा त्यौहार है जोकि बच्चों से लेकर बूढ़ों तक के मन में उत्साह पैदा करता है। दिवाली का त्यौहार हिन्दुओं के लिए नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। दिवाली को लेकर समाज में अनेक धारणाएँ प्रचलित है तो आइए जानते है दिवाली को मनाने के पीछे क्या कारण है। Read more to know why do we celebrate Diwali in Hindi, हम दिवाली क्यों मनाते हैं, दिवाली क्यों मनाई जाती है|

पांडवों की वापसी

महाभारत के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन ही पांडव 13 वर्ष का बनवास और एक वर्ष अज्ञातवास पूरा करके वापिस लौटे थे उनके वापिस आने की ख़ुशी में लोगों में अपने घरों में घी के दिए जलाकर उनका स्वागत किया है।

सिखों के लिए ख़ास दिन

सिख इस त्यौहार को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाते है इस पर्व को मनाने के पीछे का इतिहास इस प्रकार है :

सिख धर्म के बढ़ते प्रभाव के कारण बादशाह जहांगीर ने सिखों के छठवें गुरू हरगोविंद साहिब जी को ग्वालियर के किले में बंधी बना लिया था जानकारी के मुताबिक उस किले में पहले से ही 52 हिन्दू राजा मौजूद थे। हरगोविंद साहिब जी को कैद करने के बाद बादशाह जहांगीर की हालत दिन प्रतिदिन खराब होने लगी। काजी ने बादशाह को सलाह दी कि आपने बेवजह एक सच्चे और नेक गुरु को कैद कर लिया है जिसके कारण आपकी हालत बिगड़ती जा रही है।

काजी की सलाह पर बादशाह जहांगीर ने गुरु हरगोविंद साहिब जी को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया। गुरु जी ने अकेले रिहा होने से साफ़ मना कर दिया , उन्होंने बोला कि वे जेल से तभी बाहर जाएंगे जब उनके साथ सभी राजाओं को रिहा किया जाएगा।

गुरु हरगोविंद साहिब जी का हठ देखते हुए बादशाह ने राजाओं को रिहा करने का आदेश तो जारी कर दिया पर साथ ही ये भी शर्त रखती कि जितने राजा बाहर जाएंगे उन्होंने गुरु जी का कोई अंग या कपड़ा पकड़ा हुआ होना चाहिए।

उसने सोचा कि एक या दो से ज्यादा राजा गुरु जी के साथ बाहर नहीं जा पाएंगे। इस तरह गुरु हरगोविंद साहिब जी ने 52 कलियों वाला एक विशेष कुरता सिलवाया। इस तरह हर काली को पड़ते हुए सभी राजा चालक बादशाह जहाँगीर की कैद से रिहा हुए।

उनके आने की ख़ुशी में लोगों में दीप जलाकर गुरू जी का स्वागत किया। इस तरह सिख धर्म के लोगों ने इस त्यौहार को बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाना शुरू कर दिया।

भगवान राम की हुई थी वापसी

इस दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके और लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापिस लौटे थे। उनके आने की ख़ुशी में लोगों ने अपने घरों में घी के दिए जलाए और पूरी अयोध्या नगरी राम, सीता, और लक्ष्मण के वापिस आने की ख़ुशी में झूम उठी। इस तरह दिवाली का पर्व हिन्दू धर्म के लिए बेहद ख़ास है।

मां लक्ष्मी की उत्पत्ति

हिन्दू धर्म और शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही समुन्द्र मंथन के समय माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था इसलिए इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है और उनके जन्मदिन के अवसर की ख़ुशी में यह त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

नरकासुर नामक राक्षस का वध

दिवाली को मनाने का ख़ास मकसद यह भी है कि दिवाली से एक दिन पहले ही श्री कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। और बहुत सी महिलाओं को उसकी कैद से आजाद करवाया था। इस जीत की ख़ुशी में भी लोग इस पर्व को बड़े ही चाव से मनाते है।

विक्रमादित्य का हुआ था राज तिलक

राजा विक्रमादित्य उज्जैन के राजा थे, ये अपनी वीरता, ज्ञान और उदारशीलता के लिए बेहद प्रसिद्ध थे। दिवाली के दिन ही राजा विक्रमादित्य का राजतिलक हुआ था। इस ख़ुशी में भी लोग दिवाली को बेहद धूम धाम से मनाते है।

जैन धर्म के लिए दिवाली का विशेष महत्व

ऐसा नहीं है कि दिवाली सिर्फ हिन्दू और सिख लोगों का ही ख़ास त्यौहार है बल्कि जैन धर्म के लिए भी दिवाली का पर्व विशेष मायने रखता है इसी दिन जैन धर्म के संस्थापक महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। इसदिन उन्होंने घर- गृहस्थी और शाही जीवन को हमेशा के लिए त्याग दिया और जैन धर्म को विस्तार दिया।

इस तरह जैन धर्म के लिए दिवाली का त्यौहार तपस्या और त्याग के रूप में मनाया जाता है और जैन मंदिरों में भगवान महावीर स्वामी जी की विशेष पूजा की जाती है।

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इस साल कुछ अलग तरीके से मनाये दिवाली

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दिवाली पर निबंध (Diwali Essay in Hindi)

दिवाली

दीपावली (Deepawali) या दिवाली का अर्थ है दीपों की अवली मतलब दीपों की पंक्ति। यह पर्व विशेष कर भारत और भारत के पड़ोसी देश नेपाल में बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त अन्य देशों में (जहां हिंदू निवास करते हैं) भी यह विधि पूर्वक मनाया जाता है। यह पर्व अपने साथ खुशी, उत्साह और ढ़ेर सारा उमंग लेकर आता है। कार्तिक माह के अमावस्या को दिवाली का पर्व अनेक दीपों के प्रकाश के साथ मनाया जाता है। इस विशेष दिन पर अमावस्या की काली रात दिपों के जगमगाहट से रौशन हो जाती है। दिपावली पर पुराने रीत के अनुसार सभी अपने घरों को दीपक से सजाते हैं।

दिवाली पर 10 वाक्य   || दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण पर निबंध

दीपावली 2021 पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Diwali 2021 in Hindi, Deepawali par Nibandh Hindi mein)

निबंध – 1 (300 शब्द).

प्रभु राम के चौदह वर्ष का वनवास पूर्ण कर अयोध्या वापस आने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाया गया, तब से प्रति वर्ष दिवाली मनाया जाने लगा। स्कंद पुराण के अनुसार दिवाली से जुड़ी अनेक कथाएं प्रचलित हैं। अतः आध्यात्मिक दृष्टि से दिवाली हिंदुओं का बहुत अधिक महत्वपूर्ण त्योहार है।

दीपावली (Deepawali) के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रचलित कथाएं (इतिहास)

दिवाली का इतिहास बहुत पुराना है, इससे जुड़ी अनेक पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं जैसे कुछ लोगों के अनुसार सतयुग में भगवान नृसिंह ने इस दिन हिरण्यकश्यप का वध किया था इस उपलक्ष्य में दिवाली मनाया जाता है। कुछ लोगों का मानना है द्वापर में कृष्ण ने नरकासुर का वध कार्तिक आमवस्या को किया था इसलिए मनाया जाता है। कुछ के अनुसार इस दिन माता लक्ष्मी दूध सागर से प्रकट हुई थी, एवं अन्य के अनुसार माँ शक्ति ने उस दिन महाकाली का रूप लिया था इसलिए मनाया जाता है।

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दीपावली की सर्वाधिक प्रचलित कथा

दिवाली मनाए जाने वाले कारणों में सबसे प्रचलित कहानी त्रेता युग में प्रभु राम के रावण का वध कर चौदह वर्ष पश्चात माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया गया। तब से प्रति वर्ष कार्तिक अमावस्या को दिवाली मनाया जाने लगा।

दीपावली कब मनाई जाती है

उत्तरी गोलार्द्ध में शरद ऋतु के कार्तिक माह की पूर्णिमा को यह दिपोत्सव धूम-धाम से मनाया जाता है। ग्रेगोरी कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार अक्टूबर या नवम्बर माह में मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) का महत्व

दिवाली की तैयारी के वजह से घर तथा घर के आस-पास के स्थानों की विशेष सफाई संभव हो पाती है। साथ ही दिवाली का त्योहार हमें हमारे परंपरा से जोड़ता है, हमारे आराध्य के पराक्रम का बोध कराता है। इस बात का भी ज्ञान कराता है कि, अंत में विजय सदैव सच और अच्छाई की होती है।

दिवाली के साथ जुड़ी अनेक पौराणिक कहानियां इसके महत्व को और अधिक बढ़ा देती हैं। इस त्योहार से हम सभी को सच के राह पर चलने की सीख प्राप्त होती है।

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निबंध – 2 (400 शब्द)

दीपावली (Deepawali), स्वयं में अपनी परिभाषा व्यक्त करने वाला एक शब्द है, जिसे हम सब त्योहार के रूप में मनाते हैं। यह दीपों और रोशनी का त्योहार है। हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अमावस्या को हम दीवाली के रुप में मनाते हैं। इसे सभी हिंदू देशों जैसे की भारत, नेपाल, आदि में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। परन्तु इस वर्ष कोरोना के कारण दीवाली की परिभाषा थोड़ी अलग होगी। खुशियां तो आएंगी परंतु अभी लोगों से दूरी बनाने में ही समझदारी है।

2020 की कोरोना वाली दीवाली

इस वर्ष जहां एक ओर पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से लड़ रहा है तो वही त्योहारों का मौसम भी ज़ोर पर है। त्योहारों का आनंद जरूर उठाये परन्तु यह याद रखें की सावधानी हटी, दुर्घटना घटी अर्थात कोरोना किसी भी रूप में आप तक पहुंच सकता है इस लिये कुछ नियमों का पालन करें जैसे:

  • बाज़ार आवश्यक होने पर ही जाएं।
  • सामान लेने के बाद घर आकर सामान को सैनिटाइज जरूर करें।
  • मास्क पहनना न भूलें और एक छोटा सैनिटाइजर भी साथ में अवश्य रखें।
  • दीवाली अपने साथ ठंडक को भी दस्तक देती है तो अपनी सेहत का भी ध्यान दें।
  • एक जिम्मेदार नागरिक बनें और बच्चों को भी पटाखों से होने वाले नुकसान बताएं।
  • मौसम बदलने पर ज्यादातर लोग बीमार पड़ते हैं इस लिये त्योहार की भागा दौड़ी में खुद का ख्याल रखना न भूलें।
  • घरों में डस्टिंग और सफाई आदि करने से कई बार श्वास संबंधी रोग से पीड़ित लोगों को दिक्कत होने लगती है, इस लिये इसे करने से बचें क्यों की किसी भी तरह की श्वास संबंधी बीमारी होने पर लोगों में बेमतलब कोरोना की आशंका हो जाती है।
  • स्वास्थ्य के अतिरिक्त लोकल सामानों को खरीदें और लोकल के लिये वोकल बनें और भारतीय उत्पाद अपनाएं।
  • दीयों से खूबसूरत कुछ नहीं लगते, इस लिये विदेशी लाइटों की जगह घरों को मिट्टी के दीयों से सजाएँ और देश की अर्थव्यवस्था सुधारने में मदद करें।

अपकी दीवाली केवल परिवार के साथ

दीवाली रोशनी का त्योहार तो है ही, साथ में खुशियां भी लाती है। बच्चों से लेकर बूढ़ों तक हर कोई इस दिन का बेसबरी से इंतजार करता है। नए कपड़ों, रंग-बिरंगी मिठाइयों और रंगोली के सामान से बाजारों में रौनक आ जाती है। लोग जम कर खरीदारी करते हैं और अपने-अपने घरों को भी सजाते हैं। इस दिन पूरे देश में खुशी का माहौल रहता है।

इस दीवाली खुद भी सुरक्षित रहें और दूसरों को भी रखें इस लिये इस वर्ष किसी के घर न जाएं सब को फ़ोन पर ही बधाई दे दें। अच्छा भोजन खाएं, ज्यादा बाज़ार के उत्पाद न खाएं घर पर बना खाना खाएं और स्वास्थ्य का विशेष ध्यान दें और परिवार के साथ इसका आनंद लें।

हर त्योहार की अपनी खासियत होती है, ठीक इसी प्रकार रोशनी के इस पर्व को समृद्धि का सूचक माना जाता है। ज्यादातर घरों में इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है और धन-धान्य का वरदान मांगा जाता है। इस वर्ष पर्यावरण और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एक शांत और रोशनी से भरपूर त्योहार अपने-अपने परिवार के साथ मनाएं।

Diwali Essay

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निबंध – 3 (500 शब्द)

दीपावली (Deepawali) धन, धान्य, सुख, चैन व ऐश्वर्य का त्योहार है। भारत के विभिन्न राज्य इस अवसर पर पौराणिक कथाओं के आधार पर विशेष तरह की पूजा करते हैं। दिवाली, भारत तथा नेपाल में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इसके अलावा अन्य देशों में भी उत्साह के साथ मनाया जाता है।

भारत के विभिन्न स्थान पर दिपावली मानाने की वजह

भारत के विभिन्न राज्यों में दिवाली मानाने की अलग-अगल वजह है। उन में से कुछ प्रमुख निम्नवत् हैं-

  • भारत के पूर्वी भाग में स्थित उड़ीसा, बंगाल इस दिन माता शक्ति को, महाकाली का रूप धारण करने के वजह से मनाते हैं। और लक्ष्मी के स्थान पर काली की उपासना करते हैं।
  • भारत के उत्तरी भाग में स्थित पंजाब के लिए दिवाली बहुत महत्व रखता है क्योंकि 1577 में इसी दिवस पर अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी गई थी। और इसी दिन पर सिक्खों के गुरु हरगोबिंद सिंह को जेल से रिहा किया गया था।
  • भारत के दक्षिण भाग में स्थित राज्य जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, आदि दिवाली पर, द्वापर में कृष्ण द्वारा नरकासुर के वध के खुशी में कृष्ण की पूजा करके मनाते हैं।

विदेश में दिपावली का स्वरूप

  • नेपाल – भारत के अलांवा भारत के पड़ोसी देश नेपाल में दिपावली का त्योहार धूम-धाम से मनाया जाता है। इस दिवस पर नेपाली कुत्तों को सम्मानित करते हुए उनकी पूजा करते हैं। इसके अलांवा वह संध्याकाल में दीपक जलाते हैं तथा एक-दूसरे से मिलने उनके घर जाते हैं।
  • मलेशिया – मलेशिया में हिंदुओं की संख्या ज्यादा होने के वजह से इस दिन पर सरकारी अवकाश दिया जाता है। लोग अपने घरों में पार्टी आयोजित करते हैं। जिसमें अन्य हिंदू व मलेशियाई नागरिक सम्मिलित होते हैं।
  • श्रीलंका – इस द्वीप में रह रहे लोग दिवाली के सुबह उठ कर तेल से स्नान करते हैं और पूजा के लिए मंदिर जाते हैं। इसके अतिरिक्त यहां दिवाली के मौके पर खेल, आतिशबाजी, गायन, नृत्य, भोज आदि आयोजित किया जाता है।

इन सब के अतिरिक्त अमेरिका, न्यूजीलैंड, मॉरिशस, सिंगापुर, रीयूनियन, फिजी में बसे हिंदुओं द्वारा यह पर्व मनाया जाता है।

दीपावली (Deepawali) पर ध्यान रखने योग्य बातें

विशेषकर लोग दीपावली (Deepawali)पर पटाखे जलाते हैं, यह पटाखे अत्यधिक खतरनाक होते हैं। मस्ती में होने के वजह से अनचाही दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। अतः त्योहार के धूम-धाम में व्यक्ति को सुरक्षा का भी पूर्ण खयाल रखना चाहिए।

दीपावली (Deepawali)पर अभद्र व्यवहार न करें

कई लोगों का मानना है, दिपावली के अवसर पर जुआ खेलने से घर में धन की बाढ़ आ जाती है। इस कारणवश अनेक लोग इस अवसर पर जुआ खेलते हैं। यह उचित व्यवहार नहीं है।

अत्यधिक पटाखो का जलाया जाना

पटाखों के आवाज से अनेक बेजुबान जानवर बहुत अधिक डरते हैं। इसके अलांवा बड़े-बुजुर्ग और गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीज़ भी इन ध्वनि से परेशानियों का सामना करते हैं। इसके साथ ही दिवाली के दूसरे दिन प्रदुषण में वृद्धि हो जाती है।

दिवाली खुशीयों का त्योहार है। इससे जुड़ी प्रत्येक चीज हमें खुशी देती है। हम सभी को समाज के ज़िम्मेदार नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है की हमारे मस्ती और आनंद के वजह से किसी को भी किसी प्रकार का कष्ट न होने पाए।

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Hindi Essay Writing – दिवाली  (Diwali)

दिवाली पर निबंध –  इस लेख में हम दिवाली का इतिहास, दीपावली का अर्थ,  दिवाली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है, आदि के बारे में जानेंगे| हम सब जानते है कि दिवाली हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार है।। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अक्सर स्टूडेंट्स से असाइनमेंट के तौर या परीक्षाओं में दिवाली पर निबंध पूछ लिया जाता है। इस पोस्ट में दिवाली पर कक्षा 1 से 12 के स्टूडेंट्स के लिए 100, 150, 200, 250 और 350 शब्दों में संक्षिप्त निबंध/अनुच्छेद दिए गए हैं।

  • दिवाली पर पर 10 लाइन हिन्दी में (10 lines on Diwali in Hindi)
  • दिवाली पर अनुच्छेद 1, 2 और 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में
  • दिवाली पर अनुच्छेद 4 और 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में
  • दिवाली पर अनुच्छेद 6, 7 और 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में
  • दिवाली पर अनुच्छेद 9, 10, 11 और 12 के छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में
  • दिवाली पर निबंध (Detailed Essay on Diwali in Hindi)

दिवाली पर 10 लाइन हिन्दी में (10 lines on Diwali in Hindi)

  • दिवाली का त्यौहार हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है।
  • दिवाली को रोशनी का त्योहार भी कहा जाता है।
  • दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है और इसे हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है।
  • दिवाली के दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
  • दिवाली के दिन लोग अपने घरों की बहुत साज-सजावट करते है।
  • दिवाली के दिन ही अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात लौटे थे।
  • श्री राम जी के अयोध्या वापस लौटने की ख़ुशी में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए थे।
  • दिवाली के त्यौहार से पहले सभी लोग अपने-अपने घरों की अच्छे से साफ-सफाई करते है।
  • दिवाली का त्योहार लगभग 5 दिनों तक होता है। पहला धनतेरस, दूसरा नरक चतुर्दशी, तीसरा मुख्य दिवाली, चौथा गोवर्धन पूजा और पांचवां भैया दूज।
  • दिवाली के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है।

Short Essay on Diwali in Hindi दिवाली पर अनुच्छेद कक्षा 1 से 12 के छात्रों के लिए 100, 150, 200, 250 से 300 शब्दों में

दिवाली /दीपावली पर निबंध : दिवाली जिसे ‘दीपावली’ के नाम से भी जाना जाता है, ये हिंदुओं के सबसे लोकप्रिय व महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, जिसे बड़े ही उत्साहपूर्वक और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस त्योहार को कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है ।

दिवाली पर अनुच्छेद – कक्षा 1, 2, 3 के छात्रों के लिए 100 शब्दों में

दिवाली पूरे भारत में खुशी के साथ मनाई जाती है। दिवाली आने से पहले हम अपने घरों की अच्छे से सफाई करके रंग-बिरंगी लाइटों से सजाते हैं। दिवाली के दिन हम सब नए कपड़े पहनते हैं फिर शाम को हम अपने घरों में घी या तेल के दीए जलाते हैं और पूरे घर को दीयों से सजाते हैं। माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी की पूजा करते है, स्वादिष्ट पकवान बनाए जाते है, हम अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं एक दूसरे को  मिठाई और उपहार देते है और साथ में पटाखे, फुलझड़ी इत्यादि जलाकर दिवाली मनाते हैं। दिवाली को रोशनी का पर्व भी कहा जाता है ये त्योहार सभी को अच्छा लगता है।

दिवाली पर अनुच्छेद – कक्षा 4, 5 के छात्रों के लिए 150 शब्दों में

दिवाली त्यौहार हिंदुओं का प्रमुख त्यौहार है। दिवाली मनाए जाने के पीछे एक सबसे प्रचलित कहानी है। त्रेता युग में अयोध्या के राजा राम चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के पश्चात पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटे थे। इसी खुशी में अयोध्यावासियों ने पूरी अयोध्या नगरी को फूलों और दीपों से सजाया था। तब से प्रतिवर्ष कार्तिक मास के अमावस्या को दिवाली धूमधाम से मनाया जाने लगा। 

दिवाली के आने से कुछ दिनों पहले से ही लोग अपने-अपने घरों की साफ-सफाई करके रंग बिरंगे लाइटों से साज-सजावट कर देते हैं। दीपावली से पहले धनतेरस और धनतेरस के बाद छोटी दीपावली आती है। दिवाली के दिन लोग बहुत उत्साह के साथ अपनो से मिलते है एक दूसरे को उपहार और मिठाइयां भेंट देकर दिवाली की बधाई देते हैं फिर शाम होने पर घी या तेल के दीये जलाकर घरों को सजाते है, माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करते हैं, पटाखे और फुलझड़ी जलाते हैं। घर में बने व्यंजन और मिठाइयों का लुफ्त उठाते हैं। और इस तरह से हर्ष और उल्लास के साथ दिवाली का त्यौहार मनाते है।

दिवाली पर अनुच्छेद – कक्षा 6, 7, 8 के छात्रों के लिए 200 शब्दों में

दिवाली एक ऐसा त्यौहार है जिसे बच्चे और युवा आमतौर पर बेहद पसंद करते हैं क्योंकि यह सभी के लिए बहुत सारी खुशियाँ और आनंदमय क्षण लेकर आता है। दीपावली संस्कृत के दो शब्दों से मिलकर बना है दीप + आवली । ‘दीप’ अर्थात ‘दीपक’ और ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन या श्रृंखला’ जिसका अर्थ हुआ दीपक की श्रृंखला या दीपों की पंक्ति। दिवाली को दीपोत्सव भी कहते है।

दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है क्योंकि इस दिन को भगवान श्री राम के वनवास से अयोध्या वापस आने की खुशी में उनकी प्रजा ने घी के दीये जलाकर अमावस्या के काली रात को पूर्णिमा में बदल दिया था तब से हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को दीपावली मनाया जाने लगा।

दिवाली से पहले धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन लोग धातु की वस्तुएं जैसे सोने और चांदी के आभूषण या बर्तन खरीद कर अपने घर जरूर लेकर जाते हैं। दिवाली के दिन लोग नये-नये कपड़े पहनकर अपने दोस्तों और सगे संबंधियों से मिलते है और उन्हें उपहार भेट करके दिवाली की शुभकामनाएं देते है। शाम के समय अपने घरों को मोमबत्ती और दीयों से सजाते हैं, लक्ष्मी गणेश की पूजा करते है, अच्छे अच्छे पकवान बनाते हैं, पटाखों से आतिशबाजी करते हैं और मिल-जुल कर सौहार्द के साथ दिवाली के पर्व को मनाते हैं।

दिवाली पर अनुच्छेद – कक्षा 9, 10, 11, 12 छात्रों के लिए 250 से 300 शब्दों में

भारतवर्ष में जितने भी पर्व हैं, उनमें दिवाली सर्वाधिक लोकप्रिय और हर एक के मन में हर्ष-उल्लास पैदा करने वाला पर्व है। दिवाली के त्यौहार को बुराई पर अच्छाई, अज्ञान पर ज्ञान और अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक माना जाता है क्योंकि यह पर्व लोगों में प्रेम और एक-दूसरे के लिए स्नेह की भावना उत्पन्न करता है।

इस पर्व को मनाने के पीछे बहुत से धार्मिक महत्व छुपे हुए हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, दिवाली के दिन अयोध्या के राजा राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे थे, अपने परम प्रिय राजा के आगमन से अयोध्यावासियों का ह्रदय खुशी से भर गया तथा उन्होंने घी के दीपक जलाकर उनके घर वापसी का जश्न मनाया। कार्तिक मास की अमावस्या की वो रात दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तभी से रोशनी का यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की अमावस्या के दिन बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है।

दिवाली त्योहार की तैयारियां दिवाली से कई दिनों पहले ही शुरू हो जाती है। लोग अपने घरों की साफ-सफाई व रंगाई-पुताई करने में जुट जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि जो घर साफ-सुथरे होते हैं, उन घरों में दिवाली के दिन माता लक्ष्मी विराजमान होती हैं तथा अपना आशीर्वाद देकर वहां सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी करती है। दिवाली के नजदीक आते ही लोग अपने घरों को रंग बिरंगे लाइट्स से सजाना शुरू कर देते हैं।

दिवाली का त्यौहार लगभग 5 दिनों का होता है। जिस के पहले दिन धनतेरस होता है। धनतेरस के दिन सोने और चांदी के आभूषण या बर्तन आदि खरीदना शुभ माना जाता है। दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। तीसरा दिन दीपावली त्योहार का मुख्य दिन होता है। इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी, विघ्नहर्ता गणेश जी व कुबेर जी की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व माना गया है। दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है क्योंकि इस दिन भगवान कृष्ण ने इंद्र के क्रोध से हुई मूसलाधार वर्षा से लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर उठा लिया था। दिवाली के त्यौहार के आखिरी दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है।

दिवाली के दिन लोग अपने घर को दीयों, मोमबत्तियों, लड़ियों और रंगोली से सजाते हैं, अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं, दिवाली की बधाई देते है और उपहार साझा करते हैं, स्वादिष्ट पकवान खाते हैं। पटाखे और फुलझड़ी जलाकर अपनी खुशी व्यक्त करते हैं। दिवाली की रात हर तरफ रोशनी की जगमगाहट होने से असीम और अलौकिक आनंद का अनुभव होता है।

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दिवाली पर निबंध – 1000 शब्दों में दिवाली का महत्व और रोशनी की कहानी

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Diwali Essay In Hindi 1000 Words

  • दिवाली पर निबंध 1000 शब्दों में

इस पोस्ट मे शुभ दिवाली के शुभ अवसर पर  Happy Diwali   के लिए  Diwali Essay In Hindi 1000 Words   शेयर कर रहे है ,  जिस निबंध को C lass 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 के विद्यार्थियों के लिए लिखी गई है। जिसे इन कक्षा के छात्र अपनों के साथ शेयर  कर सकते है ,   तो चलिये अब  1000  Words On Diwali In Hindi Essay  –  दीपावली पर निबंध 1000 शब्दों में  को जानते है।

दिपावली  का त्यौहार भारत में और अन्य कई देशों में बहुत ही धूम धाम से मनाया जाता है। दीपावली को दीप का त्यौहार भी कहा जाता है। दिवाली का त्यौहार भारत के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। जिसे भारत में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान श्री राम ने रावण को पराजित करके और अपना 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटे थे।

श्री राम भगवान की आने की खुशी वहां के सभी लोगों ने दिये जलाए थे। तब से लेकर अब तक हर वर्ष इस दिन को दीवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। लोग आज भी इस दिन को उतने की खुशी से मनाते हैं। ये त्यौहार बच्चा, बूढें, बड़े हर कोई बहुत ही अच्छे से मनाता है। यहां तक कि स्कूल, कॉलेज और दफ्तरों में भी दीवाली को त्यौहार को बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। इन दिन लोग एक दूसरे को  दीवाली की बधाई  देते हैं और बहुत से उपहार भी तोहफे के रूप में देते हैं।

Table of Contents

दिवाली जो की हमारे भारत देश में मनाया जाने वाला सबसे बडा़ त्यौहार है। यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्षो के वनवास के पश्चात अयोध्या मे वापस लौटने की खुशी मे पूरे अयोध्या मे घर घर, गली मुहल्ले, हर जगह दीये जलाए गए थे, जिससे पूरा अयोध्या स्वर्ग के समान जगमगाने लगा था, इस तरह हर साल दीये इस शुभ दिन दीये जलाया जाने लगा, जिसे हम सभी दिवाली के त्योहार के रूप मे मनाते है।

दीवाली के कुछ हफ्ते पहले से ही लोग आते ही लोग अपने घर की साफ-सफाई भी करते है। फिर दिवाली के दिन नए कपड़े पहनते है, मिठाई खाते हैं, दीप जलाते है, पटाखे जलाते हैं, लक्ष्मी-गणेश भगवान की पूजा करते हैं, और एक दूसरे को दिवाली की मिठाई बांटते है, और एक दूसरे को दिवाली की शुभकामना देते है, और मिलजुलकर इस तरह दिवाली का त्योहार मनाते है।

दिवाली का त्यौहार हर किसी के लिए खुशियां लेकर आता है, फिर चाहे वो बड़ा हो या बच्चा। हर कोई इस त्यौहार को बड़ी ही धूम धाम से मनाता है। साथ ही स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों आदि में भी दीवाली का त्यौहार बहुत ही उल्लास के साथ मनाया है, दीपावली का ये त्यौहार साल में एक बार आता है जो कि अक्टूबर या नवम्बर की माह में होता है, दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है,

दिवाली के एक माह पूर्व से ही लोग घरों की साफ़ सफाई तथा पर्व की तैयारी में लग जाते हैं. लोग अपने घरों दुकानों तथा ऑफिस आदि को सजाते संवारते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी सबसे स्वच्छ स्थल में वास करती हैं. रात में लोग माँ के स्वागत के लिए घरों के द्वार भी खुले छोड देते हैं.

दिवाली का त्योहार कुल 5 दिनो के लिए मनाया जाता है, जो की दिवाली के दो दिन फले से दिवाली के दो दिन बाद तक रहता है, जिसे हर दिन अलग अलग नामो से दिवाली के इस त्योहार को मनाया जाता है, दिवाली त्यौहार के इन सभी पांच दिनों में खाद्य पदार्थों और मिठाई के स्वादिष्ट व्यंजन बनाते हैं, लोग इस दिन पासा, कार्ड गेम और कई अन्य प्रकार के खेल खेलते हैं। वे अच्छी गतिविधियों के करीब आते हैं और बुरी आदतों को दूर करते हैं।

दरअसल दिवाली का पर्व एक दिन का न होकर पंचदिवसीय पर्व हैं. इसका प्रथम दिवस धनतेरस के रूप में जाना जाता हैं. इस दिन कुबेर और धन्वन्तरि का जन्म हुआ था. मान्यता है कि इस दिन खरीददारी करने से धन 13 गुणा बढ़ जाता हैं. इसका दूसरा दिन छोटी दीपावली का होता हैं इसके पीछे मान्यता है कि इस दिन कृष्ण ने नरकासुर का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय दिलाई थी.

दीपावली भी इसी तरह का त्यौहार है क्योंकि इस दिन भगवान श्री राम अथार्त ज्ञान ने रावण रूपी अज्ञान को पराजित किया था। राम जी के वनवास से वापसी के लिए लोगों ने पूरी अयोध्या नगरी को फूलों, दीपों और रंगों से बहुत ही अच्छी तरह से सजाया था। जिसकी वजह से इसे दीपावली नाम दे दिया गया और हर साल मनाया जाने लगा।

दिवाली के पहले दिन धनतेरस या धन्त्ररावदाशी के रूप में जाना जाता है जिसे देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है। लोग देवी को खुश करने के लिए आरती, भक्ति गीत और मंत्र गाते हैं, दूसरे दिन नरका चतुर्दशी या छोटी दिवाली के रूप में जाना जाता है जिसे भगवान कृष्ण की पूजा करके मनाया जाता है क्योंकि उन्होंने राक्षस राजा नारकसुर को मार डाला था,

विजयादशमी के दिन रावण का वध कर वे सीता समेत कार्तिक अमावस्या के दिन अयोध्या पहुँचते हैं. वहां की जनता अपने राजा का स्वागत घी के दिए जला कर करती हैं. इस तरह से यह दीपों का त्योहार बन गया जिसे हर हिन्दू प्रत्येक वर्ष धूमधाम से मनाता हैं.

दीवाली  की रात पूरा भारत जगमगाता है। रंग बिरंगी लाइटें, दिए, मोमबत्ती आदि से पूरे भारत को सजाया जाता है। दीवाली की शाम भगवान लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है। पूजा करने के बाद सभी लोग अपने पड़ोसियों और अपने रिश्तेदारों को प्रसाद, मिठाई, गिफ्ट आदि देते हैं। इस दिन लोग पटाखे, बम, फुलजड़ी आदि भी जलाते हैं। दीवाली के त्यौहार को बुरे पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। भारत की नहीं बल्कि और भी कई देशों में दीवाली का त्यौहार बहुत की धूम धाम से मनाया जाता है।

बच्चें बूढ़े बालक स्त्रियाँ सभी आयु के लोग दिवाली पर्व को मनाते हैं. भारत में इस पर्व के मौके पर लम्बी सरकारी छुट्टियाँ भी रहती हैं जिससे नौकरी पेशे से जुड़े लोग भी अपने परिवार के साथ इस पर्व को मनाते हैं. अंग्रेजी महीनों के अनुसार यह पर्व अक्टूबर अथवा नवम्बर माह में पड़ता हैं. इसके आगमन से कई दिन पूर्व से ही लोग घर की साफ़ सफाई रंग रोगन तथा खरीददारी में लग जाते हैं.

दिवाली की शाम को घर घर घी के दिए लाइट आदि से जगमगाहट की जाती हैं. शुभ मुहूर्त के समय माँ लक्ष्मी, श्रीगणेश तथा सरस्वती जी की पूजा आराधना कर सुख सम्रद्धि की कामना की जाती हैं.  दिवाली को पूरे भारत में खूब धूमधाम से मनाया जाता है, यहा तक कि   दिवाली  सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर रहने वाले विदेशो मे भी भारतीय और अन्य धर्म के लोग भी बहुत धूम धाम से मनाते हैं…

उसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए हम हर साल दिवाली का उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन धन की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा आराधना की जाती हैं. इस तरह यह एक खुशियों का पर्व है जो हमारे जीवन में आनन्द बिखेर जाता हैं.

इसके अतिरिक सिख धर्म में भी दिवाली के दिन का ऐतिहासिक महत्व हैं इस दिन छठे सिख गुरु हर गोबिंद जी को मुगलों ने रिहा किया था, अतः सिख लोग इसे बंदी छोड़ पर्व के रूप में भी मनाते हैं.

हिन्दू धर्म की कथाओं के अनुसार माना जाता हैं कि जब रावण सीता का हरण का लंका ले गया तो भगवान राम ने लंका की चढ़ाई की और दशहरा के दिन रावण का वध कर सीता के साथ अयोध्या रवाना हुए थे.  माना जाता है, कि कार्तिक अमावस्या की रात को ही प्रभु राम सरयू के तट अयोध्या पहुंचे थे. अपने प्रिय राम के आगमन पर वहां के निवासियों ने घी के दिए जलाए तथा खुशियों के साथ राम को गले लगाया. 

दिवाली की रात धन दात्री देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने का विधान हैं. सुख सम्पदा के लिए लक्ष्मी के साथ ही माँ सरस्वती तथा गणपति का भी पूजन किया जाता हैं. इस रात को घर में विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं दोस्तों रिश्तेदारों को पावन पर्व की बधाई के साथ उपहार भी आदान प्रदान किये जाते हैं.

हर त्योहार का अपना महत्व हैं. जिस प्रकार ईद मुसलमानों में भाईचारे का त्यौहार माना जाता हैं. उसी प्रकार दीपावली भी स्नेह का त्योहार हैं. इस दिन सभी व्यक्ति अपने इष्ट मित्रों से मिलते हैं. और उन्हें शुभकामनाओं सहित मिठाई आदि भेट करते हैं. सांस्कृतिक पर्व की दृष्टि से यह त्योहार पौराणिक परम्पराओं को बनाए रखने वाला हैं.

तीसरे दिन मुख्य दिवाली के रूप में जाना जाता है दिवाली की शाम को चरो तरफ दिये जलाए जाते है, और फिर शाम को रिश्तेदारों, दोस्तों, पड़ोसियों और जलती हुई फायर क्रैकर्स के बीच मिठाई और उपहार वितरित करते हुए देवी लक्ष्मी की पूजा करके मनाया जाता है,

उपसंहार : दीपावली भारत में सभी धर्मों के द्वारा मनाया जाने वाला एक त्यौहार है क्योंकि यह सभी के लिए खुशी और आशीर्वाद लेकर आता है। इस त्यौहार की वजह से हर साल लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत का एक नया सत्र सीखने को मिलता है।

किसी भी तरह का पर्व हमें उसके भूत में ले जाता है और हम फिर से एक बार उसके पीछे के कारणों को याद कर पाते हैं। यह एक बहुत ही अच्छा तरीका होता है अपने पुराने समय या अपने देश के अतीत को स्मरण करने का।

तो आप सभी को यह दिवाली के लिए निबंध – Essay on Diwali in Hindi 1000 Words  खूब पसंद आया होगा, तो आप अपने विचार कमेंट मे जरूर बताए और  दिवाली पर निबंध 1000 शब्दों में –  Diwali Essay In Hindi 1000 Words  को शेयर भी लोगो के साथ जरूर करे। और अंत मे आप सभी को  हैप्पी दिवाली…

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Thanks Guri. Aise hi visit karte rahiye

Interesting content…

Bahut hi sundar essay hai diwali ke liye. Happy diwali ji aapko

Thanks Shubham, aapko bhi happy Diwali. Aise hi diwalishare visit karte rahiye.

Bahut Hi Behtarin Post hai sir Ji

Thanks Rahul . Happy Diwali

Bahut hi Mast Essay hai Sir Ji. Happy Diwali ke liye

Thanks Vishnu. Happy Diwali

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